अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिगण, वैश्विक भू-स्थानिक क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञगण, सम्मानित प्रतिभागियों और मित्रों। भारत में आप सभी का स्वागत है!
मुझे द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक अंतररष्ट्रीय कांग्रेस के हिस्से के रूप में आप सभी के साथ संवाद करते हुए बेहद खुशी हो रही है। भारत के लोग इस ऐतिहासिक अवसर पर आपकी मेजबानी करके बेहद खुश हैं क्योंकि हम एक साथ मिलकर अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। यह बहुत ही अच्छी बात है कि इस सम्मेलन का आयोजन हैदराबाद में हो रहा है। यह शहर अपनी संस्कृति एवं व्यंजन, अपने आतिथ्य और हाई–टेक विजन के लिए जाना जाता है।
मित्रों,
इस सम्मेलन का विषय ‘ग्लोबल विलेज को भू-सक्षम बनाना: कोई भी पीछे न छूटे‘ है। यह एक ऐसा विषय है, जिसकी झलक पिछले कुछ वर्षों में भारत द्वारा उठाए गए कदमों में देखी जाती है। हम अंत्योदय के विजन पर काम कर रहे हैं, जिसका अर्थ है देश के अंतिम छोर पर रहने वाले अंतिम व्यक्ति को मिशन मोड में सशक्त बनाना। यही वह विजन है जिसने बड़े पैमाने पर अंतिम छोर तक सशक्तिकरण के कार्य में हमारा मार्गदर्शन किया है। भारत बैंकिंग की सुविधा से वंचित 450 मिलियन लोगों, जोकि संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी की तुलना में अधिक है, को बैंकिंग सुविधा के दायरे में लाकर; बिना बीमा वाले 135 मिलियन लोगों, जोकि फ्रांस की आबादी का लगभग दोगुना है, का बीमा कराके; 110 मिलियन परिवारों तक स्वच्छता सुविधाएं पहुंचाकर और 60 मिलियन से अधिक परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान करके यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी पीछे न छूटे।
मित्रों,
भारत की विकास यात्रा में दो स्तंभ प्रमुख हैं: प्रौद्योगिकी और प्रतिभा। आइए पहले स्तंभ-प्रौद्योगिकी को देखें। प्रौद्योगिकी परिवर्तन लाती है। आप में से कुछ लोगों ने यह सुना होगा कि भारत रीयल-टाइम डिजिटल भुगतान के मामले में दुनिया पहले स्थान पर है। अगर आप बाहर निकलें, तो आप देखेंगे कि सबसे छोटे विक्रेता भी डिजिटल भुगतान स्वीकार करते हैं, यहां तक कि उसे पसंद करते हैं। इसी तरह, प्रौद्योगिकी के माध्यम से हमने कोविड-19 के दौरान गरीबों की मदद की। हमारी प्रौद्योगिकी आधारित जैम की तिकड़ी ने 800 मिलियन लोगों को निर्बाध तरीके से कल्याणकारी लाभ पहुंचाया! यहां तक कि दुनिया का सबसे बड़ा टीकारण अभियान भी एक प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म द्वारा संचालित था। भारत में, प्रौद्योगिकी बहिष्करण का वाहक नहीं है। यह समावेशन का एक माध्यम है। आप सभी भू-स्थानिक क्षेत्र से जुड़े लोग हैं। आपको यह जानकर बेहद खुशी होगी कि भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी समावेशन और प्रगति को आगे बढ़ा रही है। उदाहरण के लिए, हमारी स्वामित्व योजना को लें। हम गांवों में संपत्तियों का नक्शा बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। इस डेटा का उपयोग करके, ग्रामीणों को संपत्ति कार्ड हासिल हो रहे हैं। कई दशकों के बाद पहली बार ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास स्वामित्व के स्पष्ट दस्तावेज हैं। आप में से अधिकांश लोग यह जानते हैं कि कैसे संपत्ति के अधिकार दुनिया में कहीं भी समृद्धि की आधारशिला हैं। इस समृद्धि को और तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है बशर्तें महिलाएं स्वामित्व की प्रमुख लाभार्थी हों।
हम भारत में यही काम कर रहे हैं। हमारी सार्वजनिक आवास योजना ने लगभग 24 मिलियन गरीब परिवारों को मकान उपलब्ध कराए हैं। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत मकानों की एकमात्र या संयुक्त मालिक महिलाएं हैं। इन कदमों का गरीबी और लैंगिक समानता से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। हमारा महत्वाकांक्षी पीएम गति शक्ति मास्टरप्लान मल्टी-मोडल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है। इसे भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित किया जा रहा है। महासागरों से संबंधित हमारा डिजिटल प्लेटफार्म हमारे महासागरों के प्रबंधन के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। यह हमारे पर्यावरण और समुद्री इकोसिस्टम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के लाभों को साझा करने के मामले में भारत पहले ही एक उदाहरण स्थापित कर चुका है। हमारा दक्षिण एशिया उपग्रह हमारे पड़ोस में कनेक्टिविटी को बेहतर कर रहा है और संचार को सुविधाजनक बना रहा है।
मित्रों,
मैंने आपको बताया है कि भारत की यात्रा तकनीक और प्रतिभा से संचालित है। अब हम दूसरे स्तंभ-प्रतिभा पर आते हैं। भारत व्यापक रचनात्मक भावना से लैस एक युवा राष्ट्र है। हम दुनिया के शीर्ष स्टार्टअप केन्द्रों में शामिल हैं। वर्ष 2021 के बाद से, हमने यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या लगभग दोगुनी कर ली है। यह भारत के युवाओं की प्रतिभा की वजह से संभव हुआ है। भारत औपनिवेशिक शासन से आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। सबसे महत्वपूर्ण आजादी में से एक है नवाचार करने की आजादी। भारत में भू-स्थानिक क्षेत्र के लिए इसे सुनिश्चित किया गया है। हमने इस क्षेत्र को अपने उज्ज्वल और युवा प्रतिभाओं के लिए खोल दिया है। दो शताब्दियों में एकत्र किया गया सारा डेटा अचानक से मुफ्त और सुलभ हो गया। भू-स्थानिक डेटा के संग्रह, सृजन और डिजिटलीकरण का अब लोकतांत्रीकरण हो गया है। इस तरह के सुधार इक्का-दुक्का नहीं हैं। भू-स्थानिक क्षेत्र के साथ, हमने अपने ड्रोन क्षेत्र को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दिया है। हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र भी निजी भागीदारी के लिए खुल गया है। भारत में 5जी की भी शुरुआत हो रही है। मौजूदा डेटा तक पहुंच, नया डेटा प्राप्त करने के लिए ड्रोन तकनीक, अंतरिक्ष क्षमताओं के लिए मंच, और उच्च गति वाली कनेक्टिविटी युवा भारत व दुनिया के लिए एक परिवर्तनकारी कदम साबित होंगे।
मित्रों,
जब हम कहते हैं कि ‘कोई भी पीछे नहीं छूटे’, तो यह सभी पर लागू होता है। सभी को साथ लेकर चलने की दृष्टि से, कोविड-19 महामारी पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। विकासशील देशों में अरबों लोगों को निदान, दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, टीकों और कई अन्य चीजों की जरूरत थी। लेकिन, उन्हें उनके भाग्य के सहारे छोड़ दिया गया। संकट के समय एक दूसरे की मदद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक संस्थागत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठन हर क्षेत्र में संसाधनों को अंतिम छोर तक ले जाने में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी पारस्परिक सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण महत्वपूर्ण है। हम एक ही धरती साझा करते हैं। मुझे यकीन है कि हम अपनी धरती को बचाने के लिए भी सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली को साझा कर सकते हैं। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदान की जाने वाली संभावनाएं अनंत हैं। सतत शहरी विकास, आपदाओं का प्रबंधन और यहां तक कि उनके असर को कम करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर निगरानी रखने, वन प्रबंधन, जल प्रबंधन, मरुस्थलीकरण को रोकने, खाद्य सुरक्षा आदि जैसे कई पहलू हैं जिन पर भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम अपनी धरती के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। मेरी इच्छा है कि यह सम्मेलन ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विकास पर चर्चा करने का एक मंच बने।
मित्रों,
द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस को लेकर मैं बेहद आशान्वित हूं। मुझे विश्वास है कि वैश्विक भू-स्थानिक उद्योग के सभी हितधारकों के एक साथ आने और नीति निर्माताओं एवं अकादमिक जगत के परस्पर विचार- विमर्श के साथ यह सम्मेलन ग्लोबल विलेज को एक नए भविष्य की ओर ले जाने में मदद करेगा।
धन्यवाद!
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एमजी/एएम/आर/एसके
My remarks at the UN World Geospatial International Congress. https://t.co/d0WyJWlJBP
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India's development journey has two key pillars:
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1) Technology
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