وزراء کی کونسل کے میرے رفیق کار جناب تھاور چند جی گہلوت، جناب رام ولاس پاسوان جی، اس علاقے کے رکن پارلیمنٹ اور وزراء کی کونسل کے میرے رفیق کار ڈاکٹر ہرش وردھن جی، جناب رام داس اٹھاولے جی، جناب وجے سامپلا جی، یہاں موجود دیگر تمام معززین، خواتین و حضرات۔
سب سے پہلے میں سوا سو کروڑ اہل وطن کو آج بہت بہت مبارک باد پیش کرتا ہوں کہ آج انہیں ڈاکٹر امبیڈکر نیشنل میمورئیل کے طور پر ایک بیش قیمت تحفہ ملا ہے۔ آج بابا صاحب کی یاد میں تعمیر ہوئے اس قومی میمورئیل کو قوم کے نام وقف کرتے ہوئے میں خود کو خوش قسمت محسوس کر رہا ہوں۔
ملک میں بیساکھی کا تیوہار بھی منایا جا رہا ہے۔ بیساکھی ہمارے ان داتا، ہمارے کاشتکار کی محنت کی پرستش کا دن ہے۔ میں ملک کو بیساکھی کی بہت بہت مبارکباد پیش کرتا ہوں۔ آج ہی جلیاں والا باغ قتل عام کی برسی بھی ہے۔ 99 برس قبل آزادی کے دیوانوں پر جس طرح انگریز حکومت کا قہر برپا تھا وہ انسانی تاریخ کےسب سے دردناک واقعات میں سے ایک ہے۔ جلیاں والا باغ گولی کانڈ میں شہید ہر سپاہی کو میں سلام کرتا ہوں۔
साथियों, स्वतंत्रता के बाद से इतनी सरकारें आईं, कितना वक्त गुजर गया, लेकिन जो कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था, वो काम दशकों के बाद आज हो रहा है। और इसलिए ये जगह, इस जगह पर आना इस कार्यक्रम में शामिल होना, उस जमीन पर खड़े होना जहां बाबा साहेब ने आखिरी समय गुजारा था; ये बहुत ही भावुक पल है। बाबा साहेब के नाम पर उनकी याद में निर्मित ये राष्ट्रीय स्मारक, देश की तरफ से उन्हें एक भावभीनी श्रद्धांजलि है। कल बाबा साहेब की जन्म जयंती है और उसके एक दिन पूर्व यहां इस समारोह का आयोजन बाबा साहेब के प्रति हम सबकी अटूट श्रद्धा को प्रकट करता है, सरकार की प्रतिबद्धता को प्रकट करता है।
इस पवित्र कार्य को पूरा करने के लिए मैं सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और भारत सरकार के अन्य संबंधित विभागों की हृदय से भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।
मैमोरियल के निर्माण में अपना असीम पसीना बहाने वाले एक-एक श्रमिक को मेरा नमन है। उनमें से अधिकांश आज यहां नहीं होंगे, इस कार्यक्रम से दूर कहीं और काम में लगे होंगे, लेकिन उन्हें भी मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है।
भाइयो और बहनों, अब आज से ये 26 अलीपुर रोड पर बना ये स्मारक दिल्ली ही नहीं, देश के मानचित्र पर हमेशा-हमेशा के लिए अंकित हो गया है। यहां आकर लोग बाबा साहेब के जीवन से जुड़ी बातों को, उनकी दृष्टि को और बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।
ये स्मारक एक असाधारण व्यक्ति के असाधारण जीवन का प्रतीक है। ये स्मारक मां भारती के होनहार सपूत के आखिरी दिनों की यादगार है।
भाइयो और बहनों, इस स्मारक को एक किताब की शक्ल में तैयार किया गया है। ये किताब हमारे देश का वो संविधान जिसके शिल्पकार डाक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर थे।
जिस संविधान को रचकर, बाबा साहेब ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को, लोकतांत्रिक बने रहने का रास्ता सुनिश्चित किया था।
आज की नई पीढ़ी, जब इस मैमोरियल में यहां आएगी, तो यहां लगी प्रदर्शनी देखकर, यहां म्यूजियम में आधुनिक तकनीक के माध्यम से उनके जीवन के अहम पड़ावों को देखकर, बाबा साहेब के जीवन के अथाह विस्तार को वो भली भांति समझ पाएगी।
साथियों, ये हमारी सरकार के लिए सौभाग्य की बात है कि उसे बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़े पांच महत्वपूर्ण स्थान, जिसे मैं हमेशा पंचतीर्थ के तौर पर पुण्य भाव से स्मरण करता हूं, उन्हें विकसित करने का हमें अवसर मिला। श्रीमान गहलोत जी ने इसका काफी वर्णन भी किया है।
मध्य प्रदेश के महू में बाबा साहेब की जन्मभूमि, लंदन में डॉक्टर अंबेडकर मेमोरियल- उनकी शिक्षाभूमि, नागपुर में दीक्षाभूमि, मुंबई में चैत्य भूमि और यहां दिल्ली में इस नेशनल मेमोरियल के तौर पर उनकी महापरिनिर्वाण भूमि। ये स्थान, ये तीर्थ, सिर्फ ईंट-गारे की इमारत भर नहीं हैं, बल्कि जीवंत संस्थाएं हैं, आचार-विचार के सबसे बड़े संस्थान हैं।
साथियों, ये इमारत भव्य भी है, ये इमारत दिव्य भी है। साथियों ये दिव्य- भव्य इमारत इस सरकार के कार्य करने की संस्कृति का भी प्रतीक है। जब अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी, कितने साल हो गए आप याद कीजिए, तब यहां इस जमीन पर नेशनल मेमोरियल की बात प्रांरभ हुई, आगे बढ़ी। लेकिन अटलजी की सरकार जाने के बाद कांग्रेस सरकार के समय इस प्रोजेक्ट पर फाइलें रुक गईं, काम बंद हो गया।
2014 में फिर से एक बार देशवासियों ने हमें सेवा करने का मौका दिया। 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद एक बार फिर 26 अलीपुर रोड की फाइलों को खोजना पड़ा, खोज करके सब निकाला, और फाइलें मिलने के बाद फिर एक बार हमने तेजी से काम प्रारंभ किया।
26 मार्च, 2016 को मेमोरियल का शिलान्यास करते हुए ही मैंने उस दिन कह दिया था कि 2018 में, बाबा साहेब की जन्म-जयंती से पहले ही मैं इसका लोकार्पण करना चाहूंगा। और मैं पूरी नम्रता के साथ कहना चाहता हूं हमने एक ऐसा work culture develop करने का प्रयास किया है कि जिसका शिलान्यास हम करेंगे, उसका लोकार्पण भी हम ही करेंगे।
समय की पाबंदी, संसाधनों पर विश्वास और सरकार की इच्छाशक्ति, किस तरह परिवर्तन लाती है, ये आज हम सब हमारे सामने ये जो भव्य स्मारक खड़े हैं, उसे हम भलीभांति समझ सकते हैं।
साथियों, लोकतंत्र में जब जनता जवाब मांगे, उससे पहले आपको स्वयं से अपनी जवाबदेही तय करनी होती है। आपको खुद को जवाब देना होता है। लेकिन हमारे यहां पहले की सरकारों में इस तरह की जवाबदेही कम ही देखी गई। इस व्यवस्था को इस सरकार में पूरी तरह बदल दिया गया है।
संभवत: आप में से कुछ लोग दिल्ली के 15 जनपथ पर बने आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर पर गए होंगे। 1992 में, आप सोचिए, 1992 में इस सेंटर का विचार सामने आया था। लेकिन 22 साल तक इसकी भी फाइलें कहीं दब गईं, कहीं खो गईं। दिल्ली में कार्यभार संभालने के सालभर के भीतर ही अप्रैल 2015 में मुझे इस सेंटर का शिलान्यास करने का सौभाग्य मिला सौाासाकियाऔर कुछ महीने पहले ही दिसंबर में इसका भी लोकार्पण भी किया। अब डॉक्टर आंबेडकर के विचारों का प्रतीक ये स्टेट ऑफ द आर्ट इंटरनेश्नल सेंटर दिल्ली की आन-बान-शान में एक और नजराना है।
भाइयों और बहनों, व्यवस्था का ऐसा कायाकल्प तब होता है, जब बिल्कुल ग्राउंड लेवल पर जाकर कमियों को समझा जाए, उन्हें दूर किया जाए। अभी तीन दिन पहले मैं चंपारण में था। वहां से मैंने मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री के फेज वन का भी लोकार्पण किया। इस प्रोजेक्ट की भी वही कहानी है। स्वीकृत हुआ साल 2007 में, लेकिन काम प्रारंभ हुआ हमारे आने के बाद 2015 में। पहले की सरकार ने सात साल फाइलों की यात्रा में ही गंवा दिए।
हमारी सरकार के सिर्फ दो-ढाई साल के प्रयास से, अब इस फैक्ट्री में दुनिया के सबसे शक्तिशाली रेल इंजनों में से एक manufacture भी होने लग चुका है। मैं आपको इस तरह के प्रोजेक्ट की लिस्ट गिनाने लग जाऊं तो शायद कई दिन बीत जाएंगे। देश को स्वतंत्रता के बाद अटकाने-भटकाने-लटकाने की कार्यसंस्कृति मिलेगी, ये तो बाबा साहेब ने कभी नहीं सोचा था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि आने वाली सरकारों में परियोजनाएं तीस-तीस, चालीस-चालीस साल तक पूरी नहीं होंगी। योजनाओं का इस तरह अधूरा रहना, देश के प्रति एक बहुत बड़ा अपराध है।
साथियों, पिछले चार साल से हमारी सरकार खोज-खोज कर बरसों से अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने का काम कर रही है। सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में होने वाली प्रगति की बैठकों के माध्यम से साढ़े 9 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की अधूरी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का काम आज तेज गति से चल रहा है। पिछले चार साल में प्रगति की बैठकों से, देश के विकास में एक नई गति आई है।
साथियों, अभाव का रोना नहीं और प्रभाव से विचलित होना नहीं, ये मंत्र हर किसी के लिए एक ताकत बन जाता है। ये ताकत देने का काम बाबा साहेब आंबेडकर ने हमें अपने जीवन से दिया है। इसलिए इस सरकार में भी आपको अभाव का रोना नहीं दिखेगा। हम तो अपने संसाधनों पर, अपने सामर्थ्य पर भरोसा करके आगे बढ़ने का निरंतर-नित्य प्रयास करते रहते हैं। इसी सोच ने हमें लक्ष्य तय करना और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देना, यही हमें रास्ता बाबा साहेब ने सिखाया है।
भाइयों और बहनों, आज से ठीक एक महीना पहले, यहीं दिल्ली में एक कार्यक्रम हुआ था, पूरी दुनिया के लोग जुटे थे। उस कार्यक्रम में दुनिया के बाकी देशों ने बात रखी कि कैसे TB को 2030 तक खत्म किया जाए। उसी बैठक में भारत ने ऐलान किया कि भारत साल 2025 तक TB को पूरी तरह खत्म करने के लिए काम करेगा। यानि हमने अपने लिए लक्ष्य प्राप्त करने की समय सीमा को बाकी देशों के मुकाबले 5 साल और कम कर दिया है।
अब आप सोचिए। पहले की सरकारें, काम पूरा होने की तारीख आगे बढ़ाने में दिमाग खपाती थीं, ये सरकार काम पूरा करने की तारीख को और पहले करने में विश्वास रखती है। और ये काम कैसे है, अब TB के खिलाफ लड़ाई ये अमीरों के लिए नहीं है। ये गरीबों के घर में TB ने घर बना लिया है और गरीब है कौन? दलित है, पीड़ित है, शोषित है, वंचित है। उनको इन मुसीबतों से मुक्ति दिलाना, यही तो बाबा साहेब आम्बेडकर का सपना था। उसे तो पूरा करने के लिए हम लगे हैं।
चाहे देश के दूर – दराज वाले इलाकों में गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण का कार्यक्रम हो या ग्रामीण सड़कों को जोड़ने की योजना हो, इस सरकार में लक्ष्य पूरा होने की आखिरी तारीख को दो-दो, तीन-तीन साल कम कर दिया है। जो काम 2022 में होना था हमने कहा 2020 में क्यों नहीं हो सकता? 2024 में होना था वो 2022 में क्यों नहीं हो सकता?
साथियों, बाबा साहब की विचारधारा के मूल में समानता अनेक रूपों में निहित है। सम्मान की समानता, कानून की समानता, अधिकार की समानता, मानवीय गरिमा की समानता, अवसर की समानता। ऐसे ही कितने ही विषयों को बाबा साहेब ने अपने जीवन में लगातार उसकी व्याख्या की, उन विषयों को उठाते रहे। उन्होंने हमेशा उम्मीद जताई थी कि भारत में सरकारें संविधान का पालन करते हुए और बिना पंथ का भेद किए हुए, बिना जाति का भेद किए ये चलनी चाहिएं।
आज इस सरकार की हर योजना में आपको सामाजिक न्याय और बिना किसी भेदभाव, सभी को समानता का अधिकार देने का प्रयास आप महसूस करेंगे। दशकों से हमारे देश में जो असंतुलन बना हुआ था, उसे इस सरकार की योजनाएं समाप्त करने का काम कर रही हैं। जैसे जनधन योजना। स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद भी करोड़ों लोगों के पास बैंक अकाउंट न होना, बहुत बड़ा सामाजिक अन्याय था। इसे खत्म करने का काम हमारी सरकार ने किया।
जनधन योजना के तहत अब तक देश में 31 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलवाए जा चुके हैं।
इसी तरह देश के करोड़ों घरों में शौचालय न होना भी सामाजिक अन्याय की ही एक बाजू थी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश में इस सरकार ने 7 करोड़ शौचालय बनवाए हैं। इनमें से लगभग सवा 2 करोड़ शौचालय ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मेरे दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, दलित और आदिवासियों के घरों में बने हैं। पिछले चार वर्षों में देश ने देखा है कि किस तरह शौचालयों से इज्जत भी आती है, समानता भी आती है।
भाइयों और बहनों, आज के इस आधुनिक दौर में किसी के घर में बिजली न हो, ये भी बहुत बड़ा सामाजिक अन्याय है। हमारे यहां तो 2014 में 18 हजार से ज्यादा गांव ऐसे थे, जहां तक बिजली पहुंची ही नहीं थी। आजादी के इतने सालों के बाद भी 18 हजार गांव 18वीं शताब्दी में जीने के लिए मजबूर थे। डंके की चोट पर लाल किले से ऐलान करके हमारी सरकार ने इन गावों तक बिजली पहुंचाने का संकल्प किया। अब तक अधिकतक गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। मुझे अभी आखिरी जानकारी मिली थी, शायद दो सौ, सवा दौ सो गांव बच गए हैं। अब तक हमने हर घर को बिजली कनेक्शन को जोड़ने का भगीरथ काम भी शुरू कर दिया है।
प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत देश के 4 करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन मुफ्त दिया जा रहा है। जब घर में रोशनी होगी, तो पूरे समाज में भी प्रकाश फैलेगा। स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली मुद्रा योजना भी दशकों से हो रहे अन्याय को खत्म करने का काम कर रही है। बैंक से कर्ज, सिर्फ बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने वाले लोगों को ही मिले, अपने दम पर कुछ करने का सपना देख रहा नौजवान, बैंक गारंटी के नाम पर भटकता रहे, ये स्थिति ठीक नहीं। इसलिए हमारी सरकार ने बिना बैंक गारंटी लोन लेने का विकल्प दिया।
मुद्रा योजना के तहत अब तक 12 करोड़ से ज्यादा Loan स्वीकृत किए गए हैं। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के असीमित द्वार खुलना संभव हुआ है। मुद्रा योजना के तहत 2 करोड़ 16 लाख से ज्यादा, 2 करोड़ 16 लाख से ज्यादा दलित लाभार्थियों को मुद्रा योजना से बैंक से बिना गारंटी पैसा मिला है और वो आज अपने पैरों पर खड़े हुए हैं।
साथियों, इस बजट में सरकार ने एक और बड़ी योजना का ऐलान किया है। पूरी दुनिया में इस योजना की चर्चा हो रही है। ये योजना सामाजिक असंतुलन दूर करने की दिशा में हमारा बहुत बड़ा प्रयास है। इस योजना का नाम है- आयुष्मान भारत। इस योजना के तहत सरकार देश के लगभग 10-11 करोड़ गरीब परिवारों यानि करीब-करीब 45 से 50 करोड़ लोगों को हेल्थ एश्योरेंस देने जा रही है। गरीब परिवार में अगर कोई बीमार पड़ता है, तो उसे 5 लाख रुपए तक का इलाज सुनिश्चित किया जाएगा।
साथियों, आज देश के किसी भी कोने में आप चले जाइए, तो वहां पर ग्रामीण महिलाओं में जिस योजना की सबसे ज्यादा चर्चा है, वो योजना है उज्जवला योजना। दशकों तक देश में ऐसी स्थिति रही कि गांव के कुछ घरों में ही गैस कनेक्शन था। गैस कनेक्शन होने की वजह से उन घरों की अपनी पहचान थी। जिन घरों में गैस नहीं थी, वो सामाजिक अन्याय का ही एक उदाहरण थे।
उज्जवला योजना के तहत सरकार ने देश में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन मुफ्त दिए हैं। अब इसका लक्ष्य बढ़ाकर 8 करोड़ गैस कनेक्शन कर दिया गया है। मैं समझता हूं कि बीते कई दशकों की योजनाओं की तुलना कर लें, तो भी सामाजिक न्याय स्थापित करने वाली ये सबसे लोकप्रिय योजना बन गइ है।
साथियों, इस सरकार में कानून के माध्यम से सामाजिक संतुलन को स्थापित करने का भी निरंतर प्रयास किया गया है। ये हमारी ही सरकार है जिसने साल 2015 में, और ये बहुत लोग भूल जाते हैं, मैं उनको स्मरण कराना चाहता हूं, 2015 में हमारी सरकार बनने के बाद दलितों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए कानून को और सख्त किया है। दलितों पर होने वाले अत्याचारों की लिस्ट को 22 अलग-अलग अपराधों से बढ़ा करके हमने उसे 47 forty seven कर दिया था। यानि अब दलितों के खिलाफ forty seven अलग-अलग अपराधों पर कानूनी कार्रवाई सख्त हो सकती है।
साथियों, जब हमारी सरकार ने इस कानून को संशोधित किया था, तब आरोपियों को अग्रिम जमानत न देने का जो प्रावधान था उसे हमारी सरकार ने यथावत रखा हुआ है। पीड़ितों को मिलने वाली राशि भी इसी सरकार ने बढ़ाई। इस कानून का कड़ाई से पालन हो, इसके लिए हमारी सरकार ने पहले की सरकार के मुकाबले दोगुने से ज्यादा राशि खर्च की। जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम से जुड़ा फैसला दिया, तो तुरंत सरकार ने पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की, लेकिन बहुत लोगों को पता नहीं है कि Judgment और याचिका के बीच में 6 दिन छुट्टी थी, public holiday थे,। अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे लोग भी मुझे मिलते हैं तो कहते हैं मोदीजी देर क्यों हुई ? जब मैंने उनको बताया भाई ये 6 दिन public holiday था, तो उन्होंने कहा sorry-sorry साहब, ये तो कोई बोलता ही नहीं है।
मैं आज इस अवसर पर देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जिस कानून को हमारी सरकार ने ही सख्त किया है, उस पर प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा। मेरा आग्रह है लोगों से, कांग्रेस और कांग्रेस कल्चर के सामने आत्मसमर्पण करने वाले दलों के जाल में न फंसे।
साथियों, अपने दलित भाई-बहनों, पिछड़ों-आदिवासियों के सम्मान के लिए, उनके अधिकार के लिए हमारी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। SC/ST पर अत्याचार से जुड़े मामलों की तेज सुनवाई के लिए special courts का गठन किया जा रहा है।
सरकार ने पिछड़ी जातियों के सब-कैटेगरी के लिए कमीशन के गठन का निर्णय भी किया है। सरकार चाहती है कि OBC समुदाय में जो अति पिछड़े हैं, उन्हें सरकार और शिक्षण संस्थाओं में तय सीमा में रहते हुए आरक्षण का और ज्यादा फायदा मिले। इसलिए OBC समुदाय में सब-कैटेगरी बनाने के लिए कमीशन बनाया गया है।
साथियों, पहले 6 लाख रुपए सालाना की आय वाले कर्मचारी क्रीमी लेयर के दायरे में आ जाते थे। सरकार ने इसे बढ़ाकर 8 लाख रुपए प्रतिवर्ष कर दिया है। यानि अब पिछड़े वर्ग के और ज्यादा लोगों को OBC आरक्षण का फायदा मिल रहा है।
पहले सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों में क्रीमी लेयर की समानता नहीं थी। इस असंतुलन को खत्म करने की मांग पिछले 24 साल से की जा रही थी। याद रखिए 24 साल से मांग की जा रही थी, इस सरकार ने कुछ महीने पहले ये असंतुलन खत्म कर दिया है। केंद्र में आने के बाद सरकार ने ऐसे पदों को भरने में भी तेजी दिखाई है जो दलितों-पिछड़ों के लिए आरक्षित हैं।
साथियों, सामाजिक अधिकार इस सरकार के लिए सिर्फ कहने-सुनने की बात नहीं, बल्कि ये हमारा कमिटमेंट है। जिस ‘न्यू इंडिया’ की बात मैं करता हूं वो बाबा साहेब के भी सपनों का भी भारत है। डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर की 125वीं जन्म जयंती को देश-विदेश में बहुत ही भव्य तरीके से मनाया गया। UNO में मनाया गया। दुनिया के डेढ़ सौ से ज्यादा देशों में मनाया गया। और ये पहली बार हुआ है। इस दौरान विशेष डाक टिकट, सिक्के जारी किए गए।
गणतंत्र दिवस पर बाबा साहेब से संबंधित झांकी निकाली गई। अमेरिका और ब्रिटेन में जहां बाबा साहेब ने पढ़ाई की थी, वहां पर अनेक विद्यार्थियों को भेजा गया। सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 26 नवंबर को जिस दिन, संविधान को स्वीकार किया गया था, उसे संविधान दिवस घोषित किया और पहली बार संविधान पर संसद में दो दिन तक चर्चा भी की गई। मुझे एक दिन नरेन्द्र यादव जी मिले थे तो मैंने उनको एक कथा सुनाई मेरे जीवन की, मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था। उसी कालखंड में हमारे संविधान के 60 साल हुए। हिन्दुस्तान में 60 साल हुए, चले गए किसी को पता नहीं। मैंने गुजरात में संविधान के 60 साल का एक बड़ा उत्सव मनाया और संविधान को हाथी की अम्बाड़ी पर रख करके उसका जुलूस निकाला, और मैं खुद पैदल उसके आगे-आगे चलता था और हाथी के ऊपर संविधान रखा था, बाबा साहेब अम्बेडकर की तस्वीर रखी थी। क्योंकि हमारे कमिटमेंट थे, हमारा समर्पण है।
भाइयों और बहनों, मैं आज देश के लोगों को स्पष्ट कहना चाहता हूं कि ये बाबा साहेब की सत्यनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्र निर्माण के पवित्र यज्ञ में उनका योगदान ही है जिसकी वजह से वो भारतीयों के हृदय में आज निवास करते हैं। और ये बात भूल नहीं सकते कि कांग्रेस ने पूरी शक्ति लगा दी थी देश के इतिहास से उनका नामो-निशान मिटाने के लिए। ये इतिहास की बहुत कड़वी सच्चाई है कि जब बाबा साहेब जीवित थे, तब भी कांग्रेस ने उनके अपमान में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी थी।
इसलिए भाइयों और बहनों, आज की पीढ़ी के लिए जानना आवश्यक है कि कैसे कांग्रेस ने बाबा साहेब को जीवित रहते और उनके निधन के बाद भी अपमानित किया है। आज की पीढ़ी के लिए ये जानना भी आवश्यक है कि कैसे बाबा साहेब ने कांग्रेस का असली चरित्र देश के सामने खुला करके रख दिया था। आज की पीढ़ी के लिए, ये जानना भी जरूरी है कि जब कांग्रेस आरोपों से घिरती है, तो कैसे सामने वाले व्यक्ति को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए साम-दाम-दंड-भेद, हर तरह से साजिश रचने लगती है।
कांग्रेस और बाबा साहेब के बीच जब संबंध टूटने का आखिर दौर था, उस समय के बारे में बहुत सी बातें हैं, अगर मैं करने बैठूं तो शायद दिनों निकल जाएंगे। और ये बातें याद करनी इसलिए जरूरी हैं क्योंकि ये कांग्रेस का असली चेहरा सामने लाती हैं।
साथियों, तमाम विवादों की वजह से बाबा साहेब ने पंडित नेहरू जी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। अपने बयान में बाबा साहेब ने एक – एक करके अपनी तकलीफों का जिक्र किया था। वो वजहें भी विस्तार से बताईं थीं, जिनकी वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया।
मैं उस बयान की कुछ पंक्तियों के बारे में आपको बताना चाहता हूं। ये बताना इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि देशभर का दलित समाज, देश भर का आदिवासी समाज, पिछड़ा समाज, प्रत्येक भारतवासी ये जाने कि देश में इमरजेंसी लगाने वाली कांग्रेस ने संविधान के रचयिता के साथ कैसा सलूक किया था।
साथियों, बाबा साहेब ने लिखा था- “मुझे कैबिनेट की किसी कमेटी में नहीं लिया गया।‘’ वो मंत्री थे, ‘’मुझे कैबिनेट की किसी कमेटी में नहीं लिया गया, न ही विदेश मामलों की कमेटी में, न ही रक्षा कमेटी में। जब आर्थिक मामलों की कमेटी बन रही थी तो मुझे लगा कि उसमें मुझे जरूर शामिल किया जाएगा, क्योंकि मैं अर्थशास्त्र और वित्तीय मामलों का छात्र रहा हूं। लेकिन मुझे उसमें भी छोड़ दिया गया।‘’ ये बाबा साहेब के शब्द हैं।
बाबा साहेब को लेकर कांग्रेस की क्या सोच थी, उसकी ये सच्चाई 70 साल पहले की है। जिस व्यक्ति ने दुनिया के एक से बढ़कर एक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की हो, उस व्यक्ति का कांग्रेस में पल-पल अपमान होता रहा। खुद बाबा साहेब ने कहा है कि उन्हें सिर्फ एक मंत्रालय दिया गया जिसमें बहुत काम नहीं था। वो सोचते थे योजनाएं बनाने के काम से जुड़ेंगे, जिन विषयों के वो सिद्धस्त हैं, उनमें अपने अनुभव का फायदा देश को देंगे, लेकिन उन्हें इन सबसे दूर रखा गया। यहां तक की मंत्रिमंडल विस्तार के समय, किसी मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी तक बाबा साहेब को नहीं दी गई।
साथियों, एक और बड़ी वजह थी जिसकी वजह से बाबा साहेब ने इस्तीफा दिया। ये वजह भी बताती है कि कांग्रेस का देश के दलितों, देश के पिछड़ों के साथ क्या व्यवहार रहा है। अपने बयान में बाबा साहेब ने लिखा था-
“अब मैं आपको वजह बताना चाहता हूं जिसने सरकार से मेरा मोहभंग कर दिया। ये पिछड़ों और दलितों के साथ किए जा रहे बर्ताव से जुड़ा हुआ है। मुझे इसका अफसोस है कि संविधान में पिछड़ी जातियों के हितों के संरक्षण के लिए उचित प्रावधान नहीं हैं। ये कार्य एक आयोग की सिफारिशों के आधार पर होना था। संविधान को लागू हुए एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन सरकार ने अब तक आयोग नियुक्त करने के बारे में सोचा तक नहीं है”।
साथियों, तब से लेकर आज तक, कांग्रेस की सोच नहीं बदली है। 70 साल पहले पिछड़ी जातियों के खिलाफ आयोग को लेकर कांग्रेस ने बात आगे नहीं बढ़ने दी। यहां तक की डॉक्टर आंबेडकर को इस्तीफा तक देना पड़ा। आज 70 साल भी कांग्रेस संसद में OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने के काम को रोकने का काम कर रही है। आपको पता होगा हमारी सरकार ने OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने के लिए हम लाए; पास नहीं होने दे रहे, संसद नहीं चलने दे रहे। OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद इस आयोग को भी ST/SC आयोग की तरह शक्तियां हासिल हो जाएंगी। लेकिन कांग्रेस उसमें भी अड़ंगा लगा रही है।
साथियों, आप सभी से मैंने बाबा साहेब के इस्तीफे के प्रकरण पर इतना विस्तार से इसलिए बताया है क्योंकि कांग्रेस द्वारा ये भ्रम फैलाया जाता है कि उसने तो बाबा साहेब को देश का कानून मंत्री बनाया था। कानून मंत्री बनाने के बाद बाबा साहेब के साथ जो बर्ताव कांग्रेस ने किया, वो हर भारतीय को जानना चाहिए। क्योंकि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस ने इकोसिस्टम ऐसा बनाया कि देश का इतिहास सिर्फ और सिर्फ एक परिवार के इर्द-गिर्द सिमटकर रह गया। और आप देखिए दिल्ली में आजादी के बाद किसी महापुरुषों को याद करने के लिए कोई जाना है, एक परिवार के सिवाय कोई स्मारक ही नहीं है। हमारे आने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्मारक बना और आज बाबा साहेब आम्बेडकर का स्मारक बना; वरना परिवार के सिवास किसी को जगह ही नहीं। क्या इन लोगों ने देश के लिए जीवन नहीं खपाया? क्या इन्होंने देश को कुछ नहीं दिया? बाबा साहेब आम्बेडकर तो भारतीय जनता पार्टी के मेम्बर नहीं थे, बाबा साहेब आम्बेडकर भारत के भविष्य निर्माता थे और ये हम सब पर कर्ज है उनका। जिसने कांग्रेस के इकोसिस्टम के आगे घुटने नहीं टेके, और ये बात सही है, जिन-जिन लोगों ने कांग्रेस के इकोसिस्टम के आगे घुटने नहीं टेके, उसे किताबों तक में जगह नहीं दी गई है।
साथियों, 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद बाबा साहेब ने 1952 में लोकसभा का आम चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने उस समय न सिर्फ उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा बल्कि खुद नेहरू जी, बाबा साहेब के खिलाफ प्रचार करने के लिए पहुंच गए थे। कांग्रेस द्वारा पूरी शक्ति लगाने की वजह से बाबा साहेब को हार का अपमान सहना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 1953 में भंडारा सीट से लोकसभा का उपचुनाव लड़ा। कांग्रेस ने फिर उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारा और फिर बाबा साहेब को लोकसभा में पहुंचने से रोक दिया। इस लगातार अपमान के समय उनका साथ किसी ने दिया था, तो वो डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया था। उन्हीं के प्रयासों से बाबा साहेब राज्यसभा में पहुंचे। और वही डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ को जन्म दिया जो आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में काम कर रही है।
साथियों, मैं आज चुनौती देता हूं कांग्रेस को। वो एक काम बता दें जो उन्होंने बाबा साहेब के लिए किया है। और ये मेरी चुनौती है कांग्रेस से, एक काम बता दें जो बाबा साहेब के लिए सम्मान के लिए अगर उन्होंने किया हो।
भाइयों और बहनों, हमें-आपको, पता है कि कांग्रेस के पास इसका कोई जवाब नहीं है। जवाब के नाम पर वो सिर्फ झूठ बोल सकती है। सच्चाई ये है कि बाबा साहेब के निधन के बाद कांग्रेस ने राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को भी मिटाने की कोशिश की। नेहरू जी से लेकर राजीव गांधी तक, कांग्रेस में तमाम लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया लेकिन उसे कभी बाबा साहेब ‘भारत रत्न’ के योग नहीं लगे।
बाबा साहेब को भारत रत्न तब मिला, जब भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से वी.पी.सिंह सरकार में बैठे थे और अटलजी, आडवाणी जी कर आग्रह था, तब जा करके भारत रत्न बाबा साहेब को इतनी देर से मिला। ये बीजेपी की ही कोशिश थी कि संसद के सेंट्रल हॉल में बाबा साहेब का चित्र लगाया गया। वरना बाबा साहेब के चित्र लगाने के खिलाफ ये तर्क दिया जाता था, आप सोचिए, बाबा साहब को हिन्दुस्तान की संसद के सेंट्रल हॉल में सही चित्र लगाने के लिए ये तर्क दिया गया था कि सेंट्रल हॉल में जगह नहीं है। सोचिए, जिस महापुरुष ने सेंट्रल हॉल में बैठेकर संविधान को रचा हो, उसकी बारीकी पर घंटों चर्चा की हो; कांग्रेस शासन के दौरान उसी के लिए सेंट्रल हॉल में एक दो फीट, चार फीट की तस्वीर लगाने के लिए जगह नहीं है, ये बात करना; और जब भारतीय जनता पार्टी आई, बाबा साहेब आम्बेडकर की तस्वीर सेंट्रल हाल मे लगी।
भाइयों और बहनों, मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर 90 के दशक में देश में पिछड़ों और दलितों के अधिकारों पर राष्ट्रव्यापी चर्चा नहीं शुरू हुई होती, तो कांग्रेस आज भी बाबा साहेब से अपनी नफरत सार्वजनिक तौर पर वैसे ही दिखाती, जैसे पहले दिखाती थी। क्योंकि मजबूरियां हैं, कांग्रेस को बाबा साहेब के नाम में वोटबैंक नजर आता है, सत्ता नजर आती है, इसलिए वो अब मजबूरी में उनका नाम लेने का दिखावा करने लगी है। मैं समझता हूं, कांग्रेस के अपने इतिहास में, बाबा साहेब का नाम लेना उसकी सबसे बड़ी मजबूरियों में से एक है।
ये बाबा साहेब के महान कर्मों का, देश के लिए उनकी सेवा का फल है कि एक परिवार की पूजा करने वाले, उस परिवार को देश का भाग्यविधाता समझने वाले, अब दिल पर पत्थर रखकर बाबा साहेब का नाम लेने पर मजबूत हो रहे हैं। लेकिन मुझे पता है, कांग्रेस ये भी नहीं करेगी। वो सिर्फ भ्रम फैला सकती है, दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को झूठ बोल सकती है, उनके बीच अफवाह फैला सकती है। इस कोशिश की एक तस्वीर इस महीने की दो तारीख को हम देख चुके हैं। कभी आरक्षण खत्म किए जाने की अफवाह फैलाना, और हर चुनाव से पहले अफवाह फैलाना, ये उनका काम है। अटलजी की सरकार रही, हम चार साल से बैठे हैं, मैं लंबे समय तक गुजरात का मुख्यमंत्री रह करके आया हूं। भारतीय जनता पार्टी अनेक राज्यों में सरकार चला रही है। कभी कभी कहीं पर भी एक अंश विषय नहीं आया है, आरक्षण को मिटा देने का। अफवाहें फैलाना, झूठ फैलाना, भ्रम फैलाना, लोगों को गुमरहा करना, कभी दलितों के अत्याचार से जुड़े कानून को खत्म किए जाने की अफवाहें फैलाना, भाई से भाई को लड़ाने में कांग्रेस कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं।
साथियों, कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी और न आज चाहती है कि दलित और पिछड़े विकास की मुख्यधारा में आएं। जबकि हमारी सरकार, बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलते हुए, सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ समाज के हर वर्ग तक विकास का लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है। कोई भी राजनीतिक दल और व्यक्ति जो ईमानदारी के साथ बाबा साहेब के नाम की माला जपता है, उनमें आस्था रखता है, कभी कांग्रेस के साथ नहीं जा सकता।
साथियों, मैं अगर गरीब और पिछड़े परिवार में पैदा नहीं हुआ होता, तो बाबासाहेब को इतनी आसानी से समझ नहीं पाता। मैंने गरीबी देखी है, जाति से जुड़े अपशब्द भी सुने हैं, अब तो प्रधानमंत्री बनने के बाद भी कभी-कभी सुनने पड़ते हैं, ताने भी सुने हैं। इसलिए मेरे जैसे व्यक्ति के लिए ये अनुभव सहज रहा कि उस कालखंड में बाबासाहेब को क्या-क्या सहना पड़ा होगा। आज भी मेरे दलित भाइयों को क्या-क्या सहना पड़ता है।
बाबा साहेब की प्रेरणा से ही, कल से, यानि उनकी जयंती से, देश में ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत होने जा रही है। मैं खुद भी छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रहूंगा। कल से देश में क्षेत्रीय विकास में होने वाले असंतुलन; वो भी एक अन्याय ही है असंतुलन; स्वास्थ्य में होने वाले असंतुलन को खत्म करने के लिए एक नए अध्याय की भी शुरुआत होने जा रही है।
साथियों, सामाजिक न्याय इस सरकार के लिए सिर्फ कहने-सुनने की बात नहीं, बल्कि एक कमिटमेंट है। ये हमारी श्रद्धा है, लेकिन जिस तरह की घटनाएं हमने 20-22 दिनों में देखीं हैं, वो सामाजिक न्याय की अवधारणा को चुनौती देती हैं। पिछले दो दिन से जो घटनाये चर्चा में है वो निश्चित रूप से किसी भी सभ्य समाज के लिये शोभा नहीं देती हैं, ये शर्मनाक है। हमारे स्वतंत्रता सेनानियो ने जिन्होंने अपनी ज़िंदगी इस देश के भविष्य के लिए बलिदान कर दी यह उनके बलिदान का अपमान है। एक समाज के रूप में, एक देश के रूप में हम सब इस के लिए शर्मसार हैं। देश के किसी भी राज्य में, किसी भी क्षेत्र में होने वाली ऐसी वारदातें, हमारी मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देती हैं।
मैं देश को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि कोई अपराधी बचेगा नहीं, न्याय होगा और पूरा होगा। उन बेटियों के साथ जो जुल्म हुआ है, उन बेटियों को न्याय मिलके रहेगा। हमारे समाज की इस आंतरिक बुराई को खत्म करने का काम, हम सभी को मिल करके करना होगा। और आपको स्मरण होगा, प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 में मेरा पहला भाषण लालकिले की प्राचीर से था और लाल किले से बोलने का साहस मैंने किया था और मैंने पहले मेरे भाषण में मैंने कहा था, और मैंने कहा था हम लड़की तो पूजते हैं, देर से घर आई तो पूछे हैं कहां गई थी? कहां थी? क्यों देर से आई?
मैंने कहा कि लड़कियों से पूछने वाले मां-बाप से मैं कहना चाहता हूं अपने लड़कों से पूछो, वो कहां गया था, रात देर से क्यो आया? ये माताओं-बहनों पर जो जुल्म होते हैं, किसी न किसी मां का वो बेटा होता है और इसलिए एक सामाजिक संवेदना, ये हम सबका दायित्व बनता है। हम सबने मिल करके हमारे समाज की इन बुराइयों से लड़ना है और गुनहगारों को सख्त से सख्त सजा हो, ये हम सबकी जिम्मेवारी है और भारत सरकार उस जिम्मेवारी को पूरा करने के लिए कोई कोताही नहीं होने देगी, ये मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं। हमें पारिवारिक व्यवस्था, Social Values से लेकर न्याय व्यवस्था तक, सभी को इसके लिए मजबूत करना होगा । तभी हम बाबा साहेब के सपनों का भारत बना पाएंगे, न्यू इंडिया बना पाएंगे।
बाबा साहेब का आशीर्वाद देश पर बना रहे, सवा सौ करोड़ देशवासियों पर बना रहे। उनके विचारों से हम सब निरंतर प्ररेणा लेते रहे। इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।
एक बार फिर आप सभी को, देश के सभी लोगों को, डॉक्टर आंबेडकर नेशनल मेमोरियल के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद !!! जय भीम।
26, अलीपुर रोड पर बना यह स्मारक देश के मानचित्र पर हमेशा के लिए अंकित हो गया है। pic.twitter.com/CLGo3WqV7D
— Narendra Modi (@narendramodi) April 13, 2018
हमारी सरकार का बड़ा सौभाग्य रहा है कि हमें पूज्य बाबासाहेब से जुड़े हुए 5 स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित करने का अवसर मिला। ये स्थान, ये तीर्थ सिर्फ ईंट-गारे की इमारत भर नहीं हैं, बल्कि ये जीवंत संस्थाएं हैं, प्रेरणा के स्रोत हैं। pic.twitter.com/MSZ3bxp08M
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पूज्य बाबासाहेब के विचारों का मूल तत्व है - समानता। हमारी सरकार की प्रत्येक योजना में सामाजिक न्याय और बिना किसी भेदभाव के सभी को समानता का अधिकार देने का प्रयास दिखेगा। pic.twitter.com/OEWTZydZeq
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दलित, पिछड़े और आदिवासी भाइयों-बहनों के सम्मान के लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। pic.twitter.com/MsxYOSbIL7
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आज के युवाओं को जानना आवश्यक है कि किस तरह कांग्रेस ने पूज्य बाबासाहेब को हर समय अपमानित किया! pic.twitter.com/ZeIR6SsntW
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आज भी कांग्रेस नहीं बदली। वो बाबासाहेब को अपमानित करती रहती है।
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ओबीसी कमीशन के मामले में कांग्रेस का नकारात्मक रुख सब जानते हैं। pic.twitter.com/U2Fzd4IaDU
एक नहीं, दो बार कांग्रेस ने पूज्य बाबासाहेब को चुनाव में हराया।
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उस समय अगर कोई पूज्य बाबासाहेब के साथ डटकर खड़े रहे तो वे थे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और जनसंघ। pic.twitter.com/sjxXBWkGVb
पूज्य बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण के बाद कांग्रेस ने राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को भी मिटाने की कोशिश की।
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भाजपा के प्रयासों के कारण उनकी तस्वीर सेंट्रल हॉल में लगाई गई, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। pic.twitter.com/9kCuBQbm2k
सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के साथ हम बाबासाहेब की दिखाई राह पर चलते रहेंगे। pic.twitter.com/mdCnPvQVwg
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Honoured to inaugurate the Dr. Ambedkar National Memorial at 26, Alipur Road in Delhi. Sharing my speech on the occasion. https://t.co/SEi55s07DQ pic.twitter.com/qNXBWXDbAW
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