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मंत्रिमंडल ने भारत के स्वदेशी उच्च दाब – जल रिएक्टरों की 10 इकाइयों के निर्माण को मंजूरी दी


घरेलू परमाणु ऊर्जा उद्योग के विस्तांर को मिली गति

भारत के घरेलू नाभिकीय ऊर्जा का कार्यक्रम को तेज गति प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय में और देश के नाभिकीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने भारत के स्वदेशी उच्च दाब – जल रिएक्टरों की 10 इकाइयों के निर्माण को मंजूरी दी है। संयंत्रों की कुल स्थापित क्षमता 7000 मेगावाट होगी। 10 उच्च दाब – जल रिएक्टरों की परियोजना (पीडब्ल्यूआर) नाभिकीय ऊर्जा निर्माण क्षमता में महत्वपूर्ण तेजी प्रदान करेगी।

संचालनात्मक संयंत्रों से भारत की वर्तमान नाभिकीय ऊर्जा क्षमता 6780 मेगावाट है। वर्तमान में निर्माणाधीन परीयोजनाओं के माध्यम से वर्ष 2021 – 22 तक 6700 मेगावाट नाभिकीय ऊर्जा आने की संभावना है। सरकार और नागरिक केंद्रित गवर्नेंस के 3 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, भारत की नाभिकीय क्षमता क्षेत्र के लिए 10 नई इकाइयां पूर्ण रुप से स्वदेश विकसित फ्लीट मोड में आएंगे। यह परियोजना इस क्षेत्र में मुख्य ‘मेक इन इंडिया’ परियोजना में से एक परियोजना होगी।

घरेलू उद्योगों को 70,000 करोड़ रुपए के विनिर्माण आदेश की संभावना के साथ,0 यह परियोजना हमारी स्वदेशी उद्योग क्षमताओं के साथ मजबूत नाभिकीय ऊर्जा क्षेत्र के हमारे लक्ष्य से जुड़कर भारतीय नाभिकीय उद्योग का रूप परिवर्तन करने में सहायता करेगी।

यह परियोजना मात्रा में पर्याप्त इकॉनॉमी लाएगी और संचालन के लिए फ्लीट मोड अपनाकर लागत और समय कार्यकुशलता को अधिकतम बनाएगी। इस परियोजना से 33,400 से भी अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होने की आशा है । घरेलू उद्योगों को विनिर्माण आदेशों के साथ, यह परियोजना मुख्य नाभिकीय विनिर्माण पावर हाउस के रूप में भारत की पहचान को मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा।

यह 10 रिएक्टर सुरक्षा के उच्चतम मानकों को पूरा करने वाले भारत के अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाले 700 मेगावाट पी एच डब्ल्यू आर फ्लीट के आधुनिक डिजाइन का हिस्सा होंगे।

इस निर्णय से हमारी प्रौद्योगिकीय क्षमताओं के निर्माण में भारत के वैज्ञानिक समुदाय की योग्यता में मजबूत विश्वास को पहचान मिली है। इस परियोजना का डिजाइन और विकास भारत के वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग द्वारा प्राप्त की गई तीव्र उन्नति का प्रमाण है। यह स्वदेशी पी एच डब्लू आर प्रद्योगिकी के सभी आयामों में हमारे नाभिकीय वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता को रेखांकित करता है। लगभग पिछले 40 वर्षों से पी एच डब्लू आर का निर्माण और संचालन करने में भारत का रिकॉर्ड वैश्विक रूप से प्रतिष्ठित है।

इस दिशा में मंत्रिमंडल का निर्णय, निम्न कार्बन वृद्धि रणनीति के एक भाग के रूप में भारत के आज के उर्जा मिश्रण में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्राथमिकता देने और भारत के औद्योगिकीकरण लिए दीर्घावधि आधारित भार की जरूरत को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है ।

यह संतुलित विकास, आत्मनिर्भता, ऊर्जा, स्व पर्याप्तता और जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में भारत की प्रतिबद्धता का समर्थन करता है।