प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित किया। 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का मुख्य विषय ‘अमृत काल: जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि‘ है। श्री मोदी ने सहकारी विपणन, सहकारी विस्तार और सलाहकार सेवा पोर्टल के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट के ई-पोर्टल लॉन्च किए।
उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सभी को बधाई दी और कहा कि देश ‘विकसित और आत्मनिर्भर भारत‘ के लक्ष्य की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ‘सबका प्रयास‘ की आवश्यकता को दोहराया, जहां सहयोग की भावना सभी के प्रयास का संदेशवाहक बनती है। प्रधानमंत्री ने भारत को दुनिया का अग्रणी दूध उत्पादक देश बनाने में डेयरी सहकारी समिति के योगदान और भारत को दुनिया के शीर्ष चीनी उत्पादक देशों में से एक प्रमुख देश बनाने में सहकारी समितियों की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने रेखांकित किया कि देश के कई हिस्सों में सहकारी समितियां छोटे किसानों के लिए एक बड़ी समर्थन प्रणाली बन गई हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि डेयरी क्षेत्र में महिलाओं का योगदान लगभग 60 प्रतिशत है। इसलिए सरकार ने विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहकारी क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने का फैसला किया। इसलिए पहली बार एक अलग मंत्रालय का गठन किया गया था और सहकारी समितियों के लिए बजट का आवंटन किया गया। इसके परिणामस्वरूप सहकारी समितियों को कॉर्पोरेट क्षेत्र की ही भांति एक मंच पर प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों को सुदृढ़ करने के उपायों की भी जानकारी दी और कर की दरों में कमी का उल्लेख किया। उन्होंने सहकारी बैंकों को मजबूत करने के उपायों के बारे में भी जानकारी दी और इनकी नई शाखाएं खोलने और आपके घरों तक सहकारी बैंकिंग सेवाओं (डोरस्टेप बैंकिंग) को पहुंचाने का उदाहरण दिया।
इस आयोजन से बड़ी संख्या में जुड़े किसानों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 9 वर्षों में किसानों के कल्याण के लिए किए गए उपायों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अतीत में किसान बिचौलियों के चुंगल में फंसे थे, अब करोड़ों किसानों को सीधे उनके खातों में किसान सम्मान निधि मिल रही है। पिछले 4 वर्षों में पारदर्शी माध्यम से इस योजना के तहत 2.5 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से पहले के 5 वर्षों के कुल कृषि बजट पर विचार करें तो यह राशि 90 हजार करोड़ रुपये से कम थी। इसकी तुलना में 2.5 लाख करोड़ रुपये एक बड़ी राशि है। इसका अर्थ है कि उन पांच वर्षों के कुल कृषि बजट का तीन गुना से अधिक सिर्फ एक योजना पर खर्च किया गया था।
प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने के तरीकों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी कि किसानों पर उर्वरकों की बढ़ती वैश्विक कीमतों का बोझ न पड़े। उन्होंने कहा कि “आज एक किसान यूरिया की एक बोरी के लिए लगभग 270 रुपये का भुगतान करता है, जबकि बांग्लादेश में इसी बैग की कीमत 720 रुपये, पाकिस्तान में 800 रुपये, चीन में 2100 रुपये और अमेरिका में 3000 रुपये है।” उन्होंने कहा कि यह प्रमाणित करता है कि किसानों के लिए यह सुविधा गारंटी किस प्रकार प्रदान की गई है और किसानों का जीवन बदलने के लिए बड़े प्रयासों की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 9 वर्षों में सिर्फ उर्वरक सब्सिडी पर 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं।
किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने की दिशा में सरकार की गंभीरता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने किसानों की उपज को बढ़ी हुई एमएसपी पर खरीदा और पिछले 9 वर्षों में 15 लाख करोड़ से अधिक की राशि उनकी उपज के बदले में किसानों को दी। श्री मोदी ने कहा कि “सरकार प्रतिवर्ष कृषि और किसानों पर औसतन 6.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रही है।” उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि देश के हर किसान को प्रति वर्ष इस प्रकार या किसी अन्य रूप में लगभग 50 हजार रुपये मिलें।
सरकार के किसान कल्याण दृष्टिकोण पर विचार रखते हुए श्री मोदी ने 3 लाख 70 हजार करोड़ रुपये के हाल के पैकेज और गन्ना किसानों के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल के उचित और लाभकारी मूल्य के बारे में जानकारी दी। इसका सीधा लाभ 5 लाख गन्ना किसानों और चीनी मिलों में काम करने वाले लोगों को मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल के दौरान गांवों और किसानों के विकास में सहकारी क्षेत्र की भूमिका का विस्तार होने वाला है। उन्होंने जोर देकर कहा, “सरकार और सहकार (सरकार और सहकारी) मिलकर विकसित भारत के सपने को दोहरी शक्ति प्रदान करेंगे।” श्री मोदी ने बताया कि डिजिटल इंडिया अभियान के माध्यम से सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाई और लाभार्थियों के लिए लाभ सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा, ‘आज निर्धन से निर्धन व्यक्ति यह मानता है कि उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद समाप्त हो गया है। यह महत्वपूर्ण है कि आज हमारे किसान और मवेशी-पालक दैनिक जीवन में इसे महसूस करें। यह जरूरी है कि सहकारी क्षेत्र पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का एक मॉडल बने। इसके लिए सहकारी क्षेत्र में डिजिटल प्रणालियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।‘
प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों और बैंकों से डिजिटल लेन-देन के मामले में अग्रणी रहने का आग्रह करते हुए कहा, “भारत अपने डिजिटल लेन-देन के लिए दुनिया में जाना जाता है।” उन्होंने कहा कि इससे बाजार में पारदर्शिता व दक्षता बढ़ेगी और बेहतर प्रतिस्पर्धा भी संभव होगी।
यह रेखांकित करते हुए कि प्राथमिक स्तर मुख्य सहकारी समितियां और प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) की पारदर्शिता की मॉडल बनेंगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि 60,000 से अधिक पैक्स का कंप्यूटरीकरण पहले ही हो चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सहकारी समितियों को उनके लिए उपलब्ध प्रौद्योगिकी का पूरा उपयोग करना चाहिए और उल्लेख किया कि सहकारी समितियों द्वारा कोर बैंकिंग और डिजिटल लेन-देन की स्वीकृति से राष्ट्र को बहुत लाभ होगा।
लगातार बढ़ते रिकॉर्ड निर्यात की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी समितियों को भी इस संबंध में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विनिर्माण से संबंधित सहकारी समितियों को विशेष बढ़ावा देने के पीछे यही कारण है। उनका कर बोझ कम किया गया है। उन्होंने विशेष रूप से अच्छे निर्यात प्रदर्शन के लिए डेयरी क्षेत्र का उल्लेख किया और हमारे गांवों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस संकल्प के एक उदाहरण के रूप में श्री अन्न (मोटा अनाज) के लिए एक नए प्रेरक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में अमेरिका में व्हाइट हाउस में आयोजित राजकीय रात्रिभोज में श्री अन्न के विषय में प्रमुखता से बात की गयी। उन्होंने सहकारी समितियों का आह्वान किया कि वे भारतीय श्री अन्न को वैश्विक बाजार तक ले जाएं।
प्रधानमंत्री ने गन्ना किसानों की चुनौतियों- विशेष रूप से लाभकारी मूल्य और समय पर भुगतान नहीं मिलने- जैसी चुनौतियों के संबंध में किये गये उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। चीनी मिलों को किसानों का बकाया चुकाने के लिए 20,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण को प्राथमिकता दी गई और पिछले नौ वर्षों में चीनी मिलों से 70,000 करोड़ रुपये का एथेनॉल खरीदा गया। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च गन्ना कीमतों पर करों को भी समाप्त कर दिया गया। कर संबंधी सुधारों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने पुराने बकाये के निपटान के लिए इस बजट में सहकारी चीनी मिलों को दस हजार करोड़ रुपये की सहायता देने की जानकारी दी। ये सभी प्रयास इस क्षेत्र में स्थायी बदलाव ला रहे हैं और इसे सुदृढ़ बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य सुरक्षा गेहूं और चावल तक ही सीमित नहीं है और इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि भारत खाद्य तेल, दालों, मछली आहार और प्रसंस्कृत खाद्य आदि के आयात पर लगभग 2 से 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है। उन्होंने किसानों और सहकारी समितियों से इस दिशा में काम करने और खाद्य तेल के उत्पादन में राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने मिशन मोड में काम किया है और मिशन पाम ऑयल और तिलहन उत्पादन बढ़ाने की दिशा में पहल का उदाहरण दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जब सहकारी समितियां सरकार के साथ हाथ मिलाएंगी और इस दिशा में काम करेंगी तब राष्ट्र खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकता है। श्री मोदी ने सुझाव दिया कि सहकारी समितियां किसानों को वृक्षारोपण प्रौद्योगिकी और उपकरणों की खरीद से संबंधित सभी प्रकार की सेवाएं और जानकारी प्रदान कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री ने मत्स्य संपदा योजना की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और उल्लेख किया कि यह एक जल निकाय के पास रहने वाले ग्रामीणों और किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन गया है। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन क्षेत्र में 25 हजार से अधिक सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं जहां मछली प्रसंस्करण, मछली सुखाने, मछली उपचार, मछली भंडारण, मछली कैनिंग और मछली परिवहन जैसे उद्योगों को सुदृढ़ बनाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 9 वर्षों में अंतर्देशीय मत्स्य पालन भी दोगुना हो गया है और सहकारी क्षेत्र को इस अभियान में योगदान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मछली पालन जैसे कई नए क्षेत्रों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) की भूमिका का विस्तार हो रहा है और सरकार देश भर में 2 लाख नई बहुउद्देशीय समितियां बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही सहकारी समितियों की शक्ति उन गांवों और पंचायतों तक भी पहुंचेगी जहां यह प्रणाली काम नहीं कर रही है।
पिछले कुछ वर्षों में किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ) पर विशेष ध्यान दिये जाने की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि 10 हजार नए एफपीओ बनाने पर काम चल रहा है और 5 हजार पहले ही गठित किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘ये एफपीओ छोटे किसानों को बड़ी शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करने जा रहे हैं। ये छोटे किसानों को बाजार में बड़ी ताकत बनाने के माध्यम हैं। बीज से लेकर बाजार तक, कैसे छोटा किसान हर व्यवस्था को अपने पक्ष में खड़ा कर सकता है, कैसे बाजार की ताकत को चुनौती दे सकता है- यह उसी का अभियान है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने पीएसी के माध्यम से एफपीओ बनाने का भी फैसला किया है, जिससे इस क्षेत्र में असीमित संभावनाओं के द्वार खुलते हैं।
प्रधानमंत्री ने शहद उत्पादन, जैविक खाद्य पदार्थ, सौर पैनल और मृदा परीक्षण जैसे किसानों की आय बढ़ाने के अन्य उपायों का भी उल्लेख किया और सहकारी क्षेत्र से समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने रसायन मुक्त खेती के संदर्भ में हाल ही में पीएम-प्रणाम योजना का उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य रसायन मुक्त खेती का प्रचार करना और वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके लिए भी सहकारी समितियों के समर्थन की आवश्यकता होगी। उन्होंने सहकारी समितियों से आग्रह किया कि वे हर जिले में पांच गांव को गोद लें, ताकि कृषि में रसायनों का उपयोग न हो ।
प्रधानमंत्री ने गोबरधन योजना का उल्लेख किया। यह एक ऐसी योजना है जहां ‘कचरे को धन में बदलने‘ के लिए पूरे देश में कार्य किया जाता है। उन्होंने बताया कि सरकार ऐसे संयंत्रों का एक विशाल नेटवर्क तैयार कर रही है जो गोबर और कचरे को बिजली और जैविक उर्वरकों में बदल देते हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि कई कंपनियों ने अब तक देश में 50 से अधिक बायोगैस संयंत्र बनाए हैं और सहकारी समितियों से आगे आने और गोबरधन संयंत्रों का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल पशुपालकों को लाभ होगा, बल्कि उन पशुओं को भी लाभ होगा जिन्हें सड़कों पर छोड़ दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में किए गए समग्र कार्यों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पशुपालक सहकारी आंदोलन से जुड़े हैं। खुरपका-मुंहपका रोग का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि यह लंबे समय से पशुओं के लिए बहुत परेशानी का कारण रहा है, जबकि पशुपालकों को हर साल हजारों करोड़ रुपये का भारी नुकसान भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहली बार पूरे देश में निःशुल्क टीकाकरण अभियान शुरू किया है, जहां 24 करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि एफएमडी को अभी तक पूर्णतः खत्म नहीं किया जा सका है। उन्होंने सहकारी समितियों से इसके लिए आगे आने का आग्रह किया। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि डेयरी क्षेत्र में पशुपालक अकेले हितधारक नहीं हैं, बल्कि हमारे पशु भी समान हितधारक हैं।
प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों से सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न मिशनों को पूरा करने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने अमृत सरोवर, जल संरक्षण, प्रति बूंद अधिक फसल, सूक्ष्म सिंचाई आदि मिशनों में भागीदारी का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने भंडारण के विषय पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भंडारण सुविधाओं की कमी ने बहुत लंबे समय तक खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि हम उत्पादित अनाज का 50 प्रतिशत से भी कम भंडारण करने में सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना लेकर आई है। हमने अगले पांच वर्षों में 700 लाख टन भंडारण क्षमता की योजना तैयार की है, जबकि पिछले कई दशकों में अब तक केवल 1400 लाख टन की भंडारण क्षमता ही उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि कृषि बुनियादी ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है और पिछले 3 वर्षों में उसमें 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है। इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा पीएसी से है और उन्होंने कहा कि फार्मगेट बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहकारी समितियों से अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि नये भारत में सहकारिता देश के आर्थिक स्रोत का एक शक्तिशाली माध्यम बनेगी। उन्होंने सहकारी मॉडल का पालन करके आत्मनिर्भर बनने वाले गांवों के निर्माण की आवश्यकता पर भी जोर दिया। श्री मोदी ने सुझाव दिया कि सहकारिता में सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसे राजनीति के स्थान पर सामाजिक नीति और राष्ट्रीय नीति का वाहक बनना चाहिए।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह, केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री श्री बी एल वर्मा, एशिया प्रशांत के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष श्री दिलीप संघानी भी उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
‘सहकार से समृद्धि‘ के दृष्टिकोण में प्रधानमंत्री के दृढ़ विश्वास से प्रेरित, सरकार देश में सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रही है। इस प्रयास को बल देने के लिए सरकार द्वारा एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया गया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की भागीदारी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का आयोजन 1-2 जुलाई 2023 को सहकारी आंदोलन में विभिन्न प्रवृत्तियों पर चर्चा करने, अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने, सामना की जा रही चुनौतियों को प्रदर्शित करने और भारत के सहकारी आंदोलन के विकास के लिए भविष्य की नीतिगत दिशा तैयार करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। ‘अमृत काल: जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि‘ के मुख्य विषय पर सात तकनीकी सत्र आयोजित होंगे। इसमें प्राथमिक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की सहकारी समितियों, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के प्रतिनिधियों, मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों सहित 3600 से अधिक हितधारक शामिल हो रहे हैं।
Addressing the Indian Cooperative Congress. The sector plays a vibrant role in the country’s progress. https://t.co/7VH4XNbqTQ
— Narendra Modi (@narendramodi) July 1, 2023
मैंने लाल किले से कहा है, हमारे हर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सबका प्रयास आवश्यक है।
सहकार की स्पिरिट भी तो यही है: PM @narendramodi pic.twitter.com/GYWnPSzf4B
— PMO India (@PMOIndia) July 1, 2023
जब विकसित भारत के लिए बड़े लक्ष्यों की बात आई, तो हमने सहकारिता को एक बड़ी ताकत देने का फैसला किया। pic.twitter.com/GujRgc53iI
— PMO India (@PMOIndia) July 1, 2023
करोड़ों छोटे किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि मिल रही है।
कोई बिचौलिया नहीं, कोई फर्ज़ी लाभार्थी नहीं। pic.twitter.com/8Ptp8MOQ4i
— PMO India (@PMOIndia) July 1, 2023
किसान हितैषी अप्रोच को जारी रखते हुए, कुछ दिन पहले एक और बड़ा निर्णय लिया गया है। pic.twitter.com/Qyv119vAVf
— PMO India (@PMOIndia) July 1, 2023
अमृतकाल में देश के गांव, देश के किसान के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए अब देश के कॉपरेटिव सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है। pic.twitter.com/Pm1WTnlWQX
— PMO India (@PMOIndia) July 1, 2023
केंद्र सरकार ने मिशन पाम ऑयल शुरु किया है।
इसके तहत तिलहन की फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। pic.twitter.com/18TDetCKuJ
— PMO India (@PMOIndia) July 1, 2023
बीते वर्षों में हमने किसान उत्पादक संघों यानि FPOs के निर्माण पर भी विशेष बल दिया है। pic.twitter.com/iYgpZx7n58
— PMO India (@PMOIndia) July 1, 2023
आज कैमिकल मुक्त खेती, नैचुरल फार्मिंग, सरकार की प्राथमिकता है। pic.twitter.com/fwl3aSu5Bk
— PMO India (@PMOIndia) July 1, 2023
Per Drop More Crop
ज्यादा पानी, ज्यादा फसल की गारंटी नहीं है।
Micro-irrigation का कैसे गांव-गांव तक विस्तार हो, इसके लिए सहकारी समितियों को अपनी भूमिका का भी विस्तार करना होगा। pic.twitter.com/5lG4XuwN49
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एमजी/एमएस/वीएल/एमएस/एसके
Addressing the Indian Cooperative Congress. The sector plays a vibrant role in the country's progress. https://t.co/7VH4XNbqTQ
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मैंने लाल किले से कहा है, हमारे हर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सबका प्रयास आवश्यक है।
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सहकार की स्पिरिट भी तो यही है: PM @narendramodi pic.twitter.com/GYWnPSzf4B
जब विकसित भारत के लिए बड़े लक्ष्यों की बात आई, तो हमने सहकारिता को एक बड़ी ताकत देने का फैसला किया। pic.twitter.com/GujRgc53iI
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करोड़ों छोटे किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि मिल रही है।
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कोई बिचौलिया नहीं, कोई फर्ज़ी लाभार्थी नहीं। pic.twitter.com/8Ptp8MOQ4i
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अमृतकाल में देश के गांव, देश के किसान के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए अब देश के कॉपरेटिव सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है। pic.twitter.com/Pm1WTnlWQX
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केंद्र सरकार ने मिशन पाम ऑयल शुरु किया है।
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इसके तहत तिलहन की फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। pic.twitter.com/18TDetCKuJ
बीते वर्षों में हमने किसान उत्पादक संघों यानि FPOs के निर्माण पर भी विशेष बल दिया है। pic.twitter.com/iYgpZx7n58
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ज्यादा पानी, ज्यादा फसल की गारंटी नहीं है।
Micro-irrigation का कैसे गांव-गांव तक विस्तार हो, इसके लिए सहकारी समितियों को अपनी भूमिका का भी विस्तार करना होगा। pic.twitter.com/5lG4XuwN49