Search

पीएमइंडियापीएमइंडिया

न्यूज अपडेट्स

प्रधानमंत्री ने सिविल सर्विस डे के अवसर पर लोक सेवकों को संबोधित किया और पुरस्कार प्रदान किए

प्रधानमंत्री ने सिविल सर्विस डे के अवसर पर लोक सेवकों को संबोधित किया और पुरस्कार प्रदान किए


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 11वें लोक सेवा दिवस के अवसर पर लोक सेवकों को संबोधित किया और उन्हें पुरस्कार वितरित किए।

इस दिन को “प्रतिनियुक्ति” के रूप में बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोक सेवक अपनी ताकत, क्षमताओं, चुनौतियों और जिम्मेदारियों से अच्छी तरह परिचित हैं।

उन्होंने कहा कि आज प्रचलित परिस्थितियां लगभग दो दशक पहले से काफी भिन्न हैं और अगले कुछ वर्षों में इसमें काफी कुछ बदलने वाला है। इसकी व्याख्या करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पहले सरकार ही लगभग माल और सेवाओं की एकमात्र प्रदाता थी और जिसने कई कमियों को नजरअंदाज करने के लिए बहुत गुंजाइश छोड़ी है। वहीं अब लोग बेहतर सेवाओं के लिए सरकार की बजाय निजी क्षेत्रों की तरफ देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकल्प अब कई क्षेत्रों में उपलब्ध हैं जिसकी वजह से सरकारी अफसरों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि यह वृद्धि कार्य के दायरे के मामले में नहीं है, बल्कि चुनौती के मामले में है।

प्रधानमंत्री ने प्रतिस्पर्धा के महत्व पर जोर दिया जिससे गुणात्मक बदलाव आता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही सरकार का रवैया नियामक से हर कार्य करने में सक्षम व्यक्ति में बदल सकता है जिससे प्रतिस्पर्धा की तेज़ी से यह चुनौती एक मौका बन जाएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर गतिविधि के क्षेत्र में सरकार की अनुपस्थिति को प्रत्यक्ष होना चाहिए और गतिविधि के क्षेत्र में इसकी मौजूदगी एक बोझ नहीं बननी चाहिए। उन्होंने लोक सेवकों से इस दिशा में काम करने को कहा।

सिविल सर्विस डे पुरस्कारों के लिए आवेदन में आई उछाल को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब गुणवत्ता में सुधार लाने और उत्कृष्टता को एक आदत बनाने पर ध्यान केंद्रित चाहिए। सिविस सर्विस डे पुरस्कार के पिछले साल 100 आवेदन आए थे जबकि इस 500 आवेदन आए।

प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि अनुभव एक बोझ नहीं बनना चाहिए जो युवा अधिकारियों को कुछ नया करने से रोकता है।

श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नाम न छापना नागरिक सेवाओं की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक है। उन्होंने अधिकारियों को आगाह किया कि सोशल मीडिया का उपयोग इस ताकत में गिरावट का कारण नहीं होना चाहिए, भले ही लोगों के लाभ लेने और उनके सरकारी योजनाओं के साथ जुड़ने के लिए सोशल मीडिया और मोबाइल प्रशासन का फायदा उठाया जाता है।

“सुधार, प्रदर्शन और बदलाव” के संदर्भ में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सुधार’ के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत होती है लेकिन ‘प्रदर्शन’ का हिस्सा लोक सेवकों के हिस्से में होना चाहिए जबकि ‘बदलाव’ लोगों की भागीदारी से सुनिश्चित होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अफसरों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर फैसला राष्ट्र हित को ध्यान में रखते हुए लिया जाना चाहिए और निर्णय लेने के लिए यह उनकी कसौटी होनी चाहिए।

वर्ष 2022 में आजादी के 75 वर्षों हो जाएंगे इस बात को याद करते हुए उन्होंने लोक सेवकों से स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को पूरा करने में उत्प्रेरक एजेंटों की भूमिका निभाने के लिए आग्रह किया।