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प्रधानमंत्री द्वारा जापान के प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे के साथ टोक्यो में हुए संयुक्त प्रेस संबोधन के दौरान दी गयी टिप्पणी का मूल पाठ


जापान आकर के मुझे बहुत ही प्रसन्‍नता हुई है।

प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने निर्णय लिया था कि अपने पड़ोस के बाहर सबसे पहली बाईलेटरल विजिट जापान की होगी। यह मेरा सौभाग्‍य है कि प्रधानमंत्री आबे ने मुझे यहां प्रधानमंत्री बनने के 100 दिन के भीतर जापान आने का अवसर दिया और हमारी बहुत पुरानी जो दोस्‍ती है, उसको और अधिक मजबूत बनाया।

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यह इस बात का प्रमाण है कि भारत जापान को सबसे घनिष्‍ठ और विश्‍वसनीय मित्रों में समझता है और हमारी विदेश नीति में जापान की ऊंची प्राथमिकता है, क्‍योंकि भारत के विकास में जापान की महत्‍वपूर्ण भूमिका है और हम दो शांतिप्रिय लोकतांत्रिक देशों की साझेदारी, आने वाले समय में इस क्षेत्र और विश्‍व के लिए प्रभावशाली भूमिका निभा सकती है।

जिस प्रकार से प्रधानमंत्री आबे ने क्‍योटो और टोक्‍यो में हमारा स्‍वागत किया है, सम्‍मान किया है और अपना अमूल्‍य समय दिया है, इसके लिए मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं। यह उनके भारत के प्रति प्रेम और विश्‍वास का प्रतीक है। यहां हर क्षेत्र के लोगों से मिलकर उनका भारत के प्रति प्रेम और आदर देखकर मुझे अत्‍यंत खुशी हुई।

क्‍योटो में भेंट और एक शिखर सम्‍मेलन से मैं केवल संतुष्‍ट ही नहीं हूं, बल्कि मुझमें इस भारत और जापान की साझेदारी का विश्‍वास और गहरा हो गया है और मुझमें एक नया विश्‍वास और नई उम्‍मीदें जगी हैं।

मेरे मित्र प्रधानमंत्री आबे ने हमारी चर्चा के बारे में काफी उल्‍लेख किया है और आपके सामने ज्‍वाइंट स्‍टेटमेंट और फैक्‍ट शीट भी है। इसलिए मैं, उन बातों को दुहराना नहीं चाहता हूं। मैं इस संबंध में शिखर सम्‍मेलन को किस दृष्टिकोण से देखता हूं, उस विषय पर कुछ शब्‍द कहना चाहता हूं। आज सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि हमने स्‍ट्रेटेजिक एंड ग्‍लोबल पार्टनरशिप को अब स्‍पे‍शल स्‍ट्रेटेजिक एंड ग्‍लोबल पार्टनरशिप का दर्जा देने का निर्णय लिया है।

भारत और जापान की स्पिरिचुअल पार्टनरशिप कालातीत है। वह समय के बंधनों से बंधी हुई नहीं है। लेकिन आज शासकीय दायरे में ये स्‍पेशल स्‍ट्रेटेजिक एवं ग्‍लोबल पार्टनरशिप के रूप में आप सबके सामने हम खड़े हैं। मेरी दृष्टि से यह सिर्फ शब्‍द नहीं है। ये एक कोई एक कैटेगरी से दूसरी कैटेगरी में जाना, इतना ही नहीं है, हम दोनों देश इस विषय में अत्‍यंत गंभीर हैं और मुझे विश्‍वास है कि हमारे यह संबंध का नया रूप अधिक परिणामकारी और अधिक दायित्‍वपूर्ण रहेगा।

ये स्‍पेशल स्‍ट्रेटेजिक इसलिए है कि भारत के विकास और परिवर्तन में जापान की आने वाले दिनों में और अधिक महत्‍वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। आज प्रधानममंत्री आबे ने आश्‍वासन दिया है, एक प्रकार से शपथ ली है, कि भारत के इंस्‍क्‍लूसिव डेवलपमेंट में वह जापान का नए स्‍तर से सहयोग को और साझेदारी देंगे।

हम लोग भली-भांति समझ सकते हैं कि आज प्रधानमंत्री आबे ने 3.5 ट्रिलियन येन, यानी कि अगर मैं भारत के रुपये के संदर्भ में कहूं तो 2 लाख 10 हजार करोड़ यानी कि 35 बिलियन डालर के पब्लिक और प्राइवेट इंवेस्‍टमेंट और फाइनेन्सिंग अगले पांच सालों में भारत में करने का लक्ष्‍य रखा है। मैं उनके इस महत्‍वपूर्ण निर्णय का हृदय से स्‍वागत करता हूं।

यह किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। प्रधानमंत्री जी ने मेरे विजन को समझते हुए हर क्षेत्र में सहयेाग देने का आश्‍वासन दिया है। आज मैं आपसे जब गंगा शुद्धीकरण की बात कर रहा था तो तुरंत उन्‍होंने कहा कि आप तय कीजिए कि आपको क्‍या मदद चाहिए। एक‍ विकसित और तेज गति से बढ़ता भारत न केवल एक विशाल आर्थिक अवसर रहेगा, जिससे जापान को भी बहुत लाभ मिलेगा, बल्कि वह दुनिया में लोकतांत्रिक शक्ति को मजबूत करेगा और स्थिरता बढ़ाने में एक बहुत बड़ा कारण रहेगा। मैं समझता हूं कि इसमें दोनों देशों का लाभ है और भी एक बात है कि हमारे संबंध सिर्फ आर्थिक रूप में नहीं हैं, बल्कि इस संबंध में और भी कई आयाम जुड़े हुए हैं।

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हम राजनीतिक संवाद और सहयोग को एक नए स्‍तर पर, एक नई ऊंचाई पर ले जाने के पक्ष में हैं। हमने हमारे रक्षा क्षेत्र क्षेत्र के संबंधों को भी एक दिशा देने का निर्णय लिया है। न केवल आपसी बातचीत और अभ्‍यास को बढ़ाने का, और मित्र देशों के साथ इन अभ्‍यास को करने का बल्कि टेक्नोलॉजी और इक्विपमेंट के क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ाएंगे। दोनों देशों का भविष्‍य सामुद्रिक सुरक्षा के साथ भली भांति जुड़ा हुआ है।

कई और क्षेत्रों में जैसे एडवांस टेक्‍नोलॉजी, रसायन, शिक्षा, टेक्‍नोलॉजी, अनुसंधान और विकास ऐसे क्षेत्र में भी दोनों देशों के लाभ के लिए हम काम कर रहे हैं। समाज की चुनौती का समाधान ढूंढने के लिए हम भरसक प्रयास कर रहे हैं।

विकसित भारत और सफल जापान, दोनों देशों के लिए यह लाभप्रद है। परंतु उससे अधिक महत्‍वपूर्ण यह है कि एशिया और विश्‍व में शांति, स्थिरता और स्‍मृद्धि बढ़ाने में बड़ा योगदान देंगे।

ग्‍लोबल दृष्टिकोण से इसका यह अर्थ है कि भारत और जापान, एशिया के दो सबसे महत्‍वपूर्ण लोकतांत्रिक देश हैं और एशिया की तीन सबसे बड़ी इकोनोमी में शामिल हैं और हमारे संबंध इस पूरे क्षेत्र पर तो प्रभाव करेंगे ही, परंतु सारे विश्‍व पर भी इसका प्रभाव अनेक प्रकार से होने की संभावना, मैं देखता हूं।

पूरा विश्‍व एक बात को मानता है भलीभांति और कनविंस है कि 21वीं सदी एशिया की सदी और पूरे विश्‍व में 21वीं सदी एशिया की सदी है, इसमें कोई कनफ्यूजन नहीं है। लेकिन 21वीं सदी कैसे हो, यह उस बात पर निर्भर करता है कि भारत और जापान मिल करके किस प्रकार की व्‍यूह रचना को अपनाते है, किस प्रकार की रणनीति आगे बढ़ते हैं, और कितनी घनिष्‍टता के साथ आगे बढ़ते हैं।

यह काम हम भगवान बुद्ध के शांति और संवाद के रास्‍ते पर चलकर इस क्षेत्र में सभी देशों के साथ मिलकर इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने का प्रयास करेंगे।

दूसरा, इससे, दुनिया में कई विषयों पर जैसे नॉन पोलिप्रिफरेशन, स्‍पेस सिक्‍युरिटी, साइबर सिक्‍युरिटी, यू एन रिफार्मस और इस क्षेत्र के रीजनल फोरम्‍स में साथ मिलकर के हमारे जुड़े हुए हितों को आगे बढ़ा सकते हैं।

तीसरा, हमारी साझेदारी अन्‍य क्षेत्र और विभिन्‍न देशों को लाभ पहुंचा सकती है, जहां हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं, चाहे एशिया में हो या और क्षेत्रों में, आने वाले दिनों में हम इसे प्राथमि‍कता देने वाले हैं।

स्‍ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को जब हम स्‍पेशल स्‍ट्रेटेजिक पार्टनरशिप कहते हैं, तब इसका मतलब है कि पहले दोनों देशों के लिए इस संबंधों का महत्‍व बहुत बढ़ गया है। दोनों देशों की विदेश नीति में इस संबंध की प्राथमिकता नया रूप लेगी और हम दोनों देशों ने निर्णय लिया है कि इस संबंध को बढ़़ाने के लिए विशेष बल दिया जाएगा।

हमारे सहयोग के अवसर की कोई सीमा नहीं है, ना ही दोनो तरफ इरादे और इच्‍छा की कोई कमी है। अगर हमारे पोटेंशियल को हासिल करना है तो स्‍पेशल तरीके से काम करना होगा, इसलिए मैने ‘जापान फास्ट ट्रैक चैनल’ बनाने का भी निर्णय लिया है।

दूसरा, हमने आज जो निर्णय लिये हैं, उससे हमारा गहरा आपसी विश्‍वास एक नए स्‍तर तक पहुंचा है। पिछले कुछ महीने में हमने सिविल न्‍यूकिलियर इनर्जी क्षेत्र में प्रगति की है। आज हमने इस विषय पर विस्‍तार से चर्चा भी की है और हम इससे आपसी समझ बढ़ाने में भी सफल हुए हैं। हमने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस काम को जल्‍द समाप्‍त करें ताकि हमारी स्‍ट्रेटेजिक पार्टनरशिप और मजबूत हो।

उसी प्रकार जापान ने एक महत्‍वपूर्ण निर्णय लिया है कि हमारी कुछ कंपनियों पर लगे प्रतिबंधों को हटायेंगे। यह भी नए आपसी विश्‍वास का प्रमाण है। रक्षा के क्षेत्र में एमओयू साइन किया है और टेक्‍नोलोजी इंप्‍लीमेंट पर सहयोग का निर्णय लिया है। इन सबसे स्‍पष्‍ट होता है कि हमारे संबंध वास्‍तविक रूप में एक नए स्‍तर पर पहुंचे हैं।

उसी प्रकार आर्थिक संबंधों को कई गुना बढ़ाने का जो हमने संकल्‍प किया है और जिस मात्रा में जापान ने सहायता करने का वचन और आश्‍वासन दिया है, वह भी विशेष संबंध का प्रमाण है।

इस संबंध की विशेषता हमारे संबंध की प्राचीन नींव और दोनों देशों के लोगों में अटूट प्रेम और आदर भी अंतर्निहित हैं।

हमने ऐसे निर्णय लिये हैं जिनसे भविष्‍य में संबंध और मजबूत होंगे। विशेष रूप से यूथ एक्‍सचेंज, लैंग्‍वेज ट्रेनिंग, हिंदी और जापानी भाषा में प्रशिक्षण, कल्‍चरल एक्‍सचेंज, अनुसंधान और विकास में साथ काम करना।

इतना ही नहीं, इमने जो पांच और एग्रीमेंट साइन किये हैं- स्‍वास्‍थ्‍य, क्‍लीन एवं रिन्‍यूएबल इनर्जी, वीमेंस डेवलपमेंट, रोड्स एवं क्‍योटो-वाराणसी के बीच समझौता, वह दिखाते हैं कि हमारे संबंध हर क्षेत्र में उभर रहे हैं और लोगों के हितों से जुड़े हुए हैं।

मैं प्रधानमंत्री आबे का पुन: आभार प्रकट करता हूं। मुझे विश्‍वास है कि हमारे संबंधों की यह एक नई सुबह है और नए विश्‍वास और ऊर्जा के साथ हम आगे बढ़ेंगे और हम जो नए स्‍तर की बात करते हैं, उसको हम जल्‍द ही वास्‍तविकता में बदल देंगे। मैं फिर एक बार प्रधानमंत्री जी का और मेरे परम मित्र का हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। जापान के नागरिकों का भी हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

धन्यवाद।