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प्रधानमंत्री ने एक वैश्विक पहल ‘लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट- लाइफ मूवमेंट’ की शुरुआत की

प्रधानमंत्री ने एक वैश्विक पहल ‘लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट- लाइफ मूवमेंट’ की शुरुआत की


प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एक वैश्विक पहल ‘लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंटलाइफ मूवमेंटकी शुरुआत की। यह लॉन्च दुनिया भर के लोगों, समुदायों और संगठनों को पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करने के मकसद से किया गया है। शिक्षाविदों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों आदि से विचारों और सुझावों को आमंत्रित करने के लिए लाइफ ग्लोबल कॉल फॉर पेपर्सकी शुरुआत भी की गई है।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज इस वैश्विक पहल लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंटलाइफ मूवमेंटके शुभारंभ के लिए एक उपयुक्त दिन है। उन्होंने कहा कि मानवकेंद्रित, सामूहिक प्रयासों और सतत विकास को आगे बढ़ाने वाली मजबूत कार्रवाई का उपयोग हमारे ग्रह के सामने आने वाली चुनौती को हल करने के लिए यह सही समय है।

प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि यह वैश्विक पहल उनके द्वारा पिछले साल सीओपी 26 में प्रस्तावित की गई थी। उन्होंने कहा कि इस अभियान का दृष्टिकोण एक ऐसी जीवन शैली जीना है जो हमारे ग्रह के अनुरूप हो और इसे नुकसान न पहुंचाए। और ऐसी जीवन शैली जीने वालों को प्रोप्लैनेट पीपलकहा जाता है। मिशन लाइफ अतीत से सीख लेता है, वर्तमान में संचालित होता है और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करता है। रिड्यूस, रीयूज और रीसायकलहमारे जीवन में बुनी गई अवधारणाएं हैं। सर्कुलर इकोनॉमी हमारी संस्कृति और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 1.3 अरब भारतीयों की बदौलत वह देश में पर्यावरण के लिए कई अच्छे काम कर पाए। उन्होंने कहा कि भारत का वन क्षेत्र बढ़ रहा है और शेरों, बाघों, तेंदुओं, हाथियों तथा गैंडों की आबादी भी बढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि गैरजीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से स्थापित विद्युत क्षमता के 40 प्रतिशत तक पहुंचने की भारत की प्रतिबद्धता निर्धारित समय से 9 साल पहले हासिल कर ली गई है। पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य नवंबर 2022 के लक्ष्य से 5 महीने पहले हासिल कर लिया गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि 2013-14 में सम्मिश्रण मुश्किल से 1.5 प्रतिशत और 2019-20 में 5 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि सरकार में अक्षय ऊर्जा का बहुत अधिक ध्यान है और आगे का रास्ता नवाचार और खुलेपन से जुड़ा हुआ है। जब तकनीक और परंपरा का मेल होता है तो ये जीवन के दृष्टिकोण को और आगे ले जाता है।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि महात्मा गांधी ने जीरोकार्बन जीवन शैली के बारे में बात की थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आइए हम अपने दैनिक जीवन विकल्पों में सबसे स्थायी विकल्प चुनें। उन्होंने सभा से रीयूज, रेड्यूज और रीसाइकल के सिद्धांत का पालन करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा ग्रह एक है लेकिन हमारे प्रयास अनेक होने चाहिएएक पृथ्वी, कई प्रयास। भारत बेहतर पर्यावरण और वैश्विक कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी प्रयास का समर्थन करने के लिए तैयार है। हमारा ट्रैक रिकॉर्ड इसका साक्षी है।

कार्यक्रम में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहअध्यक्ष श्री बिल गेट्स की भागीदारी भी देखी गई। इनके अलावा लॉर्ड निकोलस स्टर्न, जलवायु अर्थशास्त्री; नज थ्योरी के लेखक प्रो. कैस सनस्टीन; श्री अनिरुद्ध दासगुप्ता, सीईओ और विश्व संसाधन संस्थान के अध्यक्ष; सुश्री इंगर एंडरसन, यूएनईपी ग्लोबल हेड; श्री अचिम स्टेनर, यूएनडीपी ग्लोबल हेड और श्री डेविड मलपास, विश्व बैंक के अध्यक्ष और अन्य लोग भी इसमें शामिल हुए।  इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव और नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत भी उपस्थित थे।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहअध्यक्ष श्री बिल गेट्स ने कहा कि वह भारत के नेतृत्व और बढ़ते उत्सर्जन को रोकने के प्रयासों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा, “मैं लाइफ अभियान और सामूहिक कार्रवाई की पूरी शक्ति को आकर्षित करने की इसकी क्षमता के बारे में जानने के लिए उत्साहित हूं। ग्रीनहाउस गैसों को खत्म करने के लिए हमें नवीन तकनीकों और सभी की भागीदारी की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन नवीन तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाया जाए, इसके लिए न केवल निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच बड़े निवेश और भागीदारी की आवश्यकता होगी, बल्कि व्यक्तिगत प्रयासों की भी मांग होगी। व्यक्तिगत कदमों से बाजार को संकेत मिलेगा जो सरकारों और व्यवसायों को इन नवाचारों में निवेश करने और हमें आवश्यक सफलताएं बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। श्री गेट्स ने कहा, “मैं जलवायु समर्थक व्यवहारों को बढ़ावा देने के लिए नागरिक कार्रवाई की इस वैश्विक पहल का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देता हूं। हम सब मिलकर एक हरित औद्योगिक क्रांति का निर्माण कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए सामूहिक वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता कभी भी अधिक नहीं रही है और यह सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका तथा नेतृत्व महत्वपूर्ण है कि हम अपने जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचें।

नज थ्योरी के लेखक प्रो. कैस सनस्टीन ने कहा कि भारत और प्रधानमंत्री पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन और मानव व्यवहार के मामले में वर्ल्ड लीडर रहे हैं और हम में से कई लोग प्रेरणा तथा विचारों के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। प्रोफेसर ने व्यवहार परिवर्तन के पूर्व ढांचे के बारे में बताया। ईस्ट का मतलब ईजी, अट्रेक्टिव, सोशल और टाइमली है। उन्होंने इसे फीस्ट बनाने के लिए फ्रेमवर्क में एक नया अक्षर एफजोड़ा। एफ फॉर फन। उन्होंने कहा कि पर्यावरण समर्थक गतिविधियां अक्सर मजेदार होती हैं और भारत ने हाल के दिनों में यह दिखाया है।

सुश्री इंगर एंडरसन, यूएनईपी ग्लोबल हेड ने भी इस अवसर पर बात की और प्रधानमंत्री द्वारा लाइफअभियान के शुभारंभ का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “एक अरब से अधिक लोगों के साथ, और नवाचार और उद्यमिता की एक संपन्न पीढ़ी के साथ, भारत वैश्विक पर्यावरणीय कार्रवाई का केंद्र है

यूएनडीपी के ग्लोबल हेड श्री अचिम स्टेनर ने कहा कि भारत जैसे देश विश्व मंच पर निर्णायक जलवायु कार्रवाई के पीछे काइनेटिक एनर्जी के रूप में काम कर रहे हैं। इसमें इंटरनेशनल सोलर एलायंस और डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए गठबंधन और वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिडजैसी अत्याधुनिक पहलों के माध्यम से इनका काम शामिल है।

विश्व संसाधन संस्थान के सीईओ और अध्यक्ष श्री अनिरुद्ध दासगुप्ता ने भी प्रधानमंत्री को एक बहुत ही आवश्यक वैश्विक आंदोलन और हम कैसे रहते हैं, हम कैसे उपभोग करते हैं और हम ग्रह की देखभाल कैसे करते हैंपर बातचीत के लिए धन्यवाद दिया।

लॉर्ड निकोलस स्टर्न, क्लाइमेट इकोनॉमिस्ट ने ग्लासगो में सीओपी 26 में प्रधानमंत्री के ऐतिहासिक भाषण को याद किया, जिसमें विकास के एक नए मार्ग की एक प्रेरक दृष्टि स्थापित की गई थी। उन्होंने कहा कि यह समुदायों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बचाने में 21वीं सदी के विकास की कहानी होगी।

विश्व बैंक के अध्यक्ष श्री डेविड मलपास ने भारतीय लोकाचार में पर्यावरण की केंद्रीयता पर भारतीय शास्त्रों के शब्दों को याद किया। उन्होंने 2019 में गुजरात में सिविल सेवा क्षमता निर्माण पर प्रधानमंत्री के साथ काम करते हुए इस तात्कालिकता को देखकर याद किया। उन्होंने भारत की स्थानीय पहल जैसे पोषण, आशा और स्वच्छ भारत से लोगों के वित्तीय समावेशन और पहल को स्थानीय बनाने में मदद करने की भी प्रशंसा की।

पिछले साल ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा लाइफअभियान का विचार पेश किया गया था। यह विचार एक पर्यावरणसचेत जीवन शैली को बढ़ावा देता है जो दिमागहीन और विनाशकारी उपभोगके बजाय सावधान और संकल्पित उपयोगपर केंद्रित है।

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