प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने आय पर करों के संबंध में राजकोषीय अपवंचन रोकने और दोहरे कराधान से बचने के लिए भारत और न्यूजीलैंड के बीच कन्वेंशन के तीसरे प्रोटोकॉल में प्रवेश और दृढ़ीकरण को मंजूरी दे दी है। इस प्रोटोकॉल पर 26 अक्टूबर, 2016 को हस्ताक्षर किए गए थे।
यह प्रोटोकॉल कर उद्देश्यों के लिए भारत और न्यूजीलैंड के बीच सूचना के आदान प्रदान के प्रवाह को तेज करेगा जिससे कर चोरी और कर परिहार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा यह दोनों देशों के बीच कर राजस्व दावों के संग्रह में सहायता सुनिश्चित करेगा।
इस प्रोटोकॉल में मौजूदा कन्वेंशन के ‘सूचना के आदान-प्रदान’ वाले अनुच्छेद 26 को एक नई धारा से बदल दिया गया है जो कि सूचना के आदान प्रदान के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।
इस प्रोटोकॉल में ‘करों की वसूली पर सहायता’ का एक नया अनुच्छेद जोड़ दिया गया है।
इस प्रोटोकॉल के प्रभाव में आने के लिए दोनों देशों के जो भी संबंधित कानून हैं, उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं पूरी होने की अधिसूचना जारी होने की तारीख से ये प्रभावी हो जाएगा।
पृष्ठभूमि:
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 90 के तहत केंद्र सरकार अधिकृत है कि वह आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत आने वाले आयकर की चोरी या अपवंचन को रोकने के उद्देश्य से किसी विदेशी मुल्क या निर्दिष्ट क्षेत्र के साथ समझौते में प्रवेश कर सकती है जिसमें वह सूचना का आदान-प्रदान और आयकर की रिकवरी कर सकती है। यह कन्वेंशन 3 दिसम्बर, 1986 को अस्तित्व में आया। इस कन्वेंशन में 1997 में पहले प्रोटोकॉल और 2000 में दूसरे प्रोटोकॉल के माध्यम से संशोधन किया गया था। बाद में, भारत ने कर की वसूली में सहयोग की एक धारा जोड़ने और सूचना के आदान-प्रदान को अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप करने के लिए एक तीसरे प्रोटोकॉल के माध्यम से इस कन्वेंशन में और संशोधन का प्रस्ताव रखा। इस अनुसार न्यूजीलैंड के साथ वार्ता शुरू की गई और तीसरे प्रोटोकॉल की दोनों धाराओं पर एक सहमति में प्रवेश किया गया।