प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आधिकारिक बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) बिल, 2012 में संशोधनों को शामिल करने की मंजूरी दे दी गई।
आधिकारिक बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) बिल, 2012 के संशोधनों से बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) बिल, 1986 में कई संशोधन होंगे।
1. सभी कार्यों और प्रक्रियाओं में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को काम पर रखना प्रतिबंधित होगा। इस पर प्रतिबंध की आयु मुक्त और अनिवार्य शिक्षा कानून, 2009 के तहत निर्धारित आयु से जोड़ दी गई है। हालांकि इसका एक अपवाद है :
क) जहां बच्चा परिवार या परिवार के ऐसे कारोबार में काम कर रहा हो जो निर्धारित खतरनाक काम और प्रक्रिया के तहत न आता हो। यह काम भी वह स्कूल से आने के बाद और छुट्टियों में करता हो।
ख) जहां बच्चा विज्ञापन, फिल्म, टेलीविजन धारावाहिकों या ऐसे किसी मनोरंजन या सर्कस को छोड़कर किसी खेल गतिविधि में काम कर रहा हो। हालांकि इसमें शर्ते और सुरक्षा से जुड़े कदम शामिल हो सकते हैं। ऐसे काम बच्चे की स्कूली शिक्षा को प्रभावित न करते हों।
ग) मंत्रिमंडल ने 14 साल से कम उम्र के बच्चों को काम पर रखने पर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि यह कदम उठाते वक्त देश के सामाजिक ताने-बाने और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को भी ध्यान में रखना होगा। देश में बड़े पैमाने पर परिवारों के भीतर बच्चे कृषि कार्य या कारीगरी में अपने माता-पिता की मदद करते हैं और इस तरह अपने माता-पिता की मदद करते हुए वे इस काम के गुर भी सीखते हैं। इसलिए बच्चे की शिक्षा और देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के साथ इसके ताने-बाने के बीच संतुलन बैठाने की जरुरत है। यही वजह है कि कैबिनेट ने बाल श्रम कानून में संशोधनों को मंजूरी देते हुए बच्चों को उनके परिवार या परिवार के उद्यम में मदद देने की अनुमति दे दी है। हालांकि परिवार के अंदर चलने वाले ये काम खतरनाक किस्म के न हों। बच्चे इस काम को स्कूल से आने के बाद और छुट्टियों के दौरान कर सकते हैं। बच्चे विज्ञापन, फिल्म, टेलीविजन धारावाहिकों या ऐसे किसी मनोरंजन या सर्कस को छोड़कर किसी खेल गतिविधि में काम कर सकते हैं। हालांकि इसमें शर्ते और सुरक्षा से जुड़े कदम शामिल हो सकते हैं। ऐसे काम बच्चे की स्कूली शिक्षा को प्रभावित न करते हों।
2. बाल श्रम (प्रतिबंध और नियमन) कानून के तहत किशोरों (14 से 18 वर्ष की उम्र) के काम की नई परिभाषा तय की गई है। इसमें खतरनाक कामों और प्रक्रिया में उनके श्रम को प्रतिबंधित किया गया है।
3. कानून का उल्लंघन न हो, इसके लिए नए संशोधनों में नियोक्ताओं के खिलाफ कड़े दंड के प्रावधानों का प्रस्ताव है।
क) पहली बार कानून का उल्लंघन कर अपराध करने पर छह महीने से कम की कैद नहीं होगी। लेकिन यह अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। जुर्माने की रकम भी 20,000 से कम नहीं होगी और इसे 50,000 रुपए तक बढ़ाया जा सकता है या फिर जुर्माना और सजा एक साथ हो सकती है। इसके पहले सजा की अवधि तीन महीने से कम की नहीं होती थी और जुर्माने की रकम 10,000 थी, जो 20,000 रुपए तक बढ़ाई जा सकती थी या फिर दोनों एक साथ चलते थे।
ख) दूसरी बार अपराध करने पर न्यूनतम कैद की अवधि एक साल की होगी और इसे बढ़ाकर तीन साल तक किया जा सकता है। इसके पहले दूसरी बार या उसके बाद भी अपराध करने पर कैद की न्यूनतम अवधि छह महीने की थी, जो दो साल तक बढ़ाई जा सकती थी।
4. कानून का उल्लंघन करते हुए बच्चे या किशोर को काम पर रखने के नियोक्ता के अपराध को संज्ञेय बना दिया गया।
5. माता-पिता/अभिभावकों के लिए सजा: मूल कानून में बाल श्रम अपराध के लिए माता-पिता के लिए भी वही सजा है जो नियोक्ताओं के लिए हैं। हालांकि माता-पिता और अभिभावकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखते हुए पहली बार अपराध करने पर किसी सजा का प्रावधान नहीं होगा। दूसरी और उसके बाद के अपराध के लिए जुर्माना लगाया जाएगा जो 10,000 रुपए तक बढ़ाया जा सकता है।
6. एक या अधिक जिलों में बाल और किशोर श्रम पुनर्वास कोष की स्थापना होगी। इस कोष से बाल और किशोर श्रम से छुड़ाए गए बच्चों का पुनर्वास होगा। इस तरह यह कानून अपने आप में पुनर्वास गतिविधियों के लिए कोष साबित होगा।