मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। कल माघ पूर्णिमा का पर्व था। माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है :-
“माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति।|”
अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है। दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है। नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहाँ और ज्यादा मिलता है। भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो। माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है। पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श, जीवन के लिये जरुरी है, विकास के लिये जरुरी है।
साथियो, माघ महीने को जल से जोड़ने का संभवतः एक और भी कारण है, इसके बाद से ही, सर्दियाँ खत्म हो जाती हैं, और, गर्मियों की दस्तक होने लगती है, इसलिए पानी के संरक्षण के लिये, हमें, अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए। कुछ दिनों बाद मार्च महीने में ही 22 तारीख को ‘World Water Day’ भी है।
मुझे U.P. की आराध्या जी ने लिखा है कि दुनिया में करोड़ों लोग, अपने जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा पानी की कमी को पूरा करने में ही लगा देते हैं। ‘बिन पानी सब सून’, ऐसे ही नहीं कहा गया है। पानी के संकट को हल करने के लिये एक बहुत ही अच्छा message पश्चिम बंगाल के ‘उत्तर दीनाजपुर’ से सुजीत जी ने मुझे भेजा है। सुजीत जी ने लिखा है कि प्रकृति ने जल के रूप में हमें एक सामूहिक उपहार दिया है इसलिए इसे बचाने की जिम्मेदारी भी सामूहिक है। ये बात सही है जैसे सामूहिक उपहार है, वैसे ही सामूहिक उत्तरदायित्व भी है। सुजीत जी की बात बिलकुल सही है। नदी, तालाब, झील, वर्षा या जमीन का पानी, ये सब, हर किसी के लिये हैं।
साथियो, एक समय था जब गाँव में कुएं, पोखर, इनकी देखभाल, सब मिलकर करते थे, अब ऐसा ही एक प्रयास, तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में हो रहा है। यहाँ स्थानीय लोगों ने अपने कुओं को संरक्षित करने के लिये अभियान चलाया हुआ है। ये लोग अपने इलाके में वर्षों से बंद पड़े सार्वजनिक कुओं को फिर से जीवित कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश के अगरोथा गाँव की बबीता राजपूत जी भी जो कर रही हैं, उससे आप सभी को प्रेरणा मिलेगी। बबीता जी का गाँव बुंदेलखंड में है। उनके गाँव के पास कभी एक बहुत बड़ी झील थी जो सूख गई थी। उन्होंने गाँव की ही दूसरी महिलाओं को साथ लिया और झील तक पानी ले जाने के लिये एक नहर बना दी। इस नहर से बारिश का पानी सीधे झील में जाने लगा। अब ये झील पानी से भरी रहती है।
साथियो, उत्तराखंड के बागेश्वर में रहने वाले जगदीश कुनियाल जी का काम भी बहुत कुछ सिखाता है। जगदीश जी का गाँव और आस-पास का क्षेत्र पानी की जरूरतों के लिये के एक प्राकृतिक स्रोत्र पर निर्भर था। लेकिन कई साल पहले ये स्त्रोत सूख गया। इससे पूरे इलाके में पानी का संकट गहराता चला गया। जगदीश जी ने इस संकट का हल वृक्षारोपण से करने की ठानी। उन्होंने पूरे इलाके में गाँव के लोगों के साथ मिलकर हजारों पेड़ लगाए और आज उनके इलाके का सूख चुका वो जलस्त्रोत फिर से भर गया है।
साथियो, पानी को लेकर हमें इसी तरह अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को समझना होगा। भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई-जून में बारिश शुरू होती है। क्या हम अभी से अपने आसपास के जलस्त्रोतों की सफाई के लिये, वर्षा जल के संचयन के लिये, 100 दिन का कोई अभियान शुरू कर सकते हैं ? इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान – ‘Catch the Rain’ भी शुरू किया जा रहा है। इस अभियान का मूल मन्त्र है – ‘Catch the rain, where it falls, when it falls.’। हम अभी से जुटेंगे, हम पहले से जो rain water harvesting system है उन्हें दुरुस्त करवा लेंगे, गांवो में, तालाबों में, पोखरों की, सफाई करवा लेंगे, जलस्त्रोतों तक जा रहे, पानी के रास्ते की रुकावटें, दूर, कर लेंगे तो ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल का संचयन कर पायेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियो, जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती। ये नाम है संत रविदास जी का। माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती होती है। आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है।
उन्होंने कहा था-
एकै माती के सभ भांडे,
सभ का एकौ सिरजनहार।
रविदास व्यापै एकै घट भीतर,
सभ कौ एकै घड़ै कुम्हार।|
हम सभी एक ही मिट्टी के बर्तन हैं, हम सभी को एक ने ही गढ़ा है। संत रविदास जी ने समाज में व्याप्त विकृतियों पर हमेशा खुलकर अपनी बात कही। उन्होंने इन विकृतियों को समाज के सामने रखा, उसे सुधारने की राह दिखाई और तभी तो मीरा जी ने कहा था –
‘गुरु मिलिया रैदास, दीन्हीं ज्ञान की गुटकी’।
ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूँ। संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है।
साथियो, रविदास जी कहते थे-
करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस।
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास।|
अर्थात् हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, यानी, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है। हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरुर सीखनी चाहिए। युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को, पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए। अपने तौर तरीके भी खुद बनाइए और अपने लक्ष्य भी खुद ही तय करिए। अगर आपका विवेक, आपका आत्मविश्वास मजबूत है तो आपको दुनिया में किसी भी चीज से डरने की जरुरत नहीं है। मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ क्योंकि कई बार हमारे युवा एक चली आ रही सोच के दबाव में वो काम नहीं कर पाते, जो करना वाकई उन्हें पसंद होता है। इसलिए आपको कभी भी नया सोचने, नया करने में, संकोच नहीं करना चाहिए। इसी तरह, संत रविदास जी ने एक और महत्वपूर्ण सन्देश दिया है। ये सन्देश है ‘अपने पैरों पर खड़ा होना’। हम अपने सपनों के लिये किसी दूसरे पर निर्भर रहें ये बिलकुल ठीक नहीं है। जो जैसा है वो वैसा चलता रहे, रविदास जी कभी भी इसके पक्ष में नहीं थे और आज हम देखते है कि देश का युवा भी इस सोच के पक्ष में बिलकुल नहीं है। आज जब मैं देश के युवाओं में innovative spirit देखता हूँ तो मुझे लगता है कि हमारे युवाओं पर संत रविदास जी को जरुर गर्व होता।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘National Science Day’ भी है। आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सी.वी. रमन जी द्वारा की गई ‘Raman Effect’ खोज को समर्पित है। केरल से योगेश्वरन जी ने NamoApp पर लिखा है कि Raman Effect की खोज ने पूरी विज्ञान की दिशा को बदल दिया था। इससे जुड़ा हुआ एक बहुत अच्छा सन्देश मुझे नासिक के स्नेहिल जी ने भी भेजा है। स्न्नेहिल जी ने लिखा है कि हमारे देश के अनगिनत वैज्ञानिक हैं, जिनके योगदान के बिना साइंस इतनी प्रगति नहीं कर सकती थी। हम जैसे दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों के बारे में जानते हैं, वैसे ही, हमें, भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए। मैं भी ‘मन की बात’ के इन श्रोताओं की बात से सहमत हूँ। मैं जरुर चाहूँगा कि हमारे युवा, भारत के वैज्ञानिक – इतिहास को, हमारे वैज्ञानिकों को जाने, समझें और खूब पढ़ें।
साथियो, जब हम science की बात करते हैं तो कई बार इसे लोग physics-chemistry या फिर labs तक ही सीमित कर देते हैं, लेकिन, science का विस्तार तो इससे कहीं ज्यादा है और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में science की शक्ति का बहुत योगदान भी है। हमें science को Lab to Land के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा।
उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी हैं। रेड्डी जी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार ‘विटामिन-डी’ की कमी से होने वाली बीमारियाँ और इसके खतरों के बारे में बताया। रेड्डी जी किसान हैं, उन्होंने सोचा कि वो इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं ? इसके बाद उन्होंने मेहनत की और गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था।
ऐसे ही बहुत Innovative तरीके से लद्दाख के उरगेन फुत्सौग भी काम कर रहे हैं। उरगेन जी इतनी ऊंचाई पर Organic तरीके से खेती करके करीब 20 फसलें उगा रहे हैं वो भी cyclic तरीके से, यानी वो, एक फसल के waste को, दूसरी फसल में, खाद के तौर पर, इस्तेमाल कर लेते हैं। है न कमाल की बात।
इसी तरह गुजरात के पाटन जिले में कामराज भाई चौधरी ने घर में ही सहजन के अच्छे बीज विकसित किए हैं। सहजन को कुछ लोग सर्गवा बोलते हैं, इसे मोरिंगा या drum stick भी कहा जाता है। अच्छे बीजों की मदद से जो सहजन पैदा होता है, उसकी quality भी अच्छी होती है। अपनी उपज को वो अब तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल भेजकर, अपनी आय भी बढ़ा रहे हैं।
साथियो, आजकल Chia seeds (चिया सीड्स) का नाम आप लोग बहुत सुनते होंगे। Health awareness से जुड़े लोग इसे काफी महत्व देते हैं और दुनिया में इसकी बड़ी मांग भी है। भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मगाते हैं, लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं। ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है। Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी।
साथियो, Agriculture waste से wealth create करने के भी कई प्रयोग देशभर में सफलतापूर्वक चल रहे हैं। जैसे, मदुरै के मुरुगेसन जी ने केले के waste से रस्सी बनाने की एक मशीन बनाई है। मुरुगेसन जी के इस innovation से पर्यावरण और गंदगी का भी समाधान होगा, और किसानों के लिए अतिरिक्त आय का रास्ता भी बनेगा।
साथियो, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को इतने सारे लोगों के बारे में बताने का मेरा मकसद यही है कि हम सभी इनसे प्रेरणा लें। जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा, हर क्षेत्र में करेगा, तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा। और मुझे विश्वास है, ये देश का हर नागरिक कर सकता है।
मेरे प्यारे साथियो, कोलकाता के रंजन जी ने अपने पत्र में बहुत ही दिलचस्प और बुनियादी सवाल पूछा है, और साथ ही, बेहतरीन तरीके से उसका जवाब भी देने की कोशिश की है। वे लिखते हैं कि जब हम आत्मनिर्भर होने की बात करते हैं, तो इसका हमारे लिए क्या अर्थ होता है ? इसी सवाल के जवाब में उन्होंने खुद ही आगे लिखा है कि – ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ केवल एक Government policy नहीं है, बल्कि एक National spirit है। वो मानते हैं कि आत्मनिर्भर होने का अर्थ है कि अपनी किस्मत का फैसला खुद करना यानि स्वयं अपने भाग्य का नियंता होना। रंजन बाबू की बात सौ-टका सही है। उनकी बात को आगे बढ़ाते हुये मैं ये भी कहूँगा कि आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है – अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक National spirit बन जाता है। जब आसमान में हम अपने देश में बने Fighter Plane Tejas को कलाबाजियाँ खाते देखते हैं, जब भारत में बने टैंक, भारत में बनी मिसाइलें, हमारा गौरव बढ़ाते हैं, जब समृद्ध देशों में हम Metro Train के Made in India coaches देखते हैं, जब दर्जनों देशों तक Made in India कोरोना वैक्सीन को पहुँचते हुए देखते हैं, तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है। और ऐसा ही नहीं है कि बड़ी-बड़ी चीजें ही भारत को आत्मनिर्भर बनाएँगी। भारत में बने कपड़े, भारत के talented कारीगरों द्वारा बनाया गया Handicraft का समान, भारत के Electronic उपकरण, भारत के मोबाइल, हर क्षेत्र में, हमें, इस गौरव को बढ़ाना होगा। जब हम इसी सोच के साथ आगे बढ़ेंगे, तभी सही मायने में आत्मनिर्भर बन पाएंगे और साथियो, मुझे खुशी है कि आत्मनिर्भर भारत का ये मंत्र, देश के गाँव-गाँव में पहुँच रहा है। बिहार के बेतिया में यही हुआ है, जिसके बारे में मुझे मीडिया में पढ़ने को मिला।
बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी, दिल्ली में एक Technician के रूप में LED Bulb बनाने वाली Factory में काम करते थे, उन्होंने इस factory में कार्य करने के दौरान पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझा । लेकिन कोरोना के दौरान प्रमोद जी को अपने घर वापस लौटना पड़ा। आप जानते हैं लौटने के बाद प्रमोद जी ने क्या किया ? उन्होंने खुद LED Bulb बनाने की एक छोटी-सी unit ही शुरू कर दी। उन्होंने अपने क्षेत्र के कुछ युवाओं को साथ लिया और कुछ ही महीनों में Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक का सफर पूरा कर दिया। वह भी अपने ही घर में रहते हुये।
एक और उदाहरण है – यूपी के गढ़मुक्तेश्वर का। गढ़मुक्तेश्वर से श्रीमान संतोष जी ने लिखा है कि कैसे कोरोना काल में उन्होंने आपदा को अवसर में बदला। संतोष जी के पुरखे शानदार कारीगर थे, चटाई बनाने का काम करते थे। कोरोना के समय जब बाकी काम रुके तो इन लोगों ने बड़ी ऊर्जा और उत्साह के साथ चटाई बनाना शुरू किया। जल्द ही, उन्हें न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि दूसरे राज्यों से भी चटाई के order मिलने शुरू हो गए। संतोष जी ने यह भी बताया है इससे इस क्षेत्र की सैकड़ों साल पुरानी खूबसूरत कला को भी एक नई ताकत मिली है।
साथियो, देशभर में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां लोग, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में, इसी तरह, अपना योगदान दे रहे हैं। आज यह एक भाव बन चुका है, जो आम जनों के दिलों में प्रवाहित हो रहा है।
मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post देखी। वे Passionate Bird Watcher और Nature Lover हैं। मयूर जी ने लिखा है कि मैं तो हरियाणा में रहता हूँ, लेकिन, मैं चाहता हूँ कि आप, असम के लोगों, और विशेष रूप से, Kaziranga के लोगों की चर्चा करें। मुझे लगा कि मयूर जी, Rhinos के बारे में बात करेंगे, जिन्हें वहाँ का गौरव कहा जाता है। लेकिन मयूर जी ने काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है। मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी। ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह। Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है। इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है। अभी दो-तीन सप्ताह पहले ही survey फिर हुआ है। आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है। इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है। इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है। वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये। आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे। अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है। श्री जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है। वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं।
साथियो, असम में हमारे मंदिर भी, प्रकृति के संरक्षण में, अपनी अलग ही भूमिका निभा रहे हैं, यदि आप, हमारे मंदिरों को देखेंगे, तो पाएंगे कि हर मंदिर के पास तालाब होता है। हजो स्थित हयाग्रीव मधेब मंदिर, सोनितपुर के नागशंकर मंदिर और गुवाहाटी में स्थित उग्रतारा Temple के पास इस प्रकार के कई तालाब हैं। इनका उपयोग विलुप्त होते कछुओं की प्रजातियों को बचाने के लिए किया जा रहा है। असम में कछुओं की सबसे अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। मंदिरों के ये तालाब कछुओं के संरक्षण, प्रजनन और उनके बारे में प्रशिक्षण के लिए एक बेहतरीन स्थल बन सकते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ लोग समझते हैं कि Innovation करने के लिए आपका Scientist होना जरूरी है, कुछ सोचते हैं कि दूसरों को कुछ सिखाने के लिए आपका Teacher होना जरूरी है। इस सोच को चुनौती देने वाले व्यक्ति हमेशा सराहनीय होते हैं। अब जैसे, क्या कोई, किसी को, Soldier बनने के लिए प्रशिक्षित करता है, तो क्या उसको सैनिक होना जरूरी है ? आप सोच रहे होंगे कि हाँ, जरुरी है। लेकिन यहाँ थोड़ा-सा Twist है।
MyGov पर कमलकांत जी ने मीडिया की एक रिपोर्ट साझा की है, जो कुछ अलग बात कहती है। ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर। वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं। दरअसल वे Man on a Mission हैं। वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं। नायक सर के Organization का नाम महागुरु Battalion है। इसमें Physical Fitness से लेकर Interviews तक और Writing से लेकर Training तक, इन सभी पहलुओं के बारे में बताया जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया है, उन्होंने थल सेना, जल सेना, वायु सेना, CRPF, BSF ऐसे uniform forces में अपनी जगह बनाई है। वैसे आप ये जानकर भी आश्चर्य से भर जाएंगे कि सिलू नायक जी ने खुद ओडिशा पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, इसके बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दम पर अनेक युवाओं को राष्ट्र सेवा के योग्य बनाया है। आइए, हम सब मिलकर नायक सर को शुभकामना दें कि वह हमारे देश के लिए और अधिक नायकों को तैयार करें।
साथियो, कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है। ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत simple होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं। कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी जी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि – आप इतने साल से पी.एम. हैं, इतने साल सी.एम. रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई। अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी। मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा – तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया। यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है। बहुत से लोगों ने मुझे तमिल literature की quality और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है। भारत ऐसी अनेक भाषाओँ की स्थली है, जो हमारी संस्कृति और गौरव का प्रतीक है। भाषा के बारे में बाते करते हुए, मैं एक छोटी सी interesting clip आप सबके साथ साझा करना चाहता हूँ।
## (sound clip Statue of Unity)
दरअसल अभी जो आप सुन रहे थे, वो statue of unity पर एक Guide, संस्कृत में लोगों को सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के बारे में बता रही हैं। आपको जानकर खुशी होगी कि केवड़िया में 15 से ज्यादा Guide, धारा प्रवाह संस्कृत में लोगों को गाइड करते हैं। अब मैं आपको एक और आवाज सुनवाता हूं –
## (sound clip Cricket commentary)
आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है। वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है। ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट। इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है। अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया। यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं। यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है। हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं। मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा।
मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी। आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है । किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले। Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है । आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे। हम सब मिलकर यह करने वाले है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’। लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें। आप MyGov पर share कर सकते हैं। NarendraModi App पर share कर सकते हैं। इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है। कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं। आप भी आज ही participate कीजिये। इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी। आप इनको ज़रूर try करके देखिए। सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
मेरे प्यारे देशवासियो, मार्च का महीना हमारे financial year का आखिरी महीना भी होता है, इसलिए, आप में से बहुत से लोगों के लिए काफी व्यस्तता भी रहेगी। अब जिस तरह से देश में आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं उससे हमारे व्यापारी और उद्यमी साथियों की व्यस्तता भी बहुत बढ़ रही है। इन सारे कार्यों के बीच हमें कोरोना से सावधानी कम नहीं करनी है। आप सब स्वस्थ रहेंगे, खुश रहेंगे, कर्त्तव्य पथ पर डटे रहेंगे, तो देश तेजी से आगे बढ़ता रहेगा।
आप सभी को त्योहारों की अग्रिम शुभकामनायें, साथ-साथ कोरोना के सम्बन्ध में जो भी नियमों का पालन करना उसमें कोई ढिलाई नहीं आनी चाहिये। बहुत-बहुत धन्यवाद।
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DS/AJ/RSB/VK
Watch LIVE. #MannKiBaat February 2021 begins with an interesting discussion on water conservation. https://t.co/JK3P3s3fCC
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Water has been crucial for the development of humankind for centuries. #MannKiBaat pic.twitter.com/U8oYlvJDk9
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This is the best time to think about water conservation in the summer months ahead. #MannKiBaat pic.twitter.com/dvPb4Q0MvK
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We bow to Sant Ravidas Ji on his Jayanti.
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His thoughts inspire us. #MannKiBaat pic.twitter.com/u6BV7zBrc3
Sant Ravidas Ji spoke directly and honestly about various issues.
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He was fearless. #MannKiBaat pic.twitter.com/PgyF0Vn2xe
Sant Ravidas Ji taught us- keep working, do not expect anything...when this is done there will be satisfaction.
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He taught people to go beyond conventional thinking. #MannKiBaat pic.twitter.com/gHuUX4AG05
Think afresh and do new things! #MannKiBaat pic.twitter.com/BIjEoomlKg
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Sant Ravidas Ji did not want people dependant on others.
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He wanted everyone to be independent and innovative. #MannKiBaat pic.twitter.com/8gBHkrEjVR
During #MannKiBaat, PM conveys greetings on National Science Day and recalls the works of Dr. CV Raman. pic.twitter.com/8MFs2edq1y
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Let us make science more popular across India. #MannKiBaat pic.twitter.com/vzU48sXp8N
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Instances of innovation across India. #MannKiBaat pic.twitter.com/PFOmP2jysa
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Aatmanirbhar Bharat is not merely a Government efforts.
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It is the national spirit of India. #MannKiBaat pic.twitter.com/Vs4JIUA0vz
Mayur Ji from Gurugram wants PM @narendramodi to highlight and appreciate the people of Assam.
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Here is why...#MannKiBaat pic.twitter.com/1o9KB2WKxw
Commendable work by Temples of Assam towards environmental conservation. #MannKiBaat pic.twitter.com/Bny8uLviHn
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Meet Nayak Sir from Odisha.
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He is doing something unique. #MannKiBaat pic.twitter.com/KsY7iT5hXC
कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी जी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा | उन्होंने कहा कि – आप इतने साल से पी.एम. हैं, इतने साल सी.एम. रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई | अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी : PM @narendramodi #MannKiBaat
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मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा – तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया : PM @narendramodi #MannKiBaat
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यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है | बहुत से लोगों ने मुझे तमिल literature की quality और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है : PM @narendramodi #MannKiBaat
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In the run up to #MannKiBaat, I was asked if there was something I missed out on during these long years as CM and PM.
— PMO India (@PMOIndia) February 28, 2021
I feel - it is a regret of sorts that I could not learn the world's oldest language Tamil. Tamil literature is beautiful: PM @narendramodi
कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है | ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत simple होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं : PM @narendramodi #MannKiBaat
— PMO India (@PMOIndia) February 28, 2021
Exams are coming back and so is #PPC2021. pic.twitter.com/jEcC1VVPjv
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"I have updated the #ExamWarriors book.
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New Mantras have been added and there are interesting activities too."
says PM @narendramodi during #MannKiBaat pic.twitter.com/yZOaFHakFz