प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी खरीद में घरेलू स्तर पर विनिर्मित लौह एवं इस्पात उत्पादों को प्राथमिकता देने के लिए नीति को मंजूरी दी है।
यह नीति राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को पूरा करने में सहायक है और यह घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करती है।
यह नीति सरकारी खरीद में घरेलू स्तर पर विनिर्मित लौह एवं इस्पात उत्पादों (डीएमआईऐंडएसपी) को प्राथमिकता देने का आदेश देती है। यह नीति उन सभी सरकारी निविदाओं पर लागू होती है जहां बोली मूल्य खुलना अभी बाकी है।
डीएमआईऐंडएसपी नीति अधिसूचित इस्पात उत्पादों में 15 प्रतिशत की न्यूनतम मूल्य वृद्धि प्रदान करती है जो तरजीही खरीद के अंतर्गत आती है। इसे लचीला बनाने के उद्देश्य से इस्पात मंत्रालय निर्दिष्ट स्टील उत्पादों और न्यूनतम मूल्य वृद्धि मानदंड की समीक्षा कर सकता है।
इस नीति का लागू करते समय उन सभी घरेलू विनिर्माताओं पर भरोसा किया जाएगा जो सरकारी खरीद एजेंसी को स्व-प्रमाणन मुहैया कराएगा कि खरीदे जाने वाले लौह एवं इस्पात उत्पाद निर्धारित घरेलू मूल्य वृद्धि के अनुसार घरेलू स्तर पर विनिर्मित हैं। दावे की सत्यता को सत्यापित करने की जिम्मेदारी सामान्य तौर पर खरीद एजेंसी की नहीं होगी। कुछ मामलों में यदि कहा जाए तो दावे की सत्यता प्रदर्शित करने की जिम्मेदारी बोलीदाता की होगी।
यदि कोई विनिर्माता खुद को पीड़ित महसूस कर रहा हो तो इस्पात मंत्रालय के अधीन स्थापित शिकायत निपटान समिति उसकी शिकायत को समयबद्ध तरीके से चार सप्ताह में निपटा देगी।
यदि देश में किसी खास श्रेणी के इस्पात का विनिर्माण न हो रहा हो अथवा परियोजना की मांग के अनुरूप गुणवत्ता वाले उत्पादों की आपूर्ति घरेलू स्रोतों से न की जा सकती हो तो ऐसी सभी खरीद के लिए इस नीति में छूट के प्रावधान भी दिए गए हैं।
घरेलू इस्पात उद्योग की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने और सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं में कम गुणवत्ता वाले सस्ते आयातित इस्पात का उपयोग घटाने के लिए इस नीति की परिकल्पना की गई है। इस नीति का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना हरेक सरकारी एजेंसी की जिम्मेदारी होगी।