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मंत्रिमंडल ने भारत में सतत, स्थायी तथा कम कार्बन के ताप विद्युत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए भारत और जापान के बीच सहमति ज्ञापन को मंजूरी दी


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सतत, स्थायी तथा कम कार्बन के ताप विद्युत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए भारत और जापान के बीच सहमति ज्ञापन को पूर्वव्यापी प्रभाव से मंजूरी दी।

सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर से भारत को सतत, स्थायी तथा कम कार्बन के ताप विद्युत विकास को प्रोत्साहन देने संबंधी विषयों और बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। इन विषयों और बाधाओं की पहचान पहले के शुरूआती अध्ययन, ऊर्जा सक्षमता, नवीकरण एवं आधुनिकीकरण की दिशा में जारी सहयोग, नवीकरण और आधुनिकीकरण को मूर्तरूप देने में गतिविधियों के समर्थन तथा कार्यान्वयन, ज्ञान तथा ताप विद्युत संयंत्रों जैसे अल्ट्रासुपर क्रिटीकल (यूएससी) तथा अन्य पर्यावरणमुखी तकनीकी को समर्थन देने के लिए टेक्नोलॉजी आदान-प्रदान में हुई। यह सभी बातें भारत के लिए समग्र विद्युत विकास के लिए अनुकूल हैं और प्रासंगिक नीति कार्यान्वयन में सहायक हैं।

प्रस्ताव में निम्नलिखित कार्य गतिविधियां हैं –

1. भारतीय विद्युत क्षेत्र में वर्तमान और भविष्य के नीतिगत रूझान को अद्यतन रखना। आरएंडएम तथा लाइफ एक्सटेंशन (एलई) से नए विद्युत विकास तक के व्यापक कवरेज के साथ। वैसी बाधाओं की पहचान पर विचार और उनका केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) तथा जापान कोयला ऊर्जा केन्द्र (जेसीओएएल) द्वारा परस्पर सहयोग से समाधान।

2. वर्तमान और दी जाने वाली सुविधाओं दोनों से संबंधित विषयों को चिन्हित करना और उनमें से किसी का संचालन और रख-रखाव।

3. शेष जीवन मूल्यांकन (आरएलए) तथा सशर्त मूल्यांकन अध्ययन सहित संपूर्ण परीक्षण और अन्य उपलब्ध और कारगर उपाय को प्राथमिकता के साथ लागू करना। यह शुरूआती अध्ययन तथा सहयोग के अंतर्गत लक्षित बिजली केन्द्रों तक सीमित नहीं होना चाहिए। सीईए तथा जेसीओएएल आपसी विचार-विमर्श से लक्षित बिजलीघरों/इकाइयों की संख्या तय करेंगे।

4. ताप विद्युत उत्पादन टेक्नोलॉजी आधारित बिजली विकास के किसी मामले के औचित्य और संभावना पर विचार। विचार में वर्तमान वित्तीय साधनों से धन पोषण और द्विपक्षीय वित्तीय योजनाओं से धन पोषण के संदर्भ में विचार।

5. द्विपक्षीय/बहुपक्षीय कमी पूर्ति योजनाओं से कार्बन क्रेडिट अधिग्रहण के लिए संभावनाओँ पर विचार। विद्युत विकास के मामले में वित्तीय पक्ष के विचार पर इन योजनाएं को मूर्तरूप दिया जा सकेगा।

6. भारत में वार्षिक कार्यशाला को क्रियान्वित करना तथा द्विपक्षीय ज्ञान और टेक्नोलॉजी आदान-प्रदान करने के लिए जापान में सीसीटी हस्तांतरण कार्यक्रम क्रियान्वित करना।

7. संयुक्त वार्षिक बैठक का आयोजन। इसमें संबद्ध पक्षों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और परियोजना के कार्यान्वयन में सामने आ रहे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे ताकि परियोजना के प्रभाव को बढ़ाया जा सके। संबद्ध पक्षों की सहमति से कोई भी प्रांसगिक पक्ष/हितधारक विशेष आमंत्रित के रूप में बैठक में शामिल हो सकता है।