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फिजी राष्‍ट्रीय विश्‍वविद्यालय में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श में प्रधानमंत्री के विचार


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प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कहा कि भारत मानव जाति के फायदे के लिए अपने लोकतंत्र और युवा जनसंख्‍या की शक्ति का इस्‍तेमाल करेगा। उन्‍होंने कहा कि आने वाला युग ज्ञान का युग होगा और भारत एक बार फिर विश्‍वगुरू के रूप में अपनी भूमिका निभायेगा। सूवा में फिजी राष्‍ट्रीय विश्‍वविद्यालय में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श में प्रधानमंत्री ने कहा कि समूचे विश्‍व के प्रति भारत की जिम्‍मेदारी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और फिजी के बीच काफी मूल्‍य साझे हैं और यह दोनों देशों की जिम्‍मेदारी बनती है कि इन मूल्‍यों को समृद्ध बनाया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि फिजी ने आगे बढ़ने के लिए लोकतंत्र का रास्‍ता चुना है जोकि एक अतुलनीय उदाहरण है और इससे समूचे प्रशांत क्षेत्र को भी ऐसा ही करने की प्रेरणा मिलेगी।

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प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आने वाला युग ज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग होगा। उन्‍होंने कहा कि ज्ञान के भंडार को निरंतर समृद्ध किये जाने की आवश्‍यकता है और इसे नई खोजों और अनुसंधान की गति के साथ सामायिक बनाना होगा। उन्‍होंने कहा कि भारत एक बार फिर विश्‍वगुरू की भूमिका निभाने को तैयार है। इसके अलावा वह मानव जाति के हित में काम करने को भी तत्‍पर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पुरातन काल के ऋषियों ने भारत की वैश्विक जिम्‍मेदारी की बात की थी और उन्‍होंने ज्ञान युग की भी चर्चा की थी। अब उम्‍मीद है कि भारत अपने लोकतंत्र और भौगोलिक स्थिति का इस्‍तेमाल करते हुए महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। प्रधानमंत्री ने डिजिटल असमानता समाप्‍त करने की चर्चा करते हुए कहा कि हमें विश्‍व को मदद देने के लिए भविष्‍य की तैयारी करनी होगी।

प्रधानमंत्री ने कुछ ऐसी पहलों का उल्‍लेख किया जिनकी उन्‍होंने आज पहले घोषणा की थी:-

– फिजी और अन्‍य प्रशांत क्षेत्र के द्वीप देशों के लिए आगमन पर वीजा।

– फिजी में लघु व्‍यापार और गांवों में उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए 50 लाख अमरीकी डॉलर का कोष।

– विद्युत संयंत्र के उत्‍पादन के लिए 7 करोड़ अमरीकी डॉलर का ऋण।

– फिजी के लिए भारत में छात्रवृत्तियों और प्रशिक्षण की सीटें दोगुना करना।

– ग्‍लोबल वार्मिंग के मुद्दे पर प्रशांत द्वीप के देशों के लिए क्षमता निर्माण हेतु तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए दस लाख अमरीकी डॉलर के विशेष कोष की शुरूआत।