प्रधानमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीमद्भगवद्गीता की पांडुलिपि के साथ इसके श्लोकों पर 21 विद्वानों के भाष्य जारी किये। इस अवसर पर जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा तथा धर्मार्थ ट्रस्ट, जम्मू–कश्मीर के अध्यक्ष ट्रस्टी डॉ करण सिंह भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारतीय दर्शन पर डॉ करण सिंह द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके प्रयास ने जम्मू और कश्मीर की पहचान को पुनर्जीवित किया है, जिसने सदियों से पूरे भारत की विचार परंपरा का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि हजारों विद्वानों ने गीता के गहन अध्ययन के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया है, जिसे एक ग्रन्थ के प्रत्येक श्लोक पर विभिन्न व्याख्याओं के विश्लेषण और विभिन्न रहस्यों की अभिव्यक्ति के रूप में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह भारत की वैचारिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता का भी प्रतीक है, जो प्रत्येक व्यक्ति को अपना दृष्टिकोण रखने के लिए प्रेरित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को एकजुटता प्रदान करने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा। रामानुजाचार्य जैसे संतों ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में गीता को सामने रखा था। स्वामी विवेकानंद के लिए, गीता अटूट परिश्रम और अदम्य आत्मविश्वास का स्रोत रही है। श्री अरबिंदो के लिए, गीता ज्ञान और मानवता का सच्चा अवतार थी। गीता, महात्मा गांधी के सबसे कठिन समय में प्रकाशस्तम्भ थी। गीता, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की देशभक्ति और वीरता की प्रेरणा रही है। गीता पर बाल गंगाधर तिलक की व्याख्या ने स्वतंत्रता संग्राम को नई ताकत दी थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लोकतंत्र हमें विचारों की स्वतंत्रता, कार्य की स्वतंत्रता और जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार देता है। यह स्वतंत्रता लोकतांत्रिक संस्थानों से आती है, जो हमारे संविधान के संरक्षक हैं। इसलिएजब भी हम अपने अधिकारों की बात करते हैं, हमें अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों को भी याद रखना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता पूरी दुनिया और हर प्राणी के लिए एकमहत्वपूर्ण पुस्तक है। इसका कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है और कई देशों में कई अंतरराष्ट्रीय विद्वानों द्वारा इसपर अनुसंधान किये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ज्ञान साझा करना भारत की संस्कृति में है। उन्होंने कहा कि गणित, वस्त्र, धातु विज्ञान या आयुर्वेद में हमारे ज्ञान को हमेशा मानवता के धन के रूप में देखा जाता है। आज एक बार फिर से, भारत पूरी दुनिया की प्रगति में योगदान करने और मानवता की सेवा करने के लिए अपनी क्षमता का निर्माण कर रहा है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में भारत के योगदान को पूरी दुनिया ने देखा है। उन्होंने निष्कर्ष के तौर पर कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए किये जा रहे प्रयासों के इस योगदान से पूरी दुनिया को व्यापक स्तर पर मदद मिलेगी।
Releasing Manuscript with commentaries by 21 scholars on Shlokas of the sacred Gita. https://t.co/aS6XeKvWuc
— Narendra Modi (@narendramodi) March 9, 2021
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एमजी / एएम / जेके
Releasing Manuscript with commentaries by 21 scholars on Shlokas of the sacred Gita. https://t.co/aS6XeKvWuc
— Narendra Modi (@narendramodi) March 9, 2021
डॉ कर्ण सिंह जी ने भारतीय दर्शन के लिए जो काम किया है, जिस तरह अपना जीवन इस दिशा में समर्पित किया है, भारत के शिक्षा जगत पर उसका प्रकाश और प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है: PM @narendramodi
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आपके इस प्रयास ने जम्मू कश्मीर की उस पहचान को भी पुनर्जीवित किया है, जिसने सदियों तक पूरे भारत की विचार परंपरा का नेतृत्व किया है: PM @narendramodi
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किसी एक ग्रंथ के हर श्लोक पर ये अलग-अलग व्याख्याएँ, इतने मनीषियों की अभिव्यक्ति, ये गीता की उस गहराई का प्रतीक है, जिस पर हजारों विद्वानों ने अपना पूरा जीवन दिया है: PM @narendramodi
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ये भारत की उस वैचारिक स्वतन्त्रता और सहिष्णुता का भी प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपना दृष्टिकोण, अपने विचार रखने के लिए प्रेरित करती है: PM @narendramodi
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भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा।
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गीता को रामानुजाचार्य जैसे संतों ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में सामने रखा।
स्वामी विवेकानंद के लिए गीता अटूट कर्मनिष्ठा और अदम्य आत्मविश्वास का स्रोत रही है: PM
गीता श्री अरबिंदो के लिए तो ज्ञान और मानवता की साक्षात अवतार थी।
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गीता महात्मा गांधी की कठिन से कठिन समय में पथप्रदर्शक रही है: PM @narendramodi
गीता नेताजी सुभाषचंद्र बोस की राष्ट्रभक्ति और पराक्रम की प्रेरणा रही है।
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ये गीता ही है जिसकी व्याख्या बाल गंगाधर तिलक ने की और आज़ादी की लड़ाई को नई ताकत दी: PM @narendramodi
हमारा लोकतन्त्र हमें हमारे विचारों की आज़ादी देता है, काम की आज़ादी देता है, अपने जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार देता है।
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हमें ये आज़ादी उन लोकतान्त्रिक संस्थाओं से मिलती है, जो हमारे संविधान की संरक्षक हैं: PM @narendramodi
इसलिए, जब भी हम अपने अधिकारों की बात करते हैं, तो हमें अपने लोकतान्त्रिक कर्तव्यों को भी याद रखना चाहिए: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) March 9, 2021
गीता तो एक ऐसा ग्रंथ है जो पूरे विश्व के लिए है, जीव मात्र के लिए है।
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दुनिया की कितनी ही भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया, कितने ही देशों में इस पर शोध किया जा रहा है, विश्व के कितने ही विद्वानों ने इसका सानिध्य लिया है: PM @narendramodi
आज एक बार फिर भारत अपने सामर्थ्य को संवार रहा है ताकि वो पूरे विश्व की प्रगति को गति दे सके, मानवता की और ज्यादा सेवा कर सके।
— PMO India (@PMOIndia) March 9, 2021
हाल के महीनों में दुनिया ने भारत के जिस योगदान को देखा है, आत्मनिर्भर भारत में वही योगदान और अधिक व्यापक रूप में दुनिया के काम आयेगा: PM