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भारत को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता का केन्द्र बनाने की इच्छा


मंत्रिमंडल ने नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र विधेयक, 2019 को मंजूरी दी

अंतर्राष्ट्रीय वैकल्पिक विवाद समाधान केन्द्र के कार्य 2 मार्च, 2019 से नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र को हस्तांतरित होंगे

अध्यादेश का स्थान लेने वाले विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में भारत को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता का केन्द्र बनाना प्रमुख रूप से शामिल रहा है। संस्थागत घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए एक स्वतंत्र और स्वशासी व्यवस्था की स्थापना इस दिशा में एक कदम है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र (एनडीआईएसी) विधेयक, 2019 को संसद के अगले सत्र में पेश करने की मंजूरी दे दी।

प्रभाव:

सरकार तथा उसकी एजेंसियों तथा विवाद में शामिल पक्षों के लिए संस्थागत मध्यस्थता के अनेक लाभ होंगे।

इससे भारत में गुणवत्ता सम्पन्न विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे और लागत की दृष्टि से भी लाभ होगा।

इससे भारत संस्थागत मध्यस्थता के लिए केन्द्र बनेगा।

प्रभाव :

विधेयक में संस्‍थागत मध्‍यस्‍थता के लिए एक स्‍वतंत्र व स्‍वायत्‍त निकाय गठित करने का प्रस्‍ताव है। अंतर्राष्‍ट्रीय वैकल्पिक विवाद समाधान केन्‍द्र (आईसीएडीआर) के सभी कार्य / मामले  2 मार्च, 2019 से नई दिल्‍ली अंतर्राष्‍ट्रीय विवाद केन्‍द्र (एनडीआईएसी) में स्‍थानांतरित हो जाऐंगे।

कार्यान्‍वयन :

यह विधेयक नई दिल्‍ली अंतर्राष्‍ट्रीय विवाद केन्‍द्र अध्‍यादेश, 2019 का स्‍थान लेगा जिसकी घोषणा राष्‍ट्रपति ने 2 मार्च, 2019 को की थी। अध्‍यादेश में संस्‍थागत घरेलू तथा अंतर्राष्‍ट्रीय विवादों के लिए एक स्‍वतंत्र और स्‍वायत्‍त निकाय के गठन का प्रावधान था। इसके उद्देश्‍यों में भारत को अंतर्राष्‍ट्रीय विवादों के लिए मध्‍यस्‍थता केन्‍द्र के रूप में स्‍थापित करना शामिल था।

इस विधेयक के माध्‍यम से नई दिल्‍ली अंतर्राष्‍ट्रीय विवाद केन्‍द्र अध्‍यादेश, 2019  को निरस्‍त किया जाएगा तथा अध्‍यादेश के अंतर्गत सभी निर्णयों व कार्यों को विधेयक के अंतर्गत लिए गए निर्णयों व कार्यों के अनुरूप माना जाएगा।  

पृष्‍ठभूमि :

भारत सरकार वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) व्‍यवस्‍था के जरिए अंतर्राष्‍ट्रीय एवं घरेलू वाणिज्यिक विवादों को तेजी से निपटाने के लिए एक स्‍वतंत्र एवं स्‍वायत्त संस्‍थान की स्‍थापना करने के लिए प्रयासरत रही है। इस संबंध में भारत के उच्‍चतम न्‍यायालय के पूर्व न्‍यायाधीश श्री न्‍यायमूर्ति बी. एन. श्रीकृष्‍ण की अध्‍यक्षता में एक उच्‍चस्‍तरीय समिति (एचएलसी) वर्ष 2017 में गठित की गई थी। एचएलसी ने यह सिफारिश की थी कि सरकार सार्वजनिक धन का उपयोग करते हुए वर्ष 1995 में स्‍थापित एक वर्तमान संस्‍थान अंतर्राष्‍ट्रीय वैकल्पिक विवाद समाधान केन्‍द्र (आईसीएडीआर) का कामकाज अपने हाथों में ले सकती है और इसे राष्‍ट्रीय महत्‍व के एक संस्‍थान के रूप में विकसित कर सकती है।

एचएलसी की सिफारिशों को ध्‍यान में रखते हुए कैबिनेट ने 15 दिसंबर, 2017 को नई दिल्‍ली अंतर्राष्‍ट्रीय मध्‍यस्‍थता केन्‍द्र (एनडीआईएसी) विधेयक, 2018 को मंजूरी दी थी, ताकि इसे संसद में पेश किया जा सके। विधेयक को लोकसभा में 5 जनवरी, 2018 को पेश किया गया था और यह लोकसभा में 4 जनवरी, 2019 को पारित हो गया था। नई दिल्‍ली अंतर्राष्‍ट्रीय मध्‍यस्‍थता केन्‍द्र विधेयक, 2018 को राज्‍यसभा अपने 248वें सत्र में पारित नहीं कर सकी थी। इसके बाद संसद में कामकाज 13 फरवरी, 2019 को अनिश्चित काल के लिए स्‍थगित कर दिया गया था।

राष्‍ट्रपति ने भारत को संस्‍थागत मध्‍यस्‍थता का केन्‍द्र बनाने की विशेष अहमियत तथा भारत में ‘कारोबार करने में और सुगमता’ सुनिश्चित करने की जरूरत को ध्‍यान में रखते हुए 2 मार्च, 2019 को नई दिल्‍ली अंतर्राष्‍ट्रीय मध्‍यस्‍थता केन्‍द्र अध्‍यादेश, 2019 जारी किया। संविधान के अनुच्‍छेद 107 (5) और 123 (2) के प्रावधानों को ध्‍यान में रखते हुए नई दिल्‍ली अंतर्राष्‍ट्रीय मध्‍यस्‍थता केन्‍द्र विधेयक, 2019 को संसद में पेश करने का प्रस्‍ताव है, जो नई दिल्‍ली अंतर्राष्‍ट्रीय मध्‍यस्‍थता केन्‍द्र अध्‍यादेश, 2019 का स्‍थान लेगा।

एनडीआईएसी – भविष्य में मध्यस्थता का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र

नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एनडीआईएसी) का प्रमुख एक चेयरपर्सन होगा, जो उच्चतम न्यायालय या हाई कोर्ट का जज रहा हो या ऐसा कोई प्रख्यात व्यक्ति हो, जिसे मध्यस्थता के प्रशासन, कानून या प्रबंधन आयोजित करने का अनुभव हो। चेयरपर्सन को भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर संस्थागत मध्यस्थता की पर्याप्त जानकारी और अनुभव रखने वाले प्रख्यात व्यक्तियों में से दो पूर्णकालीन या अंशकालीन सदस्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इसके अलावा वाणिज्य और उद्योग की मान्यता प्राप्त निकाय के एक सदस्य को भी अंशकालीन सदस्य के रूप में बारी-बारी से नामांकित किया जाएगा। विधि और न्याय मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग के सचिव, वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा नामांकित वित्तीय सलाहकार, एनडीआईएसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इसके पदेन सदस्य होंगे।

एनडीआईएसी के लक्ष्‍य और उद्देश्‍य :

(i)अंतर्राष्‍ट्रीय घरेलू मध्‍यस्‍थता के लिए उसे एक प्रमुख संस्‍थान के रूप में विकसित करने के लिए योजनाबद्ध सुधार।

(ii)मेल-मिलापमध्‍यस्‍थता और पंचायती प्रक्रियाओं के लिए सुविधाएं और प्रशासनिक सहायता प्रदान करना।

(iii)राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मान्‍यता प्राप्‍त पंचोंमेल-मिलाप करने वालों और मध्‍यस्‍थों अथवा विशेषज्ञों जैसे सर्वेक्षणकर्ताओं और जांचकर्ताओं का पैनल बनाकर रखना।

(iv)सर्वाधिक पेशेवर तरीके से अंतर्राष्‍ट्रीय और घरेलू मध्‍यस्‍थाएं और मेल-मिलाप कराना।

(v)घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर मध्‍यस्‍थता और मेल-मिलाप के लिए सस्‍ती और समय पर सेवाएं प्रदान करना।

(vi)वैकल्पिक विवाद समाधान और संबंधित मामलों के क्षेत्र में अध्‍ययनों को बढ़ावा और विवादों के निपटारों की प्रणाली में सुधारों को बढ़ावा।

(vii)वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा देने के लिए राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय अन्‍य समुदायों, संस्‍थानों और संगठनों के साथ सहयोग।