स्वतंत्रता के इस पवित्र दिवस पर, सभी देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं।
आज रक्षा-बंधन का भी पर्व है। सदियों से चली आई यह परंपरा भाई-बहन के प्यार को अभिव्यक्त करती है। मैं सभी देशवासियों को, सभी भाइयों-बहनों को इस रक्षा-बंधन के पावन पर्व पर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। स्नेह से भरा यह पर्व हमारे सभी भाइयों-बहनों के जीवन में आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने वाला हो, सपनों को साकार करने वाला होऔर स्नेह की सरिता को बढ़ाने वाला हो।
आज जब देश आजादी का पर्व मना रहा है, उसी समय देश के अनेक भागों में अति वर्षा के कारण, बाढ़ के कारण लोग कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। कइयों ने अपने स्वजन खोए हैं। मैं उनके प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करता हूं और राज्य सरकार, केंद्र सरकार, एनडीआरएफ सभी संगठन, नागरिकों का कष्ट कम कैसे हो, सामान्य परिस्थिति जल्दी कैसे लौटे, उसके लिए दिन-रात प्रयास कर रहे हैं।
आज जब हम आजादी के इस पवित्र दिवस को मना रहे हैं, तब देश की आजादी के लिए जिन्होंने अपना जीवन दे दिया, जिन्होंने अपनी जवानी दे दी, जिन्होंने जवानी जेलों में काट दी, जिन्होंने फांसी के फंदे को चूम लिया, जिन्होंने सत्याग्रह के माध्यम से आजादी के बिगुल में अहिंसा के स्वर भर दिए। पूज्य बापू के नेतृत्व में देश ने आजादी पाई।मैं आज देश के आजादी के उन सभी बलिदानियों को, त्यागी-तपस्वियों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।
उसी प्रकार से देश आजाद होने के बाद इतने वर्षों में देश की शांति के लिए, सुरक्षा के लिए, समृद्धि के लिए लक्षावधी लोगों ने अपना योगदान दिया है। मैं आज आजाद भारत के विकास के लिए, शांति के लिए, समृद्धि के लिए जनसामान्य की आशाओं-आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए जिन-जिन लोगों ने योगदान किया है, आज मैं उनको भी नमन करता हूं।
नई सरकार बनने के बाद लालकिले से मुझे आज फिर से एक बार आप सबका गौरव करने का अवसर मिला है। अभी इस नई सरकार को दस हफ्ते भी नहीं हुए हैं, लेकिन दस हफ्ते के छोटे से कार्यकाल में भी सभी क्षेत्रों में, सभी दिशाओं मेंहर प्रकार के प्रयासों को बल दिया गया है, नये आयाम दिए गए हैं और सामान्य जनता ने जिन आशा, अपेक्षा, आकांक्षाओं के साथ हमें सेवा करने का मौका दिया है, उसको पूर्ण करने में एक पल का भी विलंब किये बिना,हम पूरे सामर्थ्य के साथ, पूरे समर्पण भाव के साथ, आपकी सेवा में मग्न हैं।
दस हफ्ते के भीतर-भीतर ही अनुच्छेद 370 का हटना, 35A का हटना सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।दस हफ्ते के भीतर-भीतर हमारे मुस्लिम माताओं और बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाना, आतंक से जुड़े कानूनों में आमूल-चूल परिवर्तन करके उसको एक नई ताकत देने का, आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के संकल्प को और मजबूत करने का काम, हमारे किसान भाइयों-बहनों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि के तहत 90 हजार करोड़ रुपया किसानों के खाते में transferकरने का एक महत्वपूर्ण काम आगे बढ़ा है।
हमारे किसान भाई-बहन, हमारे छोटे व्यापारी भाई-बहन, उनकोकभी कल्पना नहीं थी कि कभी उनके जीवन में भी पेंशन की व्यवस्था हो सकती है। साठ साल की आयु के बाद वे भी सम्मान के साथ जी सकते हैं। शरीर जब ज्यादा काम करने के लिए मदद न करता हो, उस समय कोई सहारा मिल जाए, वैसी पेंशन योजना को भी लागू करने का काम कर दिया है।
जल संकट की चर्चा बहुत होती है, भविष्य जल संकट से गुजरेगा, यह भी चर्चा होती है, उन चीजों को पहले से ही सोच करके, केंद्र और राज्य मिलकर के योजनाएं बनाएं इसके लिए एक अलग जल-शक्ति मंत्रालय का भी निर्माण किया गया है।
हमारे देश में बहुत बड़ी तादाद में डॉक्टरों की जरूरत है, आरोग्य की सुविधाएं और व्यवस्थाओं की आवश्यकता है। उसको पूर्ण करने के लिए नए कानूनों की जरूरत है, नई व्यवस्थाओं की जरूरत है, नई सोच की जरूरत है, देश के नौजवानों को डॉक्टर बनने के लिए अवसर देने की जरूरत है। उन चीजों को ध्यान में रखते हुए Medical Education को पारदर्शी बनाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कानून हमने बनाए हैं, महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
आज पूरे विश्व में बच्चों के साथ अत्याचार की घटनाएं सुनते हैं। भारत भी हमारे छोटे-छोटे बालकों को असहाय नहीं छोड़ सकता है। उन बालकों की सुरक्षा के लिए कठोर कानून प्रबंधन आवश्यक था। हमने इस काम को भी पूर्ण कर लिया है।
भाइयो-बहनो, 2014 से 2019, पांच साल मुझे सेवा करने का आपने मौका दिया। अनेक चीजें ऐसी थीं… सामान्य मानव अपनी निजी आवश्यकताओं के लिए जूझता था। हमनें पांच साल लगातार प्रयास किया कि हमारे नागरिकों की जो रोजमर्रा की जिदंगी की आवश्यकताएं हैं, खासतौर पर गांव की, गरीब की, किसान की, दलित की, पीड़ित की, शोषित की, वंचित की, आदिवासी की,उन पर बल देने का हमने प्रयास किया है और गाड़ी को हम ट्रैक पर लाए और उस दिशा में आज बहुत तेजी से काम चल रहा है। लेकिन वक्त बदलता है। अगर 2014 से 2019 आवश्यकताओं की पूर्ति का दौर था, तो 2019 के बाद का कालखंड देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का कालखंड है, उनके सपनों को साकार करने का कालखंड है और इसलिए 21वीं सदी का भारतकैसा हो, कितनी तेज गति से चलता हो, कितनी व्यापकता से काम करता हो, कितनी ऊंचाई से सोचता हो,इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, आने वाले पांच साल के कार्यकाल को आगे बढ़ाने का एक खाका हम तैयार करके एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं।
2014 में, मैं देश के लिए नया था। 2013-14 में चुनाव के पूर्व, भारत-भ्रमण करके मैं देशवासियों की भावनाओं को समझने का प्रयास कर रहा था।लेकिन हर किसी के चेहरे पर एक निराशा थी, एक आशंका थी।लोग सोचते थे क्या यह देश बदल सकता है? क्या सरकारें बदलने से देश बदल जाएगा? एक निराशा जन-सामान्य के मन में घर कर गई थी। लम्बे कालखंड के अनुभव का यह परिणाम था- आशाएं लम्बी टिकती नहीं थीं, पल-दो पल में आशा, निराशा के गर्त में डूब जाती थी। लेकिन जब 2019 में, पांच साल के कठोर परिश्रम के बाद जन-सामान्य के लिए एकमात्र समर्पण भाव के साथ, दिल-दिमाग में सिर्फ और सिर्फ मेरा देश, दिल-दिमाग में सिर्फ और सिर्फ मेरे देश के करोड़ों देशवासी इस भावना को लेकर चलते रहे, पल-पल उसी के लिए खपाते रहेऔर जब 2019 में गए, मैं हैरान था। देशवासियों का मिजाज बदल चुका था। निराशा, आशा में बदल चुकी थी, सपने, संकल्पों से जुड़ चुके थे, सिद्धि सामने नजर आ रही थी और सामान्य मानव का एक ही स्वर था- हां, मेरा देश बदल सकता है। सामान्य मानव की एक ही गूंज थी- हां, हम भी देश बदल सकते हैं, हम पीछे नहीं रह सकते।
130 करोड़ नागरिकों के चेहरे के ये भाव, भावनाओं की यह गूंज हमें नई ताकत, नया विश्वास देती है।
सबका साथ-सबका विकास का मंत्र ले करके चले थे, लेकिन पांच साल के भीतर-भीतर ही देशवासियों ने सबके विश्वास के रंग से पूरे माहौल को रंग दिया। ये सबका विश्वास ही पांच सालों में पैदा हुआ जो हमें आने वाले दिनों में और अधिक सामर्थ्य के साथ देशवासियों की सेवा करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।
इस चुनाव में मैंने देखा थाऔर मैंने उस समय भी कहा था- न कोई राजनेता चुनाव लड़ रहा था, न कोई राजनीतिक दल चुनाव लड़ रहा था, न मोदी चुनाव लड़ रहा था, न मोदी के साथी चुनाव लड़ रहे थे, देश का आम आदमी, जनता-जनार्दन चुनाव लड़ रही थी, 130 करोड़ देशवासी चुनाव लड़ रहे थे, अपने सपनों के लिए लड़ रहे थे। लोकतंत्र का सही स्वरूप इस चुनाव में नजर आ रहा था।
मेरे प्यारे देशवासियो, समस्याओं का समाधान- इसके साथ-साथ सपनों, संकल्प और सिद्धि का कालखंड- हमें अब साथ-साथ चलना है। यह साफ बात है कि समस्याओं का जब समाधान होता है, तो स्वावलंबन का भाव पैदा होता है। समाधान से स्वावलंबन की ओर गतिबढ़ती है। जब स्वावलंबन होता है, तो अपने-आप स्वाभिमान उजागर होता है और स्वाभिमान का सामर्थ्य बहुत होता है। आत्म-सम्मान का सामर्थ्य किसी से भी ज्यादा होता है और जब समाधान हो, संकल्प हो, सामर्थ्य हो, स्वाभिमान हो,तब सफलता के आड़े कुछ नहीं आ सकता है और आज देश उस स्वाभिमान के साथ सफलता की नई ऊंचाइयों को पार करने के लिये, आगे बढ़ने के लिये कृत-निश्चय है। जब हम समस्याओं का समाधान देखते हैं, तो टुकड़ों में नहीं सोचना चाहिए। तकलीफें आयेंगी, एक साथ वाह-वाही के लिये हाथ लगाकर छोड़ देना, यह तरीका देश के सपनों को साकार करने के काम नहीं आयेगा। हमें समस्याओं को जड़ों से मिटाने की कोशिश करनी होगी। आपने देखा होगा हमारी मुस्लिम बेटियां, हमारी बहनें, उनके सिर पर तीन तलाक की तलवार लटकती थी, वे डरी हुई जिंदगी जीती थीं। तीन तलाक की शिकार शायद नहीं हुई हों, लेकिन कभी भी तीन तलाक की शिकार हो सकती हैं, यह भय उनको जीने नहीं देता था, उनको मजबूर कर देता था। दुनिया के कई देश, इस्लामिक देश, उन्होंने भी इस कुप्रथा को हमसे बहुत पहले खत्म कर दिया, लेकिन किसी न किसी कारण से हमारी इन मुस्लिम माताओं-बहनों को हक देने में हम हिचकिचाते थे। अगर इस देश में, हम सती प्रथा को खत्म कर सकते हैं, हम भ्रूण हत्या को खत्म करने के कानून बना सकते हैं, अगर हम बाल-विवाह के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, हम दहेज में लेन-देन की प्रथा के खिलाफ कठोर कदम उठा सकते हैं, तो क्यों न हम तीन तलाक के खिलाफ भी आवाज उठाएं और इसलिए भारत के लोकतंत्र की spirit को पकड़ते हुये, भारत के संविधान की भावना का, बाबा साहेब अंबेडकर की भावना का आदर करते हुये, हमारी मुस्लिम बहनों को समान अधिकार मिले, उनके अंदर भी एक नया विश्वास पैदा हो, भारत की विकास यात्रा में वे भी सक्रिय भागीदार बनें, इसलिये हमने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया। ये निर्णय राजनीति के तराजू से तौलने के निर्णय नहीं होते हैं, सदियों तक माताओं-बहनों के जीवन की रक्षा की गारंटी देते हैं।
उसी प्रकार से मैं एक दूसरा उदाहरण देना चाहता हूं – अनुच्छेद 370, 35A। क्या कारण था? इस सरकार की पहचान है – हम समस्याओं को टालते भी नहीं हैं और न ही हम समस्याओं को पालते हैं। अब समस्याओं को टालने का भी वक्त नहीं है, अब समस्याओं का पालने का भी वक्त नहीं है। जो काम पिछले 70 साल में नहीं हुआ, नई सरकार बनने के बाद, 70 दिन के भीतर-भीतर अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का काम भारत के दोनों सदनों ने, राज्यसभा और लोकसभा ने, दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया। इसका मतलब यह हुआ कि हर किसी के दिल में यह बात थी, लेकिन प्रारंभ कौन करे, आगे कौन आये, शायद उसी का इंतजार था और देशवासियों ने मुझे यह काम दिया और जो काम आपने मुझे दिया मैं वही करने के लिए आया हूं। मेरा अपना कुछ नहीं है।
हम जम्मू-कश्मीर reorganisation की दिशा में भी आगे बढ़े। 70 साल हर किसी ने कुछ-न-कुछ प्रयास किया, हर सरकार ने कोई-न-कोई प्रयास किया लेकिन इच्छित परिणाम नहीं मिले और जब इच्छित परिणाम नहीं मिले हैं, तो नये सिरे से सोचने की, नये सिरे से कदम बढ़ाने की आवश्यकता होती है। और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नागरिकों की आशा-आकांक्षा पूरी हो, यह हम सब का दायित्व है। उनके सपनों को नये पंख मिले, यह हम सब की जिम्मेदारी है। और उसके लिए 130 करोड़ देशवासियों को इस जिम्मेदारी को उठाना है और इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए, जो भी रुकावटें सामने आई हैं, उनको दूर करने का हमने प्रयास किया है।
पिछले 70 साल में इन व्यवस्थाओं ने अलगाववाद को बल दिया है, आतंकवाद को जन्म दिया है, परिवारवाद को पोसा है और एक प्रकार से भ्रष्टाचार और भेदभाव की नींव को मजबूती देने का ही काम किया है। और इसलिएवहां की महिलाओं को अधिकार मिलें। वहां के मेरे दलित भाइयो-बहनो को, देश के दलितों को जो अधिकार मिलता था, वो उन्हें नहीं मिलता था। हमारे देश के जनजातीय समूहों को, tribalsको जो अधिकार मिलते हैं, वो उनको भी मिलने चाहिए। वहां हमारे कई ऐसे समाज और व्यवस्था के लोग चाहे वह गुर्जर हों, बकरवाल हों, गद्दी हों, सिप्पी हों, बाल्टी हों – ऐसी अनेक जनजातियां, उनको राजनीतिक अधिकार भी मिलने चाहिए। उसे देने की दिशा में, हम हैरान हो जाएंगे, वहां के हमारे सफाई कर्मचारी भाइयों और बहनों पर कानूनी रोक लगा दी गई थीं। उनके सपनों को कुचल दिया गया था। आज हमने उनको यह आजादी देने का काम किया है।
भारत विभाजन हुआ, लाखों-करोड़ों लोग विस्थापित होकर आये उनका कोई गुनाह नहीं था लेकिन जो जम्मू-कश्मीर मेंआकर बसे, उनको मानवीय अधिकार भी नहीं मिले, नागरिक के अधिकार भी नहीं मिले। जम्मू-कश्मीर के अन्दर मेरे पहाड़ी भाई-बहन भी हैं। उनकी भी चिंता करने की दिशा में हम कदम उठाना चाहते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सुख-समृद्धि और शांति के लिए भारत के लिए प्रेरक बन सकता है। भारत की विकास यात्रा में बहुत बड़ा योगदान दे सकता है। उसके पुराने उन महान दिवसों को लौटाने का हम सब प्रयास करें। उन प्रयासों को लेकर यह जो नई व्यवस्था बनी है वह सीधे-सीधे नागरिकों के हितों के लिए काम करने के लिए सुविधा पैदा करेगी। अब देश का, जम्मू-कश्मीर का सामान्य नागरिक भी दिल्ली सरकार को पूछ सकता है। उसको बीच में कोई रुकावटें नहीं आएंगी। यह सीधी-सीधी व्यवस्था आज हम कर पाए हैं। लेकिन जब पूरा देश, सभी राजनीतिक दलों के भीतर भी, एक भी राजनीतिक दल अपवाद नहीं हैं, अनुच्छेद 370,35A को हटाने के लिए कोई प्रखर रूप से तो कोई मूक रूप से समर्थन देता रहा है। लेकिन राजनीति के गलियारों में चुनाव के तराजू से तोलने वाले कुछ लोग 370 के पक्ष में कुछ न कुछ कहते रहते हैं। जो लोग 370 के पक्ष में वकालत करते हैं, उनको देश पूछ रहा है, अगर ये अनुच्छेद 370, यह 35A इतना महत्वपूर्ण था,इतना अनिवार्य था, उसी से भाग्य बदलने वाला थातो 70 साल तक इतना भारी बहुमत होने के बावजूद आप लोगों ने उसको permanent क्यों नहीं किया? Temporary क्यों बनाए रखा?अगर इतना conviction था, तो आगे आते और permanent कर देते। लेकिन इसका मतलब यह है, आप भी जानते थेजो तय हुआ है, वह सही नहीं हुआ है, लेकिन सुधार करने की आप में हिम्मत नहीं थी, इरादा नहीं था। राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लगते थे। मेरे लिए देश का भविष्य ही सब कुछ है, राजनीतिक भविष्य कुछ नहीं होता है।
हमारे संविधान निर्माताओं ने, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे महापुरुषों ने, देश की एकता के लिए, राजकीय एकीकरण के लिए उस कठिन समय में भी महत्वपूर्ण फैसले लिए, हिम्मत के साथ फैसले लिए। देश के एकीकरण का सफल प्रयास किया। लेकिन Article 370 के कारण, 35A के कारण कुछ रुकावटें भी आई हैं।
आज लाल किले सेमैं जब देश को संबोधित कर रहा हूं, मैं यह गर्व के साथ कहता हूं कि आज हर हिन्दुस्तानी कह सकता है- One Nation, One Constitution और हम सरदार साहब का एक भारत-श्रेष्ठ भारत, इसी सपने को चरितार्थ करने में लगे हुए हैं। तब ये साफ-साफ बनता है कि हम ऐसी व्यवस्थाओं को विकसित करेंजो देश की एकता को बल दें, देश को जोड़ने के लिए cementing force के रूप में उभर करके आएं और यह प्रक्रिया निरंतर चलनी चाहिए। वह एक समय के लिए नहीं होती है, अविरल होनी चाहिए।
GST के माध्यम सेहमने One Nation, One Tax, उस सपने को साकार किया है। उसी प्रकार सेपिछले दिनों ऊर्जा के क्षेत्र में One Nation, One Grid इस काम को भी हमने सफलतापूर्वक पार किया।
उसी प्रकार से One Nation, One Mobility Card – इस व्यवस्था को भी हमने विकसित किया है। और आज देश में व्यापक रूप से चर्चा चल रही है, “एक देश, एक साथ चुनाव’’। यह चर्चा होनी चाहिए, लोकतांत्रिक तरीके से होनी चाहिए और कभी न कभी “एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ के सपनों को साकार करने के लिए और भी ऐसी नई चीजों को हमें जोड़ना होगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, देश को नई ऊंचाइयों को पार करना है, देश को विश्व के अंदर अपना स्थान प्रस्थापित करना है। तो हमें अपने घर में भी गरीबी से मुक्ति के भान को बल देना ही होगा। यह किसी के लिए उपकार नहीं है। भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए, हमें गरीबी से मुक्त होना ही होगा। गत पांच वर्ष में गरीबी कम करने की दिशा में, लोग गरीबी से बाहर आएं, बहुत सफल प्रयास हुए हैं। पहले की तुलना में ज्यादा तेज गति से और ज्यादा व्यापकता से इस दिशा में सफलता प्राप्त हुई है।लेकिन फिर भी गरीब व्यक्ति, सम्मान अगर उसको प्राप्त हो जाता है, उसका स्वाभिमान जग जाता है तो वह गरीबी से लड़ने के लिए सरकार का इंतजार नहीं करेगा।वो अपने सामर्थ्य से गरीबी को परास्त करने के लिए आएगा। हम में से किसी से भी ज्यादा विपरीत परिस्थितियों से जूझने की ताकत अगर किसी में है, तो मेरे गरीब भाइयों-बहनों में है। कितनी ही ठंड क्यों न हो, वो मुठ्ठी बंद करके गुजारा कर सकता है। उसके भीतर यह सामर्थ्य है। आइये उस सामर्थ्य के हम पुजारी बनें और इसलिए उसकी रोजमर्रा की जिंदगी की कठिनाइयों को हम दूर करें।
क्या कारण है कि मेरे गरीब के पास शौचालय न हो, घर में बिजली न हो, रहने के लिए घर न हो, पानी की सुविधा न हो, बैंक में खाता न हो, कर्ज लेने के लिए साहूकारों के घर जा करके एक प्रकार से सब कुछ गिरवी रखना पड़ता हो। आइये, गरीबों के आत्म-सम्मान, आत्म-विश्वास को, उनके स्वाभिमान को ही आगे बढ़ाने के लिए, सामर्थ्य देने के लिए हम प्रयास करें।
भाइयो-बहनो, आजादी के 70 साल हो गए। बहुत सारे काम सब सरकारों ने अपने-अपने तरीके से किए हैं। सरकार किसी भी दल की क्यों न हो, केंद्र की हो, राज्य की हो, हर किसी ने अपने-अपने तरीके से प्रयास किए हैं। लेकिन यह भी सच्चाई है कि आज हिन्दुस्तान में करीब-करीब आधे घर ऐसे हैं, जिन घरों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। उनको पीने का पानी प्राप्त करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। माताओं-बहनों कोसिर पर बोझ उठा करके, मटके लेकरदो-दो, तीन-तीन, पांच-पांचकिलोमीटर जाना पड़ता है। जीवन का बहुत सारा हिस्सा सिर्फ पानी में खप जाता हैऔर इसलिएइस सरकार ने एक विशेष काम की तरफ बल देने का निर्णय लिया है और वह है – हमारे हर घर में जल कैसे पहुंचे? हर घर को जल कैसे मिले? पीने का शुद्ध पानी कैसे मिले? और इसलिए आज मैं लाल किले से घोषणा करता हूं कि हम आने वाले दिनों में जल-जीवन मिशन को आगे ले करके बढ़ेंगे। यह जल-जीवन मिशन, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार साथ मिलकर काम करेंगे और आने वाले वर्षों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा रकम इस जल-जीवन मिशनके लिए खर्च करने का हमने संकल्प लिया है। जल संचय हो, जल सिंचन हो, वर्षा की बूंद-बूंद पानी को रोकने का काम हो, समुद्री पानी को या Waste Water को Treatment करने का विषय हो, किसानों के लिए ‘Per Drop, More Crop’, Micro Irrigation का काम हो, पानी बचाने का अभियान हो, पानी के प्रति सामान्य से सामान्य नागरिक सजग बने, संवेदनशील बने, पानी का महत्व समझें, हमारे शिक्षा कर्मों में भीबच्चों को भी बचपन से ही पानी के महत्व की शिक्षा दी जाए। पानी संग्रह के लिए, पानी के स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए हम लगातार प्रयास करें और हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़ें कि पानी के क्षेत्र में पिछले 70 साल में जो काम हुआ है, हमें 5 साल में चार गुना से भी ज्यादा उस काम को करना होगा। अब हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते और इस देश के महान संत, सैकड़ों साल पहले,संत तिरुवल्लुवर जी ने उस समय एक महत्वपूर्ण बात कही थी, सैकड़ों साल पहले, तब तो शायद किसी ने पानी के संकट के बारे में सोचा भी नहीं होगा, पानी के महत्वके बारे में भी नहीं सोचा होगा, और तब संत तिरुवल्लुवर जी ने कहा था“नीर इन्ड़्री अमियादू, उल्ग:, नीर इन्ड़्री अमियादू, उल्ग:,” यानि जब पानी समाप्त हो जाता है, तो प्रकृति का कार्य थम जाता है, रूक जाता है। एक प्रकार से विनाश प्रारंभ हो जाता है।
मेरा जन्म गुजरात में हुआ, गुजरात में तीर्थ क्षेत्र है महुडी, जो उत्तरी गुजरात में है। जैन समुदाय के लोग वहां आते-जाते रहते हैं। आज से करीब 100 साल पहले वहां एक जैन मुनि हुए, वह किसान के घर में पैदा हुए थे, किसान थे, खेत में काम करते थे लेकिन जैन परंपरा के साथ जुड़ करके वह दीक्षित हुए और जैन-मुनि बने।
करीब 100 साल पहले वह लिखकर गए हैं। बुद्धि सागर जी महाराज ने लिखा है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब पानी किराने की दुकान में बिकेगा। आप कल्पना कर सकते हैं 100 साल पहले एक संत लिख कर गए कि पानी किराने की दुकान में बिकेगा और आज हम पीने का पानी किराने की दुकान से लेते हैं। हम कहां से कहां पहुंच गए।
मेरे प्यारे देशवासियो, न हमें थकना है, न हमें थमना है, न हमें रूकना है और न हमें आगे बढ़ने से हिचकिचाना है। यह अभियान सरकारी नहीं बनना चाहिए। जल संचय का यह अभियान, जैसे स्वच्छता का अभियान चला था, जन सामान्य का अभियान बनना चाहिए। जन सामान्य के आदर्शों को लेकर, जन सामान्य की अपेक्षाओं को लेकर, जन सामान्य के सामर्थ्य को लेकर हमें आगे बढ़ना है।
मेरे प्यारे देशवासियो, अब हमारा देश उस दौर में पहुंचा है जिसमें बहुत-सी बातों से अब हमें अपने आपको छुपाए रखने की जरूरत नहीं है। चुनौतियों को सामने से स्वीकार करने का वक्त आ चुका है। कभी राजनीतिक नफा-नुकसान के इरादे से हम निर्णय करते हैं लेकिन इससे देश की भावी पीढ़ी का बहुत नुकसान होता है।
वैसा ही एक विषय है जिसको मैं आज लाल किले से स्पष्ट करना चाहता हूं। और वह विषय है, हमारे यहां हो रहा बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट।यह जनसंख्या विस्फोट हमारे लिए, हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए अनेक नए संकट पैदा करता है लेकिन यह बात माननी होगी कि हमारे देश में एक जागरूक वर्ग है, जो इस बात को भली-भांति समझता है। वे अपने घर में शिशु को जन्म देने से पहले भली-भांति सोचता है कि मैं कहीं उसके साथ अन्याय तो नहीं कर दूंगा। उसकी जो मानवीय आवश्यकताएं हैं उनकी पूर्ति मैं कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा, उसके जो सपने हैं, वो सपने पूरा करने के लिए मैं अपनी भूमिका अदा कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा। इन सारे parameters से अपने परिवार का लेखा-जोखा लेकर हमारे देश में आज भी स्वः प्रेरणा से एक छोटा वर्ग परिवार को सीमित करके, अपने परिवार का भी भला करता है और देश का भला करने में बहुत बड़ा योगदान देता है। ये सभी सम्मान के अधिकारी हैं, ये आदर के अधिकारी हैं। छोटा परिवार रखकर भी वह देश भक्ति को ही प्रकट करते हैं। वो देशभक्ति को अभिव्यक्त करते हैं। मैं चाहूंगा कि हम सभी समाज के लोग इनके जीवन को बारीकी से देखें कि उन्होंने अपने परिवार में जनसंख्या वृद्धि से अपने-आपको बचा करके परिवार की कितनी सेवा की है। देखते ही देखते एक दो पीढ़ी नहीं, परिवार कैसे आगे बढ़ता चला गया है, बच्चों ने कैसे शिक्षा पाई है, वह परिवार बीमारी से मुक्त कैसे है, वह परिवार अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं को कैसे बढ़िया ढंग से पूरा करता है।हम भी उनसे सीखें और हमारे घर में किसी भी शिशु के आने से पहले हम सोचें कि जो शिशु मेरे घर में आएगा, क्या उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मैंने अपने-आपको तैयार कर लिया है? क्या मैं उसको समाज के भरोसे ही छोड़ दूंगा? मैं उसको उसके नसीब पर ही छोड़ दूंगा? कोई मां-बाप ऐसा नहीं हो सकता है, जो अपने बच्चों को जन्म देकर इस प्रकार की जिंदगी जीने के लिए मजबूर होने दें और इसलिए एक सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है।
जिन लोगों ने यह बहुत बड़ी भूमिका अदा की है, उनके सम्मान की आवश्यकता है, और उन्हीं के प्रयासों के उदाहरण लेकर समाज के बाकी वर्ग, जो अभी भी इससे बाहर हैं, उनको जोड़कर जनसंख्या विस्फोट- इसकी हमें चिंता करनी ही होगी।
सरकारों को भी भिन्न-भिन्न योजनाओं के तहत आगे आना होगा। चाहे राज्य सरकार हो, केंद्र सरकार हो- हर किसी को इस दायित्व को निभाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। हम अस्वस्थ समाज नहीं सोच सकते, हम अशिक्षित समाज नहीं सोच सकते। 21वीं सदी के भारत मेंसपनों को पूरा करने का सामर्थ्य व्यक्ति से शुरू होता है, परिवार से शुरू होता है लेकिन अगर आबादी शिक्षित नहीं है, तंदुरूस्त नहीं है, तो न ही वह घर सुखी होता है, न ही वह देश सुखी होता है।
जन आबादी शिक्षित हो, सामर्थ्यवान हो, Skilled हो और अपनी इच्छा और आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए, उपयुक्त माहौल प्राप्त करने के लिए संसाधन उपलब्ध हों, तो मैं समझता हूं कि देश इन बातों को पूर्ण कर सकता है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आप भलीभांति जानते हैं कि भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद ने हमारे देश का कल्पना से परे नुकसान किया है और दीमक की तरह हमारे जीवन में घुस गया है। उसको बाहर निकालने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। सफलताएं भी मिली हैं, लेकिन बीमारी इतनी गहरी है, बीमारी इतनी फैली हुई है कि हमें और अधिक प्रयास, और वह भी सिर्फ सरकारी स्तर पर नहीं, हर स्तर पर करते ही रहना पड़ेगा, और ऐसा निरंतर करते रहना पड़ेगा।एक बार में सारा काम नहीं होता, बुरी आदतें – पुरानी बीमारी जैसी होती हैं, कभी ठीक हो जाती हैं, लेकिन मौका मिलते ही फिर से बीमारी आ जाती हैं। वैसे ही यह एक ऐसी बीमारी है, जिसको हमने निरंतर Technology का उपयोग करते हुए इसको निरस्त करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। हर स्तर पर ईमानदारी और पारदर्शिता को बल मिले, इसके लिए भी भरसक प्रयास किए गए हैं।
आपने देखा होगा पिछले पांच साल में भी, इस बार आते ही सरकार में बैठे हुए अच्छे-अच्छे लोगों की छुट्टी कर दी गई। हमारे इस अभियान में जो रुकावट बनते थे, उनसे कहा गया कि आप अपना कारोबार कर लीजिए, अब देश को आपकी सेवाओं की जरूरत नहीं है।
मैं स्पष्ट मानता हूं, व्यवस्थाओं में बदलाव होना चाहिए, लेकिन साथ-साथ सामाजिक जीवन में भी बदलाव होना चाहिए। सामाजिक जीवन में बदलाव होना चाहिए, उसके साथ-साथ व्यवस्थाओं को चलाने वाले लोगों के दिल-दिमाग में भी बदलाव बहुत अनिवार्य होता है। तभी जाकर हम इच्छित परिणामों को प्राप्त कर सकते हैं।
भाइयो और बहनो, देश आजादी के इतने साल बाद एक प्रकार से परिपक्व हुआ है। हम आजादी के 75 साल मनाने जा रहे हैं। तब यह आजादी सहज संस्कार, सहज स्वभाव, सहज अनुभूति, यह भी आवश्यक होती है। मैं अपने अफसरों के साथ जब बैठता हूं तो एक बात करता हूं, सार्वजनिक रूप से तो बोलता नहीं था लेकिन आज मन कर रहा है तो बोल ही दूं। मैं अपने अफसरों के बीच बार-बार कहता हूं कि क्या आजादी के इतने सालों के बाद रोजमर्रा की जिंदगी में, सरकारों का जो दखल है सामान्य नागरिक के जीवन में, क्या हम उस दखल को कम नहीं कर सकते?खत्म नहीं कर सकते हैं? आजाद भारत का मतलब मेरे लिए यह है कि धीरे-धीरे सरकारेंलोगों की जिंदगी से बाहर आएं, लोग अपनी जिंदगी के निर्णय करने के लिये आगे बढ़ने के लिये, सारे रास्ते उनके लिये खुले होने चाहिए, मन-मर्जी पड़े उस दिशा में, देश के हित में और परिवार की भलाई के लिये स्वयं के सपनों के लियेआगे बढ़ें, ऐसा Eco-systemहमको बनाना ही होगा। और इसलिये सरकार का दवाब नहीं होना चाहिए लेकिन साथ-साथ जहां मुसीबत के पल हों, तो सरकार का अभाव भी नहीं होना चाहिए। न सरकार का दवाब हो, न सरकार का अभाव हो, लेकिन हम सपनों को लेकर आगे बढ़ें। सरकार हमारे एक साथी के रूप मेंहर पल मौजूद हो। जरूरत पड़े तो लगना चाहिए कि हां कोई है, चिंता का विषय नहीं है।क्या उस प्रकार की व्यवस्थाएं हम विकसित कर सकते हैं?
हमने गैर-जरूरी कई कानूनों को खत्म किया है। गत 5 वर्ष में एक प्रकार से मैंने प्रतिदिन एक गैर-जरूरी कानून खत्म किया था। देश के लोगों तक शायद यह बात पहुंची नहीं होगी। हर दिन एक कानून खत्म किया था, करीब-करीब 1450 कानून खत्म किये थे। सामान्य मानव के जीवन से बोझ कम हो। अभी सरकार को 10 हफ्ते हुए, अभी तो इन 10 हफ्तों में 60 ऐसे कानूनों को खत्म कर दिया है।
Ease of living यह आजाद भारत की आवश्यकता है और इसलिये हम Ease of living पर बल देना चाहते हैं, उसी को आगे ले जाना चाहते हैं।आज Ease of doing business में हम काफी प्रगति कर रहे हैं। पहले 50 में पहुंचने का सपना है, उसके लिये कई reform करने की जरूरत होगी, कई छोटी-मोटी रुकावटें हैं। कोई व्यक्ति छोटा सा उद्योग करना चाहता है या कोई छोटा-सा काम करना चाहता है, तो यहां form भरो, उधर form भरो, इधर जाओ, उस office जाओ, सैंकड़ों ऑफिसों में चक्कर लगाने जैसी परेशानियों में उलझा रहता है, उसका मेल ही नहीं बैठता है। इनको खत्म करते-करते, reform करते-करते, केंद्र और राज्यों को भी साथ लेते-लेते, नगरपालिका-महानगरपालिकाओं को भी साथ लेते-लेते, हम Ease of doing business के काम में बहुत कुछ करने में सफल हुये हैं। और दुनिया में भी विश्वास पैदा हुआ है कि भारत जैसा इतना बड़ा Developing देश इतना बड़ा सपना देख सकता है और इतनी बड़ी jump लगा सकता है। Ease of doing business तो एक पड़ाव है, मेरी मंजिल तो है Ease of living – सामान्य मानव के जीवन में उसको सरकारी काम में कोई मशक्कत न करनी पड़े, उसके हक उसको सहज रूप से मिले और इसलिए हमें आगे बढ़ने की जरूरत है, हम उस दिशा में काम करना चाहते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारा देश आगे बढ़े, लेकिन incremental progress, उसके लिये देश अब ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता है, हमें high jump लगानी पड़ेंगी, हमें छलांग लगानी पड़ेगी, हमें हमारी सोच को भी बदलना पड़ेगा। भारत को Global benchmark के बराबर लाने के लिये हमारे आधुनिक infrastructure,उसकी ओर भी जाना पड़ेगा और कोई कुछ भी कहे कोई कुछ भी लिखे, लेकिन सामान्य मानव का सपना अच्छी व्यवस्थाओं का होता है। अच्छी चीज उसे अच्छी लगती हैं, उसकी उसमें रूचि बनती है। और इसलिए हमने तय किया है कि इन कालखंड में 100 लाख करोड़ रुपया आधुनिक Infrastructure के लिए लगाए जाएंगे, जिससे रोजगार भी मिलेगा, जीवन में भी नई व्यवस्था विकसित होंगी जो आवश्यकताओं की पूर्ति भी करेगी। चाहे सागरमाला प्रोजक्ट हो, चाहे भारतमाला प्रोजेक्ट हो, चाहे आधुनिक रेलवे स्टेशन बनाने हों या बस स्टेशन बनाने हों या एयरपोर्ट बनाने हों, चाहे आधुनिक अस्पताल बनाने हों, चाहे विश्व स्तर के educational institutions का निर्माण करना हो, infrastructure की दृष्टि से भी इन सभी चीजों को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं। अब देश में seaport की भी आवश्यकता है। सामान्य जीवन का भी मन बदला है। हमें इसे समझना होगा।
पहले एक जमाना था कि अगर कागज पर सिर्फ निर्णय हो जाए कि एक रेलवे स्टेशन फलाना इलाके में बनने वाला है, तो महीनों तक, सालों तक एक सकारात्मक गूंज बनी रहती थी कि चलो हमारे यहां नजदीक में अब नया रेलवे स्टेशन आ रहा है। आज वक्त बदल चुका है। आज सामान्य नागरिक रेलवे स्टेशन मिलने से संतुष्ट नहीं है, वो तुरंत पूछता है, वंदे भारत एक्सप्रेस हमारे इलाके में कब आएगी? उसकी सोच बदल गई है। अगर हम एक बढ़िया से बढ़िया बस स्टेशन बना दें, FIVE STAR रेलवे स्टेशन बना दें तो वहां का नागरिक ये नहीं कहता है साहब आज बहुत बढ़िया काम किया है। वो तुरंत कहता है- साहब हवाई अड्डा कब आएगा? यानी अब उसकी सोच बदल चुकी है। कभी रेलवे के stoppage से संतुष्ट होने वाला मेरा देश का नागरिक बढ़िया से बढ़िया रेलवे स्टेशन मिलने के बाद तुरंत कहता है- साहब बाकी तो ठीक है, हवाई अड्डा कब आएगा?
पहले किसी भी नागरिक को मिलें तो कहता था- साहब, पक्की सड़क कब आएगी? हमारे यहां पक्की सड़क कब बनेगी? आज कोई मिलता है तो तुरंत कहता है- साहब, 4 lane वाला रोड बनेगा कि 6 lane वाला? सिर्फ पक्की सड़क तक वो सीमित रहना नहीं चाहता और मैं मानता हूं आकांक्षी भारत के लिए ये बहुत बड़ी बात होती है।
पहले गांव के बाहर बिजली का खंभा ऐसे ही नीचे लाकर सुला दिया हो तो लोग कहते हैं कि चलो भाई बिजली आई, अभी तो खंभा नीचे पड़ा हुआ है, गाड़ा भी नहीं है। आज बिजली के तार भी लग जाएं, घर में मीटर भी लग जाएं तो वो पूछता है- साहब, 24 घंटे बिजली कब आएगी? अब वो खंभे, तार और मीटर से संतुष्ट नहीं है।
पहले जब मोबाइल आया, तो उनको लगता था मोबाइल फोन आ गया। वो एक संतोष का अनुभव करता था। लेकिन आज वो तुरंत चर्चा करने लगता है कि data की speed क्या है?
ये बदलते हुए मिजाज को, बदलते हुए वक्त को हमें समझना होगा और उसी प्रकार से Global Benchmarkके साथ हमें अपने देश को आधुनिक infrastructure के साथ – clean energy हो, gas based economy हो, gas grid हो, e-mobility हो, ऐसे अनेक क्षेत्रों में हमें आगे बढ़ना है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आमतौर पर हमारे देश में सरकारों की पहचान ये बनती रही कि सरकार ने फलाने इलाके के लिए क्या किया, फलाने वर्ग के लिए क्या किया, फलाने समूह के लिए क्या किया? आमतौर पर क्या दिया, कितना दिया, किसको दिया, किसको मिला, उसी के आसपास सरकार और जनमानस चलते रहे और उसको अच्छा भी माना गया। मैं भी, शायद उस समय की मांग रही होगी, आवश्यकता रही होगी लेकिन अब किस को क्या मिला, कैसे मिला, कब मिला, कितना मिला। इन सबके रहते हुए भी हम सब मिल करके देश को कहां ले जाएंगे, हम सब मिल करके देश को कहां पहुंचाएगे, हम सब मिल करके देश के लिए क्याachieve करेंगे, इन सपनों को ले करके जीना, जूझना और चल पड़ना ये समय की मांग है। और इसलिए 5 Trillion Dollar Economy का सपना संजोया है। 130 करोड़ देशवासी अगर छोटी-छोटी चीजों को लेकर चल पड़े तो 5 Trillion Dollar Economy, कई लोंगो को मुश्किल लगता है, वो गलत नहीं हो सकते, लेकिन अगर मुश्किल काम नहीं करेंगे तो देश आगे कैसे बढेगा? मुश्किल चुनौतियों को नहीं उठाएंगे तो चलने का मिजाज़ कहां से बनेगा? मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी हमें हमेशा ऊंचे निशान रखने चाहिए और हमने रखा है। लेकिन वो हवा में नहीं है। आजादी के 70 साल बाद हम दो Trillion Dollar Economy पर पहुंचे थे, 70 साल की विकास यात्रा ने हमें दो Trillion Dollar Economy पर पहुंचाया था। लेकिन 2014 से 2019, पांच साल के भीतर-भीतर हम लोग दो Trillion से तीन Trillion पहुंच गए, एक Trillion Dollar हमने जोड़ दिया। अगर पांच साल में, 70 साल में जो हुआ उसमें इतना बड़ा jump लगाया तो आने वाले पांच साल में हम 5 Trillion Dollar Economy बन सकते है, और ये सपना हर हिन्दुस्तानी का होना चाहिए। जब Economy बढ़ती है तो जीवन भी बेहतर बनाने की सुविधा बनती है। छोटे-से-छोटे व्यक्ति के सपनों को साकार करने के लिए अवसर पैदा होते हैं। और ये अवसर पैदा करने के लिए देश के आर्थिक क्षेत्र में हमें इस बात को आगे ले जाना है।
जब हम सपना देखते हैं कि देश के किसान की आय दो गुनी होनी चाहिए, जब हम सपना देखते है कि आजादी के 75 साल में हिन्दुस्तान में कोई परिवार, गरीब से गरीब भी, उसका पक्का घर होना चाहिए। जब हम सपना देखते हैं कि आजादी के 75 साल हों तब देश के हर परिवार के पास बिजली होनी चाहिए, जब हम सपना देखते है कि आजादी के 75 साल हो, तब हिन्दुस्तान के हर गांव में Optical Fiber Network हो, Broadband की Connectivity हो, Long Distance Education की सुविधा हो।
हमारी समुद्री संपत्ति, Blue Economy इस क्षेत्र को हम बल दें। हमारे मछुआरे भाइयों-बहनों को हम ताकत दें। हमारे किसान अन्नदाता है, ऊर्जादाता बनें। हमारे किसान, ये भी Exporter क्यों न बनें। दुनिया के अंदर हमारे किसानों के द्वारा पैदा की हुई चीजों का डंका क्यों न बजे। इन सपनों को ले करके हम चलना चाहते हैं। हमारे देश को Export बढ़ाना ही होगा, हम सिर्फ दुनिया, हिन्दुस्तान को बाजार बना करके देखे, हम भी दुनिया के बाजार में पहुंचने के लिए भरसक प्रयास करें।
हमारे हर District में दुनिया के एक-एक देश की जो ताकत होती है, छोटे-छोटे देशों की, वो ताकत हमारे एक-एक District में होती है। हमें इस सामर्थ्य को समझना है, इस सामर्थ्य को हमें Channelize करना है और हमारे हर जिले Export Hub बनने की दिशा में क्यों न सोचें, हर जिले का अपना Handicraft है, हर जिले के अंदर अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। अगर किसी जिले के पास इत्र की पहचान है, तो किसी जिले के पास साड़ियों की पहचान है, किसी जिले के बर्तन मशहूर है, तो किसी जिले में मिठाई मशहूर है। हर एक के पास विविधता है, सामर्थ्य है, हमने Global Market के लिएzero defect, zero effect से उसका manufacturing कैसे हो और इस विविधता से दुनिया को परिचित कराते हुए अगर हम उसके export पर बल देंगे, दुनिया के मार्केट कोcapture करने की दिशा में हम काम करेंगे, तो देश के नौजवानों को रोजगार मिलेगा। हमारे small scale industries को, micro level industries को इसके कारण एक बहुत बड़ी ताकत मिलेगी और हमें उस ताकत को बढ़ाना है।
हमारा देश Tourist Destination के लिए दुनिया के लिए अजूबा हो सकता है, लेकिन किसी न किसी कारण से जितनी तेजी से हमें वह काम करना चाहिए, वो हम नहीं कर पाए हैं। आइये, हम सभी देशवासी तय करें कि हमें देश के tourism पर बल देना है। जब tourism बढ़ता है, कम से कम पूंजीनिवेश में ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। देश की economy को बल मिलता है और दुनियाभर के लोग आज भारत को नये सिरे से देखने के लिए तैयार हैं। हम सोचें कि दुनिया हमारे देश में कैसे आए, हमारे tourism के क्षेत्र को कैसे बल मिले और इसके लिए Tourist Destination की व्यवस्था हो, सामान्य मानव की आमदनी बढ़ाने की बात हो, बेहतर शिक्षा, नये रोजगार के अवसर प्राप्त हों, मध्यम वर्ग के लोगों के बेहतर सपनों को साकार करने के लिए, ऊंची उड़ान के लिए सारे launching pad उनके लिए available होने चाहिए। हमारे वैज्ञानिकों के पास बेहतर संसाधनों की पूरी सुविधा हो, हमारी सेना के पास बेहतर इंतजाम हो, वो भी देश में बना हुआ हो, तो मैं मानता हूं ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जो 5 trillion dollar economy के लिए भारत को एक नई शक्ति दे सकते हैं।
मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, आज देश में आर्थिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए बहुत ही अनुकूल वातावरण है।जबGovernment stable होती है, policy predictable होती है, व्यवस्थाएं stable होती है तो दुनिया का भी एक भरोसा बनता है। देश की जनता ने यह काम करके दिखाया है। विश्व भी भारत की political stability को बड़े गर्व और आदर के साथ देख रहा है। हमें इस अवसर को जाने नहीं देना चाहिए। आज विश्व हमारे साथ व्यापार करने को उत्सुक है। वह हमारे साथ जुड़ना चाहता है। आज हमारे लिए गर्व का विषय है कि महंगाई को control करते हुए हम विकास दर को बढ़ाने वाले एक महत्वपूर्ण समीकरण को ले करके चले हैं। कभी विकास दर तो बढ़ जाती है, लेकिन महंगाई control में नहीं रहती है। कभी महंगाई बढ़ जाती है तो विकास दर का ठिकाना नहीं होता है। लेकिन यह ऐसी सरकार है जिसने महंगाई को control भी किया और विकास दर को आगे भी बढ़ाया।
हमारे अर्थव्यवस्था के fundamentals बहुत मजबूत हैं। यह मजबूती हमें आगे ले जाने के लिए भरोसा देती है। उसी प्रकार से जीएसटी जैसी व्यवस्था विकसित करके, IBC जैसे reform लाना अपने आप में एक नया विश्वास पैदा करना चाहते हैं। हमारे देश में उत्पादन बढ़े, हमारी प्राकृतिक संपदा की processing बढ़ें, value addition हो, value addition वाली चीजें दुनिया के अंदर export हों और दुनिया के अनेक देशों तक exportहों। हम क्यों न सपना देखें कि दुनिया का कोई देश ऐसा नही होगा, जहां कोई न कोई चीज भारत से न जाती हों, हिन्दुस्तान का कोई जिला ऐसा नहीं होगा जहां से कुछ न कुछ export न होता हो। अगर इन दोनों चीजों को लेकर हम चले, तो हम आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। हमारी कंपनियां, हमारे उद्यमी वे भी दुनिया के बाजार में जाने के सपने देखते हैं। दुनिया के बाजार में जाकर भारत के रुतबे को वहां आवाज देने की ताकत दें, हमारे निवेशक ज्यादा कमाएं, हमारे निवेशक ज्यादा निवेश करें, हमारे निवेशक ज्यादा रोजगार पैदा करें – इसको प्रोत्साहन देने के लिए हम पूरी तरह से आगे आने को तैयार हैं।
हमारे देश में कुछ ऐसी गलत मान्यताओं ने घर कर लिया है। उन मान्यताओं से बाहर निकलना पड़ेगा। जो देश की wealth को create करता है, जो देश की wealth creation में contribute करता है, वे सब देश की सेवा कर रहे हैं। हम wealth creator को आशंका की नजरों से न देखें,उनके प्रति हीन भाव से न देखें।आवश्यकता है देश में wealth create करने वालों का भी उतना ही मान-सम्मान और प्रोत्साहन होना चाहिए। उनका गौरव बढ़ना चाहिए और wealth create नहीं होगी तो wealth distribute भी नहीं होगी। अगर wealth distribute नहीं होगी तो देश के गरीब आदमी की भलाई नहीं होगी। और इसलिए तो wealth creation, यह भी हमारे जैसे देश के लिए एक महत्वपूर्ण अहमियत रखता है और उसको भी हमें आगे ले जाना है। जो लोगwealth create करने में लगे हैं, मेरे लिए वह भी हमारे देश की wealth हैं। उनका सम्मान और उनका गौरव इस कदम को नई ताकत देगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज शांति और सुरक्षा विकास के अनिवार्य पहलू हैं। दुनिया आज असुरक्षा से घिरी हुई है। दुनिया के किसी न किसी भाग में, किसी न किसी रूप में मौत का साया मंडरा रहा है। विश्व शांति की समृद्धि के लिए भारत को अपनी भूमिका अदा करनी होगी। वैश्विक परिवेश में भारत मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता है और भारत आतंक फैलाने वालों के खिलाफ मजबूती के साथ लड़ रहा है। विश्व के किसी भी कोने में आतंक की घटना मानवतावाद के खिलाफ छेड़ा हुआ युद्ध है। इसलिए यह आह्वान है कि विश्वभर की मानवतावादी शक्तियां एक हों। आतंकवाद को पनाह देने वाले, आतंकवाद को प्रोत्साहन देने वाले, आतंकवाद को export करने वाले, ऐसी सारी ताकतों को दुनिया के सामने उनके सही स्वरूप में प्रस्तुत करते हुए दुनिया की ताकत को जोड़कर आतंकवाद को नष्ट करने के प्रयासों में भारत अपनी भूमिका अदा करें, हम यही चाहते हैं।
कुछ लोगों ने सिर्फ भारत को ही नहीं हमारे पड़ोस के देशों को भी आतंकवाद से तबाह करके रखा हुआ है। बांग्लादेश भी आतंकवाद से जूझ रहा है, अफगानिस्तान भी आतंकवाद से जूझ रहा है। श्रीलंका के अंदर चर्च में बैठे हुए निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। कितनी बड़ी दर्दनाक बाते हैं और इसलिए आतंकवाद के खिलाफ जब हम लड़ाई लड़ते हैं तब हम इस पूरे भू-भाग की शांति और सुरक्षा के लिए भी हमारी भूमिका अदा करने के लिए भी सक्रिय काम कर रहे हैं।
हमारा पड़ोसी, हमारा एक अच्छा मित्र अफगानिस्तान चार दिन के बाद अपनी आजादी का जश्न मनाएगा और यह उनकी आजादी का 100वां साल है।मैं आज लाल किले से अफगानिस्तान के मेरे मित्रों को, जो चार दिन के बाद 100वीं आजादी का उत्सव मनाने जा रहें हैं, अनेक-अनेक शुभकानाएं देता हूं।
आतंक और हिंसा का माहौल बनाने वालों को, उनको फैलाने वालों को, भय का वातारवरण पैदा करने वालों को नेस्तानाबूत करना सरकार की नीति, सरकार की रणनीति और उसमें हमारी स्पष्टता साफ है। हमें कोई हिचकिचाहट नहीं है। हमारे सैनिकों ने, हमारे सुरक्षा बलों ने, सुरक्षा एजेंसियों ने बहुत प्रशंसनीय काम किया है। संकट की घड़ी में भी देश को शांति देने के लिए यूनिफार्म में खड़े हुए सब लोगों ने आज अपने जीवन की आहूति देकर हमारे कल को रोशन करने के लिए जीवन खपाया है। मैं उन सबको salute करता हूं। मैं उनको नमन करता हूं। लेकिन समय रहते Reform की भी बहुत आवश्यकता होती है।
आपने देखा होगा हमारे देश में सैन्य व्यवस्था, सैन्य शक्ति, सैन्य संसाधन – उसके Reform पर लंबे अरसे से चर्चा चल रही है। अनेक सरकारों ने इसकी चर्चा की है। अनेक commission बैठे हैं, अनेक रिपोर्ट आई हैं और सारे रिपोर्ट करीब-करीब एक ही स्वर को उजागर करते रहे हैं।19- 20 का फर्क है, ज्यादा फर्क नहीं है, लेकिन इन बातों को लगातार कहा गया है। हमारी तीनों सेना – जल, थल, नभ, उनके बीच coordination तो है, हम गर्व कर सकें, ऐसी हमारी सेना की व्यवस्था है। किसी भी हिन्दुस्तानी को गर्व हो, ऐसा हो। वे अपने-अपने तरीके से आधुनिकता के लिए भी प्रयास करते हैं।लेकिन आज जैसे दुनिया बदल रही है, आज युद्ध के दायरे बदल रहे हैं, रूप-रंग बदल रहे हैं। आज जिस प्रकार से Technology Driven व्यवस्थाएं बन रही हैं, तब भारत को भी टुकड़ों में भी सोचने से नहीं चलेगा। हमारी पूरी सैन्यशक्ति को एकमुश्त होकर एक साथ आगे बढ़ने की दिशा में काम करना होगा। जल, थल, नभ में से एक आगे रहे दूसरा दो कदम पीछे रहे, तीसरा तीन कदम पीछे रहे, तो नहीं चल सकता। तीनों एक साथ एक ही ऊंचाई पर आगे बढ़ें। coordination अच्छा हो, सामान्य मानव की आशा-आकांक्षाओं के अनुरूप हों, विश्व में बदलते हुए युद्ध के और सुरक्षा के माहौल के अनुरूप हो, इन बातों को ध्यान में रखते हुए आज मैं लाल किले से एक महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा करना चाहता हूं। इस विषय के जो जानकार हैं, वह बहुत लम्बे अर्से से इसकी मांग करते रहे हैं।
आज हमने निर्णय किया है कि अब हम Chief of defense – CDS की व्यवस्था करेंगे और इस पद के गठन के बाद तीनों सेनाओं को शीर्ष स्तर पर प्रभावी नेतृत्व मिलेगा। हिन्दुस्तान की सामरिक दुनिया की गति में ये CDS एक बहुत अहम और reform करने का जो हमारा सपना है, उसके लिए बल देने वाला काम है।
मेरे प्यारे देशवासियो, हम लोग भाग्यवान हैं कि हम एक ऐसे कालखंड में जन्मे हैं, हम एक ऐसे कालखंड में जी रहे हैं, हम एक ऐसे कालखंड में हैं जब हम कुछ न कुछ करने का सामर्थ्य रखते हैं। कभी-कभी मन में हमेशा रहता है कि जब आजादी की जंग चल रही थी, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे महापुरुष अपने बलिदान के लिए स्पर्धा कर रहे थे। महात्मा गांधी के नेतृत्व में आजादी के दीवाने घर-घर, गली-गली जा करके आजादी के सपनों का साकार करने के लिए देश को जगा रहे थे। हम उस समय नहीं थे, हम पैदा नहीं हुए थे, देश के लिए हमें मरने का मौका नहीं मिला,लेकिन देश के लिए जीने का मौका जरूर मिला है। और ये सौभाग्य है कि ये कालखंड ऐसा है, ये वर्ष हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पूज्य बापू महात्मा गांधी, इनकी 150वीं जन्म-जयंती का ये पर्व है। ऐसे अवसर हमें अपने कालखंड में मिले, ये अपने-आप में हमारा सौभाग्य है। और दूसरा हमारी आजादी के 75 साल, देश की आजादी के लिए मर-मिटने वालों का स्मरण हमें कुछ करने की प्रेरणा देता है। इस अवसर को हमें खोने नहीं देना है। 130 करोड़ देशवासियों के हृदय में महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप, देश की आजादी के दीवानों के सपनों के अनुरूप आजादी के 75 साल और गांधी के 150 साल, इस पर्व को हमारी प्रेरणा का महान अवसर बना करके हमें आगे बढ़ना है।
मैंने इसी लाल किले से 2014 में स्वच्छता के लिए बात कही थी। 2019 में कुछ ही सप्ताह के बाद, मुझे विश्वास है, भारत अपने-आपको open defecation free घोषित कर पाएगा। राज्यों ने, गांवों ने, नगर पालिकाओं ने- सबने, मीडिया ने जन-आंदोलन खड़ा कर दिया। सरकार कहीं नजर नहीं आई, लोगों ने उठा लिया और परिणाम सामने हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, मैं एक छोटी-सी अपेक्षा आज आपके सामने रखना चाहता हूं। इस 02 अक्तूबर को हम भारत को single use plastic, क्या इससे देश को मुक्ति दिला सकते हैं। हम निकल पड़ें, टोलियां बना करके निकल पड़े school, college हम सब पूज्य बापू को याद करते हुए और घर में प्लास्टिक हो – single use plastic या बाहर चौहराएं पर पड़ा हो, गंदी नाली में पड़ा हो, वह सब इकट्ठा करें, नगरपालिकाएं, महानगर-पालिकाएं, ग्राम पंचायत सब इसको जमा करने की व्यवस्था करें। हम प्लास्टिक को विदाई देने की दिशा में 2 अक्टूबर को पहला मजबूत कदम उठा सकते हैं क्या?
आइए मेरे देशवासियो, हम इसको आगे बढ़ाएं।और फिर मैं Start-up वालों को, Technician को, उद्यमियों को आग्रह करता हूं कि हम इन प्लास्टिक के Recycle के लिये क्या करें? जैसे highways बनाने के लिये प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है। ऐसी बहुत-सी विधाएं हो सकती हैं, लेकिन जिसके कारण अनेक समस्याएं पैदा हो रही हैं, उससे मुक्ति के लिये हमें ही अभियान छेड़ना होगा। लेकिन साथ-साथ हमें alternate व्यवस्थाएं भी देनी पड़ेंगी। मैं तो सभी दुकानदानों से आग्रह करूंगा, आप अपने दुकान पर हमेशा Board लगाते हैं, एक Board यह भी लगा दीजिये, कृपा करके हमसे प्लास्टिक की थैली की अपेक्षा न करें। आप अपने घर से कपड़े का थैला लेकर आइए या तो हम कपड़े का थैला भी बेचेंगे, ले जाइये। हम एक वातावरण बनायें। दीवाली पर जहां हम लोगों को भांति-भांति के गिफ्ट देते हैं, क्यों न इस बार और हर बार कपड़े के थैले लोगों को गिफ्ट करें, ताकि कोई कपड़े का थैला लेकर मार्किट जायेगा, तो आपकी company की advertisement भी होगी। आप सिर्फ डायरी देते हैं, तो शायद कुछ नहीं होता है, Calendar देते हैं तो कुछ नहीं होता है, थैला देंगे, तो जहां जायेगा तो थैला आपकी advertise भी करता रहेगा। जूट के थैले हों, मेरे किसानों को मदद करेगा, कपड़े के थैले हों, मेरे किसान को मदद मिलेगी। छोटे-छोटे काम हैं। गरीब-विधवा मां जो सिलाई करती होगी, उसको मदद करेगा यानी हमारा छोटा सा निर्णय भी सामान्य मानव के जीवन में किस प्रकार से बदलाव ला सकता है, हम उस दिशा में काम करें।
मेरे प्यारे देशवासियो Five trillion Dollar economy का सपना हो, स्वावलंबी भारत का सपना हो, महात्मा गांधी के आदर्शों को जीना आज भी प्रस्तुत है। महात्मा गांधी के विचार आज भी स्तुत्य हैं और इसलिये Make in India का जो मिशन हमने लिया है, उसे हमें आगे बढ़ाना है। Made in India Product, हमारी प्राथमिकता क्यों न होनी चाहिए? हम तय करें अपने जीवन में मेरे देश में जो बनता है, मिलता है, वो मेरी प्राथमिकता होगी और हमें तो lucky कल के लिये…. lucky कल के लिये local product पर बल देना है। lucky कल के लिये local, सुहानी कल के लिये local, उज्ज्वल कल के लिये local, जो गांव में बनता है पहले उसके लिये प्राथमिकता होनी चाहिये। वहां नहीं तो तहसील में, तहसील से बाहर जाना पड़े तो, जिले में, जिले के बाहर जाना पड़े तो, राज्य में और मैं नहीं मानता हूं कि उसके बाद अपनी आवश्यकताओं के लिये कहीं जाना पड़ेगा। कितना बड़ा बल मिलेगा? हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कितना बल मिलेगा?, लघु उद्यमियों को कितना बल मिलेगा?, हमारी परंपरागत चीजों को कितना बल मिलेगा? भाइयों-बहनों हमें Mobile phone अच्छा लगता है, हमें whatsapp भेजना अच्छा लगता है, हमें facebook-twitter पर रहना अच्छा लगता है, लेकिन देश की Economy में भी इसके कारण हम मदद कर सकते हैं। जानकारियों के लिये technology का जितना उपयोग है, आधुनिक भारत के निर्माण के लिये भी technologyका उतना ही उपयोग है और हम सामान्य नागरिक Digital payment के लिये क्यूं न चलें? आज हमें गर्व है कि हमारा Rupay card सिंगापुर में चल रहा है, हमारे Rupay card आने वाले दिनों में और देशों में भी चलने वाला है। हमारा एकdigital platform बड़ी मजबूती के साथ उभर रहा है, लेकिन हमारे गांव में, छोटी-छोटी दुकानों में भी, हमारे शहर के छोटे-छोटे मॉल में भी हम क्यूं न Digital payment पर बल दें? आइए ईमानदारी के लिये, Transparency के लिये और देश की Economy को ताकत देने के लिये हम Digital payment को अपनाएं। और मैं तो व्यापारियों को कहूंगा, आप board लगाते हैं ज्यादातर गांव में जाओगे व्यापारियों के board होते हैं – आज नकद-कल उधार। मैं चाहता हूं कि अब तो हमें board लगाया जाना चाहिए Digital payment को हां नकद को ना, यह एक माहौल बनाना चाहिए। मैं Banking क्षेत्र से आग्रह करता हूं, मैं व्यापार जगत के लोगों से आग्रह करता हूं कि आइये हम इन चीजों पर बल दें।
हमारे देश में Middle class, Higher Middle class का bulk बढ़ता जा रहा है, अच्छी बात है। साल में एक-दो बार परिवार के साथ, बच्चों के साथ दुनिया के अलग-अलग देशों में tourist के रूप में भी जाते हैं,बच्चों को exposure मिलता है। अच्छी बात है। लेकिन मैं आज ऐसे सभी परिवारों से आग्रह करता हूं, देश के लिए जब देश आजादी का 75 साल मना रहा है, देश के लिए इतने महापुरुषों ने बलिदान दिए हैं तब, जिंदगी खपा दी है तब क्या आप नहीं चाहते हैं कि आपकी संतान भी हमारे देश की बारीकियों को समझे।कौन मां-बाप नहीं चाहेगा कि हमारी-आपकी आने वाली पीढ़ी भावनात्मक रूप से इस मिट्टी से जुड़े, इसके इतिहास से जुड़े, इसकी हवाओं से, इसके पानी से नई ऊर्जा प्राप्त करें। ये हमें प्रयत्न पूर्वक करना चाहिए। हम कितने ही आगे बढ़े लेकिन जड़ों से कटना हमें कभी भी बचा नहीं सकता है, बढ़ा नहीं सकता है। और इसलिए जो दुनिया में Tourist के रूप में भले ही जाते हों, क्या मैं आपसे एक चीज मांग सकता हूं, लालकिले से देश के नौजवानों के रोजगार के लिए, विश्व में भारत की पहचान बनाने के लिए, भारत का सामर्थ्य उजागर करने के लिए मेरे प्यारे देशवासियो आज मैं आपसे एक छोटी- सी मांग कर रहा हूं – क्या आप तय कर सकते हैं कि 2022 आजादी के 75 साल के पहले हम अपने परिवार के साथ भारत के कम से कम 15 tourist destinations पर जाएंगे। वहां कठिनाईयां होंगी तो भी जाएंगे। वहां अच्छे होटल नहीं होंगे तो भी जाएंगे। कभी-कभी कठिनाईयां भी जिदंगी जीने के लिए काम आती हैं। हम बच्चों में आदत डालें यही हमारा देश है। एक बार जाना शुरू करेंगे तो वहां व्यवस्थाएं विकसित करने वाले लोग भी आने लग जाएंगे। क्यों न हमारे देश में 100 ऐसे बढि़या tourist destination develop न करें, क्यों न हर राज्य में 2 या 5 या 7 top class tourist destination तैयार करें target करके तैयार करें। हम तय करें- हमारे North-east में इतनी प्राकृतिक संपदा है लेकिन कितनी यूनिवसिर्टीज होंगी जो अपना tourist destination north-east को बनाती हैं? ज्यादा contribute नहीं करना पड़ता है। आपको 7 दिन, 10 दिन निकालने हैं लेकिन देश के भीतर ही निकालिए।
आप देखिए आप जहां जाकर आएंगे, वहां नई दुनिया खड़ी करके आएंगे, बीज रोपित करके आ जाएंगे और जीवन में आपको भी संतोष मिलेगा। हिंदुस्तान के लोग जाना शुरू करें तो दुनिया के लोग भी आना शुरू करेंगे। हम दुनिया में जाएंगे और कहेंगे कि आपने वो देखा है? कोई tourist हमसे पूछेगा कि आप हिन्दुस्तान से आ रहे है, आपने तमिलनाडू का वो temple देखा है? और हम कहेंगे कि मैं नहीं गया तो वो हमें कहेगा कि भाई कमाल है मैं तो तुम्हारे देश में तमिलनाडू के मंदिर देखने चला गया था और तुम यहां देखने आए हो। हम दुनिया में जाएं अपने देश को जानने के बाद जाएं। हम इतना काम कर सकते हैं।
मैं, मेरे किसान भाईयों से आज आग्रह करना चाहता हूं। आपसे मैं कुछ मांगना चाहता हूं। मेरे किसान के लिए, मेरे देशवासियों के लिए, ये धरती हमारी मां हैं। भारत माता की जय बोलते ही हमारे भीतर ऊर्जा का संचार होता है।वंदे मातरम बोलते ही इस धरती मां के लिए खप जाने की प्रेरणा मिलती है। एक दीर्घकालिक इतिहास हमारे सामने आता है लेकिन क्या कभी हमने इस धरती मां के स्वास्थ्य की चिंता की है। हम जिस प्रकार से chemical का उपयोग कर रहे हैं chemical fertilizer का उपयोग कर रहे हैं pesticides का उपयोग कर रहे हैं। हम हमारी इस धरती मां को तबाह कर रहे हैं। इस मां के संतान के रूप में, एक किसान के रूप में मुझे मेरी धरती मां को तबाह करने का हक नहीं है। मेरी धरती मां को दुखी करने का हक नहीं है, मेरी धरती मां को बीमार बना देने का हक नहीं है।
आइए, आजादी के 75 साल होने जा रहे हैं।पूज्य बापू ने हमें रास्ता दिखाया है क्या हम 10 percent, 20 percent, 25 percent अपने खेत में यह chemical fertilizer को कम करेंगे, हो सके तो मुक्तिकर अभियान चलाएंगे। आप देखिए देश की कितनी बड़ी सेवा होगी। हमारी धरती मां को बचाने में, आपका कितना बड़ा योगदान होगा। वन्दे मातरम् कहकरजो फांसी के तख्त पर चढ़ गया था, उसके सपनों को पूरा करने के लिए, यह धरती मां को बचाने का आपका काम, उसका भी आशीर्वाद प्राप्त करेगा, जो कभी फांसी के तख्त पर चढ़ करके वंदे मातरम् कहा करता था। इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं और मुझे विश्वास है कि मेरे देशवासी यह करके रहेंगे। मेरे किसान मेरी इस मांग को पूरा करेंगे यह मुझे पूरा विश्वास है।
मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, हमारे देश के professionals उनकी आज पूरी दुनिया में गूंज है। उनके सामर्थ्य की चर्चा है। लोग उनका लोहा मानते हैं। Space हो, technology हो, हमने नये मुकाम प्राप्त किए हैं। हमारे लिए खुशी की बात है कि हमारा चंद्रयान तेजी से चांद के उस छोर की ओर आगे बढ़ रहा है, जहां अब तक कोई नहीं गया है। हमारे वैज्ञानिकों की सिद्धि है।
उसी प्रकार से खेल के मैदानों में हम बहुत कम नजर आते थे। आज दुनिया के खेल के मैदानों में मेरे देश के 18-20 साल, 22 साल के बेटे-बेटियां हिन्दुस्तान का तिरंगा झंडा फहरा रही हैं। कितना गर्व होता है। देश के खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
मेरे देशवासियो, हमें हमारे देश को आगे बढ़ाना है। हमें हमारे देश में बदलाव लाना है। हमें देश में नई ऊंचाइयों को पार करना है और मिल-जुलकर करना है। सरकार और जनता को मिलकर करना है। 130 करोड़ देशवासियो ने करना है। देश का प्रधानमंत्री भी आपकी की तरह इस देश का एक बालक है, इस देश का एक नागरिक है। हम सबको मिलकर करना है।
चाहे आने वाले दिनों में गांव में डेढ़ लाख wellness center बनाने होंगे, health center बनाने होंगे, हर तीन लोकसभा के बीच एक medical college हमारे नौजवानों को डॉक्टर बनने का सपना पूरा कराना है। दो करोड़ से अधिक गरीब लोगों के लिए घर बनाने हैं। हमें 15 करोड़ ग्रामीण घरों में पीने का पानी पहुंचाना है। सवा लाख किलोमीटर गांव की सड़के बनानी हैं। हर गांव को Broadband connectivity, optical fiber network से जोड़ना है। 50 हजार से ज्यादा नये start up का जाल बिछाना है। अनेक सपनों को ले करके आगे बढ़ना है।इसलिए भाइयो-बहनो, हमें देशवासियों ने मिल करके, सपनों को ले करके देश को आगे बढ़ाने के लिए चलना है और आजादी के 75 साल इसके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।
मैं जानता हूं कि लाल किले की प्राचीर पर समय की भी एक सीमा है। 130 करोड़ देशवासी उनके सपने भी हैं, 130 करोड़ देशवासियों की अपनी चुनौतियां भी है। हर सपने का, हर चुनौती का अपना महत्व भी है। कोई अधिक महत्वपूर्ण है कोई कम महत्पूर्ण है ऐसा नहीं है। लेकिन बारिश का मौसम है, लंबा बोलते-बोलतेspeech पूरे होने की संभावना नहीं है और इसलिए हर issue का अपना महत्व होने के बावजूद जितनी चीजें आज कह पाया हूं और जो नहीं कह पाया हूं वो भी महत्वपूर्ण हैं। उन बातों को लेकर हम आगे बढ़ें, देश को हमें आगे बढ़ाना है।
आजादी के 75 साल, गांधी के 150 साल और भारत के संविधान के 70 साल हो गए हैं। बाबा साहेब अम्बेडकर के सपने और यह वर्ष महत्वपूर्ण है, गुरू नानक देव जी का 550वां पर्व भी है। आइये, बाबा साहेब अम्बेडकर, गुरू नानक देव जी की शिक्षा को ले करके हम आगे बढ़ें और एक उत्तम समाज का निर्माण, उत्तम देश का निर्माण, विश्व की आशाओं-अपेक्षाओं के अनुरूप भारत का निर्माण हमें करना है।
मेरे प्यारे भाइयो-बहनो हम जानते हैं कि हमारे लक्ष्य हिमालय जितने ही ऊंचे हैं, हमारे सपने अनगिनत असंख्य तारों से भी ज्यादा हैं लेकिन हम ये भी जानते हैं कि हमारे हौसलों के उड़ान के आगे आसमान भी कुछ नहीं है।यह संकल्प हैं, हमारा सामर्थ्य हिन्द महासागर जितना अथाह है, हमारी कोशिशें गंगा की धारा जितनी पवित्र हैं, निरंतर हैं और सबसे बड़ी बात हमारे मूल्यों के पीछे हजारों साल की पुरानी संस्कृति, ऋषियों की मुनियों की तपस्या, देशवासियों का त्याग, कठोर परिश्रम – यह हमारी प्रेरणा है।
आइये, हम इन्हीं विचारों के साथ, इन्हीं आदर्शों के साथ, इन्हीं संकल्पों के साथ सिद्धि प्राप्त करने के लक्ष्य को ले करके हम चल पड़ें नया भारत निर्माण करने के लिए, अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए, नया आत्मविश्वास, नया संकल्प, नया भारत बनाने की जड़ी-बूटी है। आइये, हम मिल करके देश को आगे बढ़ाएं। इसी एक अपेक्षा के साथ, मैं फिर एक बार देश के लिए जीने वाले, देश के लिए जूझने वाले, देश के लिए मरने वाले, देश के लिए कुछ कर-गुजरने वाले हर किसी को नमन करते हुए मेरे साथ बोलिये –
‘जय हिन्द’।
‘जय हिन्द’।
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
वन्दे मातरम।
वन्दे मातरम।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
Some glimpses from the Independence Day celebrations in Delhi this morning. pic.twitter.com/nUMgn1JJHg
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2019
नई सरकार को बने हुए कुछ हफ्ते ही हुए, लेकिन फिर भी हर क्षेत्र, हर दिशा में उत्तम प्रयास किए जा रहे हैं। #स्वतंत्रतादिवस pic.twitter.com/b1GhdImyOU
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2019
हम समस्याओं को टालते भी नहीं हैं, ना ही समस्याओं को पालते हैं।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2019
आर्टिकल 370 और 35(A) से महिलाओं, बच्चों और एससी-एसटी समुदाय के साथ अन्याय हो रहा था।
इसलिए जो काम पिछले 70 वर्षों में नहीं किया जा सका, उसे नई सरकार बनने के 70 दिनों में पूरा कर दिया गया। #स्वतंत्रतादिवस pic.twitter.com/4aSkjP15gD
आज जो लोग आर्टिकल 370 का समर्थन कर रहे हैं, उनके पास प्रचंड बहुमत रहा था, लेकिन उन्होंने इस आर्टिकल को स्थायी नहीं बनाया। क्यों? उन्हें इस बात का जवाब देना चाहिए। #स्वतंत्रतादिवस pic.twitter.com/UiygJoYpRV
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2019
आइए, धरती मां को बचाने के हरसंभव प्रयत्न करें।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2019
भारत के परिश्रमी अन्नदाताओं से मेरी विनती है। #स्वतंत्रतादिवस pic.twitter.com/Pu7rBQPOPN
Population explosion is a subject our nation must discuss as widely as possible. We owe this to the future generations... pic.twitter.com/SWkne1uvwG
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2019
Our forces are courageous and always prepared to give a befitting answer to those who disturb tranquility in the nation.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2019
To further improve coordination and preparedness, India will now have a Chief of Defence Staff. pic.twitter.com/IULeoV3Zv6
The Prime Minister begins his address from the ramparts of the Red Fort by conveying Independence Day greetings.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
PM also conveys wishes on Raksha Bandhan.
Today, when we are marking Independence Day, many of our citizens are suffering due to floods in various parts of the nation.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
We stand in complete solidarity with those affected by the floods and I assure that all possible support that is needed will be provided to them: PM
I bow to all those great women and men who devoted their lives so that India becomes free: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
It has been under ten weeks since the new Government was formed but several pathbreaking decisions have been taken.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
This includes decisions for Jammu, Kashmir, Ladakh, the end of Triple Talaq, steps for the welfare of farmers and traders: PM @narendramodi
India understands the important of water conservation and thus, a new ministry for Jal Shakti has been created.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Steps have been taken to make the medical sector even more people friendly: PM @narendramodi
This is the time to think about the India of the 21st century and how the dreams of the people will be fulfilled: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
अगर 2014 से 2019 आवश्यकताओं की पूरी का दौर था तो 2019 के बाद का कालखंड देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का कालखंड है, उनके सपनों को पूरा करने का कालखंड है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र लेकर हम चले थे लेकिन 5 साल में ही देशवासियों ने ‘सबका विश्वास’ के रंग से पूरे माहौल को रंग दिया: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
We have to think about solutions to the problems people face.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Yes, there will be obstacles on the way but we have to work to overcome them.
Remember how scared the Muslim women were, who suffered due to Triple Talaq but we ended the practice: PM @narendramodi
समस्यों का जब समाधान होता है तो स्वावलंबन का भाव पैदा होता है, समाधान से स्वालंबन की ओर गति बढ़ती है। जब स्वावलंबन होता है तो अपने आप स्वाभिमान उजागर होता है और स्वाभिमान का सामर्थ्य बहुत होता है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
We do not believe in creating problems or prolonging them.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
In less than 70 days of the new Government, Article 370 has become history, and in both Houses of Parliament, 2/3rd of the members supported this step.
We want to serve Jammu, Kashmir, Ladakh: PM @narendramodi
The old arrangement in Jammu, Kashmir and Ladakh encouraged corruption, nepotism but there was injustice when it came to rights of women, children, Dalits, tribal communities. The dreams of sanitation workers were incomplete. How can we accept such a situation: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Five years ago, people always thought- ‘क्या देश बदलेगा’ or ‘क्या बदलाव हो सकता है’?
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Now, the people say- “हां, मेरा देश बदल सकता है: PM @narendramodi
Those who supported Article 370, India is asking them:
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
If this was so important and life changing, why was this Article not made permanent. After all, those people had large mandates and could have removed the temporary status of Article 370: PM @narendramodi
One Nation, One Constitution- this spirit has become a reality and India is proud of that: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
GST brought to life the dream of One Nation, One Tax.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
India has also achieved One Nation, One Grid in the energy sector.
Arrangements have been made for One Nation, One Mobility Card.
Today, India is talking about One Nation, One Election: PM @narendramodi
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सुख समृद्धि और शांति के लिए भारत के लिए प्रेरक बन सकता है और भारत की विकास यात्रा में बहुत बड़ा प्रेरक बन सकता है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
जो लोग इसकी वकालत करते हैं उनसे देश पूछता है अगर ये धारा इतनी महत्वपूर्ण थी तो 70 साल तक इतना भारी बहुमत होने के बाद भी आप लोगों ने उसे permanent क्यों नहीं किया: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
In the last 70 years, every Government at the Centre and the various States, irrespective of which party they belonged to, have worked for the welfare of the people: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
It is unfortunate, however, that so many people lack access to water even 70 years after Independence.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Work on the Jal Jeevan Mission will progress with great vigour in the years to come: PM @narendramodi
देश को नई ऊंचाइयों को पार करना है, विश्व में अपना स्थान बनाना है और हमें अपने घर में ही गरीबी से मुक्ति पर बल देना है और ये किसी पर उपकार नहीं है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए हमें गरीबी से मुक्त होना ही है और पिछले 5 वर्षों में गरीबी कम करने की दिशा में, गरीबीं को गरीबी से बाहर लाने की दिशा में बहुत सफल प्रयास हुए हैं: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
The movement towards water conservation has to take place at the grassroots level. It cannot become a mere Government programme. People from all walks of life have to be integrated in this movement: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
There is one issue I want to highlight today- population explosion.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
We have to think- can we do justice to the aspirations of our children.
There is a need to have greater discussion and awareness on population explosion: PM @narendramodi
Every effort made to remove corruption and black money is welcome. These are menaces that have ruined India for 70 long years. Let us always reward honesty: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
I always ask- can we not remove the excess influence of Governments on people's lives. Let our people have the freedom of pursuing their own aspirations, let the right eco-system be made in this regard: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
India does not want incremental progress. A high jump is needed, our thought process has to be expanded. We have to keep in mind global best practices and build good systems: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
आज देश में 21वीं सदी की आवश्यकता के मुताबिक आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। देश के इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश करने का फैसला किया गया है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
People's thinking has changed.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Earlier, people were happy with merely a plan to make a railway station.
Now people ask- when will Vande Bharat Express come to my area.
People do not want only good railway stations or bus stations, they ask- when is a good airport coming: PM
Earlier the aspiration was to have a good mobile phone but now, people aspire better data speed.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Times are changing and we have to accept that: PM @narendramodi
Time has come to think about how we can boost exports. Each district of India has so much to offer.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Let us make local products attractive.
May more export hubs emerge.
Our guiding principle is Zero Defect, Zero Effect: PM @narendramodi
Today, the Government in India is stable, policy regime is predictable...the world is eager to explore trade with India.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
We are working to keep prices under check and increase development.
The fundamentals of our economy are strong: PM @narendramodi
हमारी अर्थव्यवस्था के fundamentals बहुत मजबूत हैं और ये मजबूती हमें आगे ले जाने का भरोसा दिलाती है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Wealth creation is a great national service.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Let us never see wealth creators with suspicion.
Only when wealth is created, wealth will be distributed.
Wealth creation is absolutely essential. Those who create wealth are India's wealth and we respect them: PM @narendramodi
From the ramparts of the Red Fort, I give my greetings to the people of Afghanistan who are marking 100 years of freedom: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Our forces are India's pride.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
To further sharpen coordination between the forces, I want to announce a major decision from the Red Fort:
India will have a Chief of Defence Staff- CDS.
This is going to make the forces even more effective: PM @narendramodi
Can we free India from single use plastic? The time for implementing such an idea has come. May teams be mobilised to work in this direction. Let a significant step be made on 2nd October: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Our priority should be a 'Made in India' product.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Can we think of consuming local products, improving rural economy and the MSME sector: PM @narendramodi
“डिजिटल पेमेंट को हां, नकद को ना”...
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
Can we make this our motto.
Let us further the use of digital payments all over the nation: PM @narendramodi
India has much to offer.
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
I know people travel abroad for holidays but can we think of visiting at least 15 tourist destinations across India before 2022, when we mark 75 years of freedom: PM @narendramodi
हम जानते हैं कि हमारे लक्ष्य हिमालय जितने ऊंचे हैं,
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
हमारे सपने अनगिनत-असंख्य तारों से भी ज्यादा हैं,
हमारा सामर्थ्य हिन्द महासागर जितना अथाह है,
— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2019
हमारी कोशिशें गंगा की धारा जितनी पवित्र हैं, निरंतर हैं।
और सबसे बड़ी बात,
हमारे मूल्यों के पीछे हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति की प्रेरणा है: PM @narendramodi