साथियो, देश की इस सफलता के पीछे, देश की युवा-शक्ति, देश के talent और सरकार, सभी मिलकर के प्रयास कर रहे हैं, हर किसी का योगदान है, लेकिन, इसमें एक और बात महत्वपूर्ण है, वो है, Start-Up World में, right mentoring, यानी, सही मार्गदर्शन। एक अच्छा mentor Start-Up को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है। वह founders को right decision के लिए हर तरह से guide कर सकता है। मुझे, इस बात का गर्व है कि भारत में ऐसे बहुत से mentors हैं जिन्होंने Start-Ups को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है।
श्रीधर वेम्बू जी को हाल ही में पद्म सम्मान मिला है। वह खुद एक सफल entrepreneur हैं, लेकिन अब उन्होंने, दूसरे entrepreneur को groom करने का भी बीड़ा उठाया है। श्रीधर जी ने अपना काम ग्रामीण इलाके से शुरू किया है। वे, ग्रामीण युवाओं को गाँव में ही रहकर इस क्षेत्र में कुछ करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। हमारे यहाँ मदन पडाकी जैसे लोग भी हैं जिन्होंने rural entrepreneurs को बढ़ावा देने के लिए 2014 में One-Bridge नाम का platform बनाया था। आज, One-Bridge दक्षिण और पूर्वी-भारत के 75 से अधिक जिलों में मौजूद है। इससे जुड़े 9000 से अधिक rural entrepreneurs ग्रामीण उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएँ उपलब्ध करा रहे हैं। मीरा शेनॉय जी भी ऐसी ही एक मिसाल है। वो Rural, Tribal और disabled youth के लिए Market Linked Skills Training के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं। मैंने यहाँ तो कुछ ही नाम लिए हैं, लेकिन, आज हमारे बीच mentors की कमी नहीं है। हमारे लिए यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि Start-Up के लिए आज देश में एक पूरा support system तैयार हो रहा है। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में हमें भारत के Start-Up World के प्रगति की नई उड़ान देखने को मिलेगी।
साथियो, कुछ दिनों पहले मुझे एक ऐसी interesting और attractive चीज़ मिली, जिसमें देशवासियों की creativity और उनके artistic talent का रंग भरा है। एक उपहार है, जिसे, तमिलनाडु के Thanjavur के एक Self-Help Group ने मुझे भेजा है। इस उपहार में भारतीयता की सुगंध है और मातृ-शक्ति के आशीर्वाद – मुझ पर उनके स्नेह की भी झलक है। यह एक special Thanjavur Doll है, जिसे GI Tag भी मिला हुआ है। मैं Thanjavur Self-Help Group को विशेष धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मुझे स्थानीय संस्कृति में रचे-बसे इस उपहार को भेजा। वैसे साथियो, ये Thanjavur Doll जितनी खूबसूरत होती है, उतनी ही खूबसूरती से, ये, महिला सशक्तिकरण की नई गाथा भी लिख रही है। Thanjavur में महिलाओं के Self-Help Groups के store और kiosk भी खुल रहे हैं। इसकी वजह से कितने ही गरीब परिवारों की जिंदगी बदल गई है। ऐसे kiosk और stores की सहायता से महिलाएँ अब अपने product, ग्राहकों को सीधे बेच पा रही हैं। इस पहल को ‘थारगईगल कइविनई पोरुत्तकल विरप्पनई अंगाड़ी’ नाम दिया गया है। ख़ास बात ये है कि इस पहल से 22 Self-Help Group जुड़े हुए हैं। आपको ये भी जानकार अच्छा लगेगा कि महिला Self-Help Groups, महिला स्वयं सहायता समूह के ये store Thanjavur में बहुत ही prime location पर खुले हैं। इनकी देखरेख की पूरी जिम्मेदारी भी महिलाएँ ही उठा रही हैं। ये महिला Self Help Group Thanjaur Doll और Bronze Lamp जैसे GI Product के अलावा खिलौने, mat और Artificial Jewellery भी बनाते हैं। ऐसे स्टोर की वजह से, GI Product के साथ-साथ Handicraft के Products की बिक्री में काफी तेजी देखने को मिली है। इस मुहिम की वजह से न केवल कारीगरों को बढ़ावा मिला है, बल्कि, महिलाओं की आमदनी बढ़ने से उनका सशक्तिकरण भी हो रहा है। मेरा ‘मन की बात’ के श्रोताओं से भी एक आग्रह है। आप, अपने क्षेत्र में ये पता लगायें, कि, कौन से महिला Self Help Group काम कर रहे हैं। उनके Products के बारे में भी आप जानकारी जुटाएँ और ज्यादा-से-ज्यादा इन उत्पादों को उपयोग में लाएँ। ऐसा करके, आप, Self Help Group की आय बढ़ाने में तो मदद करेंगे ही, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को भी गति देंगे।
साथियो, हमारे देश में कई सारी भाषा, लिपियाँ और बोलियों का समृद्ध खजाना है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पहनावा, खानपान और संस्कृति, ये हमारी पहचान है। ये Diversity, ये विविधता, एक राष्ट्र के रूप में, हमें, अधिक सशक्त करती है, और एकजुट रखती है। इसी से जुड़ा एक बेहद प्रेरक उदाहरण है एक बेटी कल्पना का, जिसे, मैं आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूँ। उनका नाम कल्पना है, लेकिन उनका प्रयास, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की सच्ची भावना से भरा हुआ है। दरअसल, कल्पना ने हाल ही में कर्नाटका में अपनी 10वीं की परीक्षा पास की है, लेकिन, उनकी सफलता की बेहद खास बात ये है कि, कल्पना को कुछ समय पहले तक कन्नड़ा भाषा ही नहीं आती थी। उन्होंने, ना सिर्फ तीन महीने में कन्नड़ा भाषा सीखी, बल्कि, 92वे नम्बर भी लाकर के दिखाए। आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन ये सच है। उनके बारे में और भी कई बातें ऐसी हैं जो आपको हैरान भी करेगी और प्रेरणा भी देगी। कल्पना, मूल रूप से उत्तराखंड के जोशीमठ की रहने वाली हैं। वे पहले TB से पीड़ित रही थीं और जब वे तीसरी कक्षा में थीं तभी उनकी आँखों की रोशनी भी चली गई थी, लेकिन, कहते हैं न, ‘जहाँ चाह-वहाँ राह’। कल्पना बाद में मैसूरू की रहने वाली प्रोफेसर तारामूर्ति के संपर्क में आई, जिन्होंने न सिर्फ उन्हें प्रोत्साहित किया, बल्कि हर तरह से उनकी मदद भी की। आज, वो अपनी मेहनत से हम सबके लिए एक उदाहरण बन गई हैं। मैं, कल्पना को उनके हौंसले के लिए बधाई देता हूँ। इसी तरह, हमारे देश में कई ऐसे लोग भी हैं जो देश की भाषाई विविधता को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक साथी हैं, पश्चिम बंगाल में पुरुलिया के श्रीपति टूडू जी। टूडू जी, पुरुलिया की सिद्धो-कानो-बिरसा यूनिवर्सिटी में संथाली भाषा के प्रोफेसर हैं। उन्होंने, संथाली समाज के लिए, उनकी अपनी ‘ओल चिकी’ लिपि में, देश के संविधान की कॉपी तैयार की है। श्रीपति टूडू जी कहते हैं कि हमारा संविधान हमारे देश के हर एक नागरिक को उनके अधिकार और कर्तव्य का बोध कराता है। इसलिए, प्रत्येक नागरिक को इससे परिचित होना जरुरी है। इसलिए, उन्होंने संथाली समाज के लिए उनकी अपनी लिपि में संविधान की कॉपी तैयार करके भेंट-सौगात के रूप में दी है। मैं, श्रीपति जी की इस सोच और उनके प्रयासों की सराहना करता हूँ। ये ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना का जीवन्त उदाहरण है। इस भावना को आगे बढ़ाने वाले ऐसे बहुत से प्रयासों के बारे में, आपको, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की web site पर भी जानकारी मिलेगी। यहाँ आपको खान-पान, कला, संस्कृति, पर्यटन समेत ऐसे कई विषयों पर activities के बारे में पता चलेगा। आप, इन activities में हिस्सा भी ले सकते हैं, इससे आपको, अपने देश के बारे में जानकारी भी मिलेगी, और आप, देश की विविधता को महसूस भी करेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियो, इस समय हमारे देश में उत्तराखण्ड के ‘चार-धाम’ की पवित्र यात्रा चल रही है। ‘चार-धाम’ और खासकर केदारनाथ में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु वहां पहुँच रहे हैं। लोग, अपनी ‘चार-धाम यात्रा’ के सुखद अनुभव share कर रहे हैं, लेकिन, मैंने, ये भी देखा कि, श्रद्धालु केदारनाथ में कुछ यात्रियों द्वारा फैलाई जा रही गन्दगी की वजह से बहुत दुखी भी हैं। Social media पर भी कई लोगों ने अपनी बात रखी है। हम, पवित्र यात्रा में जायें और वहां गन्दगी का ढ़ेर हो, ये ठीक नहीं। लेकिन साथियो, इन शिकायतों के बीच कई अच्छी तस्वीरें भी देखने को मिल रही हैं। जहां श्रद्धा है, वहाँ, सृजन और सकारात्मकता भी है। कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो बाबा केदार के धाम में दर्शन-पूजन के साथ-साथ स्वच्छता की साधना भी कर रहे हैं। कोई अपने ठहरने के स्थान के पास सफाई कर रहा है, तो कोई यात्रा मार्ग से कूड़ा-कचरा साफ कर रहा है। स्वच्छ भारत की अभियान टीम के साथ मिलकर कई संस्थाएँ और स्वयंसेवी संगठन भी वहां काम कर रहे हैं। साथियो, हमारे यहाँ जैसे तीर्थ-यात्रा का महत्व होता है, वैसे ही, तीर्थ-सेवा का भी महत्व बताया गया है, और मैं तो ये भी कहूँगा, तीर्थ-सेवा के बिना, तीर्थ-यात्रा भी अधूरी है। देवभूमि उत्तराखंड में से कितने ही लोग हैं जो स्वच्छता और सेवा की साधना में लगे हुए हैं I रूद्र प्रयाग के रहने वाले श्रीमान मनोज बैंजवाल जी से भी आपको बहुत प्रेरणा मिलेगी I मनोज जी ने पिछले पच्चीस वर्षों से पर्यावरण की देख-रेख का बीड़ा उठा रखा है I वो, स्वच्छता की मुहिम चलाने के साथ ही, पवित्र स्थलों को, प्लास्टिक मुक्त करने में भी जुटे रहते हैं I वहीँ गुप्तकाशी में रहने वाले – सुरेंद्र बगवाड़ी जी ने भी स्वच्छता को अपना जीवन मंत्र बना लिया है I वो, गुप्तकाशी में नियमित रूप से सफाई कार्यक्रम चलाते हैं, और, मुझे पता चला है कि इस अभियान का नाम भी उन्होंने ‘मन की बात’ रख लिया है I ऐसे ही, देवर गाँव की चम्पादेवी पिछले तीन साल से अपने गाँव की महिलाओं को कूड़ा प्रबंधन, यानी – waste management सिखा रही हैं I चंपा जी ने सैकड़ों पेड़ भी लगाये हैं और उन्होंने अपने परिश्रम से एक हरा भरा वन तैयार कर दिया है I साथियो, ऐसे ही लोगों के प्रयासों से देव भूमि और तीर्थों की वो दैवीय अनुभूति बनी हुई हैं, जिसे अनुभव करने के लिए हम वहाँ जाते हैं, इस देवत्व और आध्यात्मिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारी भी तो है I अभी, हमारे देश में ‘चारधाम यात्रा’ के साथ-साथ आने वाले समय में ‘अमरनाथ यात्रा’, ‘पंढरपुर यात्रा’ और ‘जगन्नाथ यात्रा’ जैसे कई यात्राएं होंगी। सावन मास में तो शायद हर गांव में कोई-न-कोई मेला लगता है।
साथियो, हम जहाँ कही भी जाएँ, इन तीर्थ क्षेत्रों की गरिमा बनी रहे I सुचिता, साफ़-सफाई, एक पवित्र वातावरण हमें इसे कभी नहीं भूलना है, उसे ज़रूर बनाए रखें और इसीलिए ज़रूरी है, कि हम स्वच्छता के संकल्प को याद रखें। कुछ दिन बाद ही, 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाता है। पर्यावरण को लेकर हमें अपने आस-पास के सकारात्मक अभियान चलाने चाहिए और ये निरंतर करने वाला काम है। आप, इस बार सब को साथ जोड़ कर- स्वच्छता और वृक्षारोपण के लिए कुछ प्रयास ज़रूर करें। आप, खुद भी पेड़ लगाइये और दूसरों को भी प्रेरित करिए I
मेरे प्यारे देशवासियो, अगले महीने 21 जून को, हम 8वाँ ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाने वाले हैं। इस बार ‘योग दिवस’ की theme है – Yoga for humanity मैं आप सभी से ‘योग दिवस’ को बहुत ही उत्साह के साथ मनाने का आग्रह करूँगाI I हाँ! कोरोना से जुड़ी सावधानियां भी बरतें, वैसे, अब तो पूरी दुनिया में कोरोना को लेकर हालात पहले से कुछ बेहतर लग रहे हैं, अधिक-से-अधिक vaccination coverage की वजह से अब लोग पहले से कहीं ज्यादा बाहर भी निकल रहे हैं, इसलिए, पूरी दुनिया में ‘योग दिवस’ को लेकर काफी तैयारियाँ भी देखने को मिल रही हैं I कोरोना महामारी ने हम सभी को यह एहसास भी कराया है, कि हमारे जीवन में, स्वास्थ्य का, कितना अधिक महत्व है, और योग, इसमें कितना बड़ा माध्यम है, लोग यह महसूस कर रहे हैं कि योग से physical, Spiritual और intellectual well being को भी कितना बढ़ावा मिलता है। विश्व के top Business person से लेकर film और sports personalities तक, students से लेकर सामान्य मानवी तक, सभी, योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना रहे हैं I मुझे पूरा विश्वास है, कि दुनिया भर में योग की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर आप सभी को बहुत अच्छा लगता होगा। साथियो, इस बार देश-विदेश में ‘योग दिवस’ पर होने वाले कुछ बेहद innovative उदाहरणों के बारे में मुझे जानकारी मिली है। इन्हीं में से एक है guardian Ring – एक बड़ा ही unique programme होगा। इसमें Movement of Sun को celebrate किया जाएगा, यानी, सूरज जैसे-जैसे यात्रा करेगा, धरती के अलग-अलग हिस्सों से, हम, योग के जरिये उसका स्वागत करेंगे। अलग-अलग देशों में Indian missions वहाँ के local time के मुताबिक सूर्योदय के समय योग कार्यक्रम आयोजित करेंगे। एक देश के बाद दूसरे देश से कार्यक्रम शुरू होगा। पूरब से पश्चिम तक निरंतर यात्रा चलती रहेगी, फिर ऐसे ही, ये, आगे बढ़ता रहेगा। इन कार्यक्रमों की streaming भी इसी तरह एक के बाद एक जुड़ती जायेगी, यानी, ये, एक तरह का Relay Yoga Streaming Event होगा। आप भी इसे जरूर देखिएगा।
साथियो, हमारे देश में इस बार ‘अमृत महोत्सव’ को ध्यान में रखते हुए देश के 75 प्रमुख स्थानों पर भी ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ का आयोजन होगा। इस अवसर पर कई संगठन और देशवासी ने अपने-अपने स्तर पर अपने-अपने क्षेत्र की खास जगहों पर कुछ न कुछ Innovative करने की तैयारी कर रहे हैं। मैं, आपसे भी ये आग्रह करूँगा, इस बार योग दिवस मनाने के लिए, आप, अपने शहर, कस्बे या गाँव के किसी ऐसी जगह चुनें, जो सबसे खास हो। ये जगह कोई प्राचीन मंदिर और पर्यटन केंद्र हो सकता है, या फिर, किसी प्रसिद्ध नदी, झील या तालाब का किनारा भी हो सकता है। इससे योग के साथ-साथ आपके क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इस समय ‘योग दिवस’ को लेकर 100 Day Countdown भी जारी है, या यूँ कहें कि निजी और सामाजिक प्रयासों से जुड़े कार्यक्रम, तीन महीने पहले ही शुरू हो चुके हैं। जैसा कि दिल्ली में 100वें दिन और 75वें दिन के countdown Programmes हुए हैं। वहीं, असम के शिवसागर में 50वें और हैदराबाद में 25वें Countdown Event आयोजित किये गए। मैं चाहूँगा कि आप भी अपने यहाँ अभी से ‘योग दिवस’ की तैयारियाँ शुरू कर दीजिये। ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलिए, हर किसी को ‘योग दिवस’ के कार्यक्रम में जुड़ने के लिए आग्रह कीजिये, प्रेरित कीजिये। मुझे पूरा भरोसा है कि आप सभी ‘योग दिवस’ में बढ़-चढ़कर के हिस्सा लेंगे, साथ ही योग को अपने दैनिक जीवन में भी अपनाएंगे।
साथियो, कुछ दिन पहले मैं जापान गया था। अपने कई कार्यक्रमों के बीच मुझे कुछ शानदार शख्सियतों से मिलने का मौका मिला। मैं, ‘मन की बात’ में, आपसे, उनके बारे में चर्चा करना चाहता हूँ। वे लोग हैं तो जापान के, लेकिन भारत के प्रति इनमें गज़ब का लगाव और प्रेम है। इनमें से एक हैं हिरोशि कोइके जी, जो एक जाने-माने Art Director हैं। आपको ये जानकार बहुत ही ख़ुशी होगी कि इन्होंने Mahabharat Project को Direct किया है। इस Project की शुरुआत Cambodia में हुई थी और पिछले 9 सालों से ये निरंतर जारी है ! हिरोशि कोइके जी हर काम बहुत ही अलग तरीके से करते हैं। वे, हर साल, एशिया के किसी देश की यात्रा करते हैं और वहां Local Artist और Musicians के साथ महाभारत के कुछ हिस्सों को Produce करते हैं। इस Project के माध्यम से उन्होंने India, Cambodia और Indonesia सहित नौ देशों में Production किये हैं और Stage Performance भी दी है। हिरोशि कोइके जी उन कलाकारों को एक साथ लाते हैं, जिनका Classical और Traditional Asian Performing Art में Diverse Background रहा है। इस वजह से उनके काम में विविध रंग देखने को मिलते हैं। Indonesia, Thailand, Malaysia और Japan के Performers जावा नृत्य, बाली नृत्य, थाई नृत्य के जरिए इसे और आकर्षक बना देते हैं। खास बात ये है कि इसमें प्रत्येक performer अपनी ही मातृ-भाषा में बोलता है और Choreography बहुत ही खूबसूरती से इस विविधता को प्रदर्शित करती है और Music की Diversity इस Production को और जीवंत बना देती है। उनका उद्देश्य इस बात को सामने लाना है कि हमारे समाज में Diversity और Co-existence का क्या महत्व है और शांति का रूप वास्तव में कैसा होना चाहिए। इनके अलावा, मैं, जापान में जिन अन्य दो लोगों से मिला, वे हैं, आत्सुशि मात्सुओ जी और केन्जी योशी जी। ये दोनों ही TEM Production Company से जुड़े हैं। इस company का संबंध रामायण की उस Japanese Animation Film से है, जो 1993 में Release हुई थी। यह Project जापान के बहुत ही मशहूर Film Director युगो साको जी से जुड़ा हुआ था। करीब 40 साल पहले, 1983 में, उन्हें, पहली बार रामायण के बारे में पता चला था। ‘रामायण’ उनके हृदय को छू गयी, जिसके बाद उन्होनें इस पर गहराई से research शुरू कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने, जापानी भाषा में रामायण के 10 versions पढ़ डाले, और वे इतने पर ही नहीं रुके, वे इसे, animation पर भी उतारना चाहते थे। इसमें Indian Animators ने भी उनकी काफी मदद की, उन्हें फिल्म में दिखाए गए भारतीय रीति-रिवाजों और परम्पराओं के बारे में guide किया गया। उन्हें बताया गया कि भारत में लोग धोती कैसे पहनते हैं, साड़ी कैसे पहनते हैं, बाल कैसे बनाते हैं। बच्चे परिवार के अंदर एक-दूसरे का मान-सम्मान कैसे करते हैं, आशीर्वाद की परंपरा क्या होती है। प्रात: उठ करके अपने घर के जो senior हैं उनको प्रणाम करना, उनके आशीर्वाद लेना – ये सारी बातें अब 30 सालों के बाद ये animation film फिर से 4K में re-master की जा रही है। इस project के जल्द ही पूरा होने की संभावना है। हमसे हज़ारों किलोमीटर दूर जापान में बैठे लोग जो न हमारी भाषा जानते हैं, जो न हमारी परम्पराओं के बारे में उतना जानते हैं, उनका हमारी संस्कृति के लिए समर्पण, ये श्रद्धा, ये आदर, बहुत ही प्रशंसनीय है – कौन हिन्दुस्तानी इस पर गर्व नही करेगा?
मेरे प्यारे देशवासियो, स्व से ऊपर उठकर समाज की सेवा का मंत्र, self for society का मंत्र, हमारे संस्कारों का हिस्सा है। हमारे देश में अनगिनत लोग इस मंत्र को अपना जीवन ध्येय बनाये हुए हैं। मुझे, आन्ध्र प्रदेश में, मर्कापुरम में रहने वाले एक साथी, राम भूपाल रेड्डी जी के बारे में जानकारी मिली। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि रामभूपाल रेड्डी जी ने retirement के बाद मिलने वाली अपनी सारी कमाई बेटियों की शिक्षा के लिए दान कर दी है। उन्होंने, करीब – करीब 100 बेटियों के लिए ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ के तहत खाते खुलवाए, और उसमें अपने 25 लाख से ज्यादा रूपए जमा करवा दिये। ऐसे ही सेवा का एक और उदाहरण यू.पी. में आगरा के कचौरा गाँव का। काफी साल से इस गाँव में मीठे पानी की किल्लत थी। इस बीच, गाँव के एक किसान कुंवर सिंह को गाँव से 6-7 किलोमीटर दूर अपने खेत में मीठा पानी मिल गया। ये उनके लिए बहुत ख़ुशी की बात थी। उन्होंने सोचा क्यों न इस पानी से बाकी सभी गाँववासियों की भी सेवा की जाए। लेकिन, खेत से गाँव तक पानी ले जाने के लिए 30-32 लाख रूपए चाहिए थे। कुछ समय बाद कुंवर सिंह के छोटे भाई श्याम सिंह सेना से retire होकर गाँव आए, तो उन्हें ये बात पता चली। उन्होंने retirement पर मिली अपनी सारी धनराशि इस काम के लिए सौंप दी और खेत से गाँव तक pipeline बिछाकर गाँव वालों के लिए मीठा पानी पहुंचाया। अगर लगन हो, अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीरता हो, तो एक व्यक्ति भी, कैसे पूरे समाज का भविष्य बदल सकता है, ये प्रयास इसकी बड़ी प्रेरणा है। हम कर्त्तव्य पथ पर चलते हुए ही समाज को सशक्त कर सकते हैं, देश को सशक्त कर सकते हैं। आजादी के इस ‘अमृत महोत्सव’ में यही हमारा संकल्प होना चाहिए और यही हमारी साधना भी होनी चाहिए और जिसका एक ही मार्ग है – कर्तव्य, कर्तव्य और कर्तव्य।
मेरे प्यारे देशवासियों, आज ‘मन की बात’ में हमने समाज से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। आप सब, अलग अलग विषयों से जुड़े महत्वपूर्ण सुझाव मुझे भेजते हैं, और उन्हीं के आधार पर हमारी चर्चा आगे बढती है। ‘मन की बात’ के अगले संस्करण के लिए अपने सुझाव भेजना भी मत भूलिएगा। इस समय आज़ादी के अमृत महोत्सव से जुड़े जो कार्यक्रम चल रहे हैं, जिन आयोजन में आप शामिल हो रहे हैं, उनके बारे में भी मुझे जरूर बताइए। Namo app और MyGov पर मुझे आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा। अगली बार हम एक बार फिर मिलेंगे, फिर से देशवासियों से जुड़े ऐसे ही विषयों पर बातें करेंगे। आप, अपना ख्याल रखिए और अपने आसपास सभी जीव-जंतुओं का भी ख्याल रखिए। गर्मियों के इस मौसम में, आप, पशु-पक्षियों के लिए खाना-पानी देने का अपना मानवीय दायित्व भी निभाते रहें – ये जरुर याद रखिएगा, तब तक के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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DS/LP/SKS
Sharing this month's #MannKiBaat. Tune in. https://t.co/pa2tlSlVCD
— Narendra Modi (@narendramodi) May 29, 2022
Today's #MannKiBaat begins with an interesting topic- India's rise in the StartUp eco-system and the number of unicorns in our country. pic.twitter.com/T3fsmv89Ba
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Do you know that our unicorn eco-system growth rate is faster than many other nations?
— PMO India (@PMOIndia) May 29, 2022
It is also gladdening that there is diversification in unicorns. #MannKiBaat pic.twitter.com/M5IYgv6YTv
In the StartUp eco-system, the role of a mentor becomes very important. During #MannKiBaat, PM @narendramodi lauds all those who are mentoring StartUps and young talent. pic.twitter.com/leMdL8K6H1
— PMO India (@PMOIndia) May 29, 2022
PM @narendramodi talks about something interesting which he received from Tamil Nadu... #MannKiBaat pic.twitter.com/uQYhK7E2Hx
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India's strength is our diversity. #MannKiBaat pic.twitter.com/CItC7BjLZ5
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Like Teerth Yatra is important, Teerth Seva is also important and we are seeing instances of it in our sacred places. #MannKiBaat pic.twitter.com/TbzLaUGI0I
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Whenever one embarks on a pilgrimage, one should ensure the local surroundings are kept clean. #MannKiBaat pic.twitter.com/FUCHV6qzW6
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On 21st June, the world will mark Yoga Day...the theme this year is 'Yoga For Humanity.' #MannKiBaat pic.twitter.com/fVTSRLodJi
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Do plan how you will mark Yoga Day 2022.
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One of the ways to do so would be to mark it at an iconic place of your town, village or city. This way, you can promote Yoga and tourism. #MannKiBaat pic.twitter.com/3gIzmDqBrG
During today's #MannKiBaat the Prime Minister recalls his recent Japan visit in which he met three interesting individuals who are passionate about Indian culture.
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These individuals are Mr. Kenji Yoshii, Mr. Atsushi Matsuo and Mr. Hiroshi Koike. pic.twitter.com/vtQSdi5HD8
As we mark Azadi Ka Amrit Mahotsav, let us collectively work and make India stronger and more prosperous. #MannKiBaat pic.twitter.com/T89KxXwX5P
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