“महान गुरु साहिब की कृपा से सरकार गुरु गोबिंद सिंह जी के 350 वर्ष, गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के 550 वर्ष और गुरु तेग बहादुर जी के 400 वर्ष के प्रकाश उत्सव जैसे शुभ अवसरों को मनाने की स्थिति में है”
“हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है; बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है”
“गुरु नानक देव जी की समझ, बाबर के आक्रमण से भारत के लिए उत्पन्न खतरे के बारे में स्पष्ट थी”
“गुरु तेग बहादुर का पूरा जीवन, ‘राष्ट्र प्रथम’ का उदाहरण है”
“औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है”
“आज देश का मंत्र है – एक भारत, श्रेष्ठ भारत; आज देश का लक्ष्य है – एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय; आज देश की नीति है – हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुद्वारा लखपत साहिब, गुजरात में गुरु नानक देव जी के गुरुपर्व समारोह को संबोधित किया।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है। मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहिब ने कैसे-कैसे झंझावातों को देखा है। उन्होंने याद करते हुए कहा कि एक समय ये स्थान दूसरे देशों में जाने के लिए, व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र होता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था। मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया। उन्होंने कहा कि प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई। इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महान गुरु साहिब की कृपा से हमारी सरकार को गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाश उत्सव के 350 साल का पुण्य वर्ष मनाने और गुरु नानकदेव जी के प्रकाश पर्व के 550 वर्ष पूरे होने पर इसके आयोजन करने जैसे पवित्र कार्य को पूरा करने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए। दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया। अभी 2021 में हम गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश उत्सव के 400 साल मना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, आपने जरूर देखा होगा, अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं। गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? उन्होंने कहा, “अभी कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा, जो भारत की ऐतिहासिक अमानत थी, जो कोई उनको चोरी करके ले गया था, वो 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं हम वापस लाने में सफल हुए। इसमें से एक पेशकब्ज यानी छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद सिंह जी का नाम लिखा है।” उन्होंने कहा, “यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे। देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है।
प्रधानमंत्री ने बाहरी हमले और अत्याचार के समय महान गुरु परंपरा का भारतीय समाज के लिए योगदान को सम्मानपूर्वक स्मरण किया। उन्होंने कहा कि तमाम विडंबनाओं और रूढ़ियों से जूझते समाज को गुरु नानक देव जी ने भाईचारे का संदेश दिया। इसी तरह, गुरु अर्जुनदेव जी ने पूरे देश के संतों के सद्विचारों को पिरोया और पूरे देश को भी एकता के सूत्र से जोड़ दिया। गुरु हरकिशन जी ने मानवता की सेवा का जो रास्ता दिखाया था, वो आज भी हर सिख और हर भारतवासी के लिए प्रेरणा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्ज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया। हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत पर बाबर के आक्रमण का खतरा था तो गुरु नानक देव जी की समझ बिल्कुल स्पष्ट थी।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि इसी तरह गुरु तेगबहादुर का पूरा जीवन ही ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प का उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है। जिस तरह देश ने उन्हें ‘हिन्द की चादर’ की पदवी दी, वो हमें सिख परंपरा के प्रति हर एक भारतवासी के जुड़ाव को दिखाता है। औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह, दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने सराहना की कि अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों और बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आजादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आजादी का संग्राम और जलियांवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह परंपरा अभी भी जीवित है और ‘अमृत महोत्सव’ के इस समय में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब हम अपने अतीत का स्मरण कर रहे हैं और प्रेरणा ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक, पूरा देश एक साथ सपने देख रहा है, एक साथ उनकी सिद्धि के लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने स्मरण दिलाया कि आज देश का मंत्र है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत। आज देश का लक्ष्य है – एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय। आज देश की नीति है- हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता।
प्रधानमंत्री ने श्रद्धालुओं से कच्छ के रण महोत्सव में आने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि कच्छ का रूपांतरण कच्छ के लोगों के विजन और कड़ी मेहनत का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने आज श्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कच्छ के लिए श्री वाजपेयी के स्नेह का स्मरण किया। प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि अटल जी का कच्छ से विशेष स्नेह था। प्रधानमंत्री ने याद किया कि “भूकंप के बाद यहां हुए विकास कार्यों में अटल जी और उनकी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही थी।”
प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर से 25 दिसंबर तक गुजरात की सिख संगत गुरुद्वारा लखपत साहिब में गुरु नानक देव जी का गुरुपर्व मनाती है। अपनी यात्रा के दौरान गुरु नानक देव जी लखपत में रुके थे। गुरुद्वारा लखपत साहिब में लकड़ी के खड़ाऊं तथा पालकी के अवशेष के साथ-साथ गुरुमुखी के हस्तलेखों तथा पांडुलिपियों के चिह्न शामिल हैं।
2001 के भूकंप के दौरान गुरुद्वारा को नुकसान हुआ था। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नुकसान की मरम्मत सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रयास किए थे। इस कदम ने सिख धर्म के लिए प्रधानमंत्री की गहरी श्रद्धा प्रदर्शित की, जैसा कि गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व, गुरु गोबिंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व और गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व उत्सव सहित हाल के कई प्रयासों में भी परिलक्षित हुआ।
गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है।
आज जब मैं इस पवित्र स्थान से जुड़ रहा हूँ, तो मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहिब ने कैसे कैसे झंझावातों को देखा है।
एक समय ये स्थान दूसरे देशों में जाने के लिए, व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र होता था: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 25, 2021
2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था।
मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 25, 2021
प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई।
इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 25, 2021
गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए।
दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 25, 2021
अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं।
गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? – PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 25, 2021
कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं।
इसमें से एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है।
यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 25, 2021
ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे।
देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है: PM @narendramodi
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गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया: PM @narendramodi
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हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है।
बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है: PM @narendramodi
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जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है।
जिस तरह देश ने उन्हें ‘हिन्द की चादर’ की पदवी दी, वो हमें सिख परंपरा के प्रति हर एक भारतवासी के जुड़ाव को दिखाता है: PM @narendramodi
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औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है।
इसी तरह, दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है: PM @narendramodi
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अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियाँवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है: PM @narendramodi
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कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक, पूरा देश एक साथ सपने देख रहा है, एक साथ उनकी सिद्धि के लिए प्रयास कर रहा है।
आज देश का मंत्र है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत।
आज देश का लक्ष्य है- एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय।
आज देश की नीति है- हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता: PM
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आज हम सभी के श्रद्धेय अटल जी की जन्म जयंती भी है।
अटल जी का कच्छ से विशेष स्नेह था।
भूकंप के बाद यहां हुए विकास कार्यों में अटल जी और उनकी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही थी: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 25, 2021
***
मजी/एएम/एसकेजे/एमएस
Addressing a programme for Sri Guru Nanak Dev Ji’s Prakash Purab. https://t.co/5W9ZDLpn4T
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गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है।
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आज जब मैं इस पवित्र स्थान से जुड़ रहा हूँ, तो मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहिब ने कैसे कैसे झंझावातों को देखा है।
एक समय ये स्थान दूसरे देशों में जाने के लिए, व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र होता था: PM @narendramodi
2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था।
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मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया: PM @narendramodi
प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई।
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इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था: PM @narendramodi
गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए।
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दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया: PM @narendramodi
अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं।
— PMO India (@PMOIndia) December 25, 2021
गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? - PM @narendramodi
कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं।
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इसमें से एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है।
यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला: PM @narendramodi
ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे।
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देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है: PM @narendramodi
गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया: PM @narendramodi
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हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है।
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बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है: PM @narendramodi
जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है।
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जिस तरह देश ने उन्हें ‘हिन्द की चादर’ की पदवी दी, वो हमें सिख परंपरा के प्रति हर एक भारतवासी के जुड़ाव को दिखाता है: PM @narendramodi
औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है।
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इसी तरह, दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है: PM @narendramodi
अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियाँवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है: PM @narendramodi
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कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक, पूरा देश एक साथ सपने देख रहा है, एक साथ उनकी सिद्धि के लिए प्रयास कर रहा है।
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आज देश का मंत्र है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत।
आज देश का लक्ष्य है- एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय।
आज देश की नीति है- हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता: PM
आज हम सभी के श्रद्धेय अटल जी की जन्म जयंती भी है।
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अटल जी का कच्छ से विशेष स्नेह था।
भूकंप के बाद यहां हुए विकास कार्यों में अटल जी और उनकी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही थी: PM @narendramodi
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गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है।
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आज जब मैं इस पवित्र स्थान से जुड़ रहा हूँ, तो मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहिब ने कैसे कैसे झंझावातों को देखा है।
एक समय ये स्थान दूसरे देशों में जाने के लिए, व्यापार के लिए एक प्रमुख केंद्र होता था: PM @narendramodi
2001 के भूकम्प के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था।
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मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया: PM @narendramodi
प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई।
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इस प्रोजेक्ट को तब यूनेस्को ने सम्मानित भी किया था: PM @narendramodi
गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए।
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दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया: PM @narendramodi
अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं।
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गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? - PM @narendramodi
कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं।
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इसमें से एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है।
यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला: PM @narendramodi
ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे।
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देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है: PM @narendramodi
गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया: PM @narendramodi
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हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है।
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बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है: PM @narendramodi
जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है।
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जिस तरह देश ने उन्हें ‘हिन्द की चादर’ की पदवी दी, वो हमें सिख परंपरा के प्रति हर एक भारतवासी के जुड़ाव को दिखाता है: PM @narendramodi
औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है।
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इसी तरह, दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है: PM @narendramodi
अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियाँवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है: PM @narendramodi
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कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक, पूरा देश एक साथ सपने देख रहा है, एक साथ उनकी सिद्धि के लिए प्रयास कर रहा है।
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आज देश का मंत्र है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत।
आज देश का लक्ष्य है- एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय।
आज देश की नीति है- हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता: PM
आज हम सभी के श्रद्धेय अटल जी की जन्म जयंती भी है।
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अटल जी का कच्छ से विशेष स्नेह था।
भूकंप के बाद यहां हुए विकास कार्यों में अटल जी और उनकी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही थी: PM @narendramodi
Lakhpat Gurdwara Sahib enhances Kutch’s cultural vibrancy.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2021
I consider myself blessed to have got the opportunity to work towards restoring this sacred site to its glory after the damage of the 2001 quake. pic.twitter.com/YdvYO7seeW
Blessed opportunities to serve the great Sikh Gurus. pic.twitter.com/Nqx4PCDzQY
— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2021
Sri Guru Nanak Dev Ji showed us the path of courage, compassion and kindness.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2021
His thoughts always motivate us. pic.twitter.com/FStgOYEMC6
गुरुओं का योगदान केवल समाज और अध्यात्म तक सीमित नहीं है। हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या और त्याग निहित है। pic.twitter.com/H7sZm4ZW7P
— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2021
गुरु नानक देव जी ने जिस ‘मानव जात’ का पाठ हमें सिखाया था, उसी पर चलते हुए देश ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के मंत्र से आगे बढ़ रहा है। इस मंत्र के साथ आज देश ‘सबका प्रयास’ को अपनी ताकत बना रहा है। pic.twitter.com/kqjPQuAblh
— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2021