Search

पीएमइंडियापीएमइंडिया

न्यूज अपडेट्स

मंत्रिमंडल ने एडमिरैलिटी विधेयक 2016 के अधिनियमन और पांच पुराने एडमिरैलिटी कानूनों को निरस्त करने की मंजूरी दी


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एडमिरैलिटी (क्षेत्राधिकार एवं समुद्रतटीय दावों के निपटान) विधेयक 2016 के अधिनियमन और पांच पुराने एडमिरैलिटी कानूनों को निरस्त करने के लिए जहाजरानी मंत्रालय के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।

यह विधेयक अदालतों के एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकारों, समुद्रतटीय दावों पर अदालती कार्यवाही, जहाजों की जब्ती और अन्य संबंधित मुद्दों से जुड़े मौजूदा कानूनों को सुदृढ़ करेगा। यह नागरिक मामलों में नौवहन विभाग के क्षेत्राधिकार से जुड़े ब्रिटिश काल के पांच पुराने कानूनों को भी निरस्त करेगा जो इस प्रकार हैंः (क.) एडमिरैलिटी कोर्ट ऐक्ट, 1840, (ख.) एडमिरैलिटी कोर्ट ऐक्ट, 1861, (ग.) कॉलोनियल कोट्र्स ऑफ एडमिरैलिटी ऐक्ट, 1890, (घ.) कॉलोनियल कोट्र्स ऑफ एडमिरैलिटी (इंडिया) ऐक्ट, 1891 और (ङ) बंबई, कलकत्ता और मद्रास उच्च न्यायालयों के एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकारों पर लागू लेटर्स पेटेंट के प्रावधान, 1865 ।

एडमिरैबिलिटी विधेयक, 2016 की मुख्य विशेषताएं

यह विधायी प्रस्ताव समुद्री कानूनी बिरादरी की एक लंबे अरसे से चली आ रही मांग को पूरा करेगा। इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैः-

– यह विधेयक भारत के तटवर्ती राज्यों में स्थित उच्च न्यायालयों पर एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकार प्रदान करता है और इस क्षेत्राधिकार का विस्तार समुद्री सीमा तक है।

-केंद्र सरकार की अधिसूचना के जरिये इस क्षेत्राधिकार में विस्तार किया जा सकता है जो किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा भारत के किसी अन्य समुद्री क्षेत्र अथवा भारत के प्रादेशिक सीमा के दायरे में किसी द्वीप तक हो सकता है।

-यह सभी जहाजों पर लागू होगा चाहे उसके मालिक का आवास या निवास स्थान कहीं भी हो।

– अंतर्देशीय जहाजों और निर्माणाधीन जहाजों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार एक अधिसूचना जारी कर इन जहाजों को भी इसके दायरे में ला सकती है।

-यह युद्धपोतों एवं नौसेना के सहायक जहाजों और गैर-वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जहाजों पर लागू नहीं होगा।

-यह क्षेत्राधिकार विधेयक में सूचीबद्ध समुद्री दावों पर निर्णय के लिए है।

-समुद्री दावों के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के क्रम में जहाज को निश्चित परिस्थितियों में जब्त किया जा सकता है।

-किसी जहाज पर चुनिंदा समुद्री दावों के संबंध में दायित्य उसके नए मालिक को निर्धारित समय सीमा के भीतर मैरिटाइम लिएन्स के तहत हस्तांतरित किया जाएगा।

-जिन पहलुओं के लिए इस विधेयक में प्रावधान नहीं दिए गए हैं उन पर सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 लागू होगी।

पृष्ठभूमिः-

भारत एक प्रमुख समुद्रतटीय राष्ट्र है और समुद्री परिवहन के जरिये उसका करीब 95 प्रतिशत मर्केंडाइज व्यापार होता है। हालांकि वर्तमान वैधानिक ढांचे के तहत भारतीय अदालतों में एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकार से जुड़े मामले ब्रिटिश काल में अधिनियमित कानून के तहत निपटाए जाते हैं। एडमिरैलिटी क्षेत्राधिकार समुद्री परिवहन और जलमार्ग के जरिये यातायात से जुड़े दावों के संबंध में उच्च न्यायालयों की शक्तियों से संबंधित है। पांच पुराने एडमिरैलिटी कानूनों को निरस्त करने का यह फैसला कुशल प्रशासन की राह में बाधा बनने वाले पुराने एवं बेकार पड़े कानूनों को खत्म करने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।