आप सभी का अभिनंदन।
नमस्कार!
मंत्रालय में मेरे सहयोगी किरन रिजिजू जी, मुरलीधरन जी, वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव के महासचिव डॉ. गंगाधरन जी, फिक्की के अध्यक्ष उदय शंकर जी, डॉ. संगीता रेड्डी जी।
प्रिय मित्रों,
चौथे वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव को संबोधित करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। यह जानकार काफी अच्छा लगा कि यहां कई विशेषज्ञ अपने विचारों और अनुभवों को साझा करने जा रहे हैं। इसमें प्रतिनिधत्व करने वाले देशों की संख्या 25 से अधिक है। यह एक अच्छा संकेत है। यह आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में लोगों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है। मैं इस मंच से दुनिया भर में आयुर्वेद पर काम करने वाले सभी लोगों के प्रयासों की सराहना करना चाहूंगा। उनके जुनून और दृढ़ता से पूरी मानवता को लाभ होगा।
मित्रों,
आयुर्वेद प्रकृति एवं पर्यावरण के लिए भारतीय संस्कृति के सम्मान के साथ करीब से जुड़ा हुआ है। हमारे ग्रंथों में आयुर्वेद का शानदार वर्णन करते हुए कहा गया है: हिता-हितम् सुखम् दुखम्, आयुः तस्य हिता-हितम्। मानम् च तच्च यत्र उक्तम्, आयुर्वेद स उच्यते।। यानी आयुर्वेद कई पहलुओं का ध्यान रखता है। यह स्वास्थ्य एवं दीर्घायु को सुनिश्चित करता है। आयुर्वेद को एक समग्र मानव विज्ञान के रूप में वर्णित किया जा सकता है। पौधों से लेकर आपकी थाली तक, शारीरिक ताकत से लेकर मानसिक स्वास्थ्य तक आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का प्रभाव अपार है।
मित्रों,
यह भी कहा गया है कि ‘स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं, आतुरस्य विकार प्रशमनं’। इसका अर्थ यह है कि आयुर्वेद मौजूदा बीमारियों का इलाज करने के अलावा शरीर के समग्र स्वास्थ्य की भी रक्षा करता है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आयुर्वेद रोग से ज्यादा नीरोग की बात करता है। यदि कोई वैद्य के पास जाता है तो उसे न केवल दवा दी जाती है बल्कि कुछ मंत्र भी दिया जाता है जैसे- भोजन करें आराम से, सब चिंता को मार। चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न आवे द्वार॥ इसका तात्पर्य यह है कि बिना किसी तनाव के भोजन का आनंद लें। भोजन के हरेक कौर का आनंद लें और उसे धैर्यपूर्वक चबाएं। ऐसा करने से आपको आपको फिर कभी वैद्यराज को घर नहीं बुलाना पड़ेगा यानी आप निरोग बने रहेंगे।
मित्रों,
मैंने जून 2020 में फाइनेंशियल टाइम्स का एक लेख पढ़ा था। शीर्षक था- कोरोनावायरस गीव्स ‘हेल्थ हैलो’ प्रोडक्ट्स अ बूस्ट यानी कोरोनावायरस से ‘स्वास्थ्यवर्धक’ उत्पादों को बढ़ावा। इसमें हल्दी, अदरक एवं अन्य मसालों को का उल्लेख किया गया था जिनकी मांग कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण लगातार बढ़ रही है। मौजूदा परिस्थिति आयुर्वेद एवं पारंपरिक दवाओं को वैश्विक स्तर पर कहीं अधिक लोकप्रिय होने के लिए उपयुक्त समय उपलब्ध कराती है। उनके प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। दुनिया यह देख रही है कि आधुनिक और पारंपरिक दोनों प्रकार की दवाएं किस प्रकार तंदुरुस्ती के लिए के लिए महत्वपूर्ण हैं। लोग आयुर्वेद और प्रतिरक्षा बेहतर करने में इसकी भूमिका के फायदों को महसूस कर रहे हैं। लोग काढ़ा, तुलसी, काली मिर्च को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना रहे हैं।
मित्रों,
आज पर्यटन की कई विशेषताएं हैं। लेकिन भारत आपको विशेष तौर पर वेलनेस टूरिज्म की पेशकश करता है, मैं एक बार फिर दोहराता हूं वेलनेस टूरिज्म। वेलनेस टूरिज्म का मूल सिद्धांत है – बीमारी का इलाज और आगे की तंदुरुस्ती। और जब मैं वेलनेस टूरिज्म के बारे में बात करता हूं तो इसका सबसे मजबूत स्तंभ आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा है। कल्पना कीजिए आप सुंदर राज्य केरल के हरे-भरे वातावरण में डिटॉक्स ले रहे हैं। कल्पना कीजिए कि आप उत्तराखंड में पहाड़ पर हवाओं के झोंकों के बीच एक खूबसूरत नदी तट पर योग कर रहे हैं। कल्पना कीजिए कि आप पूर्वोत्तर के हरे भरे जंगल में हैं। यदि आप अपने जीवन के तनाव से परेशान हैं तो समझ लीजिए कि आपको भारत की कालातीत संस्कृति को अपनाने का समय आ गया है। जब कभी आप अपने शरीर का इलाज करना चाहते हैं अथवा अपने मन का उपचार करना चाहते हैं तो भारत आएं।
मित्रों,
आयुर्वेद की लोकप्रियता के कारण हमारे सामने जबरदस्त अवसर मौजूद है। हमें इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए। पारंपरिक को आधुनिक के साथ मिलाने के फायदे हुए हैं। युवा पीढी तमाम आयुर्वेदिक उत्पादों का उपयोग कर रही है। आयुर्वेद को प्रमाण पर आधारित चिकित्सा विज्ञान के साथ एकीकृत करने की मांग बढ़ती जा रही है। इसी प्रकार आयुर्वेदिक पूरक की भी काफी चर्चा हो रही है। व्यक्तिगत देखभाल श्रेणी के उत्पाद आयुर्वेद पर केंद्रित हैं। इन उत्पादों की पैकेजिंग में काफी सुधार हुआ है। मैं अपने शिक्षाविदों से आह्वान करता हूं कि वे आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में गहन शोध करें। मैं हमारे जीवंत स्टार्ट-अप समुदाय से आग्रह करना चाहूंगा कि वे विशेष तौर पर आयुर्वेदिक उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करें। मैं विशेष तौर पर हमारे युवाओं को इस बात के लिए सराहना करना चाहूंगा कि उन्होंने हमारे पारंपरिक रूपों को एक ऐसी भाषा में प्रस्तुत करने का बीड़ा उठाया है जो वैश्विक स्तर पर समझी जाती है। जब मुझे लगता है कि हमारी भूमि का लोकाचार और हमारे युवाओं की उद्यम भावना चमत्कार कर सकती है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
मित्रों,
सरकार की ओर से मैं आयुर्वेद की दुनिया को पूरा समर्थन देने का आश्वासन देता हूं। भारत ने राष्ट्रीय आयुष मिशन की स्थापना की है। राष्ट्रीय आयुष मिशन को कम लागत वाली आयुष सेवाओं के जरिये आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है। यह शैक्षिक व्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए भी काम कर रहा है। यह आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी दवाओं के गुणवत्ता नियंत्रण के प्रवर्तन और कच्चे माल की सतत उपलब्धता सुनिश्चित करने की सुविधा भी प्रदान कर रहा है। सरकार भी गुणवत्ता नियंत्रण के कई उपायों को लागू करने की कोशिश कर रही है। आयुर्वेद एवं अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के बारे में हमारी नीति पहले से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2014-2023 के अनुरूप है। डब्ल्यूएचओ ने भारत में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना की भी घोषणा की है। हम इस कदम का स्वागत करते हैं। आपको यह जानकर खुशी होगी कि आयुर्वेद एवं चिकित्सा पद्धति के बारे में अध्ययन करने के लिए विभिन्न देशों के छात्र पहले से ही भारत आ रहे हैं। यह विश्व व्यापी कल्याण के बारे में सोचने का यह बिल्कुल सही समय है। संभवत: इस विषय पर एक वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा सकता है। हमें आने वाले समय में आयुर्वेद और अहार के बारे में भी सोचना चाहिए। आयुर्वेद से संबंधित खाद्य पदार्थ और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ के बारे में हमें सोचना चाहिए। आप में से बहुत से लोगों को यह पता होगा कि कुछ दिनों पहले संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया था। आइए हम बाजरा के लाभ के बारे में जागरूकता फैलाएं।
मित्रों,
मैं महात्मा गांधी के एक उद्धरण के साथ अपनी बात को खत्म करना चाहूंगा। मैंने कहा है कि मुझे लगता है कि आयुर्वेद कहीं अधिक प्रासंगिक है। यह भारत के उन प्राचीन विज्ञानों में से एक है जो हजारों गांवों के लाखों लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है। मैं हरेक नागरिक को आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीने की सलाह देता हूं। फार्मेसी, औषधालय और वैद्यराज, सभी को मेरा आशीर्वाद है कि वे आयुर्वेद को सर्वोत्तम सेवा प्रदान बनाने में समर्थ हो सकें। महात्मा गांधी ने निर्विवाद तौर पर करीब सौ साल से यह बात कही थी। लेकिन उनकी भावना अब भी अपेक्षाकृत कम है। आइए हम आयुर्वेद में अपनी उपलब्धियों के बारे में बताते रहें। आयुर्वेद को एक प्रेरणा शक्ति बनने दें जो दुनिया को हमारी भूमि तक लाने में समर्थ हो। यह हमारे युवाओं के लिए समृद्धि का अवसर भी पैदा कर सकता है। मैं इस सम्मेलन की पूरी सफलता की कामना करता हूं। सभी प्रतिभागियों को मेरी शुभकामनाएं।
धन्यवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
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एमजी/एएम/एसकेसी/डीवी
Speaking at the Global Ayurveda Festival. https://t.co/aZzSSHvTEz
— Narendra Modi (@narendramodi) March 12, 2021
India is the ideal place for wellness tourism and at the root of wellness tourism is Ayurveda and traditional medicines. pic.twitter.com/RzVnn7HQdO
— Narendra Modi (@narendramodi) March 12, 2021
Ayurveda products, our traditional medicines, spices and food items are gaining global popularity. pic.twitter.com/aOPAzYN9u6
— Narendra Modi (@narendramodi) March 12, 2021
This is the right time to think about Ayurveda and Aahaar- foods that are healthy and further wellness.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 12, 2021
One such effort was made at the UN a few days ago... pic.twitter.com/CfQQSOGcW9
Ayurveda could rightly be described as a holistic human science.
— PMO India (@PMOIndia) March 12, 2021
From the plants to your plate,
From matters of physical strength to mental well-being,
The impact and influence of Ayurveda and traditional medicine is immense: PM @narendramodi
There are many flavours of tourism today.
— PMO India (@PMOIndia) March 12, 2021
But, what India specially offers you is Wellness Tourism.
At the core of wellness tourism is the principle of - treat illness, further wellness.
And, when I talk about Wellness Tourism, its strongest pillar is Ayurveda: PM
On behalf of the Government, I assure full support to the world of Ayurveda.
— PMO India (@PMOIndia) March 12, 2021
India has set up the National Ayush Mission.
The National AYUSH Mission has been started to promote AYUSH medical systems through cost effective AYUSH services: PM @narendramodi