पीएमएलवी के तीस परिचालन प्रक्षेपण
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पोलर सेटेलाइट प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) जारी रखने के कार्यक्रम (छठें चरण) और इस कार्यक्रम के अंतर्गत 30 पीएसएलवी परिचालन प्रक्षेपण को वित्तीय सहायता प्रदान करने की मंजूरी दी है।
यह कार्यक्रम पृथ्वी अवलोकन, दिशा सूचक और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए सेटेलाइट के प्रक्षेपण की आवश्यकता को भी पूरा करेगा। इससे भारतीय उद्योग में उत्पादन भी जारी रहेगा।
कुल 6,131 करोड़ रुपये के कोष की आवश्यकता है और इसमें 30 पीएसएलवी यान, आवश्यक सुविधा बढ़ाने, कार्यक्रम प्रबंधन और प्रक्षेपण अभियान की लागत शामिल है।
प्रमुख प्रभाव:
पीएसएलवी के परिचालन से देश पृथ्वी अवलोकन, आपदा प्रबंधन, दिशा सूचक और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए सेटेलाइट प्रक्षेपण क्षमता में आत्मनिर्भर बना है। पीएसएलवी जारी रखने के कार्यक्रम से राष्ट्रीय जरूरतों के अधिक सेटेलाइट प्रक्षेपण में क्षमता और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
पीएसएलवी जारी रखने के कार्यक्रम के छठें चरण के दौरान अधिकतम भारतीय उद्योग की भागीदारी से प्रतिवर्ष आठ प्रक्षेपण करने की सेटेलाइट प्रक्षेपण की मांग पूरी होगी। 2019-2024 की अवधि के दौरान सभी परिचालन अभियान संपन्न हो जाएंगे।
इस कार्यक्रम से पृथ्वी अवलोकन, दिशा सूचक और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए सेटेलाइट प्रक्षेपण की आवश्यकता को पूरा किया जाएगा। इससे भारतीय उद्योग में उत्पादन भी जारी रहेगा।
पीएसएलवी जारी रखने का कार्यक्रम 2008 में शुरू किया गया था और इसके चार चरण पूरे हो चुके हैं तथा 2019-20 के पहले छह माह तक पांचवें चरण के संपन्न होने की आशा है। छठें चरण की मंजूरी से 2019-20 से 2023-24 के पहले तीन माह के दौरान सेटेलाइट प्रक्षेपण अभियान में मदद मिलेगी।
पृष्ठभूमि
पीएसएलवी सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट (एसएसपीओ), जीओ सिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट(जीटीओ) और लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) प्रक्षेपण अभियान में बहुपयोगी प्रक्षेपणयान के रूप में उभरा है। हाल ही में 12 अप्रैल 2018 को पीएसएलवी-सी41 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही पीएसएलवी ने तीन विकास और 43 परिचालन प्रक्षेपण संपन्न किए हैं तथा पिछले 41 प्रक्षेपण भी सफल रहे हैं। पीएसएलवी ने अपनी उत्पादन क्षमता से स्वयं को राष्ट्रीय सेटेलाइट के लिए कार्य-यान के तौर पर स्थापित किया है, जिससे व्यावसायिक प्रक्षेपण के अवसरों पर तेजी से कार्य किया जा सकेगा।