प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां संयुक्त कमांडर सम्मेलन 2014 को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इसके सशस्त्र बल व्यवसायवाद, वीरता, प्रतिबद्धता, सेवा और कर्तव्य के मामले में अद्वितीय हैं। सशस्त्र बलों ने हमेशा भारत की जनता द्वारा उनके प्रति किए गए विश्वास और आत्मविश्वास को कायम रखा है, चाहे वह हमारे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हो अथवा प्राकृतिक आपदाओं के समय में राहत के लिए हो। जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के दौरान और पूर्वी तटवर्ती क्षेत्र में चक्रवात के दौरान लोगों की असाधारण सेवा के लिए उन्होंने सशस्त्र बलों को शुक्रिया अदा किया। उन्होंने सशस्त्र बलों की परंपरा और प्रशिक्षण को धन्यवाद दिया, जिसके बल पर हमारे सशस्त्र बलों में सर्वोच्च विचार और व्यावसायिक क्षमताएं मौजूद हैं। राष्ट्र का विश्वास हमारे सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी शक्ति है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि विश्व नई रूचि, आत्मविश्वास और उत्साह से भारत की ओर देख रहा है और पूरे विश्व में भारत से उम्मीदों की एक लहर है जिसके बल पर यह न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था के ध्रुवों में से एक के रूप में, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के एक पथप्रदर्शक के रूप में भी उभर रहा है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत को इसके आर्थिक विकास के लक्ष्यों तक पहुंचने में समर्थ होने के लिए शांति और सुरक्षा का वातावरण होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उनकी सरकार ने सकारात्मक बाहरी वातावरण के सृजन पर जोर देने के साथ भारत की सुरक्षा को मजबूत करने पर भी जोर दिया है।
प्रधानमंत्री ने भारत की प्रमुख सामरिक और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों और प्राथमिकताओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि समय-समय की चुनौतियों के अलावा भारत को बदलते विश्व के लिए तैयार होना होगा, जो आर्थिक, राजनयिक और सुरक्षा नीतियों के संबंध में हमारी नई सोच की मांग करता है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्तमान के अलावा हम एक ऐसे भविष्य का सामना कर रहे हैं जहां सुरक्षा संबंधी चुनौतियां कम अनुमानयोग्य होगी, स्थितियां शीघ्र उभरेंगी और बदल जाएंगी तथा प्रौद्योगिकीय बदलावों से तालमेल रख पाना अधिक कठिन होगा। चुनौतियां तो जानी-मानी हो सकती हैं, किंतु शत्रु अदृश्य हो सकते हैं। साइबर स्पेश का छा जाना और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा। स्पेश का नियंत्रण उतना ही महत्वपूर्ण हो सकता है जितना कि भूमि, वायु और समुद्र का। पूरे पैमाने पर होने वाला युद्ध गिना-चुना रह जाएगा, किंतु सशस्त्र बल निवारण और व्यवहार को प्रभावित करने के एक औजार के रूप में शेष रहेंगे तथा विवाद की अवधि अपेक्षाकृत कम हो जाएगी।
प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों को प्रर्याप्त संसाधन प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया ताकि रक्षा संबंधी पूरी तैयारी सुनिश्चित होने के साथ-साथ कमियों पर विजय प्राप्त की जा सके और आधुनिकीकरण संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा सके। उन्होंने रक्षा बलों सहित रक्षा संस्थापनाओं से कहा कि खरीद संबंधी प्रक्रिया में सुधार किया जाएगा, साथ ही उन्होंने रक्षा संबंधी उपकरणों के घरेलू विकास और उत्पादन में विलंब हटाने के लिए सुधार के उपायों के बारे में सुझाव भी दिए।
प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों से मांग करते हुए कहा कि वे संसाधनों और हमारे सैन्य संसाधनों के इस्तेमाल में दक्षता और अर्थव्यवस्था पर ध्यान दें और जिसमें सेवाओं के बीच संसाधनों का अधिकाधिक समन्वय और साझेदारी हो तथा संसाधनों की उपलब्धता, भविष्य की संचालन संबंधी जरूरतों और प्रौद्योगिकीय संकेतों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक खरीद योजनाएं तैयार करें।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि हमें यह याद रखना चाहिए कि जो कुछ महत्वपूर्ण है वह सशस्त्र बल की क्षमता है। उन्होंने कहा कि जब हम डिजिटल भारत की बात करते हैं, हमें एक डिजिटल सशस्त्र बल को देखना भी पसंद करना होगा। उन्होंने सशस्त्र बलों से कहा कि मानव द्वारा शक्ति के प्रभावकारी आकलन के लिए प्रौद्योगिकीय कौशल के उन्नयन के बारे में गंभीरता पूर्वक विचार करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे रक्षा बलों में सुधार लाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने सेना के तीनों अंगों से मांग करते हुए कहा कि वे संपर्क बढ़ाएं और सेना के निचले स्तरों से लेकर शीर्ष स्तर तक सभी रूपों में एक टीम के रूप में काम करें। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई व्यावहारिक उपाय सुझाए। उन्होंने यह महसूस किया कि कमांडर सम्मेलन न केवल दिल्ली में आयोजित किए जाएं, बल्कि इसे बारी-बारी से समुद्र में, सैनिक शिविरों में और वायु सेना के बेसों में भी आयोजित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कमांडरों को यह भी आश्वासन दिया कि वह उस परंपरा को कायम रखेंगे, जिसकी उन्होंने तीनों सेना प्रमुखों से एक माह में कम से कम एक बार मुलाकात के रूप में शुरू किया था।
घरेलू रक्षा औद्योगिक बेस के बिस्तार के अपने दृष्टिकोण की चर्चा करते हुए उन्होंने सैनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के रूप में वे घरेलू खरीद के लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्धता और घरेलू उत्पादन वाले उपकरणों में नवीनता और सुधारों में अपनी भागीदारी दर्ज करके इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि सेवा के दौरान और सेवा के बाद की आजीविका में वह सशस्त्र बलों से कार्मिकों के कल्याण को उच्च प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कमांडरों को आश्वासन दिया कि ‘समान रैंक समान पेंशन’, सेवा शर्तों में सुधार लाने और बेहतर सुरक्षा उपायों का सृजन करने तथा सेवानिवृत्ति के बाद सैनिकों के लिए अवसरों के सृजन के अपने वादे को पूरा करने के लिए सभी प्रयास करेंगे।
Addressed Combined Commanders Conference today. http://t.co/1Gzi9LEzTB pic.twitter.com/Ul7aeJ3FoL
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2014
Our Armed Forces are our pride! They are second to none in their valour, professionalism, commitment, service and duty.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2014
We are committed to providing adequate resources to ensure complete defence preparedness & meet modernisation needs.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2014