प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया। यह दो दिवसीय कार्यक्रम शांति बनाए रखने और ऊर्जावान बोडो समाज के निर्माण के लिए भाषा, साहित्य और संस्कृति का एक बड़ा आयोजन है।
श्री मोदी ने अपने संबोधन में कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली के शुभ अवसर पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने आज श्री गुरुनानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व के अवसर पर दुनिया भर के सभी सिख भाई-बहनों को बधाई दी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के नागरिक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव दिवस मना रहे हैं। उन्होंने प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन करने पर प्रसन्नता प्रकट की तथा समृद्धि, संस्कृति और शांति के नए भविष्य का कीर्तिगान करने के लिए देश के कोने-कोने से आए बोडो लोगों को बधाई दी।
इस अवसर को अपने लिए भावुक कर देने वाला पल बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह बहुत ही उपयुक्त क्षण है, क्योंकि इसने 50 वर्षों की हिंसा को समाप्त कर दिया है और बोडोलैंड अपनी एकता का पहला उत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि रणचंडी नृत्य अपने आप में बोडोलैंड के सामर्थ्य को प्रदर्शित करता है। श्री मोदी ने वर्षों के संघर्ष और मध्यस्थता के प्रयासों के बाद नया इतिहास रचने के लिए बोडो लोगों की सराहना की।
साल 2020 के बोडो शांति समझौते के बाद कोकराझार की यात्रा के अवसर को याद करते हुए श्री मोदी ने कहा कि उस दौरान उन्हें जो अपनापन और स्नेह मिला,उसने उनको बोडो लोगों में से ही एक होने का एहसास कराया। श्री मोदी ने कहा कि इस यात्रा के चार साल बाद, आज भी वैसा ही अपनापन और स्नेह महसूस करके उन्हें खुशी हो रही है। श्री मोदी ने बोडो लोगों से कही अपनी इस बात को याद किया कि -बोडोलैंड में शांति और समृद्धि की एक नई सुबह हो चुकी है। श्री मोदी ने ये शब्द लोगों को हथियार त्याग कर शांति की राह चुनते हुए देखने के बाद कहे थे। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में उनके लिए बेहद भावुक क्षण था। आज लोगों का उत्साह और चेहरे की खुशी देखने के बाद, प्रधानमंत्री ने कहा कि बोडो लोगों के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव तैयार हो चुकी है। श्री मोदी ने कहा कि पिछले 4 वर्षों में बोडोलैंड में हुई प्रगति बहुत ही महत्वपूर्ण है। श्री मोदी ने कहा, “शांति समझौते के बाद बोडोलैंड ने विकास की नई लहर देखी है।” उन्होंने कहा कि बोडो शांति समझौते के फायदे और बोडो के जीवन पर इसके प्रभाव को देखकर आज उनके मन को तसल्ली मिली है। उन्होंने कहा कि बोडो शांति समझौते ने कई अन्य समझौतों के लिए नए रास्ते खोले हैं। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इस समझौते के परिणामस्वरूप अकेले असम में ही 10 हजार से अधिक युवाओं ने हथियार त्याग दिए हैं, हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है और विकास की मुख्यधारा में लौट आए हैं। उन्होंने कहा कि यह किसी की कल्पना से भी परे था कि कार्बी आंगलोंग समझौता, ब्रू-रियांग समझौता और एनएलएफटी-त्रिपुरा समझौता किसी दिन वास्तविकता बन जाएगा। श्री मोदी ने कहा कि लोगों और सरकार के बीच आपसी विश्वास का दोनों ने सम्मान किया है तथा अब केंद्र सरकार और असम सरकार बोडोलैंड और उसके लोगों के विकास में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रही है।
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बोडो प्रादेशिक क्षेत्र में बोडो समुदाय की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को दी गई प्राथमिकता पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि बोडोलैंड के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया है, जबकि असम सरकार ने एक विशेष विकास पैकेज दिया है। उन्होंने कहा कि बोडोलैंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 700 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि खर्च की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने हिंसा छोड़ मुख्यधारा में लौटे लोगों के प्रति पूरी संवेदनशीलता से निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा कि नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 4 हजार से ज्यादा पूर्व कैडर्स का पुनर्वास किया गया है, जबकि कितने ही युवाओं को असम पुलिस में नौकरी दी गई है। उन्होंने कहा कि बोडो संघर्ष से प्रभावित प्रत्येक परिवार को असम सरकार ने 5 लाख रुपये की सहायता दी है। प्रधानमंत्री ने इस बात का भी उल्लेख किया कि बोडोलैंड के विकास के लिए असम सरकार हर साल 800 करोड़ रुपए से ज्यादा धनराशि खर्च कर रही है।
किसी भी क्षेत्र के विकास हेतु युवाओं और महिलाओं के लिए कौशल विकास और अवसरों की उपलब्धता के महत्व पर जोर देते हुए श्री मोदी ने सीड मिशन शुरू किए जाने को रेखांकित किया। सीड के बारे में जानकारी देते हुए श्री मोदी ने कहा कि इसका आशय कौशल, उद्यमिता, रोजगार और विकास के माध्यम से युवाओं का कल्याण है और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बोडो युवाओं को इससे बहुत लाभ मिल रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि जिन युवाओं ने अतीत में बंदूक थाम रखी थी, वे अब खेलों के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोकराझार में दो बार डूरंड कप का आयोजन होना और उनमें बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की टीमों का भाग लेना, अपने आप में ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि शांति समझौते के बाद पिछले तीन साल से कोकराझार में लगातार बोडोलैंड साहित्य महोत्सव का भी आयोजन हो रहा है, जो बोडो साहित्य की बहुत बड़ी सेवा है। उन्होंने आज मनाए जा रहे बोडो साहित्य सभा के 73वें स्थापना दिवस के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं भी दीं। उन्होंने कहा कि यह बोडो साहित्य और बोडो भाषा के उत्सव का दिन है, जिसके तहत कल एक सांस्कृतिक रैली भी निकाली जाएगी।
महोत्सव में प्रदर्शनी का अवलोकन करने संबंधी अपने अनुभवों को साझा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने आरोनाये, दोखोना, गामसा, करै-दक्खिनी, थोरखा, जौ गिशी, खाम और अन्य उत्पादों जैसी समृद्ध बोडो कला और शिल्प को देखा, जिन्हें भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त है। उन्होंने कहा कि जीआई टैग के महत्व ने उत्पादों की पहचान बनाए रखने में मदद की है यानी ये उत्पाद दुनिया में कहीं भी जाएं, इनकी पहचान बोडोलैंड से, बोडो संस्कृति से ही जुड़ी रहेगी। सेरीकल्चर के हमेशा से बोडो संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहने पर जोर देते हुए श्री मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि सरकार ने बोडोलैंड सेरीकल्चर मिशन लागू किया है। इस बात पर गौर करते हुए कि हर बोडो परिवार में बुनाई की परंपरा रही है, श्री मोदी ने कहा कि बोडोलैंड हैंडलूम मिशन के माध्यम से बोडो समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक प्रयास किए गए हैं।
श्री मोदी ने कहा, “असम भारत के पर्यटन क्षेत्र की बहुत बड़ी ताकत है, जबकि बोडोलैंड असम के पर्यटन की ताकत है।” श्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मानस नेशनल पार्क, रायमोना नेशनल पार्क और सिखना झालाओ नेशनल पार्क के घने जंगल जो कभी छुपने की जगह के रूप में इस्तेमाल किए जाते थे, वे अब युवाओं की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम बन रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बोडोलैंड में बढ़ते पर्यटन से युवाओं के लिए रोजगार के अनेक नए अवसर सृजित होंगे।
श्री बोडोफा उपेन्द्र नाथ ब्रह्मा और गुरुदेव कालीचरण ब्रह्मा को उनके योगदान के लिए याद करते हुए श्री मोदी ने कहा कि बोडोफा ने हमेशा भारत की अखंडता और बोडो लोगों के संवैधानिक अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक तरीके को आगे रखा जबकि गुरुदेव कालीचरण ब्रह्मा ने अहिंसा और अध्यात्म के मार्ग पर चलकर समाज को एकजुट किया। उन्हें इस बात का संतोष है कि बोडो माताओं और बहनों की आंखों में अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के सपने तैर रहे हैं, जबकि हर बोडो परिवार के मन में अब अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने की आकांक्षा है। उन्होंने कहा कि ऐसा उनके समक्ष मौजूद सफल बोडो व्यक्तित्वों की प्रेरणा की बदौलत है, जिन्होंने महत्वपूर्ण पदों पर रहकर देश की सेवा की है, इनमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री हरिशंकर ब्रह्मा, मेघालय के पूर्व राज्यपाल श्री रंजीत शेखर मुशहरी शामिल हैं, जिन्होंने बोडो समुदाय का मान बढ़ाया है। श्री मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि बोडोलैंड के युवा अच्छा करियर बनाने के सपने देख रहे हैं तथा केंद्र और राज्य दोनों सरकारें उनकी प्रगति में भागीदार के रूप में हर बोडो परिवार की साथी बनकर उनके साथ खड़ी है।
श्री मोदी ने कहा कि असम सहित पूरा पूर्वोत्तर,भारत की अष्टलक्ष्मी है और अब विकास का सूरज पूर्वी भारत से उगेगा, जो विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा देगा। उन्होंने कहा कि इसलिए,सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच सीमा विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश करके पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
बीते दशक में असम और पूर्वोत्तर के विकास का सुनहरा दौर शुरू होने पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। उन्होंने कहा कि असम के लाखों लोगों ने गरीबी को हराया है। इस बात को रेखांकित करते हुए कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में असम विकास के नए कीर्तिमान बना रहा है, श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि बीते डेढ़ साल में असम को 4 बड़े अस्पतालों की सौगात मिली है, जिनमें गुवाहाटी एम्स और कोकराझार, नलबाड़ी, नागांव मेडिकल कॉलेज शामिल हैं, जिससे लोगों की मुश्किलें कम हुई हैं। उन्होंने कहा कि असम में कैंसर अस्पताल खुलने से पूर्वोत्तर के मरीजों को बड़ी राहत मिली है। श्री मोदी ने कहा कि 2014 से पहले असम में 6 मेडिकल कॉलेज थे, आज इनकी संख्या 12 हो गई है। उन्होंने कहा कि इनके अलावा 12 और नए मेडिकल कॉलेज खोलने का काम चल रहा है, जिससे युवाओं के लिए अवसरों के नए द्वार खुलेंगे।
अपने भाषण का समापन करते हुए श्री मोदी ने कहा कि बोडो शांति समझौते ने जो रास्ता दिखाया है, वो पूरे पूर्वोत्तर की समृद्धि का रास्ता है। इस बात पर गौर करते हुए कि बोडोलैंड को सैकड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति का समृद्ध बसेरा माना जाता है, उन्होंने कहा कि हमें इस संस्कृति और परंपराओं को निरंतर सशक्त बनाना होगा। उन्होंने बोडो लोगों का आभार व्यक्त किया और उन्हें पहले बोडोलैंड महोत्सव की शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर असम के राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के प्रमुख श्री प्रमोद बोरो, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष श्री दीपेन बोडो, बोडो साहित्य सभा के अध्यक्ष डॉ. सुरथ नारजारी सहित अन्य लोग उपस्थित थे। असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े।
पृष्ठभूमि
दो दिवसीय प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का आयोजन 15 और 16 नवंबर को किया जा रहा है। यह शांति बनाए रखने और ऊर्जावान बोडो समाज के निर्माण के लिए भाषा, साहित्य और संस्कृति का एक बड़ा आयोजन है। इसका उद्देश्य केवल बोडोलैंड में ही नहीं, अपितु असम के अन्य हिस्सों, पश्चिम बंगाल, नेपाल और पूर्वोत्तर के अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मूल बोडो लोगों को एकीकृत करना है। महोत्सव का विषय ‘समृद्ध भारत के लिए शांति और सद्भाव’ है, जिसमें बोडो समुदाय के साथ-साथ बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के अन्य समुदायों की समृद्ध संस्कृति, भाषा और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसका उद्देश्य बोडोलैंड की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत, पारिस्थितिकीय जैव विविधता और पर्यटन क्षमता की समृद्धि का लाभ उठाना है।
उल्लेखनीय है कि यह महोत्सव प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में 2020 में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से सुधार और हालात से उबरने की महत्वपूर्ण उपलब्धि का उत्सव है। इस शांति समझौते न केवल बोडोलैंड को दशकों से चले आ रहे संघर्ष, हिंसा और जनहानि के दौर से निजात दिलाई, बल्कि यह अन्य शांति समझौतों के लिए प्रेरणास्रोत भी बना।
“भारतीय विरासत और परंपराओं में योगदान देने वाली समृद्ध बोडो संस्कृति, परंपरा और साहित्य” पर सत्र महोत्सव का मुख्य आकर्षण होगा और इसमें समृद्ध बोडो संस्कृति, परंपराओं, भाषा और साहित्य की श्रृंखला पर विचार-विमर्श किया जाएगा। “राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के माध्यम से मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा की चुनौतियां और अवसर” विषय पर एक और सत्र भी आयोजित किया जाएगा। बोडोलैंड क्षेत्र के पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “मूल सांस्कृतिक बैठक और संस्कृति और पर्यटन के माध्यम से ‘ऊर्जावान बोडोलैंड’ क्षेत्र के निर्माण पर चर्चा” पर विषयगत चर्चा भी आयोजित की जाएगी।
इस कार्यक्रम में बोडोलैंड क्षेत्र, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, भारत के अन्य भागों तथा पड़ोसी देशों नेपाल और भूटान से पांच हजार से अधिक सांस्कृतिक, भाषायी और कला प्रेमी शामिल हुए।
Speaking at the inauguration of the Bodoland Mohotsov. Our Government is committed to ensuring progress and prosperity for the vibrant Bodo community.https://t.co/dqr7XctkmC
— Narendra Modi (@narendramodi) November 15, 2024
बोडो लोगों के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव तैयार हो चुकी है: PM @narendramodi pic.twitter.com/QAiZQaXHbN
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पूरा नॉर्थ ईस्ट, भारत की अष्टलक्ष्मी है: PM @narendramodi pic.twitter.com/EfQhPzA726
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एमजी/केसी/आरके
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Today, the women of the Bodo community are not burdened by tears or sadness. They are working towards a better future for them and the community. pic.twitter.com/Gdqrdx3CuH
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Coming to the Bodoland Mohotsov is a very emotional moment for me. The affection from the Bodo community is something I greatly cherish. This community has faced many challenges but they have shown immense resilience and commitment to peace. They have also shown violence can… pic.twitter.com/jtzx0NN2Jx
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