प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज फार्मास्यूटीकल केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसयू) के लिए उनके अंतिम क्लोजर/रणनीतिक विनिवेश होने तक विस्तार/ नवीकरण को अपनी मंजूरी दे दी है।
प्रमुख प्रभाव :
नीति के विस्तार/ नवीकरण से फार्मा केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को अपनी मौजूदा सुविधाओं के मनमुताबिक इस्तेमाल में मदद मिलेगी, वे अपने कर्मचारियों के लिए वेतन के भुगतान के लिए धन जुटाने में समर्थ होंगे, क्लोजर के तहत अधिक लागत वाली अत्याधुनिक मशीनरी के संचालन के परिणामस्वरूप केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के मामले में निपटारे के समय अधिक लाभ प्राप्त करना और विनिवेश के तहत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के मामले में बेहतर मूल्यांकन संभव होगा।
पृष्ठभूमि :
फार्मा केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों एवं उनकी सहायक इकाइयों द्वारा तैयार 103 औषधियों के संदर्भ में 5 वर्षों की अवधि के लिए 30.10.2013 को मंत्रिमंडल द्वारा औषधि क्रय नीति (पीपीपी) को मंजूर किया गया था। केंद्र/राज्य सरकार के विभागों और उनके सार्वजनिक उपक्रमों आदि द्वारा क्रय के लिए यह नीति लागू है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा उत्पादों का मूल्य निर्धारण किया जाता है। क्रय करने वाला उपक्रम फार्मा केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों और उनकी सहायक इकाइयों से खरीद कर सकते हैं, बशर्तें औषधियों और कॉस्मेटिक नियमावली की अनुसूची ‘एम’ के अनुसार बेहतर निर्माण परंपराओं के मानदंडों को पूरा करें। इस नीति की अवधि 09.12.2018 को समाप्त हो गई थी।
इस बीच मंत्रिमंडल ने सरकारी एजेंसियों के लिए उनकी अतिरिक्त भूमि के विक्रय की प्रक्रिया द्वारा देनदारियों को पूरा करने के बाद, 28.12.2016 को इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटीकल लिमिटेड (आईडीपीएल) एवं राजस्थान ड्रग्स एंड फार्मास्यूटीकल लिमिटेड (आरडीपीएल) को बंद करने तथा हिन्दुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) एवं बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटीकल लिमिटेड (बीसीपीएल) को रणनीतिक तौर पर बेचने का निर्णय किया। इसके बाद, मंत्रिमंडल ने 14.06.2018 के सार्वजनिक उद्यम विभाग के संशोधित मार्ग निर्देशों के अनुसार अतिरिक्त भूमि को बेचने की अनुमति देते हुए 17.07.2019 को अपने निर्णय में सुधार किया। इसके अलावा, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 01.11.2017 को कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटीकल लिमिटेड (केपीएल) नामक पांचवें फार्मा केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम में भारत सरकार की शत-प्रतिशत इक्विटी के निवेश का निर्णय किया था।
फार्मा केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के अंतिम क्लोजर विक्रय तक नीति के विस्तार का प्रस्ताव किया गया है।