प्रधानमंत्री: गरीबों की सबसे बड़ी पूंजी उनका ईमान है।
प्रधानमंत्री: मुद्रा-पूंजी के साथ ईमान का मेल।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि भारत के छोटे उद्यमियों की सहायता करना भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और समृद्धि में सहायक बनने का सबसे बड़ा माध्यम है। वे नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी) योजना के प्रारम्भ के अवसर पर विचार प्रकट कर रहे थे। अर्थव्यवस्था में छोटे उद्यमियों के योगदान पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने भरोसा व्यक्त किया कि साल भर में बड़े बैंक भी मुद्रा मॉडल अपना लेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में ऐसा महसूस होता है कि बहुत सी चीजें सिर्फ दृष्टिकोण के आसपास मंडराती रहती हैं, लेकिन अक्सर वास्तविकता बिल्कुल अलग होती है। बड़े उद्योगों द्वारा रोजगार के ज्यादा अवसर सृजित किए जाने संबंधी दृष्टिकोण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वास्तविकता पर नजर डालने से पता चलता है कि बड़े उद्योगों में सिर्फ 1 करोड़ 25 लाख लोगों को रोजगार मिलता है, जबकि देश के 12 करोड़ लोग छोटे उद्यमों में काम करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में जहां बड़े उद्योगों को कई सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं, वहीं स्वरोजगार में जुटे इन 5 करोड़ 75 लाख लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है, जो मात्र 17,000 रुपये प्रति इकाई कर्ज के साथ 11 लाख करोड़ की राशि का इस्तेमाल करते हैं और 12 करोड़ भारतीयों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों के उजागर होने के बाद मुद्रा बैंक का विजन तैयार हुआ।
प्रधानमंत्री ने गुजरात के अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उस दौरान उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल कुटीर उद्योग – पतंग बनाने के उद्योग पर ध्यान केंद्रित किया था, जिसमें लाखों गरीब मुसलमान काम करते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने चेन्नई के एक शोध संस्थान को साथ जोड़ा, जिसने पता लगाया कि इस उद्योग में थोड़ा-बहुत कौशल निर्माण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि इन छोटे प्रयासों से गुजरात में पतंग उद्योग को 35 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये तक ले जाने में कामयाबी मिली।
प्रधानमंत्री ने अन्य छोटे कारोबारों का भी उदाहरण दिया, जिनमें छोटी सी मदद मिलने पर अपनी क्षमता कई गुणा बढ़ाने की क्षमता थी। उन्होंने कहा कि गरीब की सबसे बड़ी पूंजी उसका ईमान है। उनके ईमान को पूंजी (मुद्रा) के साथ जोड़ने पर वह सफलता की कुंजी साबित होगा। महिला स्व-सहायता समूहों का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन ऋण लेने वालों में जो ईमानदारी और निष्ठा देखी गई है, वह किसी अन्य क्षेत्र में विरले ही दिखती है।
प्रधानमंत्री ने जन धन योजना को सफल बनाने में बैंकिंग क्षेत्र के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनकी परिकल्पना है कि साल भर के भीतर, बैंक भी मुद्रा आवेदकों को ऋण देने के लिए कतारों में खड़े होंगे। प्रधानमंत्री ने सिडबी को उसकी स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर बधाई भी दी और इन 25 वर्षों में भारत के लघु उद्योगों की सहायता की दिशा में उसके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा योजना का लक्ष्य – ‘जिसके पास धन नहीं है, उसे धन उपलब्ध कराना’ है। उन्होंने कहा कि भारत के छोटे उद्यमी अब तक महाजनों के हाथों शोषित होते आए हैं, लेकिन मुद्रा उनमें यह विश्वास जगाएगा कि वे राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं और देश उनके प्रयासों में उनकी सहायता करेगा।
प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र के मूल्यवर्धन की संभावनाओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मूल्यवर्धन में जुटे किसानों का हमें सामुदायिक स्तर पर एक पूरा नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। जब ऐसे लघु उद्यमियों को ब्रांड बिल्डिंग, विज्ञापन, विपणन और वित्तीय सहायता को दी जाएगी,तो भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके लिए वर्तमान ढांचों में कोई बहुत बड़ा बदलाव करने की आवश्यकता नहीं होगी, थोड़ी सी हमदर्दी, थोड़ी सी समझबूझ और एक छोटी सी पहल की जरूरत है। उन्होंने बैंकों से स्थानीय जरूरतों और सांस्कृतिक संदर्भों के अनुरूप माइक्रोफाइनेंस के सफल मॉडल्स का अध्ययन करने का अनुरोध किया, ताकि हम गरीब से गरीब इंसान की भरपूर मदद करने में सक्षम हो सकें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मात्र नयी योजनाएं लागू करना ही प्रगति नहीं है। उन्होंने कहा कि असली कामयाबी बुनियादी स्तर पर वास्तविक बदलाव लाने में निहित है, जैसा हमने ‘जन धन योजना’ और ‘पहल’ में देखा है, जिन्होंने सीमित समयावधियों में ठोस नतीजे दिये हैं। उन्होंने कहा कि स्थापित वित्तीय प्रणालियां जल्द ही कामकाज के मुद्रा मॉडल को अपना लेंगी यानी ऐसे उद्यमियों को सहायता देंगी, जो कम से कम राशि में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा और भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर श्री रघुराम राजन भी उपस्थित थे।
We need to increase employment opportunities in the Nation: PM @narendramodi — PMO India (@PMOIndia) April 8, 2015
The work of the banking sector in Jan Dhan Yojana is immense: PM @narendramodi — PMO India (@PMOIndia) April 8, 2015
Through MUDRA bank we want to fund the unfunded: PM @narendramodi — PMO India (@PMOIndia) April 8, 2015
More about the MUDRA Bank. pic.twitter.com/ytTNWEPHjQ — PMO India (@PMOIndia) April 8, 2015
We have to worry about the farmer of India, who faces problems due to lack of adequate of rainfall or due to unseasonal rain: PM — PMO India (@PMOIndia) April 8, 2015
Ministers have gone to the farmers and taken stock of the situation. Met Ministers to chalk out how we can help the farmers: PM — PMO India (@PMOIndia) April 8, 2015
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