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मन की बात की 77वीं कड़ी में प्रधानमंत्री का सम्बोधन


मेरे प्यारे देशवासियो,नमस्कार। हम देख रहे हैं कि किस प्रकार से देश पूरी ताक़त के साथ COVID-19 के खिलाफ़ लड़ रहा है। पिछले सौ वर्षों में यह सबसे बड़ी महामारी है और इसी pandemic के बीच भारत ने अनेक प्राकृतिक आपदाओं का भी डटकर मुकाबला किया है। इस दौरान cyclone अम्फान आया, cyclone निसर्ग आया, अनके राज्यों में बाढ़ आई, छोटे-बड़े अनेक भूकंप आए, भू-स्खलन हुए। अभी-अभी पिछले 10 दिनों में ही देश ने, फिर दो बड़े cyclones का सामना किया। पश्चिमी तट पर cyclone ‘ताऊ-ते’ और पूर्वी coast पर cyclone ‘यास’। इन दोनों चक्रवातों ने कई राज्यों को प्रभावित किया है। देश और देश की जनता इनसे पूरी ताक़त से लड़ी और कम से कम जनहानि सुनिश्चित की। हम अब ये अनुभव करते हैं कि पहले के वर्षों की तुलना में, ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की जान बचा पा रहे हैं। विपदा के इस कठिन और असाधारण परिस्थिति में Cyclone से प्रभावित हुए सभी राज्यों के लोगों ने जिस प्रकार से साहस का परिचय दिया है,इस संकट की घड़ी में बड़े धैर्य के साथ, अनुशासन के साथ मुक़ाबला किया है- मैं आदरपूर्वक, हृदयपूर्वक सभी नागरिकों की सराहना करना चाहता हूँ। जिन लोगों ने आगे बढ़कर राहत और बचाव के कार्य में हिस्सा लिया, ऐसे सभी लोगों की जितनी सराहना करें, उतनी कम है। मैं उन सब को salute करता हूँ। केंद्र, राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन सभी, एक साथ मिलकर इस आपदा का सामना करने में जुटे हुए हैं। मैं उन सभी लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने अपने करीबियों को खोया है। हम सभी इस मुश्किल घड़ी में उन लोगों के साथ मज़बूती से खड़े हैं, जिन्होंने इस आपदा का नुक़सान झेला है।

मेरे प्यारे देशवासियो, चुनौती कितनी ही बड़ी हो, भारत का विजय का संकल्प भी हमेशा उतना ही बड़ा रहा है। देश की सामूहिक शक्ति और हमारे सेवा-भाव ने, देश को हर तूफ़ान से बाहर निकाला है। हाल के दिनों में हमने देखा है कि कैसे हमारे doctors, nurses और front line warriors- उन्होंनेख़ुद की चिंता छोड़कर दिन रात काम किया और आज भी कर रहे हैं। इस सबके बीच कई लोग ऐसे भी हैं,जिनकी कोरोना की second wave से लड़ने में बहुत बड़ी भूमिका रही है। मुझसे ‘मन की बात’ के कई श्रोताओं ने NamoApp पर और पत्र के द्वारा इन warriors के बारे में चर्चा करने का आग्रह किया है|

साथियो, जब second wave आई, अचानक से oxygen की माँग कई गुना बढ़ गई तो बहुत बड़ा challenge था।Medical oxygen का देश के दूर-सुदूर हिस्सों तक पहुँचाना अपने आप में बड़ी चुनौती थी। Oxygen tanker ज़्यादा तेज़ चले। छोटी-सी भी भूल हो, तो उसमें बहुत बड़े विस्फोट का ख़तरा होता है। Industrial oxygen का उत्पादन करने वाले काफी प्लांट देश के पूर्वी हिस्सों में हैं वहाँ से दूसरे राज्यों में oxygen पहुँचाने के लिए भी कई दिन का समय लगता है। देश के सामने आई इस चुनौती में देश की मदद की, cryogenic tanker चलाने वाले drivers ने, oxygen express ने, Air Force के pilotsने। ऐसे अनेकों लोगों ने युद्ध-स्तर पर काम करके हज़ारों-लाखों लोगों का जीवन बचाया। आज ‘मन की बात’ में हमारे साथ ऐसे ही एक साथी जुड़ रहे हैं -U.P. के जौनपुर के रहने वाले श्रीमान् दिनेश उपाध्याय जी …

मोदी जी – दिनेश जी, नमस्कार !

दिनेश उपाध्याय जी – सर जी, प्रणाम।

मोदी जी – सबसे पहले तो मैं चाहूँगा कि आप ज़रा अपने बारे में हमें ज़रुर बताइए ?

दिनेश उपाध्याय जी – सर हमारा नाम दिनेश बाबूलनाथ उपाध्याय है। मैं गाँव हसनपुर, पोस्ट जमुआ, ज़िला जौनपुर का निवासी हूँ सर।

मोदी जी – उत्तर प्रदेश से हैं ?

दिनेश – हाँ ! हाँ ! सर।

मोदी जी – जी

दिनेश – और सर, हमारा एक लड़का हैं, दो लड़की और औरत और माँ-बाप।

मोदी जी – और, आप क्या करते हैं ?

दिनेश – सर, मैं oxygen का टैंकर चलाता हूँ, सर ..Liquid oxygen का।

मोदी जी – बच्चों की पढ़ाई  ठीक से हो रही है ?

दिनेश – हाँ सर ! बच्चों की पढ़ाई हो रही है। लड़कियाँ भी पढ़ रहीं हैं दोनों, और मेरा लड़का भी पढ़ रहा है सर।

मोदी जी – ये online पढ़ाई भी ठीक से चलती हैं उनकी ?

दिनेश – हाँ सर, अच्छे ढ़ंग से कर रहे हैं, अभी बच्चियाँ हमारी पढ़ रहीं हैं। Online में ही पढ़ रहीं हैं सर। सर, 15 से 17 साल हो गया सर, मैं oxygen का टैंकरचलाता हूँ सर।

मोदी जी – अच्छा! आप ये 15-17 साल से सिर्फ़ oxygen लेके जाते हैं तो सिर्फ़ ट्रक driver नहीं हैं ! आप एक प्रकार से लाखों का जीवन बचाने में लगे हैं।

दिनेश – सर, हमारा काम ही ऐसा है सर,oxygen टैंकर का कि हमारी जो कंपनी है INOX Company वो भी हमारा लोग का बहुत ख्याल करती है। और हम लोग कहीं भी जा के oxygen खाली करते हैं तो हमें बहुत ख़ुशी मिलती है सर।

मोदी जी – लेकिन अभी कोरोना के समय में आपकी ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ गई है ?

दिनेश – हाँ सर, बहुत बढ़ गई है।

मोदी जी – जब आप अपने ट्रक की driving seat पर होते हैं तो आपके मन में क्या भाव होता है ? पहले की तुलना में क्या अलग अनुभव ? काफ़ी दबाव भी रहता होगा ? मानसिक तनाव रहता होगा ? परिवार की चिंता, कोरोना का माहौल, लोगों की तरफ से दबाव, माँगे। क्या कुछ होता होगा ?

दिनेश – सर, हमें कोई चिंता नहीं होता। हमें खाली ये ही होता है कि हमें अपना जो कर्तव्य कर रहा हूँ सर जी वो हम टाइम पे लेके अगर हमारे ऑक्सीजन से किसी को अगर जीवन मिलता है तो ये हमारे लिए बहुत गौरव की बात है।

मोदी जी – बहुत उत्तम तरीक़े से आप अपनी भावना व्यक्त कर रहे हो। अच्छा ये बताइए – आज जब इस महामारी के समय लोग आपके काम के महत्व को देख रहे हैं , जो शायद पहले इतना नहीं समझा होगा , अब समझ रहे हैं, तो क्या आपके और आपके काम के प्रति उनके नजरिए में परिवर्तन आया है ?

दिनेश – हाँ सर जी ! अभी पहले हम oxygen के driver कहीं भी जाम में इधर-उधर फसें रहते थे  लेकिन आज के date में प्रशासन ने भी हमारा लोग का बहुत help किया। और जहाँ भी हम जाते हैं हम भी हमारे अन्दर से जिज्ञासा आती है , हम कितने जल्दी पहुँच के लोगों की जान बचाएं, सर। चाहे खाना मिले-चाहे न मिले, कुछ भी दिक्कत हो लेकिन हम हॉस्पिटल पहुँचते हैं जब टैंकर लेके और देखते हैं कि हॉस्पिटल वाले हम लोगों को Vका इशारा करते हैं, उनके family लोग जिसके घरवाले admit होते हैं।

मोदी जी – अच्छा Victory का Vबताते हैं ?

दिनेश – हाँ सर ! V बताते हैं, कोई अंगूठा दिखाता है। हमको बहुत तसल्ली आती है हमारे जीवन में कि हमने कोई अच्छा काम ज़रुर किया है जो मुझे ऐसा सेवा करने का अवसर मिला है।

मोदी जी – सारी थकान उतर जाती होगी ?

दिनेश – हाँ सर ! हाँ सर !

मोदी जी – तो घर आ करके बच्चों से बातें बताते हो आप सब ?

दिनेश – नहीं सर। बच्चे तो हमारे गाँव में रहते हैं। हम तो यहाँ INOX Air Product में, मैं ड्राईवरी ( working as a driver) करता हूँ। 8-9 महीने के बाद तब घर जाता हूँ।

मोदी जी – तो कभी फ़ोन पर बच्चों से बात करते होंगे तो ?

दिनेश – हाँ सर ! बराबर होता है।

मोदी जी – तो उनके मन में रहता होगा पिताजी जरा संभालिये ऐसे समय ?

दिनेश – सर जी, वो लोग बोलते हैं पापा काम करो लेकिन अपनी safety से करो और हम लोग सर,safety से काम करते हैं। हमारा मानगाँव प्लान्ट भी है। INOX बहुत हमारा लोगों का help करता है।

मोदी जी – चलिए ! दिनेश जी, मुझे बहुत अच्छा लगा। आपकी बातें सुनकर के और देश को भी लगेगा कि इस कोरोना की लड़ाई में कैसे –कैसे, किस प्रकार से लोग काम कर रहे हैं। आप 9-9 महीने तक अपने बच्चों को नहीं मिल रहे हैं। परिवार को नहीं मिल रहे हैं सिर्फ़ लोगों की जान बच जाए। जब ये देश सुनेगा न , देश को गर्व होगा कि लड़ाई हम जीतेंगे क्योंकि दिनेश उपाध्याय जैसे लाखों-लाखों ऐसे लोग हैं जो जी-जान से जुटे हुए हैं।

दिनेश – सर जी ! हम लोग कोरोना को किसी-न-किसी दिन जरुर हराएंगे सर जी।

मोदी जी – चलिए दिनेश जी, आपकी भावना ये ही तो देश की ताक़त है। बहुत –बहुत धन्यवाद दिनेश जी। और आपके बच्चों को मेरा आशीर्वाद कहियेगा।

दिनेश – ठीक है सर, प्रणाम

मोदी जी – धन्यवाद

दिनेश – प्रणाम प्रणाम।

मोदी जी – धन्यवाद।

साथियो, जैसा कि दिनेश जी बता रहे थे वाकई जब एक tanker driver oxygen लेकर अस्पताल पहुँचते हैं तो ईश्वर के भेजे गए दूत ही लगते हैं। हम समझ सकते हैं कि ये काम कितनी ज़िम्मेदारी का होता है और इसमें कितना मानसिक दबाव भी होता है।

साथियो, चुनौती के इसी समय में, oxygen के transportation को आसान करने के लिए भारतीय रेल भी आगे आई है। Oxygen express, oxygen rail ने सड़क पर चलने वाले oxygen tanker से कहीं ज्यादा तेज़ी से, कहीं ज्यादा मात्रा में oxygen देश के कोने-कोने में पहुंचाई है।माताओं-बहनों को ये सुनकर गर्व होगा कि एक oxygen express तो पूरी तरह महिलाएँ ही चला रही हैं। देश की हर नारी को इस बात का गर्व होगा। इतना ही नहीं, हर हिन्दुस्तानी को गर्व होगा। मैंने oxygen express की एक Loco-Pilot शिरिषा गजनी जी को ‘मन की बात’ में आमंत्रित किया है।  

मोदी जी – शिरिषा जी नमस्ते !

शिरिषा – नमस्ते सर ! कैसे है सर ?

मोदी जी –  मैं बहुत ठीक हूँ। शिरिषा जी, मैंने सुना है कि आप तो railway pilot के रूप में काम कर रही हो और मुझे बताया गया कि आपकी पूरी महिलाओं की टोली ये oxygen express को चला रही है। शिरिषा जी, आप बहुत ही शानदार काम कर रही हो। कोरोना काल में आप की तरह अनेक महिलाओं ने आगे आकर कोरोना से लड़ने में देश को ताक़त दी है। आप भी नारी-शक्ति का एक बहुत बड़ा उदाहरण हैं। लेकिन देश जानना चाहेगा, मैं जानना चाहता हूँ कि आपको ये motivation कहाँ से मिलता है ?

शिरिषा- सर, मुझको motivation मेरा father-mother में है, सर। मेरा father Government employee है, सर। Actually I am having two elder sister, sir. We are three members, ladies only but my father giving very encourage to work. My first sister doing government job in bank and I am settled in railway. My parents only encourage me.

मोदी जी – अच्छा शिरिषा जी, आपने सामान्य दिनों में भी रेलवे को अपनी सेवाएँ दी हैं। ट्रेन को स्वाभाविक चलाया है लेकिन जब ये एक तरफ़ oxygen की इतनी माँग और जब आप oxygen को ले के जा रही हैं तो थोड़ा ज़िम्मेदारी भरा काम होगा, थोड़ी और ज़िम्मेवारियाँ होंगी? सामान्य goods को ले जानाअलग बात है, oxygen तो बहुत ही delicate भी होती है ये चीज़ें, तो क्या अनुभव आता था ?

शिरिषा – मैं happily feel किया ये काम करने के लिए। Oxygen special देने के time में सभी देख किया, safety का wise, formation wise, any leakage है। Next, Indian Railway भी supportive है, सर। ये oxygen चलाने के लिए मुझको green path दिया, ये गाड़ी चलाने के लिए 125 kilometres, one and a half hour में reach हो गया। इतना रेलवे भी responsibility ले लिया, मैं भी responsibility लिया, सर।

मोदी जी – वाह!… चलिए शिरिषा जी मैं आपको बहुत बधाई देता हूँ और आपके पिताजी – माताजी को विशेष रूप से प्रणाम करता हूँ  जिन्होंने तीनों बेटियों को इतनी प्रेरणा दी और उनको इतना आगे बढ़ाया और इस प्रकार का हौसला दिया है। और मैं समझता हूँ ऐसे माँ-बाप को भी प्रणाम और आप सभी बहनों को भी प्रणाम जिन्होंने इस प्रकार से देश की सेवा भी की और जज़्बा भी दिखाया है।  बहुत-बहुत धन्यवाद शिरिषा जी !

शिरिषा – धन्यवाद सर। Thank you Sir. आपका blessings चाहिए सर मुझे।

मोदी जी – बस, परमात्मा का आशीर्वाद आप पर बना रहे, आपके माता-पिता का आशीर्वाद बना रहे। धन्यवाद जी !

शिरिषा- धन्यवाद सर।

साथियो, हमने अभी शिरीषा जी की बात सुनी। उनके अनुभव, प्रेरणा भी देते है, भावुक भी करते है। वास्तव में ये लड़ाई इतनी बड़ी है कि इसमें रेलवे की ही तरह हमारा देश, जल, थल, नभ, तीनों मार्गों से काम कर रहा है। एक ओर खाली tankers को Air Force के विमानों द्वारा oxygen plants तक पहुँचाने का काम हो रहा है, दूसरी ओर नए oxygen plants बनाने का काम भी पूरा किया जा रहा है। साथ ही, विदेशों से oxygen, oxygen concentrators और cryogenic tankers भी देश में लाये जा रहे हैं।इसलिए, इसमें Navy भी लगी,Air Force भी लगी, Army भी लगी और DRDOजैसी हमारी संस्थाएं भी जुटी हैं। हमारे कितने ही वैज्ञानिक,Industryके expertsऔर technicians भी युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। इन सबके काम को जानने की, समझने की जिज्ञासा सभी देशवासियों के मन में है। इसलिए, हमारे साथ हमारी Air Force के ग्रुप कैप्टन पटनायक जी जुड़ रहे हैं।

मोदी जी – पटनायक जी , जय हिन्द I

Grp. Cpt. – सर जय हिन्द Iसर मैं ग्रुप कैप्टन ए.के. पटनायक हूँ। वायुसेना station हिंडन से बात कर रहा हूँ। 

मोदी जी – पटनायक जी, कोरोना से लड़ाई के दौरान आप बहुत बड़ी ज़िम्मेवारी संभाल रहे हैं I दुनिया भर में जाकर के टैंकर लाना, टैंकर यहाँ पहुँचाना I मैं जानना चाहूँगा कि एक फौजी के नाते एक अलग प्रकार का काम आपने किया है I मरने-मारने के लिए दौड़ना होता है, आज आप ज़िन्दगी बचाने के लिए दौड़ रहे हैं I कैसा अनुभव हो रहा है ?

Grp. Cpt.– सर,इस संकट के समय में हमारे देशवासियों को मदद कर सकते हैं यह हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य का काम है सर और यह जो भी हमें missions मिले हैं हम बख़ूबी से उसको निभा रहे हैं I हमारी training और support services जो हैं, हमारी पूरी मदद कर रहे हैं और सबसे बड़ी चीज़ है सर, इसमें जो हमें job satisfaction मिल रही है वो बहुत ही high level पे है और इसी कि वजह से हम continuous operationsकर पा रहे हैं I

मोदी जी– Captain,आप इन दिनों जो-जो प्रयास किए हैं और वो भी कम से कम समय में सब कुछ करना पड़ा है I उसमें अब इन दिनों क्या रहा आपका ?

Grp. Cpt.– सर, पिछले एक महीने से हम continuously oxygen tankers और Liquid oxygen containers, domestic destination और International Destination, दोनों से उठा रहे हैं सर I क़रीब 1600 sorties से ज्यादा Air Force कर चुकी है और 3000 से ज्यादा घंटे हम उड़ चुके हैं I क़रीब 160 International Missions कर चुके हैं। जिस वजह से हम हर जगह से oxygen tankersजो पहले अगर domestic में 2 से 3 दिन लगते थे, हम उसको 2 से 3 घंटे में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा सकते हैं सर और International Missions में भी within 24 hours continuous round the clock operations करके, पूरी Air Force इसमें लगी हुई है कि जितनी जल्दी हो सके हम जितने ज्यादा tankers ला सकें और देश की मदद कर सकें सर I

मोदी जी – Captain आपको International में अभी कहाँ-कहाँ दौड़- भागना पड़ा ?

Grp. Cpt. – सर, short notice पे हमें सिंगापुर, दुबई, बेल्जियम, जर्मनी और UK I यह सब जगह पे different fleets of the Indian Air Force सर , IL-76, C-17 और बाकी सारे विमान गए थे C-130 जो बहुत ही short notice पे यह missions plan करके I हमारी ट्रेनिंग और जोश की वजह से हम timely इन missions को complete कर पाए सर I 

मोदी जी–देखिये, इस बार देश गर्व अनुभव करता है कि जल हो, थल हो, नभ हो, हमारे सारे जवान इस कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई में लगे हैं और Captain आपने भी बहुत बड़ी ज़िम्मेवारी निभाई है तो मैं आपको भी बहुत बधाई देता हूँ I

Grp. Cpt.– सर,Thank You so much सर I हम अपनी पूरी कोशिश में जी-जान के साथ लगे हुए हैं और मेरी बेटी भी मेरे साथ है सर, अदिति I

मोदी जी – अरे वाह !

अदिति – नमस्ते मोदी जी

मोदी जी – नमस्ते बेटी नमस्ते I अदिति, आप कितने साल की हैं ?

अदिति – मैं 12 साल की हूँ औरमैं क्लास 8thमें पढ़ती हूँ I

मोदी जी – तो यह पिताजी बाहर जाते हैं, uniform में रहते हैं I

अदिति -हाँ ! उनके लिए मुझे बहुत proud लगता है, बहुत गर्व महसूस होता है कि वो इतना सब महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। जो सारे कोरोना पीड़ित लोग हैं उनकी मदद इतनी ज्यादा कर रहे हैं, और इतने सारे देशों से oxygen tankersला रहे हैं,containers ला रहे हैं I

मोदी जी – लेकिन बेटी तो पापा को बहुत miss करती है ना ?

अदिति – हाँ, मैं बहुत miss करती हूँ उन्हें I वो आजकल ज़्यादा घर पे रह भी नहीं पा रहे हैं क्योंकि इतने सारे International flights में जा रहे हैं और containers और tankers उनके production plants तक पहुंचा रहे हैं ताकि जो कोरोना पीड़ित लोग हैं उनको timely oxygen मिल सके और उनकी जान बच सके I  

मोदी जी – तो बेटा यह जो oxygen के कारण लोगों की जान बचाने वाला काम तो अब घर-घर में लोगों को पता चला है I

अदिति – हाँ I

मोदी जी – जब तुम्हारे friend circle तुम्हारे साथी students जानते होंगे कि तुम्हारे पिताजी oxygen की सेवा में लगे हैं तो तुम्हारे प्रति भी बड़े आदर से देखते होंगे वो लोग ?

अदिति – हाँ, मेरे सारे friends भी बोलते हैं कि तुम्हारे पापा इतना ज़्यादा important काम कर रहे हैं और तुम्हें भी बहुत proud लगता होगा और तब मुझे इतना ज़्यादा गर्व अनुभव होता है। और मेरी जो सारी family है, मेरे नाना-नानी, दादी सब लोग ही मेरे पापा के लिए बहुत proud हैं, मेरी मम्मी और वो लोग भी doctors हैं, वो लोग भी दिन रात काम कर रहे हैं और सारी Armed Forces , मेरे पापा के सारे squadron के uncles और सारी जो forces हैं सब लोग सारी सेना बहुत काम कर रही है और मुझे यकीन है कि सबकी कोशिशों के साथ हम लोग कोरोना से यह लड़ाई ज़रूर जीतेंगे I

मोदी जी – हमारे यहाँ कहते हैं कि बेटी जब बोलती है ना, तो उसके शब्दों में सरस्वती विराजमान होती है और जब अदिति बोल रही है कि हम ज़रूर जीतेंगे तो एक प्रकार से यह ईश्वर की वाणी बन जाती है I अच्छा अदिति, अभी तो online पढ़ती होगी ?

अदिति -हाँ, अभी तो हमारे सारे online classes चल रहे हैं और अभी हम लोग घर पे भी सारे full precautions ले रहे हैं और कहीं अगर बाहर जाना है तो फ़िर, double mask पहन के और सब कुछ, सारे precautions और personal hygiene maintain कर रहे हैं, सब चीज़ों का ध्यान रख रहे हैं I

मोदी जी – अच्छा बेटा तुम्हारी क्या hobbies हैं ? क्या पसंद है ?

अदिति – मेरी hobbies हैं कि मैं swimming और basketball करती हूँ पर अभी तो वो थोड़ा बंद हो गया है और इसlockdown और corona virus के दौरान मैंने baking और cooking का बहुत ज़्यादा मुझे शौक़ है और मैं अभी सारे baking और cooking करके जब पापा इतना सारा काम करके आते हैं तो मैं उनके लिए cookies और cake बनाती हूँ I

मोदी जी–वाह,वाह, वाह! चलिए बेटा, बहुत दिनों के बाद तुम्हें पापा के साथ समय बिताने का मौका मिला है। बहुत अच्छा लगा और captain आपको भी मैं बहुत बधाई देता हूँ लेकिन जब मैं captain को बधाई देता हूँ मतलब सिर्फ़ आपको ही नहीं, सारे हमारे Forces, जल, थल, नभ जिस प्रकार से जुटे हुए हैं मैं सबको, सबको salute करता हूँ I धन्यवाद भईया I

Grp. Cpt. – Thank You Sir.

साथियो, हमारे इन जवानों ने, इन Warriors ने जो काम किया है, इसके लिए देश इन्हें salute करता है। इसी तरह लाखों लोग दिन रात जुटे हुए हैं। जो काम वो कर रहे हैं, वो इनके routine काम का हिस्सा नहीं है। इस तरह की आपदा तो दुनिया पर सौ साल बाद आई है , एक शताब्दी के बाद इतना बड़ा संकट ! इसलिए, इस तरह के काम का किसी के पास कोई भी अनुभव नहीं था। इसके पीछे देशसेवा का जज़्बा है और एक संकल्पशक्ति है। इसी से देश ने वो काम किया है जो पहले कभी नहीं हुआ।  आप अंदाज़ा लगा सकते हैं, सामान्य दिनों में हमारे यहाँ एक दिन में 900 Metric टन,Liquid medical oxygen का production होता था। अब ये 10 गुना से भी ज्यादा बढ़कर,करीब-करीब 9500 Metric टन प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। इस oxygen को हमारे warriors देश के दूर-सुदूर कोने तक पहुँचा रहे हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए देश में इतने प्रयास हुए, इतने लोग जुटे, एक नागरिक के तौर पर ये सारे कार्य प्रेरणा देते हैं। एक टीम बनकर हर किसी ने अपना कर्तव्य निभाया है। मुझे बैंगलुरु से उर्मिला जी ने कहा है कि उनके पति Lab technician हैं, और ये भी बताया है कि कैसे इतनी चुनौतियों के बीच वो लगातार testing का काम करते रहे हैं।

साथियो, कोरोना की शुरुआत में देश में केवल एक ही testing lab थी, लेकिन आज ढाई हजार से ज्यादा Labs काम कर रही हैं। शुरू में कुछ सौ test एक दिन में हो पाते थे, अब 20 लाख से ज्यादा test एक दिन में होने लगे हैं। अब तक देश में 33 करोड़ से ज्यादा Sample की जाँच की जा चुकी है। ये इतना बड़ा काम इन साथियों की वजह से ही संभव हो रहा है। कितने ही Frontline workers, sample collection के काम में लगे हुए हैं। संक्रमित मरीजों के बीच जाना, उनका sample लेना, ये कितनी सेवा का काम है। अपने बचाव के लिए इन साथियों को इतनी गर्मी में भी लगातार PPE Kit पहन के ही रहना पड़ता है। इसके बाद ये sample lab में पहुँचता है। इसलिए, जब मैं आप सबके सुझाव और सवाल पढ़ रहा था तो मैंने तय किया कि हमारे इन साथियों की भी चर्चा जरूर होनी चाहिए। इनके अनुभवों से हमें भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा। तो आइये दिल्ली में एक lab technician के तौर पर काम करने वाले हमारे साथी प्रकाश कांडपाल जी से बात करते हैं।

मोदी जी – प्रकाश जी नमस्कार।

प्रकाश जी – नमस्कार आदरणीय प्रधानमंत्री जी।

मोदी जी – प्रकाश जी, सबसे पहले तो आप ‘मन की बात’ के हमारे सभी श्रोताओं को अपने बारे में बताइये। आप कितने समय से ये काम कर रहे हैं और कोरोना के समय आप का क्या अनुभव रहा है क्योंकि देश के लोगों को इस प्रकार से न टीवी पर दिखते हैं, न अखबार में दिखते हैं। फिर भी एक ऋषि की तरह लैब में रह करके काम कर रहे हैं। तो मैं चाहूँगा कि आप जब बताएंगे तो देशवासियों को भी जानकारी मिलेंगी कि देश में काम कैसे हो रहा है ?

प्रकाश जी – मैं दिल्ली सरकार के स्वायत्त संस्थान Institute of Liver and Biliary Sciences नाम के हॉस्पिटल में पिछले 10 वर्षों से lab technician के रूप में कार्यरत हूँ। मेरा स्वास्थ्य-क्षेत्र का अनुभव 22 वर्षों का है। ILBS से पहले भी मैं दिल्ली के अपोलोहॉस्पिटल, राजीव गाँधी कैंसर हॉस्पिटल, Rotary Blood Bank जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम कर चुका हूँ। सर, यद्यपि सभी जगह मैंने रक्त-कोष विभाग में अपनी सेवाएं दी परन्तु पिछले वर्ष 1 अप्रैल, 2020 से मैं ILBS के Virology Department के अधिरत Covid testing lab में कार्य कर रहा हूँ। नि:संदेह, कोविड महामारी में स्वास्थ एवं स्वास्थ्य संबंधित सभी साधन-संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ा, पर मैं इस संघर्ष के दौर को निजी तौर पर इसमें ऐसा अवसरमानता हूँ जब राष्ट्र,मानवता, समाज हमसे अधिक उत्तरदायित्व, सहयोग, हमसे अधिक सामर्थ्य और हमसे अधिक क्षमता के प्रदर्शन की अपेक्षा करता है और आशा करता है। और सर, जब हम राष्ट्र के, मानवता के, समाज के अपेक्षा के और आशा के अनुरूप अपने स्तर पर जो कि एक बूंद के बराबर है , हम उसपे काम करते हैं,खरा उतरते है तो एक गौरव की अनुभूति होती है। कभी जब हमारे घरवाले भी आशंकित होते है या थोड़ा उन्हें भय लगता है तो ऐसे अवसर पर उनको स्मरण कराता हूँ कि हमारे देश के जवान जो कि सदैव ही परिवार से दूर सीमाओं पर विषम और असामान्य परिस्थितियों में देश की रक्षा कर रहे हैं उनकी तुलना में तो हमारा जोखिम जो है कम है, बहुत कम है। तो वो भी इस चीज को समझते हैं और मेरे साथ में एक तरह से वो भी सहयोग करते हैं और वो भी इस आपदा में समान रूप से जो भी सहयोग है उसमें अपनी सहभागिता निभाते हैं।

मोदी जी – प्रकाश जी एक तरफ सरकार सबको कह रही है कि दूरी रखो – दूरी रखो,कोरोना में एक-दूसरे से दूर रहो। और आपको तो सामने से होकरके, कोरोना के जीवाणुओं के बीच में रहना ही पड़ता है , सामने से जाना पड़ता है। तो, ये अपने आप में एक जिंदगी को संकट में डालने वाला मामला रहता है तो परिवार को चिंता होना बहुत स्वाभाविक है। लेकिन फिर भी ये lab technician का काम सामन्य संजोगों में एक है। और ऐसी pandemic स्थिति में दूसरा है और वो आप कर रहे हैं।तो काम के घंटे भी बहुत बढ़ गए होंगें ? रात-रात lab में निकालना पड़ता होगा ? क्योंकि इतना करोड़ों लोगों का testing हो रहा है तो बोझ भी बढ़ा होगा ? लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए भी ये सावधानी रखते हैं कि नहीं रखते हैं ?

प्रकाश जी – बिल्कुल रखते है सर। हमारे ILBS की जो lab है , वो WHO से मान्यता-प्राप्त है। तो जो सारे protocol हैं वो international standards के हैं,हम त्रि-स्तरीय, जो हमारी पोशाक है उसमे हम जाते हैं lab में, और उसी में हम काम करते हैं। और उसका पूरा discarding का, labelling का और उनको testing का एक पूरा protocol है तो उस protocol के तहत काम करते हैं। तो सर ये भी ईश्वर की कृपा है कि मेरा परिवार और मेरे जानने वाले अधिकतर जो अभी तक इस संक्रमण से बचे हुए हैं। तो एक चीज है कि, अगर आप सावधानी रखते हैं और संयम बरतते हैं तो आप थोड़ा बहुत उससे बचे रह सकते हैं।

मोदी जी – प्रकाश जी, आप जैसे हजारों लोग पिछले एक साल से lab में बैठे हैं और इतनी ज़हमत कर रहे हैं। इतने लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं। जो देश आज जान रहा है। लेकिन प्रकाश जी मैं आपके माध्यम से आपकी बिरादरी के सभी साथियों को हृदयपूर्वक धन्यवाद करता हूँ। देशवासियों की तरफ से धन्यवाद करता हूँ। और आप स्वस्थ रहिये। आपका परिवार स्वस्थ रहे। मेरी बहुत शुभकामनाएं हैं। 

प्रकाश जी – धन्यवाद प्रधानमंत्री जी। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ कि आपने मुझे ये अवसर प्रदान किया।

मोदी जी – धन्यवाद भईया।

साथियों, एक प्रकार से बात तो मैंने भाई प्रकाश जी से की है, लेकिन उनकी बातों में हजारों Lab technicians की सेवा की सुगंध हम तक पहुँच रही है। इन बातों में हजारों-लाखों लोगों का सेवाभाव तो दिखता ही है, हम सभी को अपनी ज़िम्मेदारी का बोध भी होता है। जितनी मेहनत और लगन से भाई प्रकाश जी जैसे हमारे साथी काम कर रहे हैं, उतनी ही निष्ठा से उनका सहयोग, कोरोना को हराने में बहुत मदद करेगा।

मेरे प्यारे देशवासियों, अभी हम हमारे ‘Corona Warriors’ की चर्चा कर रहे थे। पिछले डेढ़ सालों में हमने उनका खूब समर्पण और परिश्रम देखा है। लेकिन इस लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका देश के कई क्षेत्रों के अनेक Warriors की भी है। आप सोचिए, हमारे देश पर इतना बड़ा संकट आया, इसका असर देश की हर एक व्यवस्था पर पड़ा। कृषि-व्यवस्था ने ख़ुद को इस हमले से काफी हद तक सुरक्षित रखा। सुरक्षित ही नहीं रखा, बल्कि प्रगति भी की, आगे भी बढ़ी ! क्या आपको पता है कि इस महामारी में भी हमारे किसानों ने record उत्पादन किया है ? किसानों ने record उत्पादन किया, तो इस बार देश ने record फसल खरीदी भी की है। इस बार कई जगहों पर तो सरसों के लिए किसानों को MSP से भी ज्यादा भाव मिला है।Record खाद्यान्न-उत्पादन की वजह से ही हमारा देश हर देशवासी को संबल प्रदान कर पा रहा है।आज इस संकट काल में 80 करोड़ ग़रीबों को मुफ़्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि ग़रीब के घर में भी कभी ऐसा दिन न आए जब चूल्हा न जले।

साथियों, आज हमारे देश के किसान, कई क्षेत्रों में नई व्यवस्थाओं का लाभ उठाकर कमाल कर रहे हैं। जैसे कि अगरतला के किसानों को ही लीजिए ! ये किसान बहुत अच्छे कटहल की पैदावार करते हैं। इनकी मांग देश-विदेश में हो सकती है, इसलिए इस बार अगरतला के किसानों के कटहल रेल के जरिए गुवाहाटी तक लाये गए। गुवाहाटी से अब ये कटहल लंदन भेजे जा रहे हैं। ऐसे ही आपने बिहार की ‘शाही लीची’ का नाम भी सुना होगा। 2018 में सरकार ने शाही लीची को GI Tag भी दिया था ताकि इसकी पहचान मज़बूत हो और किसानों को ज़्यादा फ़ायदा हो। इस बार बिहार की ये ‘शाही लीची’ भी हवाई-मार्ग से लंदन भेजी गई है। पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण हमारा देश ऐसे ही अनूठे स्वाद और उत्पादों से भरा पड़ा है। दक्षिण भारत में, विजयनगरम के आम के बारे में आपनेज़रुर सुना होगा ? अब भला ये आम कौन नहीं खाना चाहेगा ! इसलिए, अब किसान-रेल, सैकड़ों टन विजयनगरम आम दिल्ली पंहुचा रही है। दिल्ली और उत्तर भारत के लोगों को विजयनगरम आम खाने को मिलेगा और विजयनगरम के किसानों को अच्छी कमाई होगी। किसान-रेल अब तक करीब – करीब 2 लाख टन उपज का परिवहन कर चुकी है। अब किसान बहुत कम कीमत पर फल, सब्जियाँ, अनाज, देश के दूसरे सुदूर हिस्सों में भेज पा रहा है।

मेरे प्यारे देशवासियों, आज 30 मई को हम ‘मन की बात’ कर रहे हैं और संयोग से ये सरकार के 7 साल पूरे होने का भी समय है। इन वर्षों में देश ‘सबका-साथ, सबका-विकास, सबका-विश्वास’ के मंत्र पर चला है। देश की सेवा में हर क्षण समर्पित भाव से हम सभी ने काम किया है। मुझे कई साथियों ने पत्र भेजे हैं और कहा है कि ‘मन की बात’ में 7 साल की हमारी-आपकी इस साझी यात्रा पर भी चर्चा करूँ। साथियों, इन 7 वर्षों में जो कुछ भी उपलब्धि रही है, वो देश की रही है, देशवासियों की रही है। कितने ही राष्ट्रीय गौरव के क्षण हमने इन वर्षों में साथ मिलकर अनुभव किए हैं। जब हम ये देखते हैं कि अब भारत दूसरे देशों की सोच और उनके दबाव में नहीं, अपने संकल्प से चलता है, तो हम सबको गर्व होता है। जब हम देखते हैं कि अब भारत अपने खिलाफ साज़िश करने वालों को मुंहतोड़ ज़वाब देता है तो हमारा आत्मविश्वास और बढ़ता है। जब भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर समझौता नहीं करता, जब हमारी सेनाओं की ताकत बढ़ती हैं, तो हमें लगता है कि हाँ, हम सही रास्ते पर हैं।

साथियों, मुझे कितने ही देशवासियों के संदेश, उनके पत्र, देश के कोने-कोने से मिलते हैं। कितने ही लोग देश को धन्यवाद देते हैं कि 70 साल बाद उनके गाँव में पहली बार बिजली पहुंची है, उनके बेटे- बेटियाँ उजाले में, पंखे में बैठ करके पढ़ रहे हैं। कितने ही लोग कहते हैं कि हमारा भी गाँव अब पक्की सड़क से, शहर से जुड़ गया है। मुझे याद है एक आदिवासी इलाके से कुछ साथियों ने मुझे संदेश भेजा था कि सड़क बनने के बाद पहली बार उन्हें ऐसा लगा कि वो भी बाकी दुनिया से जुड़ गए हैं। ऐसे ही कहीं कोई बैंक खाता खुलने की खुशी साझा करता है, तो कोई अलग-अलग योजनाओं की मदद से जब नया रोज़गार शुरू करता है तो उस खुशी में मुझे भी आमंत्रित करता है। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत घर मिलने के बाद गृहप्रवेश के आयोजन में कितने ही निमंत्रण मुझे हमारे देशवासियों की ओर से लगातार मिलते रहते हैं। इन 7 सालों में आप सबकी ऐसी करोड़ों खुशियों में, मैं शामिल हुआ हूँ। अभी कुछ दिन पहले ही मुझे गाँव से एक परिवार ने ‘जल जीवन मिशन’ के तहत घर में लगे पानी के नल की एक फोटो भेजी। उन्होंने उस फोटो का caption लिखा था –‘मेरे गाँव की जीवनधारा’। ऐसे कितने ही परिवार हैं। आज़ादी के बाद 7 दशकों में हमारे देश के केवल साढ़े तीन करोड़ ग्रामीण घरों में ही पानी के connection थे। लेकिन पिछले 21 महीनों में ही साढ़े चार करोड़ घरों को साफ पानी के connection दिए गए हैं। इनमें से 15 महीने तो कोरोनाकाल के ही थे ! इसी तरह का एक नया विश्वास देश में ‘आयुष्मान योजना’ से भी आया है। जब कोई ग़रीब मुफ़्त इलाज से स्वस्थ होकर घर आता है तो उसे लगता है कि उसे नया जीवन मिला है। उसे भरोसा होता है कि देश उसके साथ है। ऐसे कितने ही परिवारों का आशीर्वचन, करोड़ों माताओं का आशीर्वाद लेकर हमारा देश मजबूती के साथ विकास की ओर अग्रसर है।

साथियों,इन 7 सालों में भारत ने ‘Digital लेन देन’ में दुनिया को नई दिशा दिखाने का काम किया है। आज किसी भी जगह जितनी आसानी से आप चुटकियों में Digital Payment कर देते हैं, वो कोरोना के इस समय में भी बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। आज स्वच्छता के प्रति देशवासियों की गंभीरता और सतर्कता बढ़ रही है। हम record satellite भी प्रक्षेपित कर रहे हैं और record सड़कें भी बना रहे हैं। इन 7 वर्षों में ही देश के अनेकों पुराने विवाद भी पूरी शांति और सौहार्द से सुलझाए गए हैं। पूर्वोतर से लेकर कश्मीर तक शांति और विकास का एक नया भरोसा जगा है।साथियों,क्या आपने सोचा है, ये सब काम जो दशकों में भी नहीं हो सके, इन 7 सालों में कैसे हुए ? ये सब इसीलिए संभव हुआ क्योंकि इन 7 सालों में हमने सरकार और जनता से ज्यादा एक देश के रूप में काम किया,एक team के रूप में काम किया,‘Team India’के रूप में काम किया। हर नागरिक ने देश को आगे बढ़ाने में एकाध-एकाध कदम आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। हाँ ! जहाँ सफलताएँ होती हैं, वहाँ परीक्षाएँ भी होती हैं। इन 7 सालों में हमने साथ मिलकर ही कई कठिन परीक्षाएँ भी दी हैं और हर बार हम सभी मज़बूत होकर निकले हैं। कोरोना महामारी के रूप में, इतनी बड़ी परीक्षा तो लगातार चल रही है। ये तो एक ऐसा संकट है जिसने पूरी दुनिया को परेशान किया है, कितने ही लोगों ने अपनों को खोया है। बड़े-बड़े देश भी इसकी तबाही से बच नहीं सके हैं। इस वैश्विक-महामारी के बीच भारत, ‘सेवा और सहयोग’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। हमने पहली Wave में भी पूरे हौसले के साथ लड़ाई लड़ी थी, इस बार भी वायरस के खिलाफ़ चल रही लड़ाई में भारत विजयी होगा। ‘दो गज की दूरी’, मास्क से जुड़े नियम हों या फिर Vaccine, हमें ढिलाई नहीं करनी है। यही हमारी जीत का रास्ता है। अगली बार जब हम ‘मन की बात’ में मिलेंगे, तो देशवासियों के कई और प्रेरणादायक उदाहरणों पर बात करेंगे और नए विषयों पर चर्चा करेंगे। आप अपने सुझाव मुझे ऐसे ही भेजते रहिए। आप सभी स्वस्थ रहिए, देश को इसी तरह आगे बढ़ाते रहिए।बहुत –बहुत धन्यवाद।

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