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सियाचिन बेस कैंप में भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों को प्रधानमंत्री द्वारा दिए गये संबोधन का मूल पाठ


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प्‍यारे जवानों,

आप सबको बड़ा सरप्राइज हुआ होगा कि मैं आज आपको बिना बताए आपका मेहमान बन गया। लेकिन मुझे लगता है कि मैं अपनों के बीच मेहमान कैसे बन सकता हूं और इसलिए मेरी इच्‍छा थी कि बिना बताए ही आपके बीच आ जाऊं। आप यहां परिवार से दूर, देश के लोग आनंद और उत्‍साह के साथ दिवाली मना सके, इसलिए इन बर्फीली पहाडि़यों के बीच, ये श्‍वेत चादर के बीच, जहां न कोई दीया जलाने की संभावना है, ऐसी दुर्गम परिस्थिति में अपने आप को खपा रहे हैं। अपनी जिंदगी देशवासियों की खुशी के लिए आप न्‍यौछावर कर रहे हैं। अपनी जवानी, भारत की जवानी गर्व कर सके, इसलिए आप हर पल, एक ही मंत्र को ले के, एक ही सपना लेकर के, एक ही संकल्‍प लेकर के, और वो है भारत माता की जय।यहां आपकी प्रेरणा, यही आपकी जिंदगी।

मैं समझता हूं, सभी देशवासियों के लिए आपके प्रति जो गौरव का मान है, उसका मूल कारण हर पल, हर परिस्थिति में देश के लिए जीना, देश के लिए मरना, यह आपका जीवन संदेश रहा है। इसलिए थलसेना हो, वायुसेना हो, नौसेना हो, देश के जवानों के प्रति सारा देश गर्व की अनुभूति करता है।

दुनिया का यह दुर्गम से दुर्गम क्षेत्र है, जहां भारत के जवान तैनात हैं। विश्‍व में कही भी पर इनकी कठिनाइयों वाला क्षेत्र नहीं है। विश्‍व में कही भी माइनस 30, माइनस 40 डिग्री temperature में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने आप को तैनात रखने का सौभाग्‍य विश्‍व को किसी को नहीं मिला है और आपने इसे उजागर करके दिखाया है।

मैं विशेष रूप से आया हूं, आपके बीच दिवाली के इस पावन पर्व पर, आपके बीच शरीक होने के लिए। मैं जानता हूं, कि परिवार के बीच दिवाली मनाने को जो आनन्‍द होता है, वह कुछ और होता है। लेकिन, आप तो भारत माता की भक्ति में ऐसे खप गये हैं, कि परिवार कहीं और दिवाली मना रहा है, आप कहीं और मातृभमि की रक्षा में तैनात हैं। मेरे यहां आने से आपके परिवार की कमी में भर नहीं सकता हूं, वह कमी तो रहनी ही रहनी है, लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के प्रतिनिधि के रूप में, आपके बीच आ करके, मैं स्‍वयं गौरव अनुभव करता हूं। एक संतोष का भाव अनुभव करता हूं।

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प्रधानमंत्री के रूप में मेरे लिए यह पहली दिवाली है। और पहली दिवाली को और अभी-अभी तो मैं चुनाव भी जीता हूं तो एक और भी तो उसमें जरा उमंग-उत्‍साह भरा हुआ है। इन सबको छोड़-छाड़ कर के मैंने दिवाली कुछ समय आपके साथ और कुछ समय श्रीनगर के बाढ़ पीडि़तों के बीच बिताने का तय किया है।

अभी जब श्रीनगर में बाढ़ भाई, जिस प्रकार से हमारे सेना के जवानों ने मानवता की ऊंचाई दिखाई है, हमारे कुछ जवानों को अपना जीवन देना पड़ा, उनकी जिंदगी बचाने के लिए और यही तो सबसे बड़ी मिसाल है। जो हमारे जवानों ने दिखायी है। आज भारत चैन से सोता है, क्‍योंकि आप दिन रात जगते हैं। वो सुख-शांति की जिंदगी जीता है, क्‍योंकि आप कष्‍ट झेलते हैं।

भाइयों-बहनों, अब तो सेना में भले ही कम मात्रा में, लेकिन महिलाओं ने भी अपना शौर्य-अपना सामर्थ दिखाना प्रारंभ किया है। यह हमें गौरव प्रदान करता है। सेना के जवानों के बीच आकर के मैं गर्व महसूस करता हूं। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि सियाचिन में, इन बर्फीली पहाडि़यों में, कितने कितने हमारे नौजवान शहीद हो चुके हैं। सफेद चद्दर ओढ़कर के सौ गए और किसी का शरीर 21 साल के बाद मिलता है। पता नहीं, कितने ही ऐसे जीवन होंगे, जिनका अभी भी परिवार वालों को इंतजार होगा।

आजादी के लिए फांसी के तख्‍त पर चढ़ने वाले लोग इतिहास में अमर हो जाते हैं। ये आजादी के लिए जिए, मरे और आजादी के लिए मरे। और, आप वे लोग हैं, जो देश आजाद रहे, देश का सामान्‍य मानव सुख-चैन की जिदंगी जिये, इसलिए अपने आप को अर्पित करने के लिए प्रति पल संकल्‍पबद्ध रहते हैं।

ये बलिदान कम नहीं है। ये त्‍याग, ये तपस्‍चर्या,ये Discipline हमें गर्व दिलाती है, देश को गर्व दिलाती है। विश्‍व के अनेक फौज के अंदर भारत के फौजियों का अपना एक सम्‍मान है, उनके जीवन और आचरण के कारण, डिसिप्लिन के कारण, सामान्‍य मानवों के प्रति उनके व्‍यवहार के कारण और संकट के समय उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर करके उनके सुख-दुख को बांटना।

भारत की फौज सिर्फ दुश्‍मनों के लिए खतरा बनकर जीने वाली फौज नहीं है, वह दुश्‍मनों के लिए जितना संकट पैदा करती है, उतना ही अपनों के लिए जीवन प्रदान करती है। कोई भी ऐसा प्राकृतिक संकट नहीं आया है, जिसमें हमारी सेना के जवान पहुंचे ना हों। दिन-रात मेहनत ना किये हों। भारत आपके प्रति गौरव का अनुभव करता है। जब तक कोई इन बर्फीले ग्‍लेशियर को नहीं देखेगा, माइनस 30-40 डिग्री में जवान कैसे तैनात होता है, इसे देखेगा नहीं, उसे कल्‍पना नहीं आ सकती है कि हमारे फौज, हमारे हवान कितनी कठिनाइयों के बीच, कितने दुर्गम इलाकों के बीच, मातृभूमि की रक्षा के लिए पुरूषार्थ कर रहे हैं।

मेरा एक सौभाग्‍य है आज कि भारत के एक प्रधान सेवक के रूप में मुझे आपके हालात को अपनी आंखों से देखने का अवसर मिला है। अनुभव करने का अवसर मिला है। मैं इन ऊंचाईयों पर जब पहुंचा तो हमारे साथ वाले डॉक्‍टर हर पल मुझे देख रहे थे। मेरा बीपी चैक कर रहे थे मेरा, oxygen चेक कर रहे थे। उसी से पता चलता है कि कितनी गंभीर अवस्‍था में आप लोग रहते हैं, कितनी कठिनाइयों में आप रहते है।

मैं विश्‍वास दिलाता हूं मेरे देश के जवानों को, चाहे वो सीमा पर तैनात हों या कैंटोनमेंट में हो, वो सेवारत हो या सेवानिवृत हों, सवा सौ करोड़ का देश आपके साथ खडा़ हुआ है। आपके सपने, आपकी जिम्‍मेवारी, ये देश के सपने और देश की जिम्‍मेवारी है। यहां से निकलने के बाद कभी आपको किसी चीज के लिए किसी पर निर्भर रहना पड़े, ये मुझे मंजूर नहीं है। सेना के जीवन के बाद भी आप और आपका परिवार गौरव से जिये, सम्‍मान से जिये, ऐसी व्‍यवस्‍था हमेशा रहे, ये मेरी प्रतिबद्धता है, ये मेरी इच्‍छा है।

One Rank-One Pension, कितने दशक बीत गए, ये सपना आपका पूरा करना मेरे ही भाग्‍य में लिखा हुआ है। इसलिए, और मेरा लगाव भी है, आप लोगों के साथ मेरा लगाव भी है। हमारे जवानों के लिए एक हमेशा emotional विषय रहा है कि एक National level का war Memorial क्‍यों ना हो? मेरे साथियों, विश्‍व में हम गर्व कर सकें, ऐसा war memorial बनाने का हमने निर्णय ले लिया है, budget में उसका allocation कर दिया है, काम उसका चल रहा है, उसकी डिजाइन-विजाइन के लिए बहुत तेज गति से काम चल रहा है। इसलिए देश के लिए जीने-मरने वाले फौजी के लिए उमंग और जो उत्‍साह होता है, उसकी जो प्रेरणा होती है, उसकी चिंता करना पूरे देश की जिम्‍मेदारी है, शासन की जिम्‍मेदारी है। इसे निभाने के लिए मैं संकल्‍पबद्ध हूं।

मैं देशवासियों को भी इस ऊंचाई से दीपावली की आज मैं शुभकामनाएं दे रहा हूं। शायद ऐसा पहले कभी नहीं हुआ होगा। मैं उन चोटियों तक हो आया हूं, जहां माइनस 30 डिग्री temperature रहता है। जहां हमारे जवान तैनात हैं। मैं इस ऊंचाई से भार‍तवासियों को, भारत के साथ जीने-मरने वाले जवानों के साथ खड़ा रह कर एक विशिष्‍ट रूप में दीपावली की शुभकामनाएं देता हूं। मैं विश्‍वास करता हूं कि आप जो दिवाली की दीया जला रहे हैं, उस रोशनी के मूल में हमारे इन जवानों का पसीना भी है, उनका त्‍याग भी है, तपस्‍या भी है। इसलिए दिवाली के इस पावन पर्व पर हम भी हमारी रक्षा करने वाले हमारा दीया कभी बुझ न जाए। इसमें जिदंगी खपाने वाले उन जवानों का स्‍मरण करते रहे, उनका गौरव करते रहें। एक स्‍वाभिमानी राष्‍ट्र के रूप में हम भी, जवान अगर सीमा की रक्षा करता है तो नागरिक सामान्‍य मानव के सपनों की चिंता करे और ये दोनों का साथ-साथ चलना ही राष्‍ट्र के उज्‍जवल भविष्‍य की गारंटी होती है।

मैं फिर एक बार आप सबको दिवाली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आपके बीच आने का मुझे अवसर मिला, ऐसी दुर्गम जगह पर आने का अवसर मिला, ये मेरा सौभाग्‍य रहा है। मैं आपका हूं, मैं आपके लिए हूं, आपके बीच हूं, प्रतिपल आपके साथ हूं, ये विश्‍वास दिलाने आया हूं और हम सब मिलकर के मां भारती की सेवा में लगे हैं और अच्‍छी भारत मां की सेवा करेंगे। इस विश्‍वास को आगे बढ़ाते चलेंगे, इसी भावना के साथ फिर एक बार आपको भी और इन दुर्गम पहाडि़यों से देशवासियों को भी मेरी दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

विश्‍वभर में फैले हुए भारतीय समाज को भी दीपावली की मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत बहुत धन्‍यवाद। भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।