प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन 2023 के ग्रैंड फिनाले के प्रतिभागियों से बातचीत की और उन्हें संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, मैसूरु, कर्नाटक के श्री सोइकत दास और श्री प्रोतिक साहा के साथ बातचीत की, जिन्होंने कोयला मंत्रालय के परिवहन और लॉजिस्टिक्स विषय पर काम किया है। वे रेलवे कार्गो के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित प्रणाली का निर्माण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हैकथॉन उनके लिए भी सीखने का अवसर है और वह हमेशा प्रतिभागियों के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक रहते हैं। प्रतिभागियों के खिले चेहरों को देखकर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका उत्साह, इच्छाशक्ति और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका लगाव भारत की युवा शक्ति की पहचान बन गई है। इस टीम ने जिसमें बांग्लादेश के छात्र भी शामिल थे, प्रधानमंत्री को बताया कि वे रेलवे कोयला वैगनों की अंडर और ओवरलोडिंग की समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके कारण हानि होती है या जुर्माना देना पड़ता है। वे इसके लिए आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस–आधारित तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। इस टीम के 6 सदस्यों में बांग्लादेश और भारत से 3-3 सदस्य शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि उनके प्रयास से भारतीय रेलवे को बहुत लाभ होगा, जो एक परिवर्तनकारी चरण से गुजर रही है। उन्होंने बताया कि लॉजिस्टिक्स फोकस क्षेत्र है और उम्मीद है कि बांग्लादेश से कई और छात्र भविष्य में भारत आएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि ‘स्टडी इन इंडिया‘ कार्यक्रम ऐसे छात्रों की सहायता करेगा।
गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद की सुश्री तिवारी हर्षिता एस और श्री जेठवा जय पी. ने चंद्रमा का अप्रत्याशित मानचित्र बनाने के लिए इमेज प्रोसेसिंग और एआई का उपयोग करके इसरो के मूनलैंडर द्वारा प्राप्त मध्यम-रिज़ॉल्यूशन इमेज को सुपर-रिज़ॉल्यूशन इमेज में परिवर्तित करके बेहतर बनाने की परियोजना पर काम किया है। इस परियोजना के निष्कर्ष से भविष्य के मिशनों के लिए एक सुरक्षित लैंडिंग स्थान और नेविगेशन पथ निर्धारित करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न अंतरिक्ष स्टार्टअप के साथ-साथ इसरो की टीम से पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के लिए आशा की किरण बन गया है। इसने भारत के प्रति देश-विदेश का नजरिया भी बदल दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान युग उन युवाओं के लिए एक आदर्श समय है जो भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने युवाओं के विकास के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने नए जमाने के स्टार्टअप के लिए इसरो द्वारा अपनी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्णय का उल्लेख करते हुए यह सुझाव दिया कि वे अहमदाबाद में स्थित आईएन-स्पेस मुख्यालय का दौरा करें।
वीर सुरेंद्र साई प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, संबलपुर, ओडिशा के अंकित कुमार और सैयद सिद्दीकी हुसैन ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में एक ‘ओपन इनोवेशन’ पर काम किया और एक रेटिंग का सृजन किया, जिससे बच्चों के माता-पिता और चिकित्सा पेशेवरों को समय पूर्व सचेत करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री के आग्रह पर टीम की एक महिला सदस्य ने प्रधानमंत्री को इस परियोजना के बारे में जानकारी भी दी। एक महत्वपूर्ण क्षेत्र चुनने के लिए टीम को बधाई देते हुए, प्रधान मंत्री ने युवा आबादी में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए शिक्षा विभाग को ऐसे मुद्दों पर काम करने और शैक्षणिक संस्थानों में तलाशे गए समाधानों का विस्तार करने और उन्हें उपलब्ध कराने के तौर-तरीकों का पता लगाने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है। उन्होंने उन्हें माई-इंडिया पोर्टल के बारे में भी जानकारी दी।
असम रॉयल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी, असम की सुश्री रेशमा मस्तुथा आर. ने एआई टूल भाषिनी का उपयोग करके प्रधानमंत्री के साथ बातचीत की। ऐसे आयोजन में वास्तविक समय में अनुवाद के लिए भाषिनी उपकरण का पहली बार उपयोग किया गया था। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दक्षिण भारत से आने वाली सुश्री रेशमा और उनकी टीम एक भारत, श्रेष्ठ भारत की सच्ची राजदूत है। उनकी टीम ने एक वेब एप्लिकेशन का उपयोग करके जलविद्युत संयंत्रों के घटकों के इनपुट-आधारित एआई जेनरेटर डिज़ाइन बनाने पर काम किया है, जिससे भारत को ऊर्जा में आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने और उसकी जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने बिजली क्षेत्र को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ने के तरीके खोजने पर जोर दिया क्योंकि दोनों ही विकसित भारत के लिए बेहद जरूरी हैं और भारत के भविष्य को आकार देने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बिजली उत्पादन और खपत की निगरानी के साथ-साथ बिजली ट्रांसमिशन में एआई-आधारित समाधानों का उपयोग करके दक्षता हासिल करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। पिछले वर्षों में हर गांव और परिवार तक बिजली पहुंचाने की सरकार की उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कृषि क्षेत्रों में छोटे पैमाने के सौर संयंत्रों और शहरों में छत पर सौर संयंत्रों को लगाने के बारे में सरकार के फोकस पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए एआई समाधान खोजने का भी सुझाव दिया और उनसे पूर्वोत्तर का दौरा करने का भी अनुरोध किया।
नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश के श्री ऋषभ एस. विश्वामित्र ने एआई का उपयोग करके फिशिंग डोमेन का पता लगाने के लिए समाधान उपलब्ध कराने हेतु एनटीआरओ द्वारा ब्लॉकचेन और साइबर सुरक्षा पर काम किया। प्रधानमंत्री ने साइबर धोखाधड़ी की लगातार उभरती चुनौतियों के बारे में बातचीत करते हुए नई प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में अधिक से अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जेनरेटिव एआई द्वारा डीप फेक वीडियो का जिक्र करते हुए किसी भी फोटो या वीडियो पर भरोसा करने से पहले सतर्क रहने के लिए कहा। उन्होंने एआई के लिए वैश्विक ढांचा तैयार करने के भारत के अभियान का भी उल्लेख किया।
उपस्थित जनों को संबोधित करते प्रधानमंत्री ने देश की समस्याओं का समाधान उपलब्ध कराने के बारे में युवा पीढ़ी के समर्पण पर खुशी जाहिर की। उन्होंने पिछले हैकथॉन की सफलता का भी उल्लेख किया। पिछले हैकथॉन से सामने आए स्टार्टअप और समाधान सरकार तथा समाज दोनों की ही मदद कर रहे हैं।
21वीं सदी के भारत के मंत्र यानी ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान’ का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हर भारतीय यथास्थिति की जड़ता का त्याग कर रहा है। तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के उदय का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान भारत की यूपीआई और वैक्सीन सफलता के बारे में बातचीत की।
युवा इनोवेटर्स और क्षेत्र विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने वर्तमान समय अवधि के महत्व को दोहराते हुए कहा कि यह अगले एक हजार वर्षों की दिशा तय करेगा। प्रधानमंत्री ने उनसे वर्तमान समय की विशिष्टता को समझने के लिए कहा क्योंकि अनेक कारक एक साथ आ गए हैं, जिनमें भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है, इसका प्रतिभा पूल, स्थिर और मजबूत सरकार, बढ़ती अर्थव्यवस्था और विज्ञान और तकनीकी पर अभूतपूर्व ध्यान देना शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी आज हमारे जीवन का एक बड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। उन्होंने युवा नवप्रवर्तकों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी का एक उन्नत संस्करण तभी सामने आता है जब कोई इसके उपयोग का आदी होने लगता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के अमृत काल के अगले 25 वर्ष युवा नवप्रवर्तकों के लिए एक निर्णायक अवधि होगी। आत्मनिर्भर भारत के सामान्य लक्ष्यों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कोई भी नया आयात न करने और अन्य देशों पर निर्भर न रहने का उद्देश्य बताया। आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रहे रक्षा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि भारत कुछ रक्षा प्रौद्योगिकियों को आयात करने के लिए मजबूर है। उन्होंने सेमीकंडक्टर और चिप प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की जरूरत पर भी जोर दिया। श्री मोदी ने क्वांटम प्रौद्योगिकी और हाइड्रोजन ऊर्जा क्षेत्रों में भारत की उच्च आकांक्षाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरकार 21वीं सदी का आधुनिक इकोसिस्टम बनाकर ऐसे सभी क्षेत्रों पर विशेष जोर दे रही है, लेकिन इसकी सफलता युवाओं की सफलता पर निर्भर करती है।
पीएम मोदी ने युवा इनोवेटर्स से कहा कि दुनिया को यह विश्वास है कि भारत में उसे वैश्विक चुनौतियों का किफायती, गुणवत्तायुक्त, टिकाऊ और मापनीय समाधान मिलेगा। हमारे चंद्रयान मिशन ने दुनिया की उम्मीदों को कई गुना बढ़ा दिया है, इसलिए उनसे तदनुसार नवाचार करने को कहा। हैकथॉन के लक्ष्य के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि स्मार्ट इंडिया हैकथॉन का उद्देश्य देश की समस्याओं को हल करना और समाधान के माध्यम से रोजगारों का सृजन करना है। स्मार्ट इंडिया हैकथॉन के माध्यम से देश की युवा शक्ति विकसित भारत के लिए समाधान रूपी अमृत उपलब्ध करा रही है।
प्रधानमंत्री ने देश की युवा शक्ति में विश्वास व्यक्त करते हुए उनसे किसी भी समस्या का समाधान निकालते समय विकसित भारत के संकल्प को ध्यान में रखने का अनुरोध किया। अंत में श्री मोदी ने कहा कि आप जो भी करें, वह सर्वोत्तम हो। आपको ऐसा काम करना है कि दुनिया आपका अनुसरण करे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री के युवा-नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप, स्मार्ट इंडिया हैकथॉन (एसआईएच) छात्रों को सरकार के मंत्रालयों और विभागों, उद्योगों और अन्य संगठनों की गंभीर समस्याओं का समाधान करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराने वाली एक राष्ट्रव्यापी पहल है। वर्ष 2017 में प्रारंभ किए गए स्मार्ट इंडिया हैकथॉन ने युवा इनोवेटर्स के बीच व्यापक रूप से लोकप्रियता हासिल की है। पिछले पांच संस्करणों में, विभिन्न क्षेत्रों में नवाचारी समाधान उभरे हैं, जो स्थापित स्टार्टअप के रूप में सामने आए हैं।
इस वर्ष एसआईएच का ग्रैंड फिनाले 19 से 23 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। एसआईएच 2023 में, 44,000 टीमों से 50,000 से अधिक विचार प्राप्त हुए, जो एसआईएच के पहले संस्करण की तुलना में लगभग सात गुना अधिक है। देश भर के 48 नोडल केंद्रों पर आयोजित ग्रैंड फिनाले में 12,000 से अधिक प्रतिभागी और 2500 से अधिक सलाहकार भाग लेंगे। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्मार्ट शिक्षा, आपदा प्रबंधन, रोबोटिक्स और ड्रोन, विरासत और संस्कृति सहित विभिन्न विषयों के बारे में समाधान उपलब्ध कराने के लिए इस वर्ष ग्रैंड फिनाले के लिए कुल 1282 टीमों का अंतिम रूप से चयन किया गया है।
भाग लेने वाली टीमें 25 केंद्रीय मंत्रियों और राज्य सरकारों के 51 विभागों द्वारा प्रेषित 231 समस्या विवरणों (176 सॉफ्टवेयर और 55 हार्डवेयर) से निपटान करेंगी और समाधान उपलब्ध कराएगी। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2023 की कुल पुरस्कार राशि 2 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें प्रत्येक विजेता टीम को प्रति समस्या विवरण पर एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
Interacting with the young innovators at the Grand Finale of Smart India Hackathon 2023. Their problem-solving capabilities & ingenuity to address complex challenges is remarkable. https://t.co/frHyct8OGe
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India of 21st century is moving forward with the mantra of ‘Jai Jawan, Jai Kisan, Jai Vigyan and Jai Anusandhan.’ pic.twitter.com/ncxp1WAQRs
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Today we are at a turning point in time, where every effort of ours will strengthen the foundation of the India of the next thousand years. pic.twitter.com/ToRmk0NGLJ
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India’s time has come. pic.twitter.com/Et0QfkpO4v
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To make India developed, we all have to work together.
Our goal must be – Aatmanirbhar Bharat. pic.twitter.com/NJlMi7d43R
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The world is confident that India can provide low-cost, quality, sustainable and scalable solutions to global challenges. pic.twitter.com/jtqufQ8PF3
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