नमस्कार !
इस बातचीत में शामिल होने के लिए आप सभी को बधाई और आभार। इस मंच ने विशिष्ट प्रतिभाओं, प्रवासी और भारतीय दोनों को साथ लाया है। वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन 2020 भारत और दुनिया में विज्ञान एवं नवाचार का प्रचार करता है। मैं इसे सच्चा संगम अथवा महान मस्तिष्कों का संगम कहना चाहूंगा। हम इस सभा के जरिये भारत और हमारे ग्रह को सशक्त बनाने के लिए एक टिकाऊ संस्था बनाना चाहते हैं।
मित्रों,
मैं उन वैज्ञानिकों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने आज अपनी टिप्पणी, सुझाव और विचार प्रस्तुत किए हैं। आपने अपने हस्तक्षेपों में कई विषयों को शानदार ढंग से कवर किया है। आपमें से अधिकतर ने भारतीय शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थाओं उनके विदेशी समकक्षों के साथ अधिक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। दरअसल, यह इस शिखर सम्मेलन का मूल उद्देश्य है। आपने समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता की ओर सही ढंग से इशारा किया है। आपने भारत के अनुसंधान परिवेश में सुधार के लिए कुछ अच्छे सुझाव भी दिए हैं। मैं आपके विचारों के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं। आपके शब्दों को सुनकर मैं यह देख सकता हूं कि यह वैभव शिखर सम्मेलन एक समृद्ध और उत्पादक आदान-प्रदान का मंच होने जा रहा है।
मित्रों,
विज्ञान मानव प्रजाति की प्रगति का मूल आधार बरकरार है। जब हम पीछे मुड़कर मानव अस्तित्व की सदियों पर गौर करते हैं तो देखते हैं कि हमने काल खंड को कैसे विभाजित किया है? पाषाण युग, कांस्य युग, लौह युग, औद्योगिक युग, अंतरिक्ष युग और डिजिटल युग। इन्हीं कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। जाहिर तौर पर प्रत्येक युग को कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति द्वारा पहचान दी गई है। तकनीक में बदलाव होने पर हमारी जीवन-शैली में भी बदलाव आया। साथ ही इसने वैज्ञानिक जिज्ञासा को भी बढ़ाया।
मित्रों,
भारत सरकार ने विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। विज्ञान सामाजिक-आर्थिक बदलाव की दिशा में हमारे प्रयासों के केंद्र में है। टीका विकसित करने में लंबे समय का इंतजार अब खत्म हो गया है। वर्ष 2014 में हमारे टीकाकरण कार्यक्रम में चार नए टीकों को शामिल किया गया। इसमें स्वदेशी तौर पर विकसित रोटा-वायरस का टीका भी शामिल है। हम टीके के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं। हाल ही में हमने स्वदेशी रूप से विकसित न्यूमोकोकल वैक्सीन के लिए बाजार संबंधी मंजूरी दी है। ये टीकाकरण कार्यक्रम और हमारा पोषण मिशन हमारे बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को उस महत्वपूर्ण स्तर तक ले जाता है जिसका वे हकदार हैं। हमारे वैक्सीन डेवलपर इस महामारी के दौरान काफी सक्रिय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हैं। हम समय की जरूरतों को समझते हैं।
हमने 2025 तक भारत से टीबी के उन्मूलन के लिए एक महत्वाकांक्षी मिशन शुरू किया है। यह वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले है।
मित्रों,
इसके अलावा कई अन्य प्रयास भी जारी हैं। हमने सुपरकंप्यूटिंग और साइबर-फिजिकल सिस्टम पर बड़े मिशन शुरू किए हैं। इनका विस्तार कृत्रिम बौद्धिकता, रोबोटिक्स, सेंसर और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान एवं अनुप्रयोग के लिए किया गया है। इससे भारतीय विनिर्माण को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह कुशल युवा मानव संसाधन तैयार करने में मदद करेगा। स्टार्ट-अप क्षेत्र भी समृद्ध होगा। इस मिशन के तहत 25 टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब पहले ही लॉन्च किए जा चुके हैं।
मित्रों,
हम अपने किसानों की मदद के लिए उच्च कोटि के वैज्ञानिक अनुसंधान चाहते हैं। हमारे कृषि अनुसंधान वैज्ञानिकों ने दालों के हमारे उत्पादन को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है। आज हम अपनी दाल के एक मामूली हिस्से का ही आयात करते हैं। हमारा खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।
मित्रों,
हाल ही में भारत ने एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। पिछले करीब तीन दशक के बाद भारत ने इस प्रकार की नीति तैयार की है। इस नीति को तैयार करने में कई महीनों तक व्यापक विचार-परामर्श किया गया। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य विज्ञान के प्रति जिज्ञासा को बढ़ावा देना है। यह अनुसंधान एवं नवाचार काफी आवश्यक जोर देती है। इसके तहत विभिन्न विषयों के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया गया है और इसके लिए खासकर मैं काफी आशान्वित हूं। एक खुला और व्यापक शैक्षणिक माहौल युवा प्रतिभाओं को पोषित करेगा।
भारत आज वैश्विक स्तर पर हो रहे विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता और भागीदार है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं: फरवरी 2016 में अनुमोदित लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (एलआईजीओ), यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सीईआरएन) जहां भारत जनवरी 2017 से एक सहयोगी सदस्य रहा है और इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंट रिएक्टर (आई-टीईआर)। इसके लिए मेरे गृह राज्य गुजरात के इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्मा रिसर्च में सहायक शोध किया जा रहा है।
मित्रों,
यह समय की आवश्यकता है कि अधिक से अधिक युवा विज्ञान में अपनी दिलचस्पी बढ़ाएं। इसके लिए हमें विज्ञान के इतिहास और इतिहास के विज्ञान को भलीभांति समझना होगा। पिछली शताब्दी के दौरान विज्ञान की मदद से तमाम प्रमुख ऐतिहासिक सवालों को हल किया गया। वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग अब तिथियों को निर्धारित करने और अनुसंधान में मदद करने के लिए भी किया जाता है।
हमें भारतीय विज्ञान के समृद्ध इतिहास को भी परिवर्धित करना होगा। अफसोस की बात है कि लंबे समय से तमाम युवाओं के बीच यह झूठ फैलाया गया कि आधुनिकता से पहले सब कुछ अंधविश्वास और अंधकार युग में था। आज कंप्यूटर, प्रोग्रामिंग, मोबाइल और एप्लिकेशन का युग है। लेकिन वहां भी, सभी कंप्यूटिंग का मूल आधार क्या है? वह बाइनरी कोड है जो 1 और 0 है।
मित्रों,
जब कोई शून्य की बात करता है तो वह भारत की बात कैसे कर सकता है? शून्य ने गणित, और वाणिज्य को सभी के लिए सुलभ बना दिया। हमारे युवाओं को इनके बारे में अवश्य पता होना चाहिए: बौधायन, भास्कर, वराहमिहिर, नागार्जुन, सुश्रुत और आधुनिक युग में सत्येंद्र नाथ बोस एवं सर सीवी रमन कई अन्य महान विभूतियां। यह सूची काफी लंबी है!
मित्रों,
हम अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरित होकर और वर्तमान में अपनी उपलब्धियों से सशक्त होकर आगे की ओर काफी आशान्वित होकर देख रहे हैं। हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत के भारत के स्पष्ट आह्वान में विश्व कल्याण की दृष्टिकोण समाहित है। इस सपने को साकार करने के लिए मैं आप सभी को आमंत्रित करता हूं और आपका समर्थन चाहता हूं। हाल ही में भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार की शुरुआत की। ये सुधार उद्योग और शिक्षा दोनों क्षेत्रों के लिए अवसर प्रदान करते हैं। आप सभी भारत के जीवंत स्टार्ट-अप परिवेश से भलीभांति अवगत हैं। यह प्रगति वैज्ञानिकों, नवप्रवर्तकों और शिक्षाविदों द्वारा जमीनी स्तर पर किए गए काम के बिना पूरी नहीं होगी। हमारे स्टार्टअप क्षेत्र को आपकी मेंटरशिप से फायदा होगा।
मित्रों,
प्रवासी भारतीय विश्व मंच पर भारत के उत्कृष्ट दूत हैं। वे जहां भी गए हैं, भारत के लोकाचार को अपने साथ ले गए हैं। उन्होंने अपने नए घरों की संस्कृतियों को भी अपनाया है। प्रवासी भारतीय कई क्षेत्रों में सफल रहे हैं। शिक्षण इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। अधिकतर शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों और दुनिया की कई शीर्ष प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भारतीय प्रतिभाओं की मौजूदगी का लाभ उठाया है।
वैभव के जरिये हम आपके लिए एक उत्कृष्ट अवसर प्रस्तुत करते हैं। यह जुड़ने और योगदान करने का अवसर है। आपके प्रयासों से भारत और दुनिया को मदद मिलेगी। कुल मिलाकर जब भारत समृद्ध होता तो दुनिया भी आगे छलांग लगाएगी। ये आदान-प्रदान निश्चित रूप से उपयोगी होंगे। आपके प्रयासों से एक आदर्श अनुसंधान परिवेश तैयार करने में मदद मिलेगी। यह परंपरा को आधुनिकता के साथ मिला देगा। यह हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का घरेलू समाधान प्रदान करने के लिए भारत को समर्थ करेगा। यह दूसरों के लिए समृद्धि पैदा करेगा। यह भारत को उथल-पुथल मचाने वाली प्रौद्योगिकी विकसित में मदद करेगा।
मित्रों,
हम महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। मुझे कुछ याद आ रहा जिसे गांधी जी ने लगभग 100 साल पहले 1925 में तिरुवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज में अपने संबोधन में कही थी। वह वैज्ञानिक प्रगति का फल ग्रामीण भारत तक पहुंचाना चाहते थे जहां हमारे अधिकांश लोग रहते हैं। बापू विज्ञान के आधार को व्यापक करने के भी पक्षधर थे। वर्ष 1929 में उन्होंने कुछ अनोखा करने करने का प्रयास किया। उन्होंने क्राउड-सोर्सिंग की कोशिश की। उन्होंने हल्के वजन वाले चरखा को डिजाइन करने की मांग की। गांवों, युवाओं, गरीबों के प्रति उनका लगाव और विज्ञान के साथ बड़े लोगों को एकीकृत करने के लिए उनकी दृष्टि हमें प्रेरित करती है। आज हम उनकी जयंती पर भारत के एक और गौरवशाली पुत्र को याद करते हैं। वह हैं हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी। हमें उनकी विनम्रता, सादगी और महान नेतृत्व को स्मरण करते हैं।
मित्रों,
मैं आपकी चर्चा के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं और आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम वैभव और इसके परिणामों को जबरदस्त सफलता बनाने के लिए काम करेंगे। अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं आप सभी को अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखने, सभी सावधानियां बरतने और सुरक्षित रहने की सलाह देना चाहूंगा।
धन्यवाद, बहुत-बहुत धन्यवाद ।
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एमजी/एएम/एसकेसी/डीए
I would like to thank the scientists who offered their suggestions & ideas today.
— PMO India (@PMOIndia) October 2, 2020
You have brilliantly covered many subjects.
Most of you highlighted the importance of greater collaboration between Indian academic & research ecosystem with their foreign counterparts: PM
The Government of India has taken numerous measures to boost science,research and innovation.
— PMO India (@PMOIndia) October 2, 2020
Science is at the core of our efforts towards socio-economic transformations.
We broke inertia in the system: PM#VaibhavSummit
In 2014, four new vaccines were introduced into our immunisation programme.
— PMO India (@PMOIndia) October 2, 2020
This included an indigenously developed Rotavirus vaccine.
We encourage indigenous vaccine production: PM#VaibhavSummit
We want top class scientific research to help our farmers.
— PMO India (@PMOIndia) October 2, 2020
Our agricultural research scientists have worked hard to ramp up our production of pulses.
Today we import only a very small fraction of our pulses.
Our food-grain production has hit a record high: PM#VaibhavSummit
The need of the hour is to ensure more youngsters develop interest in science.
— PMO India (@PMOIndia) October 2, 2020
For that, we must get well-versed with: the science of history and the history of science: PM#VaibhavSummit
Over the last century, leading historical questions have been solved with the help of science.
— PMO India (@PMOIndia) October 2, 2020
Scientific techniques are now used in determining dates and helping in research. We also need to amplify the rich history of Indian science: PM
India’s clarion call of an Atmanirbhar Bharat, includes a vision of global welfare.
— PMO India (@PMOIndia) October 2, 2020
In order to realise this dream, I invite you all and seek your support.
Recently India introduced pioneering space reforms. These reforms provide opportunities for both industry & academia: PM
During #VaibhavSummit highlighted some of India’s efforts to encourage science and harness it for socio-economic change. pic.twitter.com/QzBNfvGKMb
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2020
We are fully committed to ensure more youngsters study science.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2020
There is a major role of science in realising our dream of an Aatmanirbhar Bharat. #VaibhavSummit pic.twitter.com/I3QgITv8eU