ഗുജറാത്തിലെ കെവാദിയയിൽ നടക്കുന്ന എൺപതാമത് ഓൾ ഇന്ത്യ പ്രിസൈഡിങ് ഓഫീസേഴ്സ് കോൺഫറൻസിന്റെ സമാപന സമ്മേളനത്തെ, ഇന്ന് പ്രധാനമന്ത്രി ശ്രീ നരേന്ദ്ര മോദി വീഡിയോ കോൺഫ്രൻസ് വഴി അഭിസംബോധന ചെയ്തു.
ഗാന്ധിജിയുടെ പ്രചോദനവും സർദാർ വല്ലഭായി പട്ടേലിന്റെ പ്രതിബദ്ധതയും ഓർക്കേണ്ട ദിവസമാണ് ഇതെന്ന് അദ്ദേഹം പറഞ്ഞു. 2008 ൽ ഇതേ ദിവസം, മുംബൈ ഭീകരാക്രമണത്തിൽ ഇരകളായവരെയും പ്രധാനമന്ത്രി അനുസ്മരിച്ചു. സുരക്ഷാസേനയിലെ വീരമൃത്യുവരിച്ചവർക്ക് അദ്ദേഹം ആദരാഞ്ജലികളർപ്പിച്ചു.
1970കളിലെ അടിയന്തരാവസ്ഥയെ കുറിച്ച് പരാമർശിച്ച പ്രധാനമന്ത്രി, അത് അധികാര വിഭജനത്തിന്റെ മാന്യതയ്ക്ക് എതിരായിരുന്നു എന്നും, അതിനുള്ള ഉത്തരം ഭരണഘടനയിൽ തന്നെ ഉണ്ടെന്നും വ്യക്തമാക്കി. അധികാര വിഭജനത്തെ പറ്റി ഭരണഘടനയിൽ വിശദമായി പ്രതിപാദിച്ചിട്ടുണ്ടെന്നും പ്രധാനമന്ത്രി പറഞ്ഞു.
പ്രതിസന്ധി കാലയളവിൽ നമ്മുടെ ഭരണഘടനയുടെ ശക്തി നമ്മെ സഹായിച്ചതായി പ്രധാനമന്ത്രി പറഞ്ഞു. ഇന്ത്യൻ തിരഞ്ഞെടുപ്പ് സംവിധാനം പൂർവസ്ഥിതി പ്രാപിച്ചതും, കൊറോണ മഹാമാരിക്കെതിരായ പ്രതികരണവും അത് തെളിയിച്ചതായി അദ്ദേഹം പറഞ്ഞു. കൊറോണക്കെതിരായ പോരാട്ടത്തിന് ശമ്പളത്തിന്റെ ഒരുഭാഗം നൽകുകയുംസമീപകാലത്ത് നിരവധി പ്രവർത്തനങ്ങളിൽ ഏർപ്പെടുകയും ചെയ്ത പാർലമെന്റ് അംഗങ്ങളെ പ്രധാനമന്ത്രി അഭിനന്ദിച്ചു. ഉത്തരവാദിത്വത്തിന്റെ പ്രാധാന്യത്തെപ്പറ്റി, എടുത്ത് പറഞ്ഞ് അദ്ദേഹം ഉത്തരവാദിത്തങ്ങളെ അവകാശം, അന്തസ്സ്, ആത്മവിശ്വാസം എന്നിവയുടെ സ്രോതസ്സായി പരിഗണിക്കണമെന്നും ആവശ്യപ്പെട്ടു.
ഭരണഘടനയുടെ മൂല്യങ്ങൾക്ക് കൂടുതൽ പ്രചാരണം നൽകണമെന്ന് പ്രധാനമന്ത്രി ആവശ്യപ്പെട്ടു. ഡിജിറ്റൽ സുരക്ഷയ്ക്ക് നിങ്ങളുടെ ഉപഭോക്താവിനെ അറിയുക (know your customer ) അഥവാ കെ.വൈ.സി പ്രധാന പങ്കുവഹിക്കുന്നത് പോലെ, ഭരണഘടനയുടെ സംരക്ഷണ കവചം ലഭിക്കുന്നതിനായി,നിങ്ങളുടെ ഭരണഘടനയെ അറിയുക (know your constitution )എന്ന കെ.വൈ.സി പ്രാധാന്യമർഹിക്കുന്നതായി ശ്രീ മോദി പറഞ്ഞു. നമ്മുടെ നിയമങ്ങളുടെ ഭാഷ ലളിതവും സാധാരണക്കാർക്ക് മനസ്സിലാകുന്ന വിധത്തിൽ ഉള്ളതും ആയാൽ മാത്രമേ എല്ലാ നിയമങ്ങളോടും സാധാരണക്കാർക്ക് നേരിട്ട് ബന്ധം ഉണ്ടാവുകയുള്ളുവെന്ന് അദ്ദേഹം പറഞ്ഞു.
ഒരു രാജ്യം, ഒരു തെരഞ്ഞെടുപ്പ് ആശയത്തിൽ കൂടുതൽ ചർച്ചകൾക്ക് അദ്ദേഹം ആഹ്വാനം ചെയ്തു. ലോക്സഭ, നിയമസഭ, തദ്ദേശ ഭരണകൂടങ്ങൾ തുടങ്ങി എല്ലാ തലത്തിലും ഒരുമിച്ച് തെരഞ്ഞെടുപ്പ് നടത്തുന്നതിനെ പറ്റിയും അദ്ദേഹം സംസാരിച്ചു.
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Addressing the All India Presiding Officers Conference. https://t.co/vwPvZRWMff
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है।
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ऐसे अनेक प्रतिनिधियों ने भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था
देश उन प्रयासों को याद रखे, इसी उद्देश्य से 5 साल पहले 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था: PM
आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है।
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2008 में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धाबा बोल दिया था।
इस हमले में अनेक भारतीयों की मृत्यु हुई थी। कई और देशों के लोग मारे गए थे।
मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं: PM
इस हमले में हमारे पुलिस बल के कई जाबांज भी शहीद हुए थे। मैं उन्हें नमन करता हूं।
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आज का भारत नई नीति-नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है: PM
मैं आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं: PM
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संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है।
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70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे separation of power की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मिला: PM
इमरजेंसी के उस दौर के बाद Checks and Balances का सिस्टम मज़बूत से मज़बूत होता गया।
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विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों ही उस कालखंड से बहुत कुछ सीखकर आगे बढ़े: PM
भारत की 130 करोड़ से ज्यादा जनता ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है,
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उसकी एक बड़ी वजह, सभी भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है।
इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है: PM
इस दौरान संसद के दोनों सदनों में तय समय से ज्यादा काम हुआ है।
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सांसदों ने अपने वेतन में भी कटौती करके अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
अनेक राज्यों के विधायकों ने भी अपने वेतन का कुछ अंश देकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोग दिया है: PM
कोरोना के इसी समय में हमारी चुनाव प्रणाली की मजबूती भी दुनिया ने देखी है।
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इतने बड़े स्तर पर चुनाव होना, समय पर परिणाम आना, सुचारु रूप से नई सरकार का बनना, ये इतना भी आसान नहीं है।
हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वो ऐसे हर मुश्किल कार्यों को आसान बनाती है: PM
केवड़िया प्रवास के दौरान आप सभी ने सरदार सरोवर डैम की विशालता देखी है, भव्यता देखी है, उसकी शक्ति देखी है।
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लेकिन इस डैम का काम बरसों तक अटका रहा, फंसा रहा।
आज इस डैम का लाभ गुजरात के साथ ही मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के लोगों को हो रहा है: PM
इस बांध से गुजरात की 18 लाख हेक्टेयर जमीन को, राजस्थान की 2.5 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हुई है।
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गुजरात के 9 हजार से ज्यादा गांव, राजस्थान और गुजरात के अनेकों छोटे-बड़े शहरों को घरेलू पानी की सप्लाई इसी सरदार सरोवर बांध की वजह से हो पा रही है: PM
ये सब बरसों पहले भी हो सकता था।
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लेकिन बरसों तक जनता इनसे वंचित रही।
जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें कोई पश्चाताप भी नहीं है।
इतना बड़ा राष्ट्रीय नुकसान हुआ, लेकिन जो इसके जिम्मेदार थे, उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है।
हमें देश को इस प्रवृत्ति से बाहर निकालना है: PM
हर नागरिक का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है।
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ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे: PM
Our Constitution has many features but one very special feature is the importance given to duties.
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Mahatma Gandhi was very keen about this.
He saw a close link between rights & duties.
He felt that once we perform our duties, rights will automatically be safeguarded: PM
अब हमारा प्रयास ये होना चाहिए कि संविधान के प्रति सामान्य नागरिक की समझ और ज्यादा व्यापक हो।
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आजकल आप लोग सुनते हैं KYC..
Know Your Customer डिजिटल सुरक्षा का अहम पहलू है।
उसी तरह KYC यानि Know Your Constitution हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मज़बूत कर सकता है: PM
हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है।
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मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है: PM
हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके।
— PMO India (@PMOIndia) November 26, 2020
हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है।
इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा: PM
समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए।
— PMO India (@PMOIndia) November 26, 2020
बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं।
क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते जिससे पुराने कानूनों में संशोधन की तरह, पुराने कानूनों को रिपील करने की प्रक्रिया स्वत: चलती रहे?: PM
आज उन सभी व्यक्तित्वों को नमन करने का दिन है, जिनके अथक प्रयासों से हमें संविधान मिला।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
आज की तारीख देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले से भी जुड़ी है। अब भारत नई नीति, नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है।
भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे सुरक्षाबलों का मैं वंदन करता हूं। pic.twitter.com/3inFgLvnOc
बीते 6-7 सालों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में सामंजस्य को और बेहतर करने का प्रयास हुआ है। ऐसे प्रयासों का सबसे बड़ा प्रभाव जनता के विश्वास पर पड़ता है।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
कठिन से कठिन समय में भी जनता का विश्वास इन तीनों पर बना रहता है। यह हमने इस वैश्विक महामारी के समय भी देखा है। pic.twitter.com/5I4qPuGdYl
सरदार सरोवर डैम का काम बरसों तक अटका रहा, फंसा रहा। संविधान का दुरुपयोग करने का प्रयास हुआ।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
लेकिन हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वह ऐसे हर मुश्किल कार्य को आसान बनाती है। pic.twitter.com/v2Ma8Ubkt8
Know Your Customer डिजिटल सुरक्षा का अहम पहलू है।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
उसी तरह KYC यानि Know Your Constitution हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मजबूत कर सकता है।
इसलिए संविधान के प्रति जागरूकता के लिए निरंतर अभियान भी चलाते रहना चाहिए। pic.twitter.com/gNpy12JQAS
हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
हम भारत के लोगों ने यह संविधान खुद को दिया है। इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, यह सुनिश्चित करना होगा। pic.twitter.com/gT8AW4Rqp7
वन नेशन वन इलेक्शन सिर्फ एक चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि यह भारत की जरूरत है।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
ऐसे में इस पर गहन अध्ययन और मंथन आवश्यक है। इसमें पीठासीन अधिकारियों की भी बड़ी भूमिका है। pic.twitter.com/83JUIXw5bU
संविधान सभा इस बात को लेकर एकमत थी कि आने वाले भारत में बहुत सी बातें परंपराओं से भी स्थापित होंगी।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2020
संविधान सभा चाहती थी कि आने वाली पीढ़ियां यह सामर्थ्य दिखाएं और नई परंपराओं को अपने साथ जोड़ते चलें।
हमें अपने संविधान के शिल्पियों की इस भावना का भी ध्यान रखना है। pic.twitter.com/3FYymymPLR