प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रपति भवन में राज्यपाल सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि संविधान की पवित्रता को कायम रखते हुए सभी राज्यपाल समाज में बदलाव के उत्प्रेरक प्रतिनिधि बन सकते हैं। वर्ष 2022 तक नए भारत के लक्ष्य का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जन आंदोलन बनाकर ही यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने राज्यपालों को इस संबंध में छात्रों और शिक्षकों से ज्यादा बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही आयोजित हैकाथॉन का उदाहरण दिया, जिसमें छात्रों ने कई समस्याओं के तकनीकी समाधान प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को नवाचार का केंद्र बनना चाहिए।
इसी तरह, उन्होंने कहा कि हर राज्य में युवाओं को एक खेल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने राज्यपालों को स्वच्छता अथवा साफ-सफाई के उद्देश्य को लेकर उदाहरण पेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, हम भारत को खुले में शौच से मुक्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। महात्मा गांधी जिनकी 2019 में 150वीं जयंती मनाई जाएगी, वह इसके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि त्योहार और वर्षगांठ बदलाव की खोज में बड़ी प्रेरणा और ऊर्जा का साधन बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल बैंकों को मुद्रा के तहत आदिवासियों, दलितों और महिलाओं को कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, विशेषकर 26 नवंबर को संविधान दिवस और 6 दिसंबर को अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस के बीच की समयावधि के दौरान।
प्रधानमंत्री ने केंद्र शासित राज्यों के उपराज्यपालों को सौर ऊर्जा, डीबीटी जैसे क्षेत्रों में उनके द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को साझा करने और केंद्र शासित राज्यों को केरोसिन मुक्त बनाने के लिए भी प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इन उपलब्धियों का विस्तार सभी केंद्र शासित राज्यों में तेजी से होना चाहिए।
Joined the Conference of Governors at Rashtrapati Bhavan. Here are the highlights of my remarks. https://t.co/hp8J1y3pok
— Narendra Modi (@narendramodi) October 12, 2017