द्रुज़भा-दोस्ती; अगले दशक के दौरान भारत रूस भागीदारी मजबूत बनाने का दृष्टिकोण।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर वी पुतिन ने 11 दिसम्बर, 2014 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर दोनों देशों की 15वीं शिखर बैठक में भाग लेने के लिए भारत की सरकारी यात्रा की। इस शिखर बैठक के दौरान दोनों नेता अगले दशक के दौरान भारत-रूस भागीदारी मजबूत बनाने के दृष्टिकोण पर सहमत हुए। दोनों देशों के बीच प्रतिष्ठित सामरिक भागीदारी का उल्लेख करते हुए दोनों नेताओं ने इस बात पर बल दिया कि इस मैत्री को गुणवत्ता के नये स्तर पर ले जाने के लिए इसे महत्वपूर्ण व्यापक द्विपक्षीय सहयोग पर आधारित बनाने का समय आ गया है। भारत के विकास और सुरक्षा आवश्यकताओं में रूस के स्मरणीय योगदान की प्रशन्सा की गई। दोनों नेताओं ने विश्वास व्यक्त किया कि द्विपक्षीय सामरिक भागीदारी से दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा मिलता है और यह अधिक स्थिर और सुरक्षित विश्व व्यवस्था में योगदान देती है। दोनों देशों ने अगले दशक के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में पहल के माध्यम से भागीदारी मजबूत बनाने और द्वीपक्षीय संस्थागत विचार विमर्श के ढांचे को परिणाम उन्मुख और भविष्य के लिए उपयोगी बनाने का संकल्प व्यक्त किया।
ऊर्जा
ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों पक्ष तेल और गैस, इलेक्ट्रिक पावर उत्पादन, परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत और ऊर्जा कुशलता में आपसी सहयोगों कई गुना वृद्धि करेंगे। दोनों नेताओं ने दोनों देशों की तेल कंपनियों के बीच तेल और गैस के खनन और उत्पादन और एलएनजी परियोजनाओं तथा संबंधित आपूर्ति के लिए व्यापक सहयोग के प्रावधान पर उपयोगी चर्चा की। उम्मीद है कि भारतीय कंपनियां रूस के क्षेत्र में नये तेल और गैस क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं में भाग लेंगी। दोनों पक्ष रूस और भारत को पेट्रोल और तेल पाइपलाइन प्रणाली से जोड़ने की संभावना का अध्ययन करेंगी। दोनों देशों का मानना है कि परमाणु ऊर्जा स्वच्छ, विश्वसनीय और व्यवहार्य ऊर्जा स्रोत हैं। दोनों देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उद्योग, उपकरणों और हिस्से पुर्जों के स्थानीयकरण यूरेनियम खनन परमाणु ईंधन की आपूर्ति, इस्तेमाल किए गए ईंधन के प्रबंधन और परमाणु ईंधन के चक्र के अन्य पहलुओं में सहयोग का विस्तार करेंगे। भारत और रूस नवीकरणीय ऊर्जा के विकास और उसके कुशल उपयोग में भी सहयोग करेंगे।
Wonderful day with President Putin. Our meeting was comprehensive. India’s partnership with Russia is incomparable. pic.twitter.com/YZJiREw5oN
— Narendra Modi (@narendramodi) December 11, 2014
Sharing my remarks at the joint press conference with President Putin. http://t.co/B7Kd5IOwWQ @KremlinRussia_E pic.twitter.com/qfSrakMUk8
— NarendraModi(@narendramodi) December 11, 2014
प्रौद्योगिकी और नवोन्मेश
भारत और रूस प्रौद्योगिकी की मदद से बने उत्पादों संयुक्त रूप से डिजाइन, विकास, विनिर्माण, विपणन में सहयोग बढ़ाएंगे और दोनों देशों के बीच अधिक वैज्ञानिक विचार-विमर्श किया जाएगा। ऐसे सहयोग को अंतरिक्ष अनुप्रयोग, रक्षा प्रौद्योगिकियों, विमानन, नई प्रौद्योगिकियों, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी तक आगे ले जाया जाएगा। दोनों नेताओं का मानना है कि उन्नत अनुप्रयोगों और वैज्ञानिक ज्ञान के बाहरी अंतरिक्ष में इस्तेमाल से आपसी सहयोग में अनन्त संभावनाएं हैं। मौजूदा सैन्य तकनीकी सहयोग समझौतों के अनुसार सयुंक्त अनुसंधान और विकास, संयुक्त विनिर्माण, प्रौद्योगिकी साझा करने और भावी प्रौद्योगिकियों में सहयोगी अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के भी अपार अवसर हैं। इसलिए भारत ने रक्षा क्षेत्र मे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 49 प्रतिशत तक किए जाने कि अनुमति दी है। दोनों देश अपने लिए अर्थव्यवस्थाओं के लिए अत्यंत प्रासंगिक ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए क्षमता निर्माण के मकसद से वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी जनशक्ति का आदान-प्रदान करेंगे। दोनों पक्ष दुर्लभ पृथ्वी सामग्रियों के प्रसंस्करण के प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास की भी संभावना तलाशेंगे।
विस्तारित आर्थिक सहयोग
दोनों पक्ष विश्व अर्थव्यवस्था में उभरते बाजारों की बढ़ती भूमिका में योगदान के लिए द्विपक्षीय आर्थिक, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देंगे। उम्मीद है कि रूसी कंपनियां भारतीय क्षेत्र में व्यापक उद्योगों में अवसरों का इस्तेमाल कर मेक इन इंडिया कार्यक्रम को गति देंगी। दोनों पक्ष द्वीपक्षीय व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं के भुगतान को प्रोत्साहन देंगे। दोनों नेताओं ने भारत की पहल और यूरेशियन आर्थिक आयोग के लिए संयुक्त अध्ययन दल द्वारा वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार, निवेश, सहयोग, मानकों की आपसी मान्यता के लिए व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते कि व्यवहार्यता का पता लगाने पर सहमति व्यक्त की। दोनों नेताओं ने महसूस किया कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे से पारगमन समय और भाड़े की लागत में महत्वपूर्ण कटौती होगी और द्वीपक्षीय व्यापार की कुशलता में व्यापक सुधार आएगा। भारत में डीएमआईसी, स्मार्ट सिटीज और भाड़ा गलियारे तथा दूरसंचार, बिजली और सड़कों जैसे व्यापक क्षेत्रों में रूस के निवेश को प्रोत्साहित करने को बल दिया जाएगा। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि आपसी व्यापार सुविधा उपाय किए जाएं और खास तौर पर तटकर प्रक्रियाओं को आसान बनाया जाए। वे जल्द ही ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के समझौते को भी अंतिम रूप देने पर सहमत हुए। दोनों नेताओं ने और शहरों तथा अन्य क्षेत्रों के बीच संपर्क को प्रोत्साहन देने की जरूरत बतायी ताकि व्यापार और निवेश, पर्यटन सांस्कृतिक और लोगों के संपर्क को बढ़ाया जा सके। दोनों पक्ष द्वीपक्षीय व्यापार को आने वाले वर्षों में बढ़ाने और वस्तुओं और सेवा के द्वीपक्षीय कारोबार को 2025 तक 30 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने को सहमत हुए। ये उम्मीद है कि तब तक आपसी निवेश भी दोनों ओर बढ़कर 15 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा।
वैश्विक व्यावस्था और विश्व शांति
दोनों देश वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक वित्तीय और सामाजिक संस्थानों के लोकतंत्रीकरण के लिए काम करेंगे ताकि यें संस्थान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सभी वर्गों की आंकाक्षाओं और हितों का बेहतर प्रतिनिधित्व कर सकें। भारत और रूस ने उन आर्थिक प्रतिबंधों का विरोध किया जिन के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनुमति नहीं है। दोनों देशों ने सुरक्षा परिषद को उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण और कारगर बनाने का संकल्प दोहराया। दोनों देश सुरक्षा परिषद में सुधार सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे। सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए रूस अपना समर्थन देगा। दोनों देश जी-20, ईएएस, ब्रिक्स और आरआईसी में एक दूसरे से परामर्श करेंगे और तालमेल से काम करेंगे। दोनों नेताओं ने भारत में जम्मू-कश्मीर और रूस में चेचन्या में आतंकी हमलों में मारे गये व्यक्तियों के प्रति शोक व्यक्त किया। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि आतंकियों के छिपने के सुरक्षित स्थानों को बिना किसी देरी के नष्ट किया जा सकेगा। और एक दशक के भीतर साझा क्षेत्र से आतंकवाद का पूरा सफाया किया जा सकेगा। दोनों देशों ने यह भी उम्मीद जाहिर की कि एक दशक के भीतर अफगानिस्तान समृद्ध होगा और व्यापार, ऊर्जा और उद्योग का बड़ा केन्द्र बन जाएगा। भारत और रूस के व्यापक विनाश के हथियारों के अप्रसार पर साझा हित हैं।
दोनों देशों की जनता के बीच संबंध
दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक वार्षिक महोत्सवों, सांस्कृतिक संस्थाओं के आदान-प्रदान, विचारकों, पर्यटन संवर्धन आयोजनों और अन्य पहल से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाने का महत्व रेखांकित किया। दोनों देश शिक्षा के क्षेत्र में संबंधों को मजबूत बनाने के उपाय करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय खेल के मुद्दे पर भी दोनों देश आपसी संपर्क और विचार-विमर्श जारी रखेंगे। दोनों देश भारत के पारंपरिक योगा और आयुर्वेद के जरिए स्वास्थ्य और सक्रियता को बढ़ावा देने के लिए सहयोग को प्रोत्साहन देंगे। रूस ने भारत द्वारा वीजा नियमों को सरल बनाने का स्वागत किया।
द्वीपक्षीय परिपेक्ष
दोनों पक्षों के बीच हुए विस्तृत समझौतों और विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा और समझौतों से दोनों नेताओं के बीच विश्वास जगा है कि आपसी भागीदारी एक ऐसे शिखर तक पहुंचेगी जिससे दोनों देशों के लोगों की आकाक्षाओं को पूरा किया जा सकेगा। भारत और रूस की मैत्री समय की कसौटी पर खरी उतरी है और यह पूर्ण विश्वास पर आधारित है। इससे दोनों देशों के लोगों में खुशी और खुशहाली आएगी।