प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के सफल समापन पर लोकसभा को संबोधित किया। उन्होंने देश के उन असंख्य नागरिकों को हार्दिक बधाई दी जिनके प्रयासों से महाकुंभ की भव्य सफलता सुनिश्चित हुई। महाकुंभ को सफल बनाने में विभिन्न व्यक्तियों और समूहों के सामूहिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने सरकार, समाज और इसमें शामिल सभी समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रयासों को स्वीकार किया और उनकी सराहना की। श्री मोदी ने देशभर के श्रद्धालुओं, विशेषकर उत्तर प्रदेश के लोगों और प्रयागराज के नागरिकों का उनके अमूल्य समर्थन और भागीदारी के लिए विशेष उल्लेख करते हुए आभार व्यक्त किया।
श्री मोदी ने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए लोगों के अथक प्रयासों को रेखांकित किया और इसकी तुलना गंगा को धरती पर लाने के पौराणिक भागीरथ से किया। उन्होंने लाल किले से अपने संबोधन के दौरान “सबका प्रयास” के महत्व पर भी जोर देने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने दुनिया को भारत की भव्यता दिखाई। प्रधानमंत्री ने कहा, “महाकुंभ लोगों के अटूट विश्वास से प्रेरित सामूहिक संकल्प, भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति है।”
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के दौरान देखी गई राष्ट्रीय चेतना की गहन जागृति पर टिप्पणी की और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे यह चेतना राष्ट्र को नए संकल्पों की ओर प्रेरित करती है और उसे उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महाकुंभ ने राष्ट्र की क्षमताओं के बारे में कुछ लोगों की शंकाओं और आशंकाओं को निर्मूल कर दिया।
राष्ट्र की परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए, पिछले वर्ष अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह और इस वर्ष महाकुंभ के बीच समानता दर्शाते हुए श्री मोदी ने कहा कि ये आयोजन अगली सहस्राब्दी के लिए राष्ट्र की तत्परता को सुदृढ़ करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना इसकी अपार क्षमता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि मानव इतिहास की तरह ही राष्ट्र के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षण आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण के रूप में काम करते हैं। श्री मोदी ने स्वदेशी आंदोलन के दौरान आध्यात्मिक पुनरुत्थान, शिकागो में स्वामी विवेकानंद के जोरदार भाषण और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्षणों जैसे 1857 के विद्रोह, भगत सिंह की शहादत, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के “दिल्ली चलो” आह्वान और महात्मा गांधी की दांडी यात्रा का हवाला देते हुए भारत के ऐतिहासिक मील के पत्थरों पर विचार किया, जिन्होंने राष्ट्र को जागृत किया और नई दिशा प्रदान की। उन्होंने कहा, “प्रयागराज महाकुंभ भी इसी तरह का एक मील का पत्थर है, जो राष्ट्र की जागृत भावना का प्रतीक है।”
भारत में लगभग डेढ़ महीने तक चले महाकुंभ के दौरान देखे गए जीवंत उत्साह को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे करोड़ों श्रद्धालुओं ने सुविधा या असुविधा की बिना चिंता किए अटूट आस्था के साथ भाग लिया और देश की अपार शक्ति का प्रदर्शन किया। मॉरीशस की अपनी हालिया यात्रा का हवाला देते हुए, जहाँ वे महाकुंभ के दौरान एकत्र किए गए त्रिवेणी, प्रयागराज से पवित्र जल लेकर गए थे। प्रधानमंत्री ने मॉरीशस के गंगा तालाब में पवित्र जल अर्पित करने के समय भक्ति और उत्सव के गहन माहौल का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह भारत की परंपराओं, संस्कृति और मूल्यों को अपनाने, मनाने और संरक्षित करने की बढ़ती भावना को दर्शाता है।
श्री मोदी ने पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं की निर्बाध निरंतरता पर टिप्पणी की और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारत के आधुनिक युवा महाकुंभ और अन्य त्योहारों में गहरी श्रद्धा के साथ सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज के युवा अपनी परंपराओं, आस्था और विश्वासों को गर्व के साथ अपना रहे हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ उनके मजबूत जुड़ाव को दर्शाता है।
श्री मोदी ने कहा, “जब कोई समाज अपनी विरासत पर गर्व करता है, तो वह भव्य और प्रेरक क्षण बनाता है जैसा कि महाकुंभ के दौरान देखा गया।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह का गर्व एकता को बढ़ावा देता है और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास को मजबूत करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि परंपराओं, आस्था और विरासत से जुड़ाव समकालीन भारत के लिए एक मूल्यवान संपत्ति है, जो देश की सामूहिक ताकत और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।
इस बात पर जोर देते हुए कि महाकुंभ ने कई अमूल्य परिणाम दिए हैं, जिसमें एकता की भावना सबसे पवित्र भेंट है प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे देश के हर क्षेत्र और कोने से लोग प्रयागराज में एक साथ आए, व्यक्तिगत अहंकार को अलग रखते हुए और “मैं” की बजाय “हम” की सामूहिक भावना को अपनाया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न राज्यों के लोग पवित्र त्रिवेणी का हिस्सा बन गए, जिससे राष्ट्रवाद और एकता की भावना मजबूत हुई। उन्होंने कहा कि जब विभिन्न भाषाएं और बोलियां बोलने वाले लोग संगम पर “हर-हर गंगे” का नारा लगाते हैं, तो यह “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के सार को दर्शाता है और एकता की भावना को बढ़ाता है। श्री मोदी ने कहा कि महाकुंभ ने छोटे और बड़े के बीच भेदभाव की अनुपस्थिति को प्रदर्शित किया, जो भारत की अपार शक्ति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के भीतर अंतर्निहित एकता इतनी गहन है कि यह सभी विभाजनकारी प्रयासों को मात देती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह एकता भारतीयों के लिए एक महान सौभाग्य है और विखंडन का सामना कर रहे विश्व में एक महत्वपूर्ण ताकत है। उन्होंने दोहराया कि “विविधता में एकता” भारत की पहचान है, एक भावना जिसे लगातार महसूस किया जाता है और अनुभव किया जाता है, जैसा कि प्रयागराज महाकुंभ की भव्यता से स्पष्ट होता है। उन्होंने राष्ट्र से विविधता में एकता की इस अनूठी विशेषता को समृद्ध करना जारी रखने का आग्रह किया।
महाकुंभ से मिली अनेक प्रेरणाओं के बारे में बोलते हुए श्री मोदी ने देश में नदियों के विशाल नेटवर्क पर प्रकाश डाला, जिनमें से कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं। उन्होंने महाकुंभ से प्रेरित होकर नदी उत्सवों की परंपरा का विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही कहा कि ऐसी पहलों से वर्तमान पीढ़ी को पानी के महत्व को समझने, नदी की स्वच्छता को बढ़ावा देने और नदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में विश्वास व्यक्त किया कि महाकुंभ से प्राप्त प्रेरणाएं राष्ट्र के संकल्पों को प्राप्त करने के लिए एक सशक्त माध्यम बनेंगी। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की सराहना की तथा देशभर के सभी श्रद्धालुओं को नमन किया और सदन की ओर से शुभकामनाएं दीं।
Speaking in the Lok Sabha. https://t.co/n2vCSPXRSE
— Narendra Modi (@narendramodi) March 18, 2025
I bow to the countrymen, whose efforts led to the successful organisation of the Maha Kumbh: PM @narendramodi pic.twitter.com/S7VCVne7XC
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The success of the Maha Kumbh is a result of countless contributions… pic.twitter.com/0hlAxRYSqj
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We have witnessed a ‘Maha Prayas’ in the organisation of the Maha Kumbh. pic.twitter.com/vhLgcsX1sA
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This Maha Kumbh was led by the people, driven by their resolve and inspired by their unwavering devotion. pic.twitter.com/DgKr7PFXy7
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Prayagraj Maha Kumbh is a significant milestone that reflects the spirit of an awakened nation. pic.twitter.com/QoiFKPT0Fv
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Maha Kumbh has strengthened the spirit of unity. pic.twitter.com/kKT4kdsw48
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In the Maha Kumbh, all differences faded away. This is India’s great strength, showing that the spirit of unity is deeply rooted within us. pic.twitter.com/m3c6EY3DFX
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The spirit of connecting with faith and heritage is the greatest asset of today’s India. pic.twitter.com/nZ6YG21Keu
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एमजी/केसी/पीसी/ओपी
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