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प्रधानमंत्री ने 5 डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं को राष्ट्र को समर्पित किया


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज बेंगलुरू में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की 5 युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं को राष्ट्र को समर्पित किया।

डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं 5 शहरों – बेंगलुरू, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में स्थित हैं। प्रत्येक प्रयोगशाला में भावी रक्षा प्रणालियों के विकास के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के आधार पर प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें कृत्रिम बौद्धिकता, क्वांटम प्रौद्योगिकी, कॉग्निटिव प्रौद्योगिकी, एसिमेट्रिक प्रौद्योगिकी और स्मार्ट मेटेरियल शामिल हैं।

24 अगस्त, 2014 को आयोजित होने वाले डीआरडीओ पुरस्कार के अवसर पर प्रधानमंत्री ने इन प्रयोगशालाओं को शुरू करने की प्रेरणा दी थी। उस समय श्री नरेन्द्र मोदी ने डीआरडीओ से आग्रह किया था कि निर्णय लेने की शक्ति और चुनौतिपूर्ण अनुसंधान अवसरों के जरिए युवाओं को शक्तिसंपन्न बनाए।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं के जरिए देश में उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को दिशा मिलेगी। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे नये दशक के लिए एक सुनिश्चित रोडमैप तैयार करें। इसके मद्देनजर डीआरडीओ देश में विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान को दिशा और गति देने में सक्षम बनेगा।

वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का मिसाइल कार्यक्रम विश्व के बेहतरीन कार्यक्रमों में शामिल है। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और वायु सुरक्षा प्रणालियों की भी सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भारत पीछे नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार वैज्ञानिक समुदाय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और नवाचारों पर बल दिया जा सके।

श्री मोदी ने कहा कि डीआरडीओ के नवाचार मेक-इन-इंडिया जैसे कार्यक्रमों को मजबूत बनाने और देश के जीवंत रक्षा सेक्टर को प्रोत्साहन देने में अहम भूमिका निभाएगा।

5 डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं की स्थापना के जरिए भावी प्रौद्योगिकियों के विकास और अनुसंधान की आधारशिला रखी गई है। रक्षा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से डीआरडीओ की यह महत्वपूर्ण पहल है।

उल्लेखनीय है कि कृत्रिम बौद्धिकता के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य बेंगलुरू में किया जाएगा। क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसा महत्वपूर्ण क्षेत्र आईआईटी मुंबई में स्थापित होगा। कॉग्निटिव प्रौद्योगिकी के भविष्य को देखते हुए आईआईटी चेन्नई में प्रयोगशाला तैयार की जाएगी। एसिमेट्रिक प्रौद्योगिकी के नये और भावी क्षेत्र से युद्ध का तरीका बदलेगा और इस संबंध में अनुसंधान प्रयोगशाला कोलकाता स्थित जाधवपुर विश्वविद्यालय के परिसर में स्थापित की जाएगी। स्मार्ट मेटेरियल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में होने वाला अनुसंधान हैदराबाद में स्थित होगा।