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प्रधानमंत्री द्वारा डीआरडीओ पुरस्‍कारों का वितरण


रक्षा प्रौद्योगिकी में आगे रहने के लिए रक्षा अनुसंधान गतिविधियों में युवाओं की सहभागिता बढ़ाने का आह्वान।

मूल्‍य-संवर्द्धन के लिए बड़े पैमाने पर डीआरडीओ को युवाओं और सैनिकों से जुड़ने को कहा।

प्रधानमंत्री ने रक्षा वैज्ञानिकों को बधाई दी – उनके प्रयासों की ऋषि मन से तुलना की।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा अनुसंधान संबंधी गतिविधियों में युवाओं की बड़े पैमाने पर सहभागिता का आह्वान किया, ताकि भारत इस क्षेत्र में वैश्‍विक प्रौद्योगिकी उन्‍नयन में अग्रणी स्‍थान कायम रख सके।

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आज राजधानी में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) पुरस्‍कार वितरित करने के पश्‍चात वरिष्‍ठ एवं विख्‍यात रक्षा वैज्ञानिकों एवं सशस्‍त्र सेनाओं के वरिष्‍ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि कम-से-कम पांच डीआरडीओ प्रयोगशालाओं को 35 वर्ष तक की आयु के युवा वैज्ञानिकों में से नवोन्‍मेष अनुसंधान के लिए चुना जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने रक्षा उत्‍पादों में प्रौद्योगिकी को विश्‍व स्‍तरीय बनाने के लिए रक्षा कार्यक्रमों में तेजी लाने की अपील की। प्रधानमंत्री ने वैश्‍विक रक्षा समुदाय के लिए डीआरडीओ के पूर्व-आंकलन एवं तद्नुरूप एजेंडा तय करने के लिए काम करने को कहा।

पुरस्‍कृत वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों के प्रयासों की तुलना प्राचीन ऋषियों से की, जिन्‍होंने वेदों की रचना की थी। उन्‍होंने कहा कि इस संवेदनशील क्षेत्र में हमारे वैज्ञानिक जिस निष्‍ठा से काम करते हैं, उससे हमें ‘’ऋषि-मन’’ की अनुभूति होती है।

प्रधानमंत्री ने डीआरडीओ को अपने उत्‍पादों के अंतिम उपभोगता, यानि सैनिकों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्‍होंने कहा कि एक सैनिक रक्षा प्रौद्योगिकी में अनेक व्‍यावहारिक नवोन्‍मेषी सुझाव दे सकता है। श्री नरेंद्र मोदी ने प्रश्‍न उठाया कि क्‍या “15 वर्ष तक सैनिक के लिए उत्‍पाद विकसित करने वाले ऋषि से सैनिक कभी मिला है?”

श्री नरेंद्र मोदी ने डीआरडीओ का यह भी आह्वान किया कि वे एक पीढी से अगली पीढी तक मानव मूल्‍यों एवं विचारों के आदान-प्रदान अर्थात् ‘’संस्‍कार संक्रमण’’ के लिए चयनित विश्‍वविद्यालयों के साथ सक्रियता से जुड़ें।