प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने तेल एवं गैस के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा हाइड्रोकार्बन भंडारों से रिकवरी में सुधार के लिए इनहेन्स्ड रिकवरी (ईआर)/इम्प्रूव्ड रिकवरी (आईआर)/गैर-पांरपरिक हाइड्रोकार्बन (यूएचसी) के उत्पादन तरीके/तकनीक को बेहतर बनाने के लिए नीतिगत ढांचे को मंजूरी दी है। ईआर में इनहेन्स्ड ऑयल रिकवरी (ईओआर) और इनहेन्स्ड गैस रिकवरी (ईजीआर) शामिल हैं। गैर-पांरपरिक हाइड्रोकार्बन (यूएचसी) उत्पादन तरीके/तकनीक में शेल ऑयल एवं गैस उत्पादन, टाइट ऑयल एवं गैस, शेल, गैस हाइड्रेट्स एवं भारी तेल से उत्पादन शमिल हैं। इनहेन्स्ड रिकवरी, इम्प्रूव्ड रिकवरी और गैर पांरपारिक हाइड्रोकार्बन उत्पादन के लिए अत्यधिक पूंजी और जटिल प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है। इसलिए यह काफी चुनौतीपूर्ण होता है। इसके लिए सहायक बुनियादी ढांचा स्थापित करने, लॉजिस्टिक सहायता, राजकोषीय प्रोत्साहन और अनुकूल माहौल तैयार करने की जरूरत होती है।
इस नीति का रणनीतिक उद्देश्य अकादमिक एवं अनुसंधान संस्थानों, उद्योग एवं शैक्षणिक संस्थानों के बीच बेहतर तालमेल के जरिए अनुकूल माहौल तैयार करना, उत्खनन एवं उत्पादन (ईएंडपी) ठेकेदारों को ईआर/आईआर/यूएचसी व्यवस्था/तकनीक के इस्तेमाल के लिए मदद एवं प्रोत्साहित करना है। यह नीति सभी अनुबंध प्रणालियों एवं नामांकित क्षेत्रों पर लागू होगी। इस नीतिगत पहल से नए निवेश को बढ़ावा मिलने, आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने और अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है। इस नीति से नई, नवोन्मेषी एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और तकनीक संबंधी गठबंधन को बढ़ावा मिलेगा जिससे मौजूदा क्षेत्रों की उत्पादकता में सुधार होगा।
इस नीति के तहत ईआर परियोजनाओं की लागत पर जोखिम घटाने के लिए ईआर क्षमता, उचित ईआर तकनीक का आकलन एवं राजकोषीय प्रोत्साहन के आधार पर प्रत्येक क्षेत्र के व्यवस्थित आकलन की परिकल्पना की गई है ताकि निवेश को वित्तीय तौर पर व्यावहारिक बनाया जा सके। इस नीति की प्रमुख विशेषताओं में सरकार प्राधिकृत संस्थानों के जरिए क्षेत्रों की अनिवार्य जांच परख सुनिश्चित करना और वाणिज्यिक स्तर पर ईआर परियोजनाओं के कार्यान्वयन से इसे पायलट आधार पर लागू करना शामिल हैं। इन्हेन्स्ड रिकवरी (ईआर) समिति, जिसमें पेट्रोलियम एंव प्राकृतिक गैस मंत्रालयऔर हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय के प्रतिनिधि, शिक्षा एवं उत्खनन क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं, इस नीति को लागू और निगरानी करेगी। यह नीति अधिसूचना की तिथि से अगले 10 वर्षों की अवधि के लिए प्रभावी रहेगी। हालांकि राजकोषीय प्रोत्साहन ईआर/यूएचसी परियोजनाओं में उत्पादन शुरू होने की तिथि से 120 महीने की अवधि के लिए उपलब्ध रहेगा। आईआर परियोजना के मामले में प्रोत्साहन निर्धारित बेंचमार्क हासिल करने की तिथि से उपलब्ध रहेगा। इस नीति के तहत विभिन्न प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है। निर्धारित कुंओं में ईआर तकनीक लागू किए जाने से हुए अतिरिक्त उत्पादन पर उपकर/रॉयल्टी में आंशिक छूट के रूप में राजकोषीय प्रोत्साहन दिया गया है।
पुराने तेल कुओं में बेहतर प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से हाइड्रोकार्बन उत्पादन में तेजी लाई जा सकती है। इससे मूल तेल उत्पादन में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर से अगले 20 वर्षों में 120 एमएमटी अतिरिक्त तेल उत्पादन की परिकल्पना की गई है। गैस के मामले में मूल उत्पादन में 3 प्रतिशत की वृद्धि दर से अगले 20 वर्षों के दौरान 52 बीसीएम अतिरिक्त गैस उत्पादन की परिकल्पना की गई है।