मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार, ‘मन की बात’ में एक बार फिर आप सब का स्वागत है। ऐसे तो ‘मन की बात’ हर महीने के आखिरी रविवार को होता है, लेकिन, इस बार एक सप्ताह पहले ही हो रहा है। आप सब जानते ही हैं, अगले हफ्ते मैं अमेरिका में रहूँगा और वहाँ बहुत सारी भाग-दौड़ भी रहेगी और इसलिए मैंने सोचा, वहाँ जाने से पहले आपसे बात कर लूँ, और इससे बढ़िया क्या होगा? जनता-जनार्दन का आशीर्वाद, आपकी प्रेरणा, मेरी ऊर्जा भी बढ़ती रहेगी।
साथियो, बहुत से लोग कहते हैं कि प्रधानमंत्री के तौर पर मैंने ये अच्छा काम किया, वो बड़ा काम किया। ‘मन की बात’ के कितने ही श्रोता, अपनी चिट्ठियों में बहुत सारी प्रशंसा करते हैं। कोई कहता है ये किया, कोई कहता है वो किया, ये अच्छा किया, ये ज्यादा अच्छा किया, ये बढ़िया किया, लेकिन, मैं, जब भारत के सामान्य मानवी के प्रयास, उनकी मेहनत, उनकी इच्छाशक्ति को देखता हूँ, तो खुद अपने आप, अभिभूत हो जाता हूँ। बड़े से बड़ा लक्ष्य हो, कठिन-से-कठिन चुनौती हो, भारत के लोगों का सामूहिक बल, सामूहिक शक्ति, हर चुनौती का हल निकाल देता है। अभी हमने दो-तीन दिन पहले देखा, कि, देश के पश्चिमी छोर पर कितना बड़ा Cyclone आया। तेज चलने वाली हवाएँ, तेज बारिश। Cyclone Biparjoy (बिपरजॉय) ने कच्छ में कितना कुछ तहस-नहस कर दिया, लेकिन, कच्छ के लोगों ने जिस हिम्मत और तैयारी के साथ इतने खतरनाक Cyclone का मुक़ाबला किया, वो भी उतना ही अभूतपूर्व है। दो दिन बाद ही कच्छ के लोग, अपना नया वर्ष, यानि आषाढ़ी बीज भी मनाने जा रहे हैं। ये भी संयोग है कि आषाढ़ी बीज, कच्छ में वर्षा की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। मैं, इतने साल कच्छ आता-जाता रहा हूँ, वहाँ के लोगों की सेवा करने का मुझे सौभाग्य भी मिला है और इसके लिए कच्छ के लोगों का हौंसला और उनकी जिजीविषा के बारे मैं अच्छी तरह जानता हूँ। दो दशक पहले के विनाशकारी भूकंप के बाद जिस कच्छ के बारे में कहा जाता था कि वो कभी उठ नहीं पाएगा, आज, वही जिला, देश के तेजी से विकसित होते जिलों में से एक है। मुझे विश्वास है, Cyclone बिपरजॉय ने जो तबाही मचाई है, उससे भी कच्छ के लोग बहुत तेजी से उभर जाएंगे।
साथियो, प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का ज़ोर नहीं होता, लेकिन, बीते वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है, वो आज एक उदाहरण बन रही है। प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका है – प्रकृति का संरक्षण। आजकल, Monsoon के समय में तो, इस दिशा में, हमारी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। इसीलिए ही आज देश, ‘Catch the Rain’ जैसे अभियानों के जरिए सामूहिक प्रयास कर रहा है| पिछले महीने ‘मन की बात’ में ही हमने जल संरक्षण से जुड़े Start-Ups की चर्चा की थी। इस बार भी मुझे चिट्ठी लिखकर कई ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है जो पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए जी-जान से लगे हैं। ऐसे ही एक साथी हैं – यूपी के बांदा जिले के तुलसीराम यादव जी। तुलसीराम यादव जी लुकतरा ग्राम पंचायत के प्रधान हैं। आप भी जानते हैं कि बांदा और बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी को लेकर कितनी कठिनाईयाँ रही हैं। इस चुनौती से पार पाने के लिए तुलसीराम जी ने गाँव के लोगों को साथ लेकर इलाके में 40 से ज्यादा तालाब बनवाए हैं। तुलसीराम जी ने अपनी मुहिम का आधार बनाया है – खेत का पानी खेत में, गाँव का पानी गाँव में। आज उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि उनके गाँव में भू-जल स्तर सुधर रहा है। ऐसे ही यू.पी. के हापुड़ जिले में लोगों ने मिलकर के एक विलुप्त नदी को पुनर्जीवित किया है। यहाँ काफी समय पहले नीम नाम की एक नदी हुआ करती थी। समय के साथ वो लुप्त हो गई, लेकिन, स्थानीय स्मृतियाँ और जन-कथाओं में उसे हमेशा याद किया जाता रहा। आखिरकार, लोगों ने अपनी इस प्राकृतिक धरोहर को फिर से सजीव करने की ठानी। लोगों के सामूहिक प्रयास से अब ‘नीम नदी’ फिर से जीवंत होने लगी है। नदी के उद्गम स्थल को अमृत सरोवर के तौर भी विकसित किया जा रहा है।
साथियो, ये नदी, नहर, सरोवर, ये केवल जल-स्त्रोत ही नहीं होते हैं, बल्कि इनसे, जीवन के रंग और भावनाएं भी जुड़ी होती हैं। ऐसा ही एक दृश्य अभी कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र में देखने को मिला। ये इलाका ज्यादातर सूखे की चपेट में रहता है। पांच दशक के इंतजार के बाद यहाँ Nilwande Dam (निलवंडे डैम) की Canal का काम अब पूरा हो रहा है। कुछ दिन पहले Testing के दौरान Canal में पानी छोड़ा गया था। इस दौरान जो तस्वीरें आयी, वो वाकई भावुक करने वाली थी। गांव के लोग ऐसे झूम रहे थे, जैसे होली-दिवाली का त्योहार हो।
साथियो, जब प्रबंधन की बात हो रही है, तो मैं, आज, छत्रपति शिवाजी महाराज को भी याद करूंगा। छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता के साथ ही उनकी Governance और उनके प्रबंध कौशल से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। विशेषकर, जल-प्रबंधन और नौसेना को लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज ने जो कार्य किए, वो आज भी भारतीय इतिहास का गौरव बढ़ाते हैं। उनके बनाए जलदुर्ग, इतनी शताब्दियों बाद भी समंदर के बीच में आज भी शान से खड़े हैं। इस महीने की शुरुआत में ही छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हुए हैं। इस अवसर को एक बड़े पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में इससे जुड़े भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मुझे याद है, कई वर्ष पहले 2014 में, मुझे, रायगढ़ जाने, उस पवित्र भूमि को नमन करने का सौभाग्य मिला था। यह हम सबका कर्तव्य है कि इस अवसर पर हम छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रबंध कौशल को जानें, उनसे सीखें। इससे हमारे भीतर, हमारी विरासत पर गर्व का बोध भी जगेगा, और भविष्य के लिए कर्तव्यों की प्रेरणा भी मिलेगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने रामायण की उस नन्हीं गिलहरी के बारे में जरुर सुना होगा, जो, रामसेतु बनाने में मदद करने के लिए आगे आई थी। कहने का मतलब ये, कि जब नीयत साफ हो, प्रयासों में ईमानदारी हो, तो फिर कोई भी लक्ष्य, कठिन नहीं रहता। भारत भी, आज, इसी नेक नीयत से, एक बहुत बड़ी चुनौती का मुकाबला कर रहा है। ये चुनौती है – टी.बी. की, जिसे क्षय रोग भी कहा जाता है। भारत ने संकल्प किया है 2025 तक, टी.बी. मुक्त भारत, बनाने का – लक्ष्य बहुत बड़ा ज़रूर है । एक समय था, जब, टी.बी. का पता चलने के बाद परिवार के लोग ही दूर हो जाते थे, लेकिन ये आज का समय है, जब टी.बी. के मरीज को परिवार का सदस्य बनाकर उनकी मदद की जा रही है। इस क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए, निक्षय मित्रों ने, मोर्चा संभाल लिया है। देश में बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न सामाजिक संस्थाएं निक्षय मित्र बनी हैं। गाँव-देहात में, पंचायतों में, हजारों लोगों ने खुद आगे आकर टी.बी. मरीजों को गोद लिया है। कितने ही बच्चे हैं, जो, टीबी मरीजों की मदद के लिए आगे आए हैं। ये जन-भागीदारी ही इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत है। इसी भागीदारी की वजह से आज देश में 10 लाख से ज्यादा टी.बी. मरीजों को गोद लिया जा चुका है और ये पुण्य का काम किया है, क़रीब-क़रीब 85 हजार निक्षय मित्रों ने। मुझे खुशी है कि, देश के कई सरपंचों ने, ग्राम प्रधानों ने भी, ये बीड़ा उठा लिया है कि वो, अपने गांव में टी.बी. को समाप्त करके ही रहेंगे।
नैनीताल के एक गांव के निक्षय मित्र श्रीमान दीकर सिंह मेवाड़ी जी ने टी.बी.के छह मरीजों को गोद लिया है। ऐसे ही किन्नौर की एक ग्राम पंचायत के प्रधान निक्षय मित्र श्रीमान ज्ञान सिंह जी भी अपने ब्लॉक में टी.बी. मरीजों को हर जरुरी सहायता उपलब्ध कराने में जुटे हैं। भारत को टी.बी. मुक्त बनाने की मुहिम में हमारे बच्चे और युवा साथी भी पीछे नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश के ऊना की 7 साल की बेटी नलिनी सिंह का कमाल देखिए। बिटिया नलिनी, अपनी Pocket money से, टी.बी. मरीजों की मदद कर रही है। आप जानते हैं कि बच्चों को गुल्लक से कितना प्यार होता है, लेकिन, MP के कटनी जिले की 13 साल की मीनाक्षी और पश्चिम बंगाल के Diamond Harbour के 11 साल के बश्वर मुखर्जी, दोनों ही कुछ अलग ही बच्चे हैं। इन दोनों बच्चो ने अपने गुल्लक के पैसे भी टी.बी. मुक्त भारत के अभियान में लगा दिए हैं। ये सभी उदाहरण भावुकता से भरे होने के साथ ही, बहुत प्रेरक भी हैं। कम उम्र में बड़ी सोच रखने वाले इन सभी बच्चों की, मैं हृदय से प्रशंसा करता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियो, हम भारतवासियों का स्वभाव होता है कि हम हमेशा नए विचारों के स्वागत के लिए तैयार रहते हैं। हम अपनी चीज़ों से प्रेम करते हैं और नई चीज़ों को आत्मसात भी करते हैं। इसी का एक उदाहरण है – जापान की तकनीक मियावाकी, अगर किसी जगह की मिट्टी उपजाऊ नहीं रही हो, तो मियावाकी तकनीक, उस क्षेत्र को, फिर से हरा-भरा करने का बहुत अच्छा तरीका होती है। मियावाकी जंगल तेजी से फैलते हैं और दो-तीन दशक में जैव विविधता का केंद्र बन जाते हैं। अब इसका प्रसार बहुत तेजी से भारत के भी अलग-अलग हिस्सों में हो रहा है। हमारे यहाँ केरला के एक teacher श्रीमान राफी रामनाथ जी ने इस तकनीक से एक इलाके की तस्वीर ही बदल दी। दरअसल, रामनाथ जी अपने students को, प्रकृति और पर्यावरण के बारे में गहराई से समझाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एक हर्बल गार्डन ही बना डाला। उनका ये गार्डन अब एक Biodiversity Zone बन चुका है। उनकी इस कामयाबी ने उन्हें और भी प्रेरणा दी। इसके बाद राफी जी ने मियावाकी तकनीक से एक mini forest, यानि छोटा जंगल और इसे नाम दिया – ‘विद्यावनम्’। अब इतना खूबसूरत नाम तो एक शिक्षक ही रख सकता है – ‘विद्यावनम्’। रामनाथ जी के इस ‘विद्यावनम्’ में छोटी सी जगह में 115 varieties के 450 से अधिक पेड़ लगाए गए। उनके students भी इनके रखरखाव में उनका हाथ बटाते हैं। इस खूबसूरत जगह को देखने के लिए आसपास के स्कूली बच्चे, आम नागरिक – काफी भीड़ उमड़ती है। मियावाकी जंगलों को किसी भी जगह, यहाँ तक कि शहरों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। कुछ समय पहले ही मैंने गुजरात में केवड़िया, एकता नगर में, मियावाकी forest का उद्घाटन किया था। कच्छ में भी 2001 के भूकंप में मारे गए लोगों की याद में मियावाकी पद्धति से स्मृति वन बनाया गया है। कच्छ जैसी जगह पर इसका सफल होना ये बताता है कि मुश्किल से मुश्किल प्राकृतिक परिवेश में भी ये तकनीक कितनी प्रभावी है। इसी तरह, अंबाजी और पावागढ़ में भी मियावाकी method से पौधे लगाए गए हैं। मुझे पता चला है कि लखनऊ के अलीगंज में भी एक मियावाकी उद्यान तैयार किया जा रहा है। पिछले चार साल में मुंबई और उसके आस-पास के इलाकों में ऐसे 60 से ज्यादा जंगलों पर काम किया गया है। अब तो ये technique पूरी दुनिया में पसंद की जा रही है। Singapore, Paris, Australia, Malaysia जैसे कितने ही देशों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। मैं देशवासियों से, खासकर, शहरों में रहने वाले लोगों से, आग्रह करूंगा कि वे मियावाकी पद्धति के बारे में जरुर जानने का प्रयास करें। इसके जरिए आप अपनी धरती और प्रकृति को हरा-भरा और स्वच्छ बनाने में अमूल्य योगदान दे सकते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, आजकल हमारे देश में जम्मू-कश्मीर की खूब चर्चा होती है। कभी बढ़ते पर्यटन के कारण, तो कभी G-20 के शानदार आयोजनों के कारण। कुछ समय पहले मैंने ‘मन की बात’ में आपको बताया था कि कैसे कश्मीर के ‘नादरू’ देश के बाहर भी पसंद किए जा रहे हैं। अब जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के लोगों ने एक कमाल कर दिखाया है। बारामूला में खेती-बाड़ी तो काफी समय से होती है, लेकिन यहाँ, दूध की कमी रहती थी। बारामूला के लोगों ने इस चुनौती को एक अवसर के रूप में लिया। यहाँ बड़ी संख्या में लोगों ने डेयरी का काम शुरू किया। इस काम में सबसे आगे यहाँ की महिलाएं आईं, जैसे कि एक बहन हैं – इशरत नबी। इशरत, एक graduate है और इन्होंने ‘Mir Sisters Dairy Farm (मीर सिस्टर्स डेयरी फार्म)’ शुरू किया है। उनके डेयरी फार्म से हर दिन करीब डेढ़-सौ लीटर दूध की बिक्री हो रही है। ऐसे ही सोपोर के एक साथी हैं – वसीम अनायत। वसीम के पास दो दर्जन से ज्यादा पशु हैं और वो हर दिन दो-सौ लीटर से ज्यादा दूध बेचते हैं। एक और युवा आबिद हुसैन भी डेयरी का काम कर रहें हैं। इनका काम भी खूब आगे बढ़ रहा है। ऐसे लोगों की मेहनत की वजह से ही आज बारामूला में हर रोज साढ़े 5 लाख लीटर दूध उत्पादन हो रहा है। पूरा बारामूला, एक नयी श्वेत क्रांति की पहचान बन रहा है। पिछले ढाई-तीन वर्षों में यहाँ 500 से ज्यादा dairy units लगी हैं। बारामूला की dairy industry इस बात की गवाह है कि हमारे देश का हर हिस्सा कितनी संभावनाओं से भरा हुआ है। किसी क्षेत्र के लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति कोई भी लक्ष्य प्राप्त करके दिखा सकती है।
मेरे प्यारे देशवासियो, इसी महीने खेल जगत से भारत के लिए कई बड़ी खुशखबरी आई हैं। भारत की टीम ने पहली बार Women’s Junior Asia Cup जीतकर तिरंगे की शान बढ़ाई है। इसी महीने हमारी Men’s Hockey Team ने भी Junior Asia Cup जीता है। इसके साथ ही हम इस tournament के इतिहास में सबसे अधिक जीत दर्ज करने वाले टीम भी बन गए हैं। Junior Shooting World Cup उसमें भी हमारी junior team ने भी कमाल कर दिया। भारतीय टीम ने इस tournament में पहला स्थान हासिल किया है। इस tournament में कुल जितने gold medals थे, उसमें से 20% अकेले भारत के खाते में आए हैं। इसी जून में Asian Under Twenty Athletics Championship भी हुई। इसमें, भारत, पदक तालिका में, 45 देशों में, top तीन में रहा|
साथियो, पहले एक समय होता था जब हमें अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों के बारे में पता तो चलता था, लेकिन, उनमें अक्सर भारत का कहीं कोई नाम नहीं होता था। लेकिन, आज, मैं, केवल पिछले कुछ सप्ताह की सफलताओं का ज़िक्र कर रहा हूँ, तो भी list इतनी लंबी हो जाती है। यही हमारे युवाओं की असली ताकत है। ऐसे कितने ही खेल और प्रतियोगिताएं हैं, जहाँ आज भारत, पहली बार, अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहा है। जैसे कि long jump में श्रीशंकर मुरली ने Paris Diamond League जैसे प्रतिष्ठित आयोजन में देश को bronze दिलाया है। ये इस प्रतियोगिता में भारत का पहला मेडल है। ऐसे ही एक सफलता हमारी Under Seventeen Women Wrestling Team ने किर्गिस्तान में भी दर्ज की है। मैं देश के इन सभी athletes, उनके parents और coaches, सबको उनके प्रयासों के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
साथियो, international आयोजनों में देश की इस सफलता के पीछे राष्ट्रीय स्तर पर हमारे खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत होती है। आज, देश के अलग-अलग राज्यों में एक नए उत्साह के साथ खेलों के आयोजन होते हैं। इनसे खिलाड़ियों को खेलने, जीतने और हार से सीखने का मौका मिलता है। जैसे, अभी उत्तर प्रदेश में Khelo India University Games का आयोजन हुआ। इसमें युवाओं में खूब उत्साह और जोश देखने को मिला। इन खेलों में हमारे युवाओं ने ग्यारह record तोड़े हैं। इन खेलों में Punjab University , अमृतसर की Guru Nanak Dev University और कर्नाटका की Jain University, medal tally में पहले तीन स्थानों पर रही है।
साथियो, ऐसे tournaments का एक बड़ा पहलू यह भी होता है कि इनसे युवा खिलाड़ियों की कई inspiring stories भी सामने आती हैं| Khelo India University Games में Rowing स्पर्धा में असम की Cotton University के अन्यतम राजकुमार ऐसे पहले दिव्यांग खिलाड़ी बने, जिन्होंने इसमें हिस्सा लिया। Barkatullah University की निधि पवैया घुटने में गंभीर चोट के बावजूद Shot-put में Gold Medal जीतने में कामयाब रही। Savitribai Phule Pune University के शुभम भंडारे को ankle injury के चलते, पिछले साल बेंगलुरु में निराशा हाथ लगी थी, लेकिन इस बार वे Steeplechase के Gold Medallist बने हैं। Burdwan University की सरस्वती कुंडू अपनी कबड्डी टीम की Captain हैं। वे कई मुश्किलों को पार कर यहाँ तक पहुँची हैं। बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले बहुत सारे Athletes को, TOPS Scheme से भी बहुत मदद मिल रही है। हमारे खिलाड़ी जितना खेलेंगे, उतना ही खिलेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियो, 21 जून भी अब आ ही गई है। इस बार भी, विश्व के कोने-कोने में लोग अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। इस वर्ष योग दिवस की theme है – Yoga For Vasudhaiva Kutumbakam यानि ‘एक विश्व-एक परिवार’ के रूप में सबके कल्याण के लिए योग। यह योग की उस भावना को व्यक्त करता है, जो सबको जोड़ने वाली और साथ लेकर चलने वाली है। हर बार की तरह, इस बार भी देश के कोने-कोने में, योग से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
साथियो, इस बार मुझे New York के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, UN में होने वाले योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मैं, देख रहा हूँ, कि Social Media पर भी, योग दिवस को लेकर गजब का उत्साह दिख रहा है।
साथियो, मेरा आप सभी से आग्रह है कि आप, योग को अपने जीवन में जरुर अपनाएं, इसे, अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। अगर अब भी आप योग से नहीं जुड़े हैं तो आने वाली 21 जून, इस संकल्प के लिए बहुत बेहतरीन मौका है। योग में तो वैसे भी ज्यादा तामझाम की जरुरत ही नहीं होती है। देखिये, जब आप योग से जुड़ेंगे तो आपके जीवन में कितना बड़ा परिवर्तन आएगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, परसों यानि 20 जून को ऐतिहासिक रथयात्रा का दिन है। रथयात्रा की पूरी दुनिया में एक विशिष्ट पहचान है। देश के अलग-अलग राज्यों में बहुत धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। ओडिशा के पुरी में होने वाली रथयात्रा तो अपने आपमें अद्भुत होती है। जब मैं गुजरात में था, तो मुझे, अहमदाबाद में होने वाली विशाल रथयात्रा में शामिल होने का अवसर मिलता था। इन रथयात्राओं में जिस तरह देश भर के, हर समाज, हर वर्ग के लोग उमड़ते हैं वो अपने आपमें बहुत अनुकरणीय है। ये आस्था के साथ ही ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का भी प्रतिबिम्ब होती है। इस पावन-पुनीत अवसर पर आप सभी को मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरी कामना है, भगवान जगन्नाथ सभी देशवासियों को अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें।
साथियो, भारतीय परंपरा और संस्कृति से जुड़े उत्सव की चर्चा करते हुए, मैं, देश के राजभवनों में हुए दिलचस्प आयोजनों का भी जरुर उल्लेख करूँगा। अब देश में राजभवनों की पहचान, सामाजिक और विकास कार्यों से होने लगी है। आज, हमारे राजभवन, टी.बी. मुक्त भारत अभियान के, प्राकृतिक खेती से जुड़े अभियान के, ध्वजवाहक बन रहे हैं। बीते समय में गुजरात हो, गोवा हो, तेलंगाना हो, महाराष्ट्र हो, सिक्किम हो, इनके स्थापना दिवस को, अलग-अलग राजभवनों ने जिस उत्साह के साथ celebrate किया, वह अपने आप में एक मिसाल है। यह एक बेहतरीन पहल है जो ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को सशक्त बनाती है।
साथियो, भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है। हम, अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं, अपने संविधान को सर्वोपरि मानते हैं, इसलिए, हम 25 जून को भी कभी भुला नहीं सकते। यह वही दिन है जब हमारे देश पर emergency थोपी गई थी। यह भारत के इतिहास का काला दौर था। लाखों लोगों ने emergency का पूरी ताकत से विरोध किया था। लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान इतना अत्याचार किया गया, इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी, मन, सिहर उठता है। इन अत्याचारों पर पुलिस और प्रशासन द्वारा दी गई सजाओं पर बहुत सी पुस्तकें लिखी गई हैं। मुझे भी ‘संघर्ष में गुजरात’ नाम से एक किताब लिखने का उस समय मौका मिला था। कुछ दिनों पहले ही emergency पर लिखी एक और किताब मेरे सामने आई जिसका शीर्षक है – Torture of Political Prisoners in India. Emergency के दौरान छपी इस पुस्तक में वर्णन किया गया है, कि कैसे, उस समय की सरकार, लोकतंत्र के रखवालों से क्रूरतम व्यवहार कर रही थी। इस किताब में ढ़ेर सारी case studies हैं, बहुत सारे चित्र हैं। मैं चाहूँगा कि, आज, जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो, देश की आजादी को खतरे में डालने वाले ऐसे अपराधों का भी जरुर अवलोकन करें। इससे आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ रंग-बिरंगे मोतियों से सजी एक सुंदर माला है जिसका हर मोती अपने आपमें अनूठा और अनमोल है। इस कार्यक्रम का हर episode बहुत ही जीवंत होता है। हमें, सामूहिकता की भावना के साथ-साथ समाज के प्रति कर्तव्य-भाव और सेवा-भाव से भरता है। यहां उन विषयों पर खुलकर चर्चा होती है, जिनके बारे में, हमें, आमतौर पर कम ही पढ़ने–सुनने को मिलता है। हम अक्सर देखते हैं कि ‘मन की बात’ में किसी विषय का जिक्र होने के बाद कैसे अनेकों देशवासियों को नई प्रेरणा मिली। हाल ही में मुझे देश की प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना आनंदा शंकर जयंत का एक पत्र मिला। अपने पत्र में उन्होंने ‘मन की बात’ के उस episode के बारे में लिखा है, जिसमें हमने story telling के बारे में चर्चा की थी। उस कार्यक्रम में हमने इस field से जुड़े लोगों की प्रतिभा को acknowledge किया था। ‘मन की बात’ के उस कार्यक्रम से प्रेरित होकर आनंदा शंकर जयंत ने ‘कुट्टी कहानी’ तैयार की है। यह बच्चों के लिए अलग-अलग भाषाओं की कहानियों का एक बेहतरीन संग्रह है। यह प्रयास इसलिए भी बहुत अच्छा है, क्योंकि इससे हमारे बच्चों का अपनी संस्कृति से लगाव और गहरा होता है। उन्होंने इन कहानियों के कुछ interesting videos अपने YouTube channel पर भी upload किए हैं। मैंने, आनंदा शंकर जयंत के इस प्रयास की विशेषतौर पर इसलिए चर्चा की, क्योंकि ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा कि कैसे देशवासियों के अच्छे काम, दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं। इससे सीखकर वे भी अपने हुनर से देश और समाज के लिए कुछ बेहतर करने की कोशिश करते हैं। यही तो हम भारतवासियों का वो collective power है, जो देश की प्रगति में नई शक्ति भर रही है।
मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार ‘मन की बात’ में मेरे साथ इतना ही। अगली बार, नए विषयों के साथ, आपसे, फिर मुलाकात होगी। बारिश का समय है, इसलिए, अपने स्वास्थ्य का खूब ध्यान रखिये। संतुलित खाईये और स्वस्थ रहिये। हाँ! योगा जरुर कीजिये। अब कई स्कूलों में गर्मी की छुट्टियाँ भी खत्म होने को है। मैं बच्चों से भी कहूंगा कि homework last दिन के लिए pending ना रखें। काम खत्म करिए और निश्चिंत रहिए। बहुत- बहुत धन्यवाद।
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DS/VK
Sharing this month's #MannKiBaat. Do listen! https://t.co/oHgArTmYKr
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Be it the loftiest goal, be it the toughest challenge, the collective power of the people of India, provides a solution to every challenge. #MannKiBaat pic.twitter.com/dRmDi5Z5mM
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Praiseworthy efforts towards conserving water. #MannKiBaat pic.twitter.com/7vBYvoueFO
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Along with the bravery of Chhatrapati Shivaji Maharaj, there is a lot to learn from his governance and management skills. #MannKiBaat pic.twitter.com/3j3W8OzbUr
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To eliminate tuberculosis from the root, Ni-kshay Mitras have taken the lead. #MannKiBaat pic.twitter.com/kRUGhgVJCJ
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Commendable effort by a teacher from Kerala who has set up a herbal garden and a Miyawaki forest with over 450 trees on his school campus. #MannKiBaat pic.twitter.com/043JcDT1kv
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Jammu and Kashmir's Baramulla is turning into symbol of a new white revolution. #MannKiBaat pic.twitter.com/Ko16aFbWqf
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This month has been very special for our sportspersons. #MannKiBaat pic.twitter.com/qPLFqr9TvD
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Today, sports are organised with a new enthusiasm in different states of the country. They give players a chance to play, win and to learn from defeat. #MannKiBaat pic.twitter.com/Jwzsp4Wm8v
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Urge everyone to make Yoga a part of daily routine: PM @narendramodi #MannKiBaat pic.twitter.com/8Q2zPdPnNb
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The way people from all over the country take part in the Rath Yatras is exemplary. Along with inner faith, it is also a reflection of the spirit of 'Ek Bharat- Shreshtha Bharat.' #MannKiBaat pic.twitter.com/HwX9gVXRIW
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India is the mother of democracy. We consider our democratic ideals as paramount; we consider our Constitution as Supreme. #MannKiBaat pic.twitter.com/9Wxtij0leX
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Every episode of #MannKiBaat is full of life. Along with the feeling of collectivity, it fills us with a sense of duty and service towards the society. pic.twitter.com/tjnss0u8Fs
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I salute the people of Kutch for their resilience. #MannKiBaat pic.twitter.com/WNgjKEBtBE
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Ni-kshay Mitras are making the fight against TB stronger. Enthusiastic participation of the youth is even more gladdening. #MannKiBaat pic.twitter.com/QvafZvzxVE
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India is fast embracing the Miyawaki method, indicating our commitment to sustainable growth. Highlighted examples from Kerala, Gujarat, Maharashtra and Uttar Pradesh where this method is finding popularity. #MannKiBaat pic.twitter.com/MN99R5FcZd
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The life journeys of our young sportspersons continues to inspire… #MannKiBaat pic.twitter.com/T2U0eQUlp1
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I urge you all to mark Yoga Day and make Yoga a part of your daily lives. #MannKiBaat pic.twitter.com/OG8NZEBtau
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During #MannKiBaat, highlighted innovative efforts towards water conservation across India, particularly making ‘Catch the Rain’ movement more popular. pic.twitter.com/ABulfvGqVG
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जम्मू-कश्मीर का बारामूला श्वेत क्रांति का नया केंद्र बन रहा है। हाल के समय में यहां हमारे कुछ भाई-बहनों ने डेयरी के क्षेत्र में जो अद्भुत काम किया है, वो हर किसी के लिए एक मिसाल है। #MannKiBaat pic.twitter.com/ajFWQM1vAt
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यूपी के हापुड़ में लोगों ने विलुप्त हो चुकी नीम नदी को पुनर्जीवित करने का सराहनीय प्रयास किया है। यह देश में जल संरक्षण के साथ ही नदी संस्कृति को विकसित करने की दिशा में एक बेहतरीन पहल है। #MannKiBaat pic.twitter.com/35tcQYcaog
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#MannKiBaat କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମରେ ‘ରଥଯାତ୍ରା’ର ଶୁଭେଚ୍ଛା ଜଣାଇଲି । ଭଗବାନ ଶ୍ରୀଜଗନ୍ନାଥଙ୍କ ଆଶୀର୍ବାଦ ଆମ ସମସ୍ତଙ୍କ ଉପରେ ରହିଥାଉ । pic.twitter.com/4RD74bQDGH
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During #MannKiBaat, conveyed Rath Yatra greetings. May Bhagwan Jagannath keep showering blessings upon us. pic.twitter.com/5MXzjXpjc8
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2023
छत्रपती शिवाजी महाराज यांच्या जीवकार्यातून शिकण्यासारख्या अनेक गोष्टी आहेत, त्यापैकी एक महत्वाची आणि प्रमुख गोष्ट म्हणजे, सुप्रशासन, जल संवर्धन आणि मजबूत आरमार उभारण्यावर त्यांनी दिलेला भर. #MannKiBaat pic.twitter.com/9J6eopWS42
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2023
There are innumerable lessons from the life of Chhatrapati Shivaji Maharaj and prime among them are his emphasis on good governance, water conservation and building a strong navy. #MannKiBaat pic.twitter.com/UQPKJhpfbG
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