मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार ! आज ‘मन की बात’ के एक और एपिसोड के जरिए हम एक साथ जुड़ रहे हैं। ये 2022 की पहली ‘मन की बात’ है। आज हम फिर ऐसी चर्चाओं को आगे बढ़ाएंगे, जो हमारे देश और देशवासियों की सकारात्मक प्रेरणाओं और सामूहिक प्रयासों से जुड़ी होती है। आज हमारे पूज्य बापू महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि भी है। 30 जनवरी का ये दिन हमें बापू की शिक्षाओं की याद दिलाता है। अभी कुछ दिन पहले ही हमने गणतन्त्र दिवस भी मनाया। दिल्ली में राजपथ पर हमने देश के शौर्य और सामर्थ्य की जो झाँकी देखी, उसने सबको गर्व और उत्साह से भर दिया है। एक परिवर्तन जो आपने देखा होगा अब गणतंत्र दिवस समारोह 23 जनवरी, यानि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती से शुरू होगा और 30 जनवरी तक यानि गाँधी जी की पुण्यतिथि तक चलेगा। इंडिया गेट पर नेताजी की digital प्रतिमा भी स्थापित की गई है। इस बात का जिस प्रकार से देश ने स्वागत किया, देश के हर कोने से आनंद की जो लहर उठी, हर देशवासी ने जिस प्रकार की भावनाएँ प्रकट की उसे हम कभी भूल नहीं सकते हैं।
साथियो, आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश इन प्रयासों के जरिए अपने राष्ट्रीय प्रतीकों को पुनः प्रतिष्ठित कर रहा है। हमने देखा कि इंडिया गेट के समीप ‘अमर जवान ज्योति’ और पास में ही ‘National War Memorial’ पर प्रज्जवलित ज्योति को एक किया गया। इस भावुक अवसर पर कितने ही देशवासियों और शहीद परिवारों की आँखों में आँसू थे। ‘National War Memorial’ में आज़ादी के बाद से शहीद हुए देश के सभी जाबांजों के नाम अंकित किए गए हैं। मुझे सेना के कुछ पूर्व जवानों ने पत्र लिखकर कहा है कि – “शहीदों की स्मृति के सामने प्रज्जवलित हो रही ‘अमर जवान ज्योति’ शहीदों की अमरता का प्रतीक है”। सच में, ‘अमर जवान ज्योति’ की ही तरह हमारे शहीद, उनकी प्रेरणा और उनके योगदान भी अमर हैं। मैं आप सभी से कहूँगा, जब भी अवसर मिले ‘National War Memorial’ जरुर जाएँ। अपने परिवार और बच्चों को भी जरुर ले जाएँ। यहाँ आपको एक अलग ऊर्जा और प्रेरणा का अनुभव होगा।
साथियो, अमृत महोत्सव के इन आयोजनों के बीच देश में कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिए गए। एक है, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार। ये पुरस्कार उन बच्चों को मिले, जिन्होंने छोटी-सी उम्र में साहसिक और प्रेरणादायी काम किए हैं। हम सबको अपने घरों में इन बच्चों के बारे में जरुर बताना चाहिए। इनसे हमारे बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी और उनके भीतर देश का नाम रोशन करने का उत्साह जगेगा। देश में अभी पद्म सम्मान की भी घोषणा हुई है। पद्म पुरस्कार पाने वाले में कई ऐसे नाम भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये हमारे देश के unsung heroes हैं, जिन्होंने साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम किए हैं। जैसे कि, उत्तराखंड की बसंती देवी जी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। बसंती देवी ने अपना पूरा जीवन संघर्षों के बीच जीया। कम उम्र में ही उनके पति का निधन हो गया था और वो एक आश्रम में रहने लगी। यहाँ रहकर उन्होंने नदी को बचाने के लिए संघर्ष किया और पर्यावरण के लिए असाधारण योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी काफी काम किया है। इसी तरह मणिपुर की 77 साल की लौरेम्बम बीनो देवी दशकों से मणिपुर की Liba textile art का संरक्षण कर रही हैं। उन्हें भी पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। मध्य प्रदेश के अर्जुन सिंह को बैगा आदिवासी नृत्य की कला को पहचान दिलाने लिए पद्म सम्मान मिला है। पद्म सम्मान पाने वाले एक और व्यक्ति हैं, श्रीमान् अमाई महालिंगा नाइक। ये एक किसान है और कर्नाटका के रहने वाले हैं। उन्हें कुछ लोग Tunnel Man भी कहते हैं। इन्होंने खेती में ऐसे-ऐसे innovation किए हैं, जिन्हें देखकर कोई भी हैरान रह जाए। इनके प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ छोटे किसानों को हो रहा है। ऐसे और भी कई unsung heroes हैं जिन्हें देश ने उनके योगदान के लिए सम्मानित किया है। आप जरुर इनके बारे में जानने की कोशिश करिए। इनसे हमें जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, अमृत महोत्सव पर आप सब साथी मुझे ढ़ेरों पत्र और message भेजते हैं, कई सुझाव भी देते हैं। इसी श्रृंखला में कुछ ऐसा हुआ है जो मेरे लिए अविस्मरणीय है। मुझे एक करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अपने ‘मन की बात’ पोस्ट कार्ड के जरिए लिखकर भेजी है। ये एक करोड़ पोस्ट कार्ड, देश के अलग-अलग हिस्सों से आये हैं, विदेश से भी आये हैं। समय निकालकर इनमें से काफी पोस्ट कार्ड को मैंने पढ़ने का प्रयास किया है। इन पोस्टकार्ड्स में इस बात के दर्शन होते हैं कि देश के भविष्य के लिए हमारी नई पीढ़ी की सोच कितनी व्यापक और कितनी बड़ी है। मैंने ‘मन की बात’ के श्रोताओं के लिए कुछ पोस्टकार्ड छांटे हैं जिन्हें मैं आपसे share करना चाहता हूँ। जैसे यह एक असम के गुवाहाटी से रिद्धिमा स्वर्गियारी का पोस्ट कार्ड है। रिद्धिमा क्लास 7th की student हैं और उन्होंने लिखा है कि वो आज़ादी के 100वें साल में एक ऐसा भारत देखना चाहती हैं जो दुनिया का सबसे स्वच्छ देश हो, आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्त हो, शत-प्रतिशत साक्षर देशों में शामिल हो, Zero accident country हो, और Sustainable तकनीक से food security में सक्षम हो। रिद्धिमा, हमारी बेटियाँ जो सोचती हैं, जो सपने देश के लिए देखती हैं वो तो पूरे होते ही है। जब सबके प्रयास जुड़ेंगे, आपकी युवा-पीढ़ी इसे लक्ष्य बनाकर काम करेगी, तो आप भारत को जैसा बनाना चाहती है, वैसे जरुर होगा। एक पोस्ट कार्ड मुझे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की नव्या वर्मा का भी मिला है। नव्या ने लिखा है कि उनका सपना 2047 में ऐसे भारत का है जहाँ सभी को सम्मानपूर्ण जीवन मिले, जहाँ किसान समृद्ध हो और भ्रष्टाचार न हो। नव्या, देश के लिए आपका सपना बहुत सराहनीय है। इस दिशा में देश तेजी से आगे भी बढ़ रहा है। आपने भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात की। भ्रष्टाचार तो दीमक की तरह देश को खोखला करता है। उससे मुक्ति के लिए 2047 का इंतजार क्यों ? ये काम हम सभी देशवासियों को, आज की युवा-पीढ़ी को मिलकर करना है, जल्द से जल्द करना है और इसके लिए बहुत जरुरी है कि हम कि हम अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें। जहाँ कर्तव्य निभाने का एहसास होता है। कर्तव्य सर्वोपरि होता है। वहाँ भ्रष्टाचार फटक भी नहीं सकता।
साथियो, एक और postcard मेरे सामने है चेन्नई से मोहम्मद इब्राहिम का। इब्राहिम 2047 में भारत को रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत के रूप में देखना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि चंद्रमा पर भारत का अपना Research Base हो, और मंगल पर भारत, मानव आबादी को, बसाने का काम शुरू करे। साथ ही, इब्राहिम पृथ्वी को भी प्रदूषण से मुक्त करने में भारत की बड़ी भूमिका देखते हैं। इब्राहिम, जिस देश के पास आप जैसे नौजवान हो, उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
साथियो, मेरे सामने एक और पत्र है। मध्य प्रदेश के रायसेन में सरस्वती विद्या मंदिर में class 10th की छात्रा भावना का। सबसे पहले तो मैं भावना को कहूँगा कि आपने जिस तरह अपने postcard को तिरंगे से सजाया है, वो मुझे बहुत अच्छा लगा। भावना ने क्रांतिकारी शिरीष कुमार के बारे में लिखा है।
साथियो, मुझे गोवा से लॉरेन्शियो परेरा का postcard भी मिला है। ये class बारह (12th) की student है। इनके पत्र का भी विषय है – आजादी के Unsung Heroes. मैं इसका हिंदी भावार्थ आपको बता रहा हूं। इन्होंने लिखा है – “भीकाजी कामा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रही सबसे बहादुर महिलाओं में से एक थी। उन्होंने बेटियों को सशक्त करने के लिए देश-विदेश में बहुत से अभियान चलाए। अनेक प्रदर्शनियां लगाई। निश्चित तौर पर भीकाजी कामा स्वाधीनता आंदोलन की सबसे जांबांज महिलाओं में से एक थी। 1907 में उन्होंने Germany में तिरंगा फहराया था। इस तिरंगे को design करने में जिस व्यक्ति ने उनका साथ दिया था, वो थे – श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा। श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा जी का निधन 1930 में Geneva में हुआ था। उनकी अंतिम इच्छा थी कि भारत की आजादी के बाद उनकी अस्थियां भारत लायी जाए। वैसे तो 1947 में आजादी के दूसरे ही दिन उनकी अस्थियां भारत वापिस लानी चाहिए थीं, लेकिन, ये काम नहीं हुआ। शायद परमात्मा की इच्छा होगी ये काम मैं करूं और इस काम का सौभाग्य भी मुझे ही मिला। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो वर्ष 2003 में उनकी अस्थियां भारत लाई गईं थीं। श्यामजी कृष्ण वर्मा जी की स्मृति में उनके जन्म स्थान, कच्छ के मांडवी में एक स्मारक का निर्माण भी हुआ है।
साथियो, भारत की आजादी के अमृत महोत्सव का उत्साह केवल हमारे देश में ही नहीं है। मुझे भारत के मित्र देश क्रोएशिया से भी 75 postcard मिले हैं। क्रोएशिया के ज़ाग्रेब में School of Applied Arts and Design के students उन्होंने ये 75 cards भारत के लोगों के लिए भेजे हैं और अमृत महोत्सव की बधाई दी है। मैं आप सभी देशवासियों की तरफ से क्रोएशिया और वहाँ के लोगों को धन्यवाद देता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो, भारत शिक्षा और ज्ञान की तपो-भूमि रहा है। हमने शिक्षा को किताबी ज्ञान तक तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे जीवन के एक समग्र अनुभव के तौर पर देखा है। हमारे देश की महान विभूतियों का भी शिक्षा से गहरा नाता रहा है। पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने जहां बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की, वहीं महात्मा गांधी ने, गुजरात विद्यापीठ के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। गुजरात के आणंद में एक बहुत प्यारी जगह है – वल्लभ विद्यानगर। सरदार पटेल के आग्रह पर उनके दो सहयोगियों, भाई काका और भीखा भाई ने वहां युवाओं के लिए शिक्षा केंद्रों की स्थापना की। इसी तरह पश्चिम बंगाल में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने शान्ति निकेतन की स्थापना की। महाराजा गायकवाड़ भी शिक्षा के प्रबल समर्थकों में से एक थे। उन्होंने कई शिक्षण संस्थानों का निर्माण करवाया और डॉ. अम्बेकर और श्री ऑरोबिन्दो समेत अनके विभूतियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया। ऐसे ही महानुभावों की सूची में एक नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह जी का भी है। राजा महेंद्र प्रताप सिंह जी ने एक Technical School की स्थापना के लिए अपना घर ही सौंप दिया था। उन्होंने अलीगढ़ और मथुरा में शिक्षा केंद्रों के निर्माण के लिए खूब आर्थिक मदद की । कुछ समय पहले मुझे अलीगढ़ में उनके नाम पर एक University की आधारशिला रखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुझे खुशी है कि शिक्षा के प्रकाश को जन-जन तक पहुंचाने की वही जीवंत भावना भारत में आज भी कायम है। क्या आपने जानते हैं कि इस भावना की सबसे सुन्दर बात क्या है ? वो ये है कि शिक्षा को लेकर ये जागरूकता समाज में हर स्तर पर दिख रही है। तमिलनाडु के त्रिप्पुर जिले के उदुमलपेट ब्लॉक में रहने वाली तायम्मल जी का उदाहरण तो बहुत ही प्रेरणादायी है। तायम्मल जी के पास अपनी कोई जमीन नहीं है। बरसों से इनका परिवार नारियल पानी बेचकर अपना गुजर-बसर कर रहा है। आर्थिक स्थिति भले अच्छी ना हो लेकिन तायम्मल जी ने अपने बेटे-बेटी को पढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। उनके बच्चे चिन्नवीरमपट्टी पंचायत Union Middle School में पढ़ते थे। ऐसे ही एक दिन school में अभिभावकों के साथ meeting में ये बात उठी कि कक्षाओं और school की स्थिति को सुधारा जाए, School Infrastructure को ठीक किया जाए। तायम्मल जी भी उस meeting में थे। उन्होंने सब कुछ सुना। इसी बैठक में फिर चर्चा इन कामों के लिए पैसे की कमी पर आकर टिक गई। इसके बाद, तायम्मल जी ने जो किया, उसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता था। जिन तायम्मल जी ने नारियल पानी बेच-बेचकर कुछ पूंजी जमा की थी, उन्होंने एक लाख रुपये school के लिए दान कर दिए। वाकई, ऐसा करने के लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए, सेवा-भाव चाहिए। तायम्मल जी का कहना है अभी जो school है उसमें 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। अब जब school का infrastructure सुधर जाएगा तो यहां Higher Secondary तक की पढ़ाई होने लगेगी। हमारे देश में शिक्षा को लेकर यह वही भावना है, जिसकी मैं चर्चा कर रहा था। मुझे IIT BHU के एक Alumnus के इसी तरह के दान के बारे में भी पता चला है। BHU के पूर्व छात्र जय चौधरी जी ने, IIT BHU Foundation को एक मिलियन डॉलर यानि करीब-करीब साढ़े सात करोड़ रुपए Donate किये।
साथियो, हमारे देश में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े बहुत सारे लोग हैं, जो दूसरों की मदद कर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। मुझे बेहद खुशी है कि इस तरह के प्रयास उच्च शिक्षा के क्षेत्र में खासकर हमारी अलग-अलग IITs में निरंतर देखने को मिल रहे हैं। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में भी इस प्रकार के प्रेरक उदाहरणों की कमी नहीं है। इस तरह के प्रयासों को और बढ़ाने के लिए पिछले साल सितम्बर से, देश में, विद्यांजलि अभियान की भी शुरुआत हुई है। इसका उद्देश्य अलग-अलग संगठनों, CSR और निजी क्षेत्र की भागीदारी से देशभर के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। विद्यांजलि सामुदायिक भागीदारी और Ownership की भावना को आगे बढ़ा रही है। अपने school, college से निरंतर जुड़े रहना, अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ योगदान देना यह एक ऐसी बात है जिसका संतोष और आनंद अनुभव लेकर ही पता चलता है।
मेरे प्यारे देशवासियो, प्रकृति से प्रेम और हर जीव के लिए करुणा, ये हमारी संस्कृति भी है और सहज स्वभाव भी है। हमारे इन्ही संस्कारों की झलक अभी हाल ही में तब दिखी, जब मध्यप्रदेश के Pench Tiger Reserve में एक बाघिन ने दुनिया को अलविदा कर दिया। इस बाघिन को लोग कॉलर वाली बाघिन कहते थे। वन विभाग ने इसे T-15 नाम दिया था। इस बाघिन की मृत्यु ने लोगों को इतना भावुक कर दिया जैसे उनका कोई अपना दुनिया छोड़ गया हो। लोगों ने बाकायदा उसका अंतिम संस्कार किया, उसे पूरे सम्मान और स्नेह के साथ विदाई दी। आपने भी ये तस्वीरें Social Media में जरूर देखी होंगी। पूरी दुनिया में प्रकृति और जीवों के लिए हम भारतीयों के इस प्यार की खूब सराहना हुई। कॉलर वाली बाघिन ने जीवनकाल में 29 शावकों को जन्म दिया और 25 को पाल-पोसकर बड़ा भी बनाया। हमने T-15 के इस जीवन को भी Celebrate किया और जब उसने दुनिया छोड़ी तो उसे भावुक विदाई भी दी। यही तो भारत के लोगों की खूबी है। हम हर चेतन जीव से प्रेम का संबंध बना लेते हैं। ऐसा ही एक दृश्य हमें इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में भी देखने को मिला। इस परेड में President’s Bodyguards के चार्जर घोड़े विराट ने अपनी आख़िरी परेड में हिस्सा लिया। घोड़ा विराट, 2003 में राष्ट्रपति भवन आया था और हर बार गणतंत्र दिवस पर Commandant charger के तौर पर परेड को Lead करता था। जब किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का राष्ट्रपति भवन में स्वागत होता था, तब भी, वो, अपनी ये भूमिका निभाता था। इस वर्ष, Army Day पर घोड़े विराट को सेना प्रमुख द्वारा COAS Commendation Card भी दिया गया। विराट की विराट सेवाओं को देखते हुए, उसकी सेवा-निवृत्ति के बाद उतने ही भव्य तरीक़े से उसे विदाई दी गई।
मेरे प्यारे देशवासियो, जब एक निष्ठ प्रयास होता है, नेक नियत से काम होता है तो उसके परिणाम भी मिलते हैं। इसका एक बेहतरीन उदाहरण सामने आया है, असम से। असम का नाम लेते ही वहाँ के चाय-बागान और बहुत सारे national park का ख्याल आता है। साथ ही, एक सींग वाले गैंडे यानी one horn Rhino की तस्वीर भी हमारे मन में उभरती है। आप सभी जानते हैं कि एक सींग वाला गैंडा हमेशा से असमिया संस्कृति का हिस्सा रहा है। भारत रत्न भूपेन हज़ारिका जी का ये गीत हर एक कान में गूँजता होगा
साथियो, इस गीत का जो अर्थ है वो बहुत सुसंगत है। इस गीत में कहा गया है, काजीरंगा का हरा-भरा परिवेश, हाथी और बाघ का निवास, एक सींग वाले गैंडे को पृथ्वी देखे, पक्षियों का मधुर कलरव सुने। असम की विश्वप्रसिद्ध हथकरघा पर बुनी गई मूंगा और एरी की पोशाकों में भी गैंडो की आकृति दिखाई देती है। असम की संस्कृति में जिस गैंडे की इतनी बड़ी महिमा है, उसे भी संकटों का सामना करना पड़ता था। वर्ष 2013 में 37 और 2014 में 32 गैंडों को तस्करों ने मार डाला था। इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले सात वर्षों में असम सरकार के विशेष प्रयासों से गैंडों के शिकार के खिलाफ एक बहुत बड़ा अभियान चलाया गया। पिछले 22 सितम्बर को World Rhino Day के मौके पर तस्करों से जब्त किये गए 2400 से ज्यादा सींगों को जला दिया गया था। यह तस्करों के लिए एक सख्त सन्देश था। ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है कि अब असम में गैंडों के शिकार में लगातार कमी आ रही है। जहाँ 2013 में 37 गैंडे मारे गए थे, वहीँ 2020 में 2 और 2021 में सिर्फ 1 गैंडे के शिकार का मामला सामने आया है। मैं गैंडों को बचाने के लिए असम के लोगों के संकल्प की सरहाना करता हूँ।
साथियो, भारतीय संस्कृति के विविध रंगों और आध्यात्मिक शक्ति ने हमेशा से दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर खींचा है। अगर मैं आपसे कहूँ कि भारतीय संस्कृति, अमेरिका, कनाडा, दुबई, सिंगापुर, पश्चिमी यूरोप और जापान में बहुत ही लोकप्रिय है तो यह बात आपको बहुत सामान्य लगेगी, आपको कोई हैरानी नहीं होगी। लेकिन, अगर ये कहूँ कि भारतीय संस्कृति का Latin America और South America में भी बड़ा आकर्षण है, तो, आप एक बार जरुर सोच में पड़ जायेंगे। Mexico में खादी को बढ़ावा देने की बात हो या फिर Brazil में भारतीय परम्पराओं को लोकप्रिय बनाने का प्रयास, ‘मन की बात’ में हम इन विषयों पर पहले चर्चा कर चुके हैं। आज मैं आपको Argentina में फहरा रहे भारतीय संस्कृति के परचम के बारे में बताऊंगा। Argentina में हमारी संस्कृति को बहुत पसंद किया जाता है। 2018 में, मैंने, Argentina की अपनी यात्रा के दौरान योग के कार्यक्रम में – ‘Yoga For Peace’ में हिस्सा लिया था। यहाँ Argentina में एक संस्था है – हस्तिनापुर फाउंडेशन। आपको सुनकर के आश्चर्य होता है न, कहाँ Argentina, और वहाँ भी, हस्तिनापुर फाउंडेशन। यह फाउंडेशन, Argentina में भारतीय वैदिक परम्पराओं के प्रसार में जुटा है। इसकी स्थापना 40 साल पहले एक Madam, प्रोफ़ेसर ऐडा एलब्रेक्ट ने की थी। आज प्रोफ़ेसर ऐडा एलब्रेक्ट 90 वर्ष की होने जा रही हैं। भारत के साथ उनका जुड़ाव कैसे हुआ ये भी बहुत दिलचस्प है। जब वो 18 साल की थी तब पहली बार भारतीय संस्कृति की शक्ति से उनका परिचय हुआ। उन्होंने भारत में काफी समय भी बिताया। भगवद् गीता और उपनिषदों के बारे में गहराई से जाना। आज हस्तिनापुर फाउंडेशन के 40 हज़ार से अधिक सदस्य हैं और Argentina एवं अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में इसकी करीब 30 शाखाएं हैं। हस्तिनापुर फाउंडेशन ने स्पेनिश भाषा में 100 से अधिक वैदिक और दार्शनिक ग्रन्थ भी प्रकाशित किये हैं। इनका आश्रम भी बहुत मनमोहक है। आश्रम में 12 मंदिरों का निर्माण कराया गया है, जिनमें अनके देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं। इन सबके केंद्र में एक ऐसा मंदिर भी है जो अद्वैतवादी ध्यान के लिए बनाया गया है।
साथियो, ऐसे ही सैकड़ों उदाहरण यह बताते हैं, हमारी संस्कृति, हमारे लिए ही नहीं, बल्कि, पूरी दुनिया के लिए एक अनमोल धरोहर है। दुनिया भर के लोग उसे जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं, जीना चाहते हैं। हमें भी पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को खुद अपने जीवन का हिस्सा बनाते हुए सब लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए।
मेरे प्यारे देशवासियो, मैं अब आपसे और खासकर अपने युवाओं से एक प्रश्न करना चाहता हूँ। अब सोचिए, आप, एक बार में कितने push-ups कर सकते हैं। मैं जो आपको बताने वाला हूँ, वो निश्चित रूप से आपको आश्चर्य से भर देगा। मणिपुर में 24 साल के युवा थौनाओजम निरंजॉय सिंह ने एक मिनट में 109 push–ups का रिकॉर्ड बनाया है। निरंजॉय सिंह के लिए रिकॉर्ड तोड़ना कोई बात नयी नहीं है, इससे पहले भी, उन्होंने, एक मिनट में एक हाथ से सबसे ज्यादा Knuckle push-ups का रिकॉर्ड बनाया था। मुझे पूरा विश्वास है कि निरंजॉय सिंह से आप प्रेरित होंगे और physical fitness को अपने जीवन का हिस्सा बनायेंगे।
साथियो, आज मैं आपके साथ Ladakh की एक ऐसी जानकारी साझा करना चाहता हूँ जिसके बारे में जानकर आपको जरुर गर्व होगा। Ladakh को जल्द ही एक शानदार Open Synthetic Track और Astro Turf Football Stadium की सौगात मिलने वाली है। यह stadium 10,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर बन रहा है और इसका निर्माण जल्द पूरा होने वाला है। Ladakh का यह सबसे बड़ा open stadium होगा जहाँ 30,000 दर्शक एक साथ बैठ सकेंगे। Ladakh के इस आधुनिक Football Stadium में 8 Lane वाला एक Synthetic Track भी होगा। इसके अलावा यहाँ एक हज़ार bed वाले, एक hostel की सुविधा भी होगी। आपको यह जानकर भी अच्छा लगेगा कि इस stadium को football की सबसे बड़ी संस्था FIFA ने भी Certify किया है। जब भी Sports का ऐसा कोई बड़ा infrastructure तैयार होता है तो यह देश के युवाओं के लिए बेहतरीन अवसर लेकर आता है। साथ-साथ जहाँ ये व्यवस्था होती है, वहाँ भी, देश-भर के लोगों का आना-जाना होता है, Tourism को बढावा मिलता है और रोज़गार के अनेक अवसर पैदा होते हैं। Stadium का भी लाभ Ladakh के हमारे अनेकों युवाओं को होगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार भी हमने अनेक विषयों पर बात की। एक विषय और है, जो इस समय सबके मन में है और वो है कोरोना का। कोरोना की नई wave से भारत बहुत सफलता के साथ लड़ रहा है ये भी गर्व की बात है कि अब तक करीब-करीब साढ़े चार करोड़ बच्चों ने कोरोना Vaccine की dose ले ली है। इसका मतलब ये हुआ, कि 15 से 18 साल की आयु-वर्ग के लगभग 60% youth ने तीन से चार हफ्ते में ही टीके लगवा लिए हैं। इससे न केवल हमारे युवाओं की रक्षा होगी बल्कि उन्हें पढाई जारी रखने में भी मदद मिलेगी। एक और अच्छी बात ये भी है कि 20 दिन के भीतर ही एक करोड़ लोगों ने precaution dose भी ले ली है। अपने देश की vaccine पर देशवासियोँ का ये भरोसा हमारी बहुत बड़ी ताकत है। अब तो Corona संक्रमण के case भी कम होने शुरू हुए हैं – ये बहुत सकारात्मक संकेत है। लोग सुरक्षित रहें, देश की आर्थिक गतिविधियों की रफ़्तार बनी रहे – हर देशवासी की यही कामना है। और आप तो जानते ही हैं, ‘मन की बात’ में, कुछ बातें, मैं, कहे बिना रह ही नहीं सकता हूँ, जैसे, ‘स्वच्छता अभियान’ को हमें भूलना नहीं है, Single use plastic के खिलाफ अभियान को हमें और तेज़ी लानी जरुरी है, Vocal for Local का मंत्र ये हमारी जिम्मेवारी है, हमें आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए जी-जान से जुटे रहना है। हम सबके प्रयास से ही, देश, विकास की नई ऊँचाइयों पर पहुँचेगा। इसी कामना के साथ, मैं, आपसे विदा लेता हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद|
#MannKiBaat January 2022. Hear LIVE https://t.co/oRsE5HbJog
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2022
In the last few days, our nation has marked Republic Day.
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
We also witnessed a special programme on the 23rd, which was the Jayanti of Netaji Bose. #MannKiBaat pic.twitter.com/ALuGrXMQVL
Remembering those who sacrificed their lives for our nation. #MannKiBaat pic.twitter.com/DJgoBgYode
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
This is also a month in which various awards have been conferred. The life journeys of the various awardees inspire every Indian. #MannKiBaat pic.twitter.com/cBZMp1XwzL
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
Each and every Padma awardee has made rich contributions to our nation and society. #MannKiBaat pic.twitter.com/fzEzTIBR1r
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
As a part of Azadi Ka Amrit Mahotsav, PM @narendramodi has received over a crore post cards from youngsters.
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
These youngsters have shared their views on how India must be also also remembered our great freedom fighters. #MannKiBaat pic.twitter.com/QNLi0DUE8i
Among the postcards received, a group of students from Croatia also wrote to PM @narendramodi. #MannKiBaat @India_Croatia pic.twitter.com/zHkCmQDp4o
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
Look back at our history and we will see so many individuals who have been associated with education. They have founded several institutions.
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
We are also seeing Indians across all walks of life contribute resources so that others can get the joys of education. #MannKiBaat pic.twitter.com/E0srXXueO5
A glimpse of how India respects flora and fauna can be seen from a recent happening in Madhya Pradesh. #MannKiBaat pic.twitter.com/eSfuzj8UqE
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Yet another reason why Republic Day this year was memorable. #MannKiBaat pic.twitter.com/5Z5s0EoTZY
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
PM @narendramodi congratulates the people of Assam for showing the way when it comes to animal conservation through collective efforts. #MannKiBaat pic.twitter.com/OwTbgYr0S1
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
This effort in Argentina, aimed at popularising Indian culture, will make you very happy. #MannKiBaat pic.twitter.com/KTIqi4TJbg
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
From Manipur to Ladakh, sports is widely popular.
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
Let us keep this momentum and encourage a culture of fitness. #MannKiBaat pic.twitter.com/zn1NfyvWsI
PM @narendramodi once again emphasised on taking all possible COVID-19 precautions and urged all those eligible to get vaccinated.
— PMO India (@PMOIndia) January 30, 2022
It is important to defeat COVID and ensure economic progress. #MannKiBaat pic.twitter.com/UkR7VfzkgV
In the last few days, India marked Republic Day with great enthusiasm.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2022
Our country also appreciated the grassroots level champions who were conferred with the #PeoplesPadma. Spoke about this during today’s #MannKiBaat. pic.twitter.com/p6MGXv5uUP
It made me extremely happy that over a crore youngsters wrote postcards to mark ‘Azadi Ka Amrit Mahotsav.’ They wrote about diverse subjects. Was glad to see their passion towards national transformation. #MannKiBaat pic.twitter.com/zwTj4RI9sE
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2022
During #MannKiBaat today, talked about the largehearted nature of our citizens, who are helping others pursue their education. pic.twitter.com/iOdkZlbTAV
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2022
The people of Assam have shown great spirit and worked towards protecting the one-horned rhino, who is the pride of the state. #MannKiBaat pic.twitter.com/bXONn3tA6F
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2022
The work of the Hastinapur Foundation in Argentina will make you very proud.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2022
Indian culture and ethos are gaining popularity all over the world. #MannKiBaat pic.twitter.com/d1RxlfPAJk
आजादी के अमृत महोत्सव में देश अपने राष्ट्रीय प्रतीकों को पुनः प्रतिष्ठित कर रहा है। इंडिया गेट पर नेताजी की Digital प्रतिमा और National War Memorial में शहीदों की स्मृति में प्रज्वलित हो रही ‘अमर जवान ज्योति’ इसके जीवंत प्रमाण हैं। pic.twitter.com/AIqd1HD15p
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2022
मणिपुर के युवक थौनाओजम निरंजॉय सिंह ने Push-ups का जो रिकॉर्ड बनाया है, वो देशभर के युवाओं को प्रेरित करने वाला है। वहीं, लद्दाख में Open Synthetic Track और Astro Turf Football Stadium जल्द ही खेलकूद की दुनिया में अनेक बेहतरीन अवसर लेकर आने वाले हैं। pic.twitter.com/A9IbXb0f3o
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2022