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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवकों, जनजातीय अतिथियों और झांकी कलाकारों से बातचीत की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवकों, जनजातीय अतिथियों और झांकी कलाकारों से बातचीत की


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कल (24 जनवरी 2025) लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर आगामी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनने वाले एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवकों, जनजातीय अतिथियों और झांकी कलाकारों से बातचीत की। बातचीत के दौरान, कई प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से मिलने पर अपनी खुशी व्यक्त की, इस पर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि “यह भारतीय लोकतंत्र की ताकत को दिखाता है।“

 

बिहार के मुंगेर के एक प्रतिभागी से बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री ने मुंगेर की धरती के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि मुंगेर योग के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है और अब पूरी दुनिया योग को अपना रही है।

 

एक अन्य प्रतिभागी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी पहलों ने न केवल देश की प्रगति में योगदान दिया है, बल्कि युवाओं को भी आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि हर कोई प्रधानमंत्री की ओर चुंबक की तरह खिंचा चला आता है और ऐसे व्यक्तित्व वाले प्रधानमंत्री का होना देश के लिए गर्व की बात है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि अगर 140 करोड़ भारतीय स्वच्छता बनाए रखने का संकल्प लें, तो भारत हमेशा स्वच्छ रहेगा।

 

ओडिशा के एक अन्य प्रतिभागी ने श्री मोदी से सफलता की वास्तविक परिभाषा पूछी, जिस पर उन्होंने कहा कि किसी को कभी भी असफलता स्वीकार नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जो लोग असफलता को स्वीकार करते हैं, वे कभी सफल नहीं होते, लेकिन जो उससे सीखते हैं, वे शिखर पर पहुंचते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि किसी को कभी भी असफलता से नहीं डरना चाहिए, बल्कि उससे सीखने की भावना रखनी चाहिए और जो असफलता से सीखते हैं, वे अंततः शीर्ष पर पहुंचते हैं।

 

एक प्रतिभागी द्वारा पूछे जाने पर कि उन्हें क्या प्रेरित करता है और ऊर्जावान रखता है, प्रधानमंत्री ने कहा, “आप जैसे युवाओं से मिलकर मुझे ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब वे देश के किसानों के बारे में सोचते हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि वे कितने घंटे काम करते हैं; जब वे सैनिकों को याद करते हैं, तो उन्हें लगता है कि वे कितने घंटे सीमाओं पर पहरा देते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हर कोई बहुत मेहनत करता है और यदि हम उन्हें देखें तथा उनके जैसा जीने की कोशिश करें, तो हमें लगता है कि हमें भी आराम करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह वे अपने कर्तव्यों को इतनी लगन से निभाते हैं, उसी तरह देश के 140 करोड़ नागरिकों ने भी उन्हें पूरा करने के लिए कर्तव्य सौंपे हैं।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुबह जल्दी उठने की आदत जीवन में बहुत लाभदायक होती है। उन्होंने बताया कि अतीत में एनसीसी कैडेट होने और शिविरों के दौरान सुबह जल्दी उठने की आदत ने उन्हें अनुशासन की सीख दी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज भी सुबह जल्दी उठने की उनकी आदत एक मूल्यवान संपत्ति है, जिससे वे दुनिया के जागने से पहले कई काम पूरे कर लेते हैं। उन्होंने सभी को सुबह जल्दी उठने की आदत बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि यह आदत उनके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।

 

महान व्यक्तित्वों से सीखने के विषय पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें छत्रपति शिवाजी महाराज सहित सभी से सीखने की जरूरत है। उन्होंने अतीत के महान नेताओं से सीख लेने और आज राष्ट्र की सेवा के लिए उन सीखों को लागू करने के महत्व पर जोर दिया।

 

प्रधानमंत्री ने एक प्रतिभागी से गणतंत्र दिवस कार्यक्रम की तैयारियों के दौरान दूसरों से मिली सीख के बारे में पूछा, जिसके जवाब में उसने कहा कि विभिन्न प्रतिभागियों के साथ मित्रता करना,र बातचीत करना तथा एकीकृत भारत बनाने के लिए आपस में एक साथ मिलना। उन्होंने कहा कि इसने हर तरह की स्थिति को अनुकूल बनाने के बारे में भी बहुत कुछ सिखाया है। श्री मोदी इस बात से प्रसन्न हुए कि एक कश्मीरी पंडित परिवार की युवा प्रतिभागी ने बताया कि कार्यक्रम में शामिल होने से उसने आत्मनिर्भर होना सीखा है। उसने इस बात पर प्रकाश डाला कि पहले कभी घर के काम नहीं करने के बावजूद, यहाँ सब कुछ स्वतंत्र रूप से प्रबंधित करने को सीखना एक महत्वपूर्ण अनुभव रहा है। उसने इस बात पर जोर दिया कि एक बार जब वह घर लौटेगी, तो वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामों में अपनी माँ की मदद करेगी।

 

प्रधानमंत्री उस समय बहुत प्रभावित हुए जब एक युवा प्रतिभागी ने बताया कि यहां सीखी गई सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार केवल उन लोगों से नहीं बनता, जो हमारे साथ घर पर रहते हैं, बल्कि इसमें अन्य लोग – मित्र और वरिष्ठ – सभी मिलकर एक बड़ा परिवार बनाते हैं। प्रतिभागी ने इस बात पर जोर दिया कि यह एक मूल्यवान सीख है, जिसे हमेशा याद रखा जाना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि इस अनुभव से मिली महत्वपूर्ण सीख के रूप में “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को अपनाना है।

 

श्री मोदी द्वारा प्रतिभागियों से आगामी गणतंत्र दिवस परेड में उनके चयन या चयन-नहीं के बारे में पूछे जाने पर, एक प्रतिभागी ने उत्तर दिया कि चयन या चयन-नहीं एक अलग बात है, लेकिन प्रयास करना अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिणाम की परवाह किए बिना अपना सर्वश्रेष्ठ देना है।

 

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रतिभागी, जिन्होंने यहां एक महीना बिताया है,  प्रौद्योगिकी और डिजिटल इंडिया के कारण अपने दोस्तों और परिवार के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस करने में सक्षम थे, जो हमें विकसित भारत की ओर ले जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर में बहुत कम ऐसे देश हैं, जिनके पास भारत जितना किफायती डेटा है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, देश का सबसे गरीब व्यक्ति भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने प्रियजनों से आराम से बात कर सकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूछा कि कितने लोग यूपीआई और डिजिटल भुगतान का उपयोग करते हैं, उन्होंने टिप्पणी की कि नई पीढ़ी शायद ही अपनी जेब में नकदी रखती है।

 

श्री मोदी द्वारा यह पूछे जाने पर कि प्रतिभागियों को एनसीसी से कौन सी मूल्यवान बातें मिलीं, जो उनके पास पहले नहीं थे, एक प्रतिभागी ने जवाब दिया कि समय की पाबंदी, समय प्रबंधन और नेतृत्व। एक अन्य प्रतिभागी ने बताया कि एनसीसी से मिली सबसे महत्वपूर्ण सीख है – जनसेवा, जैसे रक्तदान शिविरों का आयोजन और आस-पास साफ-सफाई बनाए रखना। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे माई भारत या मेरा युवा भारत प्लेटफॉर्म पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्लेटफॉर्म पर तीन करोड़ से अधिक युवा पुरुष और महिलाएं पंजीकृत हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिभागियों ने विकसित भारत पर वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताओं में भाग लेने सहित महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इन गतिविधियों में देश भर के लगभग 30 लाख लोग शामिल थे। श्री मोदी ने प्रतिभागियों से जल्द ही माई भारत पोर्टल पर पंजीकरण करने का आग्रह किया।

 

2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र (विकसित भारत) बनाने के प्रति भारत और भारतीयों द्वारा निर्धारित लक्ष्य पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि 140 करोड़ नागरिक कुछ सकारात्मक करने का संकल्प लें, तो लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल नहीं होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, “अपने कर्तव्यों को पूरा करके, हम एक विकसित भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण शक्ति बन सकते हैं।“

 

श्री मोदी ने प्रतिभागियों से पूछा कि हममें से कौन अपनी माताओं से बहुत प्यार करता है और कौन धरती माता से भी उतना ही प्यार करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम हमारी माताओं और धरती माता दोनों के प्रति सम्मान व्यक्त करता है। उन्होंने सभी से अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि यह कभी सूख न जाए। उन्होंने कहा कि इस कार्य की पहली लाभार्थी धरती माता होगी।

 

अरुणाचल प्रदेश के एक प्रतिभागी से बातचीत करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अरुणाचल प्रदेश की एक अनूठी विशेषता यह है कि यहीं से सूर्य की पहली किरणें भारत में पहुँचती हैं। उन्होंने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में लोग एक-दूसरे का अभिवादन “राम राम” या “नमस्ते” के बजाय “जय हिंद” कहकर करते हैं। प्रधानमंत्री ने सभी को अरुणाचल प्रदेश की विविधता, कला, प्राकृतिक सुंदरता और लोगों का प्रेम का अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने लोगों से मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, असम और मेघालय सहित अष्टलक्ष्मी के पूरे क्षेत्र का दौरा करने का आग्रह किया और कहा कि यहाँ देखने के लिए इतना कुछ है कि दो या तीन महीने भी पर्याप्त नहीं होंगे।

 

प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों से पूछा कि क्या एनएसएस टीम के साथ काम करते हुए इकाई द्वारा किया गया कोई ऐसा काम है, जिसे उनके क्षेत्र में व्यापक रूप से मान्यता मिली हो। झारखंड के एक प्रतिभागी ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि एक उल्लेखनीय प्रयास दुमका में महिरी समुदाय की मदद करना था, जो बांस की वस्तुओं को तैयार करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि समुदाय को चुनौतियों का सामना करना पड़ता था,  क्योंकि उनके उत्पाद केवल मौसमी रूप से ही बिकते थे। उन्होंने कहा कि इकाई ने ऐसे कारीगरों की पहचान की और उन्हें अगरबत्ती बनाने वाली फैक्ट्रियों से जोड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगरतला, त्रिपुरा के जंगलों में अगर की लकड़ी पैदा होती है, जो अपनी अनूठी और सुखद खुशबू के लिए जानी जाती है। उन्होंने उल्लेख किया कि इन पेड़ों से निकाला गया तेल अत्यधिक मूल्यवान है और दुनिया के सबसे महंगे तेलों में से एक है। उन्होंने कहा कि अगर की समृद्ध सुगंध ने इस सुगंध के साथ अगरबत्ती बनाने की परंपरा को जन्म दिया है।

 

श्री मोदी ने सरकार के जेम (सरकारी ई-मार्केटप्लेस) पोर्टल पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षित युवाओं को स्थानीय कारीगरों और उत्पादकों को अपने उत्पादों को पोर्टल पर पंजीकृत करने में मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि उत्पादों और कीमतों को सूचीबद्ध करने से इस बात की संभावना रहती है कि सरकार उन वस्तुओं के लिए ऑर्डर दे, जिससे तेजी से लेन-देन हो सकता है। उन्होंने गांवों में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से 3 करोड़ महिलाओं को “लखपति दीदी” बनाने के अपने विज़न को साझा किया और कहा कि उनकी संख्या पहले ही 1.3 करोड़ तक पहुँच चुकी है। एक प्रतिभागी ने साझा किया कि उनकी माँ ने सिलाई सीखी और अब नवरात्रि के दौरान पहनी जाने वाली पारंपरिक चनिया बनाती हैं। श्री मोदी ने कहा कि इन चनिया को विदेशों में भी निर्यात किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है और इस बात पर जोर दिया कि “लखपति दीदी” कार्यक्रम एक विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

प्रधानमंत्री नेपाल से एक प्रतिभागी की बात सुनकर प्रसन्न हुए, जिन्होंने भारत आने और उनसे मिलने के बारे में उत्साह व्यक्त किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को उनके लिए किए गए बिना शर्त आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया। मॉरीशस से एक अन्य प्रतिभागी ने कहा कि उनके प्रस्थान की पूर्व संध्या पर, मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त ने उनसे मुलाकात की और उन्हें भारत आने के लिए प्रोत्साहित किया, इसे उनका “दूसरा घर” बताया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत न केवल उनका दूसरा घर है, बल्कि उनके पूर्वजों का पहला घर भी है।  

 

कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल तथा श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

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