महानुभावों,
मैं आपके ज्ञानवर्धक वक्तव्यों के लिए आपको धन्यवाद देता हूं। आपकी टिप्पणियां अब तक के सर्वप्रथम ‘वॉयस ऑफ़ ग्लोबल साउथ समिट’ के अगले आठ सत्रों का मार्गदर्शन करेंगी। आपके शब्दों से यह स्पष्ट है कि विकासशील देशों के लिए मानव-केंद्रित विकास एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। आज के हस्तक्षेप उन आम चुनौतियों को भी सामने लाए हैं जो हम सभी के मस्तिष्क में सबसे ऊपर हैं। ये मुख्य रूप से हमारे विकास की जरूरतों के लिए संसाधनों की कमी और प्राकृतिक जलवायु और भू-राजनीतिक जलवायु दोनों में बढ़ती अस्थिरता से संबंधित हैं। इसके बावजूद ये भी साफ़ है कि हम विकासशील देश सकारात्मक ऊर्जा से, आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।
20वीं शताब्दी में, विकसित देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के संचालक थे। आज, इनमें से अधिकतर उन्नत अर्थव्यवस्थाएं धीमी हो रही हैं। ज़ाहिर है, 21वीं सदी में वैश्विक विकास दक्षिण के देशों से आएगा। मुझे लगता है कि अगर हम साथ मिलकर काम करें तो हम वैश्विक एजेंडा तय कर सकते हैं। आगामी सत्रों में आज और कल, हम उन मूल्यवान विचारों को और आगे बढ़ाएंगे और विकसित करेंगे जो आज की हमारी चर्चाओं से उभरे हैं। हमारा प्रयास ग्लोबल साउथ के लिए कार्रवाई बिंदुओं को सारभूत करना होगा – दोनों के लिए हम एक साथ क्या कर सकते हैं, और हम वैश्विक एजेंडा पर एक साथ क्या खोज सकते हैं। द वॉयस ऑफ़ द ग्लोबल साउथ को अपना स्वर सेट करने की जरूरत है। साथ में, हमें उन प्रणालियों और परिस्थितियों पर निर्भरता के चक्र से बचने की जरूरत है जो हमारे द्वारा नहीं बनाए गए हैं।
मैं एक बार फिर आपके समय, उपस्थिति और बहुमूल्य वक्तव्यों के लिए आपको धन्यवाद देता हूं।
थैंक यू। धन्यवाद जी।
Sharing my closing remarks at the "Voice of Global South Summit." https://t.co/WXB56kElFZ
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2023
We, the developing countries, are full of positive energy and confidence. pic.twitter.com/MdC1RbJxlh
— PMO India (@PMOIndia) January 12, 2023
The Voice of the Global South needs to set its own tone. pic.twitter.com/JTXoajM3IP
— PMO India (@PMOIndia) January 12, 2023