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सिंगापुर फिनटेक उत्सव में प्रधानमंत्री का संबोधन

सिंगापुर फिनटेक उत्सव में प्रधानमंत्री का संबोधन

सिंगापुर फिनटेक उत्सव में प्रधानमंत्री का संबोधन

सिंगापुर फिनटेक उत्सव में प्रधानमंत्री का संबोधन


वित्तीय विश्व में प्रभावशाली स्वर सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री थर्मन षणमुगरतनम, फिनटेक में अग्रणी संस्थान मोनिटरिंग अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर के प्रबंध निदेशक श्री रवि मेनन, सौ से अधिक देशों के हजारों प्रतिनिधिगण,

नमस्कार!

प्रथम शासनाध्यक्ष के रूप में सिंगापुर फिनटेक उत्सव में मुख्य भाषण देना काफी अधिक सम्मान की बात है

यह भविष्य पर निगाहें टिकाए भारतीय युवाओं का सम्मान है।

यह भारत में चल रही वित्तीय क्रांति और 1.3 बिलियन लोगों के जीवन में परिवर्तन को मान्यता है।

यह आयोजन वित्त और टेक्नोलॉजी का है, यह एक समारोह भी है।

यह प्रकाश पर्व-दीपावली का समय है। यह त्यौहार गुण, आशा, ज्ञान और समृद्धि के विजय के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। सिंगापुर पर अभी भी दीपावली का प्रकाश है।

फिनटेक समारोह विश्वास का उत्सव है।

नवाचार और कल्पना की शक्ति में विश्वास का।

युवाओं की ऊर्जा और परिवर्तन के लिए उनकी लालसा के विश्वास का।

विश्व को बेहतर स्थान बनाने के विश्वास का।

और यह आश्चर्य नहीं कि केवल तीन वर्ष में यह समारोह विश्व का सबसे बड़ा समारोह हो गया है।

सिंगापुर वित्त के लिए विश्व का केन्द्र है और अब यह वित्त के डिजिटल भविष्य की ओर छलांग लगा रहा है।

मैंने यहीं पर इस वर्ष जून में भारत का रूपे कार्ड तथा भारत के विश्व स्तरीय यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस या यूपीआई का उपयोग वाले रकम भेजने वाले विश्व के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल एप को लांच किया था।

आज मुझे फिनटेक कम्पनियों तथा वित्तीय संस्थानों को जोड़ने वाले वैश्विक प्लेटफॉर्म लांच करने का सम्मान प्राप्त होगा। इसका प्रारंभ आसियान तथा भारतीय बैंकों और फिनटेक कम्पनियों से होगा।

भारत और सिंगापुर, भारत तथा आसियान देशों के लघु और मध्यम उद्यमों को जोड़ने पर काम कर रहे हैं अभी यह कार्य भारतीय प्लेटफॉर्म पर होगा और इसका वैश्विक विस्तार किया जाएगा।

मित्रों,

मैंने स्टार्ट अप सर्किल में दी गई सलाह सुनी है।

●  अपने उद्यम पूंजी और उद्यम पूंजी पोषण को दस प्रतिशत तक बढ़ाना है तो निवेशकों को यह बताना होगा कि आप एक ‘प्लेटफॉर्म’ चलाते हैं, कोई नियमित व्यवसाय नहीं।

●  अगर आप अपनी उद्यम पूंजी पोषण को बीस प्रतिशत तक बढ़ाना चाहते है तो निवेशकों को बताएं कि आप ‘फिनटेक स्थान’ में काम कर रहे हैं।

●  लेकिन आप अगर सचमुच यह चाहते है कि निवेशक अपनी जेब खाली कर दें तो उन्हें बताएं कि आप ‘ब्लॉकचेन’ का इस्तेमाल कर रहे है।

ये बातें आप को वित्तीय विश्व को बदलने में उभरती टेक्नोलॉजी के प्रति उत्साहित करती हैं।

वास्तव में इतिहास ने दिखाया है कि वित्तीय क्षेत्र नई टेक्नोलॉजी और क्नेक्टविटी को अपनाने में अक्सर आगे रहता है।

मित्रों,

हम टेक्नोलॉजी द्वारा लाए गए ऐतिहासिक परिवर्तन के युग में है।

डेस्क-टोप से क्लाउड तक, इंटरनेट से सोशल मीडिया, आईटी सेवाओं से इंटरनेट ऑफ थिंग्स तक की यात्रा हमने कम समय में पूरी की है। व्यवसाय में दैनिक अवरोध हो रहा है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था का स्वभाव बदल रहा है।

टेक्नोलॉजी नए विश्व में स्पर्धा और शक्ति को परिभाषित कर रही है।

और यह जीवन में परिवर्तन के आपार अवसर प्रदान कर रही है।

मैने 2014 में संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि हमें मानना होगा कि विकास और सशक्तिकरण का विस्तार फेसबुक, ट्विटर या मोबाइल फोन की गति से ही होगा।

पूरे विश्व में विजन तेजी के साथ वास्विकता में बदल रहा है।

भारत में इसने शासन संचालन और सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी में बदलाव ला दिया है। नवाचार, आशा और अवसरों की भरभार हो गयी है। इसने कमजोर को सशक्त बनाया है और हाशिए पर रह रहे लोगों को मुख्यधारा में ला दिया है। इसने आर्थिक पहुंच को पहले से अधिक लोकतांत्रिक बना दिया है।

मेरी सरकार ने 2014 में नागरिक-दूरदराज के गांवों में निर्धनतम व्यक्ति को प्रभावित करने वाले समावेशी विकास के मिशन के साथ कार्यभार संभाला।

मिशन को वित्तीय समावेशन का ठोस आधार चाहिए था- भारत के आकार के देश के लिए यह कोई आसान कार्य नहीं।

फिर भी हम इसे महीनों में ही हासिल करना चाहते थे न की वर्षों में।

फिनटेक की शक्ति और डिजिटल क्नेक्टविटी की पहुंच के साथ हमने अप्रत्याशित गति और आकार की क्रांति प्रारंभ की है।

वित्तीय समावेशन 1.3 बिलियन भारतीयों के लिए एक वास्तविकता हो गया है। हमने 1.2 बिलियन बायोमेट्रिक पहचान आधार महज कुछ सालों में बना लिया है।

जन-धन योजना के साथ हमारा उद्देश्य प्रत्येक भारतीयों को बैंक खाता देना है। तीन वर्षों में हमने 330 मिलियन नए बैंक खाते खोले हैं। यह पहचान, सम्मान और अवसर के 330 मिलियन स्रोत हैं। 2014 में 50 प्रतिशत से भी कम भारतीयों के पास बैंक खाते थे। अब यह सार्वभौमिक हो गया है। आज बिलियन से अधिक बायोमेट्रिक पहचान, बिलियन से अधिक बैंक खाते तथा बिलियन से अधिक सेल फोन के साथ भारत विश्व में सबसे बड़ा सार्वजनिक आधारभूत संरचना वाला देश हो गया है।

3.6 लाख करोड़ से अधिक या 50 बिलियन डॉलर के सरकारी लाभ लोगों तक सीधे पहंच रहे हैं। अब दूरदराज के गांवों में बैठे गरीब नागरिक को लम्बी दूरी नहीं तय करनी पड़ती या अपने अधिकारों के लिए बिचौलियों की मुठ्ठी नहीं गरम करनी पड़ती है।

अब जाली और नकली खाते सरकारी वित्त का खून नहीं चूसते। हमने चोरी रोककर 80,000 करोड़ रुपये या 12 बिलियन डॉलर से अधिक की बचत की है। अब अनिश्चितता के कगार पर बैठे लाखों लोग अपने खातों में बीमा प्राप्त करते हैं और उन्हें वृद्धावस्था में पेंशन सुरक्षा की पहुंच है। आधार आधारित 400,000 माइक्रो एटीएम के माध्यम से दूरदराज के गांवों में भी बैंकिंग प्रणाली दरवाजे पर पहुंच गई है। इस डिजिटल अवसंरचना ने विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान लांच करने में मदद की है। यह योजना 500 मिलियन भारतीयों को किफायती स्वास्थ्य बीमा प्रदान करेगी।

डिजिटल अवसंरचना ने मुद्रा योजना के माध्यम से छोटे उद्यमियों के लिए 145 मिलियन के ऋण प्रदान करने में मदद दी है। चार वर्षों में 6.5 लाख करोड़ रुपये या 90 बिलियन डॉलर के ऋण के दिए गए है। लगभग 75 प्रतिशत ऋण महिलाओँ को प्रदान किए गए हैं।

कुछ सप्ताह पहले ही हमने इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक लांच किया। 150 हजार से अधिक डाक घर और 300,000 डाक सेवा कर्मचारी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए घर-घर बैंकिंग सुविधा दे रहे हैं।

निश्चित रूप से वित्तीय समावेशन को डिजिटल क्नेक्टविटी की आवश्यकता है।

भारत में 120,000 ग्राम परिषदों को लगभग 300,000 किलोमीटर के फाइबर ऑप्टिक केबल से जोड़ लिया गया है।

300,000 से अधिक सामान सेवा केन्द्रों ने गांव तक डिजिटल पहुंच बना दी है। यह केन्द्र भूमि रिकॉर्ड, ऋण, बीमा, बाजार तथा बेहतरीन मूल्य के लिए किसानों को बेहतर पहुंच प्रदान कर रहे हैं। यह केन्द्र स्वास्थ्य सेवाएं और महिलाओँ को स्वच्छता के उत्पाद प्रस्तुत कर रहे हैं।

फिनटेक द्वारा भारत में भुगतानों और लेन-देन के डिजिटलीकरण का परिवर्तन लाए बिना कोई भी कार्य प्रभावकारी नहीं हो सकता था।

भारत विविध परिस्थितियों और चुनौतियों वाला देश है। हमारे समाधान भी विविध होने चाहिए। हमारा डिजिटलीकरण सफल है क्योंकि हमारे भुगतान उत्पाद सभी की आवश्यकता पूरी करते हैं।

मोबाइल और इंटरनेट वाले लोगों के लिए भीम-यूपीआई, वर्चुअल भुगतान एड्रेस का उपयोग करते हुए अनेक खातों के बीच भुगतान के लिए विश्व का सर्वाधिक सूक्ष्म, सरल और बाधारहित प्लेटफॉर्म है।

जिनके पास मोबाइल और इंटरनेट नहीं है उनके लिए 12 भाषाओं में यूएसएसडी प्रणाली है।

और जिनके पास न मोबाइल है और न इंटरनेट उनके लिए आधार सक्षम भुगतान प्रणाली है जो बायोमेट्रिक का उपयोग करती है। इस प्रणाली से एक बिलियन लेन-देन हुए हैं और दो वर्षों में इसका 6 गुणा विकास हुआ है।

रूपे भुगतान कार्डों को सबकी पहुंच के अंदर ला रहा है। रूपे 250 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंचा है, जिनके पास चार साल पहले कोई बैंक खाता नहीं था।

कार्ड से क्यूआर तथा वैलेट से भारत में तेजी से डिजिटल लेन-देन का विकास हुआ है। आज भारत में 128 बैंक यूपीआई से जुड़े हुए हैं।

पिछले 24 महीनों में यूपीआई पर लेन-देन 1500 गुणा बढ़ा है। हर महीने लेन-देन के मूल्य में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो रही है।

लेकिन मैं गति से अधिक डिजिटल भुगतान द्वारा प्रदान किए गए अवसरों, सक्षमता, पारदर्शिता और सहजता से प्रेरित हूं।

एक दुकानदार ऑनलाइन रूप से अपनी इनवेंट्री में कमी ला सकता है और तेजी से वसूली कर सकता है।

फल उत्पादक वाले, किसान या एक ग्रामीण दस्तकार के लिए बाजार प्रत्यक्ष और नजदीक हो गए है। आय अधिक हो गई है और भुगतान में तेजी आई है।

एक कामगार अपना पारिश्रमिक प्राप्त करता है और एक दिन का काम छोड़े बिना रकम को फौरन अपने घर भेज देता है।

प्रत्येक डिजिटल भुगतान से समय की बचत होती है। इससे विशाल राष्ट्रीय बचत होती है। यह व्यक्ति और अपने देश की उत्पादकता को बढ़ा रहा है।

इससे कर वसूली में सुधार तथा अर्थव्यवस्था में साफ-सफाई लाने मे मदद मिली है।

इससे भी अधिक, डिजिटल भुगतान संभावनाओं के लिए विश्व का प्रवेश द्वार हो गए हैं।

डाटा एनालिटिक्स तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लोगों के लिए अनेक मूल्यवर्धित सेवाएं देने में सहायता कर रहे हैं। इसमें उन लोगों के लिए ऋण भी शामिल है जिनका बहुत कम ऋण लेने या ऋण नहीं लेने का इतिहास रहा है।

वित्तीय समावेशन का विस्तार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों तक हुआ है।

वे सभी एक वर्ष पहले लांच किए गए राष्ट्रव्यापी वस्तु और सेवा कर डिजिटल नेटवर्क पर आ रहे हैं।

बैंक उनके पास ऋण देने के लिए पहुंच रहे हैं। वैकल्पिक ऋण प्रदाता प्लेटफॉर्म, नवाचारी वित्तीय मोडल पेश कर रहे है। उन्हें ऊंची ब्याज दर पर ऋण लेने के लिए औपचारिक बाजारों की ओर नहीं देखना पड़ रहा है।

और इसी महीने हमने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए बैंक गए बिना 59 मिनट के अंदर एक करोड़ रुपये या 150,000 तक के ऋण देने का संकल्प व्यक्त किया है। यह एल्गोरिद्म से प्रेरित है जो ऋण संबंधी निर्णय लेने के लिए जीएसटी रिटर्न, इनकम टैक्स रिटर्न और बैंक स्टेटमेंट का उपयोग करता है। महज कुछ दिनों में ऐसे 150,000 उद्यम ऋण के लिए आगे आए हैं।

यह उद्यम, रोजगार और समृद्धि को प्रेरित करने की फिनटेक की शक्ति है।

डिजिटल टेक्नोलॉजी पारदर्शिता ला रही है और सरकारी ई-मार्केट या जीईएम जैसे नवाचारों के माध्यम से भ्रष्टाचार दूर कर रही है। यह सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद के लिए एकीकृत प्लेटफॉर्म है।

यह प्लेटफॉर्म सबकुछ यानी खोज और तुलना, निविदा, ऑनलाइन ऑर्डर, करार और भुगतान की सुविधा प्रदान करता है।

इस प्लेटफॉर्म के पास पहले से 600,000 उत्पाद हैं। इस प्लेटफॉर्म पर लगभग 30,000 क्रेता संगठन और 150,000 से अधिक विक्रेता और सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं।

मित्रों,

भारत में फिनटेक नवाचार और उद्यम का काफी अधिक विस्तार हुआ है। इसने भारत को विश्व का अग्रणी फिनटेक और स्टार्ट अप देश बना दिया है। भारत में फिनटेक तथा इंडस्ट्ररी 4.0 का भविष्य निखर रहा है।

हमारे युवा ऐसे ऐप्स विकसित कर रहे हैं जो सभी के लिए कागज रहित, नकद रहित, मौजूदगी रहित और सुरक्षित लेन-देन को संभव बना रहे हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस सेट इंडिया स्टैक का कमाल है।

युवा बैंकों, नियामक संस्थानों तथा उपभोक्ताओँ के लिए समाधान सृजन के उद्देश्य से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ब्लॉकचेन और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर रहे हैं।

और युवा हमारे सामाजिक मिशनों-स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर सूक्ष्म ऋण और बीमा को- अपना रहे हैं।

भारत में यह प्रतिभा पूल डिजिटल इंडिया तथा स्टार्ट अप इंडिया और समर्थनकारी नीतियों, प्रोत्साहनों और वित्त पोषण कार्यक्रमों से लाभ उठा रहा हैं।

विश्व में सबसे अधिक डाटा खपत भारत होती है और डाटा की दरे सबसे सस्ती हैं। भारत फिनटेक अपनाने वाले शीर्ष देशों में एक है। इसलिए मैं सभी फिनटेक कम्पनियों और स्टार्ट अप से कहता हूं कि भारत आपके लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान है।

एलईडी बल्ब उद्योग से भारत में प्राप्त आर्थिक आकार ने इस ऊर्जा सक्षम टेक्नोलॉजी को विश्व के लिए अधिक रियायती बना दिया है। इसी तरह भारत का विशाल बाजार फिनटेक उत्पादों को आकार, प्राप्ति, जोखिम तथा लागत में कमी तथा वैश्विक रूप लेने में सक्षम बनाएगा।

मित्रों,

संक्षेप में भारतीय कहानी फिनटेक के 6 बड़े लाभों- पहुंच, समावेशन, क्नेक्टविटी, जीवन की सुगमता, अवसर और दायित्व- को दिखाती है।

पूरे विश्व में भारत-प्रशांत से लेकर अफ्रीका और लैटिन अमेरिका तक हम जीवन को बदलने वाले असाधारण नवाचार की प्रेरक कहानियों को देख रहे हैं।

लेकिन अभी बहुत कुछ करना शेष है।

हमारा फोकस सबके विकास और सबसे अधिक हाशिए पर खड़े व्यक्ति के विकास पर होना चाहिए। हमें बैंकिंग सुविधाओँ से वंचित विश्व के 1.7 बिलियन लोगों को औपचारिक वित्तीय बाजार में लाना होगा।

हमें विश्व के अनौपाचारिक क्षेत्रों में काम कर रहे एक बिलियन से अधिक कर्मियों को बीमा और पेंशन सुरक्षा देनी होगी।

हम यह सुनिश्चित करने के लिए फिनटेक का उपयोग कर सकते हैं कि किसी का भी सपना अधूरा न रहे और कोई भी उद्यम वित्तीय पहुंच के अभाव में न रहें।

हमें जोखिम प्रबंधन, जालसाजी रोकने और पारम्परिक मॉडलों में अवरोध से निपटने में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अधिक लचीला बनाना होगा।

हमें परिपालन, नियमन और निगरानी में सुधार के लिए टेक्नोलॉजी अपनानी होगी ताकि नवाचार को प्रोत्साहन मिले और जोखिम नियंत्रित रहे।

हमें मनीलॉंड्रिंग तथा अन्य वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए फिनटेक उपायों को अपनाना होगा।

आपस में जुड़े विश्व में उभर रहा वित्तीय विश्व तभी सफल होगा जब हमारे डाटा और हमारी प्रणालियां विश्वसनीय और सुरक्षित होंगी।

साइबर खतरों से हमारे वैश्विक वायर प्रणाली को सुरक्षित बनाना होगा।

हमें यह सुनिश्चित भी करना होगा कि फिनटेक की गति और विस्तार से लोगों का लाभ हो, उनका कोई अहित न हो। वित्तीय क्षेत्र में टेक्नोलॉजी मानवीय स्थिति में सुधार सुनिश्चित करती है।

हमें समावेशी नीतियों और टेक्नोलॉजी के उपयोग के बारे में लोगों में जागरुकता पैदा करने और लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है।

इसके लिए फिनटेक को न केवल एक व्यवस्था बल्कि एक आंदोलन बनाने की आवश्यकता होगी।

और हमें डाटा स्वामित्व तथा प्रवाह, निजता तथा सहमति, निजी और सार्वजनिक हित, कानून और मूल्यों जैसे प्रश्नों का समाधान भी करना होगा।

हमें भविष्य के लिए कौशल सृजन में निवेश करना होगा और विचारों और दीर्घकालिक निवेश को समर्थन देने के लिए तैयार रहना होगा।

मित्रों,

प्रत्येक युग अपने अवसरों और अपनी चुनौतियों से परिभाषित होता है। भविष्य संवारने की जिम्मदारी प्रत्येक पीढ़ी की होती है।

यह पीढ़ी विश्व में सभी के लिए भविष्य संवारेगी।

इतिहास में किसी भी समय हमें इतने अधिक अवसर प्राप्त नहीं हुए, जो अवसरों और समृद्धि को लाखों लोगों के लिए जीवनकाल में वास्तविकता में बना दे।

जो गरीब और अमीर, शहरों और गांवों, आशाओं और उपलब्धियों के बीच विश्व को अधिक मानवीय और समान बनाए।

भारत दूसरे के अनुभवों से सीख लेगा, हम विश्व के साथ अपने अनुभवों और अपनी विशेषज्ञता को साझा करेगे।

क्योंकि जो भारत को प्रेरित करता है वह दूसरे के लिए आशा है और हम भारत के लिए जो सपना देखते हैं उसे ही विश्व के लिए भी चाहते हैं।

यह हम सभी के लिए एक समान यात्रा है।

अंधेरा के ऊपर आशा और खुशी का प्रकाश फैलाने वाले प्रकाशोत्सव की तरह यह समारोह मानवता के बेहतर भविष्य की चाह में हमें एक साथ आने का आह्वान करता है।

धन्यवाद।