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मंत्रिमंडल ने 2017-18 में आईडब्‍ल्‍यूएआई द्वारा गवर्नमेंट ऑफ इंडिया बॉन्‍ड के 660 करोड़ रुपये के ईबीआर जुटाने के लिए अनुमति के पुनर्वैधीकरण को मंजूरी दी


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2017-18 में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्‍ल्‍यूएआई) द्वारा गवर्नमेंट ऑफ इंडिया बॉन्‍ड के 660 करोड़ रुपये के अतिरिक्‍त बजटीय संसाधन (ईबीआर) जुटाने के लिए अनुमति के पुनर्वैधीकरण को मंजूरी दी है। बॉन्‍ड के जरिये जुटाई गई रकम का इस्‍तेमाल आईडब्‍ल्‍यूएआई द्वारा राष्‍ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 (12.4.2016 से प्रभावी) के तहत राष्‍ट्रीय जलमार्ग (एनडब्‍ल्‍यू) के विकास एवं रखरखाव में किया जाएगा। बॉन्‍ड के जरिये प्राप्‍त रकम का उपयोग विशेष तौर पर बुनियादी ढांचे के वित्त पोषण में सुधार के लिए पूंजीगत व्‍यय के लिए किया जाएगा।

तौर-तरीका:

वर्ष 2017-18 में पहचान की गई परियोजनाओं के तहत एनडब्‍ल्‍यू के विकास पर होने वाला अनुमानित निवेश लगभग 2,412.50 करोड़ रुपये है। विश्‍व बैंक ने 12.04.2017 को जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के लिए 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण को स्‍वीकृति दी। वर्ष 2017-18 के दौरान जेएमवीपी के लिए 1,715 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च में से 857.50 करोड़ रुपये का ऋण विश्‍व बैंक द्वारा आवंटित होने की उम्‍मीद है। तदनुसार वर्ष 2017-18 में कुल 2,412.50 करोड़ रुपये की आवश्‍यकता होगी। वर्ष 2016-17 के दौरान पूंजी परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए आईडब्‍ल्‍यूएआई को 296.60 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जिसे घटाकर 2017-18 में 228 करोड़ रुपये कर दिया गया है। बॉन्‍ड के जरिये जुटाई जाने वाली रकम से इस अंतर को पाटने में मदद मिलेगी।

बॉन्‍ड के पुनर्भुगतान के लिए जरूरत पड़ने पर जहाजरानी मंत्रालय की मांग के मद्देनजर भारत सरकार ईबीआर से संबंधित 660 करोड़ रुपये के मूलधन एवं ब्याज का वित्त पोषण उचित बजटीय प्रावधान के जरिये करेगी। ब्‍याज का भुगतान आर्ध वार्षिक आधार पर होगा जबकि मूलधन का भुगतान बॉन्‍ड की परिपक्‍वता अवधि पूरी होन पर किया जाएगा।

इस पूरी प्रक्रिया को आईडब्‍ल्‍यूएआई द्वारा लीड मैनेजर्स की नियुक्तियों और सेबी के साथ समन्‍वय के जरिये निपटाया जाएगा। उधारकर्ताओं से आकर्षक प्रतिफल पाने के लिए आकार को रखते हुए 2 किस्‍तों में रकम जारी की जाएगी। वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही विशेष तौर पर 2017-18 के अंतिम दो महीने के दौरान उधारी को नजरअंदाज किया जाएगा।

पृष्‍ठभूमि:

राष्‍ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के तहत 106 नए राष्‍ट्रीय जलमार्गों के विकास एवं रखरखाव के वित्त पोषण के लिए भारत सरकार से सकल बजटीय मदद और बाहरी वित्तीय सहायता काफी कम है। इसलिए शेष 660 करोड़ रुपये (1,000 करोड़ रुपये – 2016-17 में जुटाए और इस्‍तेमाल किए गए 340 करोड़ रुपये) के ईबीआर जुटाने के लिए अनुमति का पुनर्वैधीकरण बेहद जरूरी है।

माननीय वित्त मंत्री ने 2016-17 के अपने बजटीय भाषण में निम्‍नलिखित घोषणा की थी:

‘बुनियादी ढांचा के वित्त पोषण को और अधिक बढ़ावा देने के लिए सरकार 2016-17 के दौरान एनएचएआई, आरएफसी, आरईजी, आईआरईडीए, नाबार्ड और आईडब्‍ल्‍यूएआई द्वारा बॉन्‍ड के जरिये 31.300 करोड़ रुपये तक अतिरिक्‍त रकम जुटाने की अनुमति देगी।’

इसी घोषणा के अनुरूप आईडब्‍ल्‍यूएआई को 2016-17 के दौरान पहली बार 1,000 करोड़ रुपये मूल्‍य के इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बॉन्‍ड जारी करने की अनुमति दी गई थी।

इस घोषणा के अनुसार, आईईडब्ल्यूएआई को 2016-17 के दौरान पहली बार 1000 करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करने की अनुमति दी गई थी। चूंकि यह उनका पहला प्रयास था, इसलिए वे 2016-17 के दौरान अंतर्देशीय जलमार्ग एवं शिपिंग बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 1.3.2017 को 7.9 प्रतिशत कूपन दर पर ई-बोली के जरिये 340 करोड़ रुपये जुटाने में सफल रहे।