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मंत्रिमंडल ने भारत और नीदरलैंड्स के बीच सामाजिक सुरक्षा करार में संशोधन को मंजूरी दी


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और नीदरलैंड्स के बीच द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा करार (एसएसए) में मूल निवास देश के सिद्धांत को शामिल करते हुए संशोधन को मंजूरी दी है।

भारत और नीदरलैंड के बीच संशोधित एसएसए, भारत द्वारा नीदरलैंड्स को उक्त संशोधन अधिसूचित करने की तारीख से तीसरे महीने के पश्चात् से संचलनशील होने पर दोनों देशों के बीच संबंधों को सुदृढ़ करेगा और विदेशों में व्यापार करने की लागत को कम करके दोनों देशों की विदेशी व्यापार में संलग्न भारतीय और डच कंपनियों की लाभकारिता में सकारात्मक प्रभाव जारी रखने और प्रतिस्पर्धी स्थिति को मजबूत करेगा। एसएसए दोनों देशों के बीच अधिक निवेश प्रवाह को प्रोत्साहित करने में भी मदद करेगा।

एसएसए जून 2010 से सफल रूप से संचालित किया जा रहा है और इसके द्वारा नीदरलैंड में काम कर रहे भारतीय प्रवासियों को लाभ पहुंचा है।

  • 1 जनवरी 2013 से , नीदरलैंड ने यूरोपीय संघ से बाहर के देशों के लिए सामाजिक संस्थाओं के निर्यात पर नए नियम प्रस्तुत किए हैं।
  • नए सामाजिक सुरक्षा (मूल निवास देश) अधिनियम के अंतर्गत, किसी शिक्षित लाभप्राप्तकर्ता (डच निवासी) को भुगतान किया जाने वाले लाभ या भत्ते की राशि को लाभप्राप्तकर्ता के वर्तमान देश के जीवन जीने की लागत के अनुसार समायोजित कर दिया जाता है।
  • नए डच कानून के अनुसार, जब सामाजिक सुरक्षा के लाभों का भुगतान या निर्यात किया जाएगा, तब उसे मेज़बान देश (विश्व बैंक के आंकडों के अनुसार), जहां डच नागरिक रहता हो, के जीवन जीने की लागत पर अंकित किया जाएगा।
  • सामान्य परिस्थितियों में, नए डच कानून की नीदरलैंड्स में काम कर रहे भारतीय कामगारों के लिए कोई बाधा नही है क्योंकि यह कुछ विशेष मामलों को छोड़कर यूरोपीय संघ से बाहर के देशों में रहने वाले डच नागरिकों पर ही लागू होता है। तैनात भारतीय कामगारों को भारत-नीदरलैंड्स के विद्यमान सामाजिक सुरक्षा करार के अनुसार लाभ मिलना जारी रहेगा।
  • यद्यपि, ऐसी स्थितियां जिनमें “मूल निवास देश” का सिद्दांत निम्नलिखित सहित भारतीय नागरिकों के कुछ मामलों में लागू होगा :
  • नीदरलैंड्स में मृत्यु को प्राप्त होने वाला कोई भारतीय कामगार और उसका पति/पत्नी और बच्चे भारत में निवास कर रहे हों
  • नीदरलैंड्स में काम करते समय निशक्त हो जाने के पश्चात् भारत लौटने वाला कोई भारतीय कामगार

नए सामाजिक सुरक्षा कानून को अपनाने के पश्चात नीदरलैंड ने यह अनुरोध किया है कि भारत द्विपक्षीय एसएसए में संशोधन करें क्योंकि यह संशोधन नीदरलैंड के राष्ट्रीय कानून के अनुसार अनिवार्य है।

विदयमान एसएसए उपर्युक्त बदलावों के अनुसार संशोधित माना जाए।

पृष्ठभूमि

  • भारत और नीदरलैंड्स के बीच दिनांक 22 अक्तूबर 2009 को एक द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा करार(एसएसए) पर हस्ताक्षर किए गए थे और यह 15 जून 2009 को लागू हुआ था।
  • यह एसएसए दोनों देशों के अधिकार क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा के दोहरे अंशदान से छूट, अधिकार क्षेत्र से संचित सामाजिक सुरक्षा के लाभों को बाहर भेजने (स्वरोजगार पर भी लागू) और सेवाकालीन अवधियों को एकत्रित करने से छूट की अनुमति देता है।
  • दिनांक 1 जनवरी 2013 से नीदरलैंड्स में सामाजिक सुरक्षा का एक नया कानून लागू हुआ है जिसके परिणामस्वरूप नीदरलैंड ने अन्य देशों को भेजे जाने वाले कुछ सामाजिक सुरक्षा के लाभों पर “मूल निवास देश” के सिद्दांत को लागू करना आरंभ कर दिया है।
  • इस सिद्धांत को लागू करने का उद्देश्य नीदरलैंड्स से बाहर रहने वाले डच नागरिकों के वर्ग को भेजे जाने वाले सामाजिक सुरक्षा लाभों में समानता लाना है।
  • वर्तमान तारीख तक, भारत ने 18 देशों के साथ एसएसए पर हस्ताक्षर और उन्हें लागू किया है- ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, जापान, लग्जमबर्ग,नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पुर्तगाल,स्वीडन, स्विटजरलैंड और दक्षिणी कोरिया।