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2015-16 मौसम के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट मामलों की आर्थिक समिति ने सत्र 2015-16 के लिए 2016-17 में विपणन होने वाली रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। यह फैसला कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है, जो विपणन सत्र 2016-17 के वास्ते रबी फसलों से संबंधित मूल्य नीति के लिए दी गई थीं। सीएसीपी जो एक विशेषज्ञ संस्था है, ने एमएसपी पर सिफारिशें करते समय उत्पादन लागत, कुल मांग-आपूर्ति, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतें, अंतर फसल मूल्य समानता, कृषि और गैर कृषि क्षेत्रों के बीच कारोबार, शेष अर्थव्यवस्था पर मूल्य नीति के संभावित प्रभाव के अलावा जमीन और पानी जैसे उत्पादन संसाधनों के उचित इस्तेमाल को सुनिश्चित करने को भी ध्यान में रखा है।

सीएसीपी के विशेषज्ञ संस्था होने के कारण उसकी सिफारिशों को सामान्य तौर पर से उसी रूप में स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि दालों की मांग और घरेलू आपूर्ति में अंतर को देखते हुए कैबिनेट ने रबी दालों पर 75 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस देने का फैसला किया है, जो सीएसीपी द्वारा की गई सिफारिशों से ज्यादा है। बेहतर मूल्य से संकेत मिलता है कि किसानों दालों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र का विस्तार और उस पर निवेश बढ़ा सकते हैं।

2016-17 में विपणन के लिए 2015-16 सत्र की सभी रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया है और इसका नीचे तालिका में उल्लेख किया जा रहा हैः-

 

(रु. प्रति क्विंटल)

(रु. प्रति क्विंटल)

कुल

%

(रु. प्रति क्विंटल)

गेहूं

1450

1525

75

5.2

जौ

1150

1225

75

6.5

चना

3175

3425

250

7.9

75

मसूर (लेंटिल)

3075

3325

250

8.1

75

सरसों

3100

   3350

250

8.0

सैफफ्लॉवर

3050

3300

250

8.2

कमोडिटी सत्र 2014-15 के लिए
एमएसपी
सत्र 2015-16 के लिए
एमएसपी
 
2014-15 की तुलना
में एमएसपी में
बढ़ोत्तरी
बोनस*

नोट * रबी दालों के लिए दिया जाने बोनस एमएसपी के अतिरिक्त है।

ये मूल्य रबी विपणन सत्र 2016-17 से प्रभावी होंगे। ज्यादा एमएसपी से किसानों को ज्यादा आय सुनिश्चित होगी और वे इन फसलों पर अपना निवेश और उत्पादन बढ़ाएंगे।

कैबिनेट ने यह भी निर्देश दिए कि दालों और तिलहन खरीद के ढांचे को मजबूत बनाने के क्रम में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) दालों और तिलहनों की खरीद के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसी होगी। एफसीआई के प्रयासों के पूरक के रूप में नेशनल एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नफेड), नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन (एनसीसीएफ), सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) और स्माल फर्मर्स एग्री-बिजनेस कंसोर्शियम (एसएफएसी) भी क्षमता के मुताबिक दालों व तिलहन की खरीद कर सकते हैं।

सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोत्तरी के अलावा बीते एक साल के दौरान किसानों के हित में कई कदम उठाए हैं। ये कदम निम्नलिखित हैं:

· भारत सरकार ने 2015-16 सत्र के लिए खरीफ दालों के एमएसपी पर 200 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की थी।

· हर किसान को सॉइल हेल्थ कार्ड देने की योजना भी शुरू की गई है। देश में सॉइल (मिट्टी) और उर्वरक परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना व जैविक कृषि के क्रियान्वयन के माध्यम से सॉइल हेल्थ मैनेजमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है।

· सरकार ने जैविक कृषि को बढ़ावा देने और जैविक उत्पादों के बाजार को विकसित करने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के अंतर्गत दिशानिर्देश भी तैयार किए हैं।

· सिंचाई के संसाधनों को विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पेश की गई है।

· किसानों से संबंधित विभिन्न समस्याओं का हल निकालने के लिए दूरदर्शन ने एक किसान चैनल की भी शुरुआत की है।

· सरकार ने किसानों को ज्यादा जागरूक बनाने के लिए फसल बीमा पर एक पोर्टल भी बनाया है।

· एक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (एनएएम) की स्थापना की भी पहल की जा रही है। इससे किसान कृषि उत्पादों के विपणन से जुड़ी समस्याओं से पार पा सकेंगे और उन्हें अपनी उपज की ऊंची कीमत हासिल होगी। एक संयुक्त ई-मार्केट प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है और राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को इसकी सेवाएं मुफ्त में हासिल होंगी।

· सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पेश करने के लिए कदम उठाए हैं, जिससे पूरे राज्य/देश में ट्रेडिंग के लिए एक लाइसेंस के साथ मार्केट फी को एक ही बिंदु पर जमा करना सुनिश्चित होगा।

· सरकार फर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशंस की स्थापना को भी प्रोत्साहित कर रही है।

· दालों और प्याज की कीमतों में कमी सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने प्राइस स्टैबिलाइजेशन फंड के अंतर्गत दालों ओर प्याज का आयात किया है।