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बिजली वितरण कंपनियों के वित्‍तीय सुधार के लिए उदय (उज्‍जवल डिस्‍कॉम एश्‍योरेंस योजना)


माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज बिजली मंत्रालय द्वारा पेश की गई नई योजना- उज्‍जवल डिस्‍कॉम एश्‍योरेंस योजना या उदय को अपनी मंजूरी दे दी है। उदय का लक्ष्‍य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्‍कॉम) का वित्‍तीय सुधार एवं उनका पुनरूत्‍थान करना और समस्‍या का एक टिकाऊ और स्‍थायी समाधान भी सुनिश्चित करना है।

उदय माननीय प्रधानमंत्री के सभी लोगों के लिए 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली सुनिश्चित करने के स्‍वप्‍न को साकार करने की दिशा में एक पथप्रदर्शक सुधार है। पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान, जब बिजली क्षेत्र ने ईंधन आपूर्ति (दो दशकों में सर्वाधिक कोल उत्‍पादन) से लेकर उत्‍पादन (अब तक का सबसे अधिक क्षमता संवर्धन) पारेषण (पारेषण लाइनों में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि) और उपभोग (2.3 करोड़ से अधिक एलईडी बल्‍ब वितरित किए गए) तक समस्‍त मूल्‍य श्रृंखला में ऐतिहासिक बेहतरी दर्ज कराई है, यह बिजली क्षेत्र की स्थिति को और अधिक बेहतर बनाने की दिशा में एक अन्‍य निर्णायक कदम है।

मूल्‍य श्रृंखला में सबसे कमजोर कड़ी वितरण की रही है जहां देश भर की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्‍कॉमों) ने लगभग 3.8 लाख करोड़ रूपये का संचित नुकसान दर्ज कराया है और इस पर लगभग 4.3 लाख करोड़ रूपये का कर्ज (मार्च 2015 तक) बकाया है। वित्‍तीय बोझ की शिकार डिस्‍कॉम कंपनियां किफायती दरों पर पर्याप्‍त बिजली की आपूर्त‍ि करने में अक्षम हैं जो जीवन के स्‍तर को बाधित करती है तथा कुल मिलाकर आर्थिक प्रगति एवं विकास को प्रभावित करती है। देश के सभी गांवों में विद्य़ुतीकरण, 24 घंटे बिजली आपूर्ति एवं स्‍वच्‍छ उर्जा बिना अच्‍छा प्रदर्शन करने वाली डिस्‍कॉम कंपनियों के सहयोग के अर्जित नहीं की जा सकती। बिजली कटौतियां ‘मेक इन इंडिया’ एवं ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं पर प्रतिकूल असर डालती हैं। इसके अतिरिक्‍त, वित्‍तीय दबावों की शिकार डिस्‍कॉम कंपनियों द्वारा बैंक कर्ज में किए जाने वाले डिफॉल्‍ट से बैंकिंग क्षेत्र एवं कुल मिलाकर देश की अर्थव्‍यवस्‍था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचने की आशंका है।

विरासत में प्राप्‍त मुद्वों के कारण, डिस्‍कॉम कंपनियां नुकसानों के दुष्‍चक्र में फंसी हुई है जिसमें संचालनगत नुकसानों का वित्‍तपोषण कर्ज द्वारा किया जाता है। डिस्‍कॉम कंपनियों का बकाया कर्ज 2011-12 के लगभग 2.4 लाख करोड रूपये से बढकर 2014-15 के दौरान 14-15 फीसदी ब्‍याज दर के साथ 4.3 लाख करोड् रूपये तक पहुंच गया है।

उदय अतीत तथा भविष्‍य की संभावित समस्‍याओं के स्‍थायी समाधान के जरिये एक गतिशील एवं कारगर डिस्‍कॉम के उदभव का भरोसा दिलाती है। यह डिस्‍कॉम कंपनियों को अगले दो से तीन वर्ष में नुकसान से उबरने का अवसर पाने के लिए अधिकारसंपन्‍न करती है। ऐसा चार पहलों के जरिये किया जाएगा (1) डिस्‍काम की संचालनगत कुशलताओं को बेहतर बनाना, (2) बिजली की लागत में कमी, (3) डिस्‍कॉम कंपनियों की ब्‍याज लागत में कमी एवं (4) राज्‍य वित्‍तों के साथ समन्‍वय के जरिये डिस्‍कॉम कंपनियों पर वित्‍तीय अनुशासन थोपना।

अनिवार्य स्‍मार्ट मीटरिंग संचालनगत कुशलता, ट्रांसफार्मरों एवं मीटरों आदि का उन्‍नयन, कारगर एलईडी बल्‍ब, कृषि पंपों, पंखों एवं एयरकंडीशनरों आदि जैसे किफायती उर्जा से जुडे कदमों से औसत एटीएंडसी नुकसान लगभग 22 फीसदी से घटकर 15 फीसदी पर आ जाएगा और 2018-19 तक औसत राजस्‍व प्राप्ति (एआरआर) और आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस) के बीच का अंतर समाप्‍त हो जाएगा।

बिजली की लागत में कमी को सस्‍ते घरेलू कोयले की बढी हुई आपूर्ति, कोल लिंकेज विवेकीकरण, निष्क्रिय से सक्रिय संयंत्रों तक उदार कोल विनिमय, जीसीवी (ग्रास कैलोरिफिेक), धुले तथा कुचले कोयले की आपूर्ति और पारेषण लाइनों की तेज गति से पूर्णता के आधार पर कोयले के मूल्‍य को युक्तिसंगत बनाने जैसे कदमों के जरिये बिजली की लागत में कमी हासिल की जा सकती है। केवल एनटीपीसी से ही घरेलू कोयले की उच्‍चतर आपूर्ति एवं विवेकीकरण तथा कोयले के विनिमय से 0.35 रूपये प्रति यूनिट की बचत होने की उम्‍मीद है जिसका लाभ डिस्‍कॉम कंपनियों एवं उपभोक्‍ताओं को दिया जाएगा।

डिस्‍कॉम कंपनियों की वित्‍तीय जबावदेहियां संबंधित राज्‍यों की आकस्मिक जबावदेहियां हैं और उन पर ऐसे ही रूप से विचार किए जाने की जरूरत है। डिस्‍कॉम कंपनियों के कर्ज वास्‍तव में राज्‍यों की उधारियां हैं जिन्‍हें सिद्धांत रूप में उधारी के रूप में नहीं गिना जाना चाहिए। बहरहाल, साख निर्धारण एजेंसियां एवं बहुपक्षीय एजेंसियां अपने मूल्‍यांकनों में इस वास्‍तविक कर्ज को लेकर काफी सचेत रहती हैं। उपरोक्‍त एवं 14वें वित्‍त्‍ आयोग के ऐसे ही अवलोकनों के अनुरूप राज्‍य 30 सितंबर 2015 तक दो वर्षों के डिस्‍कॉम कंपनियों के कर्ज के 75 फीसदी हिस्‍से का अधिग्रहण कर लेंगे। डिस्‍कॉम कंपनियों के कर्ज का 50 फीसदी हिस्‍सा 2015-16 में लिया जाएगा तथा 25 फीसदी हिस्‍सा 2016-17 में लिया जाएगा। यह राज्‍यों द्वारा लिए गए कर्ज पर ब्‍याज लागत को 14-15 फीसदी के उच्‍च स्‍तर से घटा कर 8-9 फीसदी पर ले आएगा, और इस प्रकार समग्र कुशलता में बढोतरी होगी। इसके अतिरिक्‍त, अगले तीन वर्षों के दौरान राज्‍यों पर वित्‍तीय बोझ का विस्‍तार करने का प्रावधान राज्‍यों को प्रारंभिक कुछ वर्षों के दौरान उनके उपलब्‍ध वित्‍तीय स्‍थान के भीतर, लिए गए कर्ज पर ब्‍याज अदायगी को प्रबंधित करने का लचीलापन देगा। डिस्‍कॉम कंपनियों के नुकसान की समस्‍या का स्‍थायी समाधान राज्‍यों द्वारा अधिग्रहित किए जाने एवं डिस्‍कॉम कंपनियों के भविष्‍य के नुकसान (अगर कोई है) के कम से कम 50 फीसदी को श्रेणीबद्ध तरीके से वित्‍तपोषित किए जाने के द्वारा हासिल किया जा सकता है।

उदय सहयोगी एवं प्रतिस्‍पर्धी संघवाद के सर्वश्रेष्‍ठ सिद्धांतों के उपयोग का एक चमकदार उदाहरण है और इसका निर्माण कई राज्‍यों के साथ उच्‍चतम स्‍तरों पर विचार विमर्शों के जरिये किया गया है। उदय को अपनाना राज्‍यों के लिए स्‍वैच्छिक है लेकिन यह सभी लोगों को 24 घंटे बिजली मुहैया कराने के लिए सबसे तेज, सर्वाधिक कारगर एवं वित्‍तीय रूप से सबसे व्‍यवहार्य तरीका प्रदान करता है। इसका संचालन बिजली मंत्रालय, राज्‍य सरकार एवं डिस्‍कॉम कंपनियों के बीच एक त्रि-पक्षीय समझौते के जरिये किया जाएगा।

उदय पूरे बिजली क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया में तेजी लाती है और यह सुनिश्चित करेगी कि बिजली सुविधाजनक, किफायती एवं सभी के लिए उपलब्‍ध है। उदय वास्‍तव में एक ‘पावर’ फुल भारत के उदय की घोषणा करती है।