भ्रष्टाचार को लेकर भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति है : प्रधानमंत्री
दंडात्मक सतर्कता से बेहतर है निवारक सतर्कता : प्रधानमंत्री
भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रशासन को पारदर्शी, जिम्मेदार और जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए : प्रधानमंत्री
पीढ़ी दर पीढ़ी भ्रष्टाचार देश की प्रगति में एक बड़ी बाधा है : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज सतर्क भारत, समृद्ध भारत थीम पर सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। सतर्कता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जागरूकता बढ़ाने और नागरिक भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में अखंडता और ईमानदारी को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के उद्देश्य से केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल संयुक्त भारत के साथ-साथ देश की प्रशासनिक प्रणाली के भी वास्तुकार हैं। देश के पहले गृह मंत्री के रूप में, उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया, जो देश के आम आदमी के लिए हो और जहां नीतियां सत्यनिष्ठा पर आधारित हों। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आगामी दशकों में एक अलग स्थिति देखी गई, जिसमें हजारों करोड़ रुपये के घोटाले हुए, शेल कंपनियां बनीं, कर उत्पीड़न और कर चोरी की गई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में, जब देश ने एक बड़ा बदलाव करने और एक नई दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया, तो इस वातावरण को बदलना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद काले धन के खिलाफ समिति का गठन लटका हुआ था। इस सरकार के बनने के तुरंत बाद समिति का गठन किया गया था। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से देश में बैंकिंग क्षेत्र, स्वास्थ्य क्षेत्र, शिक्षा, श्रम, कृषि आदि सहित कई क्षेत्रों में सुधार देखे गए। उन्होंने कहा कि इन सुधारों के आधार पर देश अब अपनी पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है ताकि आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाया जा सके। उन्होंने भविष्य में भारत के दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनने की उम्मीद जताई।
प्रधानमंत्री ने प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी, जिम्मेदार, जवाबदेह, जनता के प्रति उत्तरदायी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का कोई भी रूप इसका सबसे बड़ा दुश्मन है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार एक तरफ देश के विकास को नुकसान पहुंचाता है और दूसरी तरफ यह सामाजिक संतुलन और उस भरोसे को खत्म कर देता है, जो लोगों का सिस्टम में होना चाहिए और इसलिए, उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटना किसी एक एजेंसी या संस्था की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से स्टैंड-अलोन अप्रोच से नहीं निपटा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जब देश का सवाल आता है तो सतर्कता का दायरा बहुत विस्तृत हो जाता है। यह भ्रष्टाचार हो, आर्थिक अपराध, ड्रग नेटवर्क, धन शोधन, आतंकवाद, या टेरर फंडिंग, बहुत बार ऐसा देखा गया है कि ये सभी जुड़े होते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ व्यवस्थित जांच, प्रभावी ऑडिट, और क्षमता निर्माण व प्रशिक्षण की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह समय की जरूरत है कि सभी एजेंसियां तालमेल और सहयोगात्मक भावना के साथ काम करें। उन्होंने सम्मेलन के एक प्रभावी मंच के रूप में उभरने की कामना की, जो सतर्क भारत, समृद्ध भारत बनाने के नए तरीकों के बारे में सुझाव दे।
प्रधानमंत्री ने 2016 के सतर्कता जागरूकता कार्यक्रम के दौरान कही अपनी बातों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे देश में, जो गरीबी से लड़ रहा है, भ्रष्टाचार का कहीं भी स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दशकों से गरीबों को उनका हक नहीं मिला लेकिन अब डीबीटी के कारण गरीबों को सीधे उनका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अकेले डीबीटी के कारण 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि को गलत हाथों में जाने से बचाया गया है।
उन्होंने इस पर संतोष व्यक्त किया कि संस्थानों में लोगों के भरोसे को फिर से बहाल किया जा रहा है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की ओर से न तो ज्यादा हस्तक्षेप होना चाहिए और न ही पूरी तरह से दूरी। सरकार की भूमिका उस सीमा तक सीमित होनी चाहिए, जितनी आवश्यकता है। लोगों को यह महसूस नहीं होना चाहिए सरकार अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप कर रही है या जरूरत पड़ने पर सरकार कार्य नहीं कर रही है।
श्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में 1500 से अधिक कानूनों को समाप्त कर दिया गया है और कुछ नियमों को सरल बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आम लोगों की परेशानी को कम करने के लिए पेंशन, छात्रवृत्ति, पासपोर्ट, स्टार्टअप आदि कई आवेदन ऑनलाइन किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने एक कथन को उद्धृत करते हुए कहा,
“प्रक्षालनाद्धि पंकस्य
दूरात् स्पर्शनम् वरम्’।”
अर्थात् बाद में साफ करने की कोशिश करने की बजाय गंदा नहीं होना बेहतर है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह निवारक सतर्कता दंडात्मक सतर्कता से बेहतर है। उन्होंने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली परिस्थितियों को दूर करने की जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने कौटिल्य के कथन का हवाला दिया
“न भक्षयन्ति ये
त्वर्थान् न्यायतो वर्धयन्ति च ।
नित्याधिकाराः कार्यास्ते राज्ञः प्रियहिते रताः॥”
अर्थात्, जो लोग सरकारी धन की चोरी नहीं करते बल्कि इसे जनता की भलाई में लगाने का प्रयास करते हैं, उन्हें राज्य के हित में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इससे पहले ट्रांसफर और पोस्टिंग की पैरवी करने के लिए एक नापाक इंडस्ट्री काम करती थी। अब सरकार ने कई नीतिगत फैसले किए हैं, इस स्थिति को बदलने की इच्छाशक्ति दिखाई है और उच्च पदों पर नियुक्तियों की पैरवी समाप्त हो गई है। सरकार ने ग्रुप बी और सी के पद के लिए साक्षात्कार को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि बैंक बोर्ड ब्यूरो के गठन से बैंकों में वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई कानूनी सुधार किए गए हैं और देश की सतर्कता प्रणाली को मजबूत करने के लिए नए कानून पेश किए गए। उन्होंने काले धन, बेनामी संपत्तियों, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम जैसे कानूनों का जिक्र किया, जिसे सतर्कता प्रणाली को मजबूत करने के लिए बनाया गया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जहां फेस-लेस कर-मूल्यांकन प्रणाली लागू की गई है। भारत उन चंद देशों में शामिल है, जहां भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता सतर्कता से संबंधित एजेंसियों को बेहतर प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण, नवीनतम बुनियादी ढांचा और उपकरण उपलब्ध कराना है ताकि वे अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकें और बेहतर परिणाम दे सकें।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह अभियान केवल एक दिन या केवल एक सप्ताह का मामला नहीं है।
उन्होंने पीढ़ीगत भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए इसे एक बड़ी चुनौती बताया जो पिछले दशकों में धीरे-धीरे बढ़ रहा है और देश में विकराल रूप धारण कर लिया है। उन्होंने पीढ़ीगत भ्रष्टाचार को समझाया, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होता गया। उन्होंने कहा कि जब भ्रष्टाचार करने वाली एक पीढ़ी को सख्त सजा नहीं मिलती तो दूसरी पीढ़ी और ज्यादा भ्रष्टाचार करती है। मोदी ने कहा कि इस वजह से कई राज्यों में तो ये राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है। उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार और पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला भ्रष्टाचार का वंशवाद, देश को खोखला कर देता है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति देश के विकास में, एक समृद्ध भारत और एक आत्मनिर्भर भारत बनाने में बड़ी बाधा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में भी चर्चा होगी।
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार से जुड़ी खबरों पर ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जब भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत समयबद्ध कार्रवाई के उदाहरणों को प्रमुखता से दिखाया जाता है तो इससे लोगों का भरोसा बढ़ेगा और यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचारियों का बचना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि अगर देश भ्रष्टाचार को हरा दे तो मजबूत हो सकता है और समृद्ध व आत्मनिर्भर भारत बनाकर सरदार पटेल के सपने को साकार किया जा सकता है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन सतर्कता जागरूकता सप्ताह के साथ करता है, जो भारत में हर साल 27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक मनाया जाता है। इस सम्मेलन की गतिविधियां सतर्कता से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रहेंगी, जिसमें जागरूकता बढ़ाने के साथ ही नागरिक भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में अखंडता और ईमानदारी की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करना शामिल है।
तीन दिवसीय सम्मेलन में विदेशी न्यायाधिकार क्षेत्र में जांच की चुनौतियां, भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रणालीगत जांच के रूप में निवारक सतर्कता, वित्तीय समावेशन और बैंक धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए प्रणालीगत सुधार, विकास के एक इंजन के रूप में प्रभावी ऑडिट, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को तेज करने की दिशा में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून में नवीनतम संशोधन, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, तेज और ज्यादा प्रभावी जांच के लिए मल्टी-एजेंसी समन्वय, आर्थिक अपराधों के उभरते रुझान, साइबर अपराधों और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध पर अंकुश के लिए आपराधिक जांच एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और आदान-प्रदान पर चर्चा होगी।
यह सम्मेलन नीति निर्माताओं और प्रैक्टिशनर्स को एक मंच पर लाएगा और प्रणालीगत सुधार व निवारक सतर्कता उपायों, सुशासन और जवाबदेह प्रशासन, के माध्यम से भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। यह भारत में व्यापार सुगमता को सक्षम बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान करेगा।
सम्मेलन के प्रतिभागियों में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, सतर्कता ब्यूरो, आर्थिक अपराध शाखा, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रमुख, सीवीओ, सीबीआई अधिकारी और कई केंद्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। उद्घाटन सत्र में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और डीजीपी ने भी हिस्सा लिया।
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एसजी/एएम/एएस/डीसी
बीते वर्षों में देश corruption पर zero tolerance की approach के साथ आगे बढ़ा है: PM
— PMO India (@PMOIndia) October 27, 2020
Corruption हो, Economic Offences हों, Drugs हो, Money Laundering हों, या फिर Terrorism, Terror Funding हो, ये सब एक दूसरे से जुड़े होते हैं।
— PMO India (@PMOIndia) October 27, 2020
इसलिए, हमें Corruption के खिलाफ Systemic Checks, Effective Audits और Capacity Building and Training का काम मिलकर करना होगा: PM
अब DBT के माध्यम से गरीबों की मिलने वाला लाभ 100 प्रतिशत गरीबों तक सीधे पहुंच रहा है।
— PMO India (@PMOIndia) October 27, 2020
अकेले DBT की वजह से 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं।
आज ये गर्व के साथ कहा जा सकता है कि घोटालों वाले उस दौर को देश पीछे छोड़ चुका है: PM
आज मैं आपके सामने एक और बड़ी चुनौती का जिक्र करने जा रहा हूं।
— PMO India (@PMOIndia) October 27, 2020
ये चुनौती बीते दशकों में धीरे-धीरे बढ़ते हुए अब देश के सामने एक विकराल रूप ले चुकी है।
ये चुनौती है- भ्रष्टाचार का वंशवाद
यानि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हुआ भ्रष्टाचार: PM
बीते दशकों में हमने देखा है कि जब भ्रष्टाचार करने वाली एक पीढ़ी को सही सजा नहीं मिलती, तो दूसरी पीढ़ी और ज्यादा ताकत के साथ भ्रष्टाचार करती है।
— PMO India (@PMOIndia) October 27, 2020
उसे दिखता है कि जब घर में ही, करोड़ों रुपए कालाधन कमाने वाले का कुछ नहीं हुआ, तो उसका हौसला और बढ़ जाता है: PM
इस वजह से कई राज्यों में तो ये राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है।
— PMO India (@PMOIndia) October 27, 2020
पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार का ये वंशवाद, देश को दीमक की तरह खोखला कर देता है: PM
विकास के लिए जरूरी है कि हमारी जो प्रशासनिक व्यवस्थाएं हैं, वो Transparent हों, Responsible हों, Accountable हों, जनता के प्रति जवाबदेह हों।
— Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2020
इन सभी का सबसे बड़ा शत्रु भ्रष्टाचार है, जिसका डटकर मुकाबला करना सिर्फ एक एजेंसी का दायित्व नहीं, बल्कि एक Collective Responsibility है। pic.twitter.com/88AVE58JLp
Punitive Vigilance से बेहतर है कि Preventive Vigilance पर काम किया जाए। जिन परिस्थितियों की वजह से भ्रष्टाचार पनपता है, उन पर प्रहार आवश्यक है।
— Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2020
इसके लिए भी सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाई है, अनेक नीतिगत निर्णय लिए हैं। pic.twitter.com/A2b1ga041S
देश के सामने एक और बड़ी चुनौती है- भ्रष्टाचार का वंशवाद, यानि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हुआ भ्रष्टाचार।
— Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2020
यह स्थिति देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा है। मैं सभी देशवासियों से अपील करता हूं कि ‘भारत बनाम भ्रष्टाचार’ की लड़ाई में भ्रष्टाचार को परास्त करते रहें। pic.twitter.com/rp80DLOBsw
करप्शन का सबसे ज्यादा नुकसान अगर कोई उठाता है तो वो देश का गरीब ही उठाता है। pic.twitter.com/WpeMR6Sqot
— Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2020