प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नए संसद भवन की आधारशिला रखी। नया भवन आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि का एक स्वाभाविक हिस्सा है।आजादी के बाद पहली बार लोगों की संसद बनाने का यह एक शानदार अवसर होगा, जो 2022 में स्वतंत्रता की 75वीं सालगिरह पर ‘न्यू इंडिया’ की जरूरतों और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का अवसर भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक मील का पत्थर है, जोभारतीयता के विचार से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत के संसद भवन के निर्माण की शुरुआत हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है। उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा कि वे साथ मिलकर संसद के इस नए भवन का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि हमारी संसद की इस नई इमारत से कुछ भी अधिक सुंदर या अधिक शुद्ध नहीं हो सकता, जब भारत अपनी आजादी के 75 साल मनायेगा।
प्रधानमंत्री ने उस क्षण को याद किया जब उन्होंने 2014 में संसद सदस्य के रूप में पहली बार संसद भवन में प्रवेश किया था। उन्होंने कहा कि पहली बार संसद भवन में प्रवेश करने से पहले, उन्होंने सिर झुकाया और लोकतंत्र के इस मंदिर को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में कई नई चीजें तैयार की जा रही हैं जो संसद सदस्यों की दक्षता में वृद्धि करेंगी और उनकी कार्य संस्कृति को आधुनिक बनाएंगी। उन्होंने कहा कि यदि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद भारत को दिशा दी, तो नया भवन देश को‘आत्मनिर्भर’बनाने का साक्षी बनेगा। यदि पुराने संसद भवन में देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम किया गया था, तो21वीं सदी की भारत की आकांक्षाओं को नए भवन में पूरा किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अन्य जगहों में लोकतंत्र चुनाव-प्रक्रियाओं, शासन और प्रशासन से जुड़ा है। लेकिन भारत में लोकतंत्र जीवन मूल्यों के बारे में है, यह जीवन की पद्धति है और राष्ट्र की आत्मा है। उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र सदियों के अनुभव के माध्यम से विकसित एक प्रणाली है। भारत के लोकतंत्रमें एक जीवन मंत्र है, जीवन का एक तत्व है और साथ ही व्यवस्था की एक प्रणाली भी है। उन्होंने कहा कि यह भारत की लोकतांत्रिक ताकत है जो देश के विकास को नई ऊर्जा दे रही है और देशवासियों को नया विश्वास दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र का हर साल निरंतर नवीनीकरण होता है और यह देखा जाता है कि हर चुनाव के साथ मतदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र हमेशा से शासन के साथ मतभेदों को हल करने का एक साधन रहा है। विभिन्न विचारधाराएं, विभिन्न दृष्टिकोण एक जीवंत लोकतंत्र को सशक्त बनाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ा है कि मतभेदों के लिए हमेशा जगह रहती है क्योंकि यह प्रक्रिया से पूरी तरह से पृथक भी नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नीतियां और राजनीति भिन्न हो सकती हैं, लेकिन हम जनता की सेवा के लिए हैं और इस अंतिम लक्ष्य के लिए कोई विभेद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहसें,संसद के भीतर हों या बाहर,लेकिन इन बहसों में राष्ट्रसेवा के प्रति दृढ़ संकल्प और राष्ट्रहित के प्रति समर्पण निरंतर परिलक्षित होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने लोगों से यह याद रखने का आग्रह किया कि लोकतंत्र के प्रति आशावाद को जगाये रखने की जिम्मेदारी लोगों की हीहै, और यही संसद भवन के अस्तित्व का आधार है। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि संसद में प्रवेश करने वाला प्रत्येक सदस्य जनता के साथ-साथ संविधान के प्रति भी उत्तरदायीहोता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस मंदिर का अभिषेक करने के लिए कोई रीति-रिवाज़ नहीं हैं। लोगों के प्रतिनिधि जो इस मंदिर में आयेंगे, वे ही इसका अभिषेक करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका समर्पण, उनकी सेवा, आचरण, विचार और व्यवहार इस मंदिर का जीवन बन जाएगा। भारत की एकता और अखंडता के प्रति उनके प्रयास ऐसी ऊर्जा बन जाएंगे, जो इस मंदिर को जीवन प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि जब प्रत्येक जनप्रतिनिधि अपने ज्ञान, बुद्धिमत्ता, शिक्षा और अनुभव को यहां पूरी तरह से प्रस्तुत करेगा, तो यह नया संसद भवन पवित्रता प्राप्त करेगा।
प्रधानमंत्री ने लोगों से आग्रह किया कि वे भारत को सबसे पहले रखने का संकल्प लें, केवल भारत की प्रगति और भारत के विकास की पूजा करें, हर निर्णय देश की ताकत बढ़ाए और देश का हित सर्वोपरि हो। उन्होंने सभी से प्रतिज्ञा लेने को कहा कि उनके लिए राष्ट्रहित से बड़ा कोई हित नहीं होगा। देश के लिए उनकी चिंता उनकी अपनी व्यक्तिगत चिंताओं से अधिक महत्वपूर्ण होगी। देश की एकता, अखंडता से ज्यादा उनके लिए कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं होगा। देश के संविधान की गरिमा को बनाये रखने और आदर्शों को पूरा करना ही उनके जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य होगा।
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एमजी/एएम/जेके/एसके
Speaking at the Foundation Stone Laying of the New Parliament. https://t.co/Gh3EYXlUap
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2020
आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है।
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भारतीयों द्वारा,
भारतीयता के विचार से ओत-प्रोत,
भारत के संसद भवन के निर्माण का शुभारंभ
हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं के सबसे अहम पड़ावों में से एक है: PM
हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएंगे।
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और इससे सुंदर क्या होगा, इससे पवित्र क्या होगा कि
जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाए,
तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा, हमारी संसद की नई इमारत बने: PM#NewParliament4NewIndia
मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था।
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तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले,
मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर
लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था: PM
नए संसद भवन में ऐसी अनेक नई चीजें की जा रही हैं जिससे सांसदों की Efficiency बढ़ेगी,
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उनके Work Culture में आधुनिक तौर-तरीके आएंगे: PM#NewParliament4NewIndia
पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा।
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पुराने संसद भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी: PM
आमतौर पर अन्य जगहों पर जब डेमोक्रेसी की चर्चा होती है चुनाव प्रक्रियाओं, शासन-प्रशासन की बात होती है।
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इस प्रकार की व्यवस्था पर अधिक बल देने को ही कुछ स्थानों पर डेमोक्रेसी कहा जाता है: PM
लेकिन भारत में लोकतंत्र एक संस्कार है।
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भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है, राष्ट्र जीवन की आत्मा है।
भारत का लोकतंत्र, सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है।
भारत के लिए लोकतंत्र में, जीवन मंत्र भी है, जीवन तत्व भी है और साथ ही व्यवस्था का तंत्र भी है: PM
भारत के लोकतंत्र में समाई शक्ति ही देश के विकास को नई ऊर्जा दे रही है, देशवासियों को नया विश्वास दे रही है।
— PMO India (@PMOIndia) December 10, 2020
भारत में लोकतंत्र नित्य नूतन हो रहा है।
भारत में हम हर चुनाव के साथ वोटर टर्नआउट को बढ़ते हुए देख रहे हैं: PM
भारत में लोकतंत्र, हमेशा से ही गवर्नेंस के साथ ही मतभेदों को सुलझाने का माध्यम भी रहा है।
— PMO India (@PMOIndia) December 10, 2020
अलग विचार, अलग दृष्टिकोण, ये एक vibrant democracy को सशक्त करते हैं।
Differences के लिए हमेशा जगह हो लेकिन disconnect कभी ना हो, इसी लक्ष्य को लेकर हमारा लोकतंत्र आगे बढ़ा है: PM
Policies में अंतर हो सकता है,
— PMO India (@PMOIndia) December 10, 2020
Politics में भिन्नता हो सकती है,
लेकिन हम Public की सेवा के लिए हैं, इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए।
वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर,
राष्ट्रसेवा का संकल्प,
राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए: PM
हमें याद रखना है कि वो लोकतंत्र जो संसद भवन के अस्तित्व का आधार है, उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है।
— PMO India (@PMOIndia) December 10, 2020
हमें ये हमेशा याद रखना है कि संसद पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह है।
ये जवाबदेही जनता के प्रति भी है और संविधान के प्रति भी है: PM
लोकतंत्र के इस मंदिर में इसका कोई विधि-विधान भी नहीं है।
— PMO India (@PMOIndia) December 10, 2020
इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे इसमें चुनकर आने वाले जन-प्रतिनिधि।
उनका समर्पण, उनका सेवा भाव, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेगा।
उनका आचार-विचार-व्यवहार, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेगा: PM
भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे।
— PMO India (@PMOIndia) December 10, 2020
जब एक एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी: PM
हमें संकल्प लेना है...
— PMO India (@PMOIndia) December 10, 2020
ये संकल्प हो India First का।
हम सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नति, भारत के विकास को ही अपनी आराधना बना लें।
हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए।
हमारा हर निर्णय, हर फैसला, एक ही तराजू में तौला जाए।
और वो है- देश का हित सर्वोपरि: PM
हम भारत के लोग, ये प्रण करें- हमारे लिए देशहित से बड़ा और कोई हित कभी नहीं होगा।
— PMO India (@PMOIndia) December 10, 2020
हम भारत के लोग, ये प्रण करें- हमारे लिए देश की चिंता, अपनी खुद की चिंता से बढ़कर होगी।
हम भारत के लोग, ये प्रण करें- हमारे लिए देश की एकता, अखंडता से बढ़कर कुछ नहीं होगा: PM
नए संसद भवन का निर्माण, नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का उदाहरण है। यह समय और जरूरतों के अनुरूप खुद में परिवर्तन लाने का प्रयास है।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2020
इसमें ऐसी अनेक नई चीजें की जा रही हैं, जिनसे सांसदों की Efficiency बढ़ेगी और उनके Work Culture में आधुनिक तौर-तरीके आएंगे। pic.twitter.com/9KZ3quYMTi
संसद भवन की शक्ति का स्रोत, उसकी ऊर्जा का स्रोत हमारा लोकतंत्र है।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2020
लोकतंत्र भारत में क्यों सफल हुआ, क्यों सफल है और क्यों कभी लोकतंत्र पर आंच नहीं आ सकती, यह हमारी आज की पीढ़ी के लिए भी जानना-समझना जरूरी है। pic.twitter.com/E9v73oV7FR
भारत में लोकतंत्र एक संस्कार है।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2020
भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है, राष्ट्र जीवन की आत्मा है।
भारत का लोकतंत्र सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है।
भारत के लिए लोकतंत्र में जीवन मंत्र भी है, जीवन तत्व भी है और व्यवस्था का तंत्र भी है। pic.twitter.com/Wqsr6ExU3a
अलग-अलग विचार और दृष्टिकोण एक Vibrant Democracy को सशक्त करते हैं।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2020
Policies में अंतर हो सकता है, Politics में भिन्नता हो सकती है, लेकिन हम Public की सेवा के लिए हैं, इसमें मतभेद नहीं होना चाहिए।
वाद-संवाद संसद में हों या बाहर, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए। pic.twitter.com/YZ9VNDsISM
नया संसद भवन तब तक एक इमारत ही रहेगा, जब तक उसकी प्राण-प्रतिष्ठा नहीं होगी।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2020
इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे, इसमें चुनकर आने वाले जन-प्रतिनिधि।
उनका समर्पण, उनका सेवा भाव, उनका आचार-विचार-व्यवहार, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेगा। pic.twitter.com/AAZShHMlHY
जब देश वर्ष 2047 में अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष में प्रवेश करेगा, तब हमारा देश कैसा हो, इसके लिए हमें आज संकल्प लेकर काम शुरू करना होगा।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2020
जब हम देशहित को सर्वोपरि रखते हुए काम करेंगे तो आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत का निर्माण कोई रोक नहीं सकता। pic.twitter.com/6w4klYRNMu
आइए हम प्रण करें... pic.twitter.com/Sm3bMUEYLC
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2020