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मंगोलिया के उलानबातर में सामुदायिक स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ


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नमस्ते।

कल रात को भी मैं मंगोलिया में था। जब मेरा मंगोलिया आना तय हुआ, तो श्री श्री रविशंकर जी को मैंने फ़ोन मिलाया, वो अमेरिका में थे। उन्होंने मुझे कहा कि मंगोलिया में एक अद्भुत आध्यात्मिक चेतना का माहौल है, और आप कुछ समय उनसे मिलने के लिए जरूर निकालिये। अगर मंगोलिया से मैं वापस जाता और आप लोगों के दर्शन किए बिना जाता तो शायद मेरी ये यात्रा अधूरी रह जाती। हमारी आध्यात्मिक विरासत की ताकत इतनी है कि भाषा कोई भी हो, चमड़ी का रंग कोई भी हो, कपड़ों का पहनावा कोई भी हो, खान-पान कोई भी हो, लेकिन आध्यात्म हमें आत्मा से जोड़ता है और वो नाता जन्मों-जन्म बना रहता है।

श्री श्री रविशंकर ने पूरे विश्व में भ्रमण करके भारत की भूमि से उत्पन्न हुई आध्यात्मिक चेतना को, आधुनिक रंग-रूप के साथ, आधुनिक साज सज्जा के साथ, विश्व की नई पीढ़ी को पसंद आए, उस रूप में ढाला। मंगोलिया में तो घर घर “art of living” का संदेश गूंज रहा है। कोई कल्पना कर सकता था कि अंडमान से भी छोटा देश जनसंख्या में..और इतने बड़े स्टेडियम में, इतना बड़ा जनसागर आज यहां उपस्थित है। यही बताता है कि भारत के प्रति आपकी आध्यात्मिक रूचि कितनी है, इसके दर्शन कराता है।

आपने आज यहां सूर्य नमस्कार प्रस्तुत किए हैं। पूरे विश्व में व्यक्ति मानसिक तनावों में जी रहा है और समाज अशांति से भरा हुआ है। व्यक्ति को तनाव से मुक्ति चाहिए, समाज को शांति चाहिए। ये व्यक्ति को तनाव से मुक्ति और समाज को शांति भाईचारे से प्राप्त होती है, योग एक माध्यम है। मुझे इतना आनंद हो रहा था जब ऊपर से सूर्य नमस्कार देख रहा था। भारत के तिरंगे झंडे के रंग से रंगे हुए मंगोलिया के नागरिक गर्व के साथ सूर्य नमस्कार कर रहे हैं, सभी आयु के लोग सूर्य नमस्कार कर रहे हैं..और इतना ही नहीं सब मिल करके “वसुंधैव कुटुंबकम”..इसका गीत गा रहे हैं।

भारत का मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसे मंगोलिया आने का सौभाग्य मिला है और मंगोलिया ने जिस प्रकार से आज पूरे दिन भर स्वागत किया, सम्मान किया, ऐसा लग रहा है कि मंगोलिया ने मुझे जीत लिया है।

मैं मंगोलिया वासियों का इतने बड़े भव्य समारोह के लिए और मुझे सम्मानित करने के लिए हृदयपूर्वक बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं, आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

21 जून को पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने वाला है। मैं मंगोलिया के सभी नागरिकों से आग्रह करता हूं कि मंगोलिया सामूहिक रूप से योग कर करके पूरे विश्व को..योग के द्वारा रोग मुक्ति कैसे होती है, योग के द्वारा भोग मुक्ति कैसे होती है, योग के द्वारा तनाव मुक्ति कैसे होती है, योग के द्वारा समाज में शांति कैसे स्थापित होती है, उसका संदेश दें, ये भी मेरी आपसे प्रार्थना है।

मेरी आप सब को बहुत बहुत शुभकामनाएं, मंगोलिया को बहुत बहुत शुभकामनाएं, भारत और मंगोलिया की मैत्री को बहुत बहुत शुभकामनाएं। बहुत बहुत धन्यवाद।