भारत माता की जय
भारत माता की जय
जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री मनोज सिन्हा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी गिरिराज सिंह जी, इसी धरती की संतान मेरे साथी डॉक्टर जितेंद्र सिंह जी, श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल जी, संसद में मेरे साथी श्री जुगल किशोर जी, जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश से जुड़े पंचायती राज के सभी जनप्रतिनिधिगण, भाइयों और बहनों !
शूरवीरें दी इस डुग्गर धरती जम्मू-च, तुसें सारे बहन-प्राऐं-गी मेरा नमस्कार ! देशभर से जुड़े साथियों को राष्ट्रीय पंचायती दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !
आज जम्मू कश्मीर के विकास को गति देने के लिए ये बहुत बड़ा दिन है। यहां मैं जो जनसागर देख रहा हूं, जहां भी मेरी नजर पहुंच रही है लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। शायद कितने दशकों के बाद जम्मू–कश्मीर की धरती, हिन्दुस्तान के नागरिक ऐसा भव्य दृश्य देख पा रहे हैं। ये आपके प्यार के लिए, आपके उत्साह और उमंग के लिए, विकास और प्रगति के आपके संकल्प के लिए मैं विशेष रूप से आज जम्मू और कश्मीर के भाइयों-बहनों का आदरपूर्वक अभिनंदन करना चाहता हूं।
साथियो,
न ये भू-भाग मेरे लिए नया है, न मैं आपके लिए नया हूं। और मैं यहां की बारीकियों से अनेक वर्षों से परिचित भी रहा हूं, जुड़ा हुआ रहा हूं। मेरे लिए खुशी की बात है कि आज यहां कनेक्टिविटी और बिजली से जुड़े 20 हज़ार करोड़ रुपए…ये आंकड़ा जम्म-कश्मीर जैसे छोटे राज्य के लिए बहुत बड़ा आंकड़ा है..20 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। जम्मू-कश्मीर के विकास को नई रफ्तार देने के लिए राज्य में तेजी से काम चल रहा है। इन प्रयासों से बहुत बड़ी संख्या में जम्मू कश्मीर के नौजवानों को रोज़गार मिलेगा।
साथियों,
आज अनेक परिवारों को गांवों में उनके घर के प्रॉपर्टी कार्ड भी मिले हैं। ये स्वामित्व कार्ड गांवों में नई संभावनाओं को प्रेरित करेंगे। आज 100 जनऔषधि केंद्र जम्मू कश्मीर के गरीब और मिडिल क्लास को सस्ती दवाएं, सस्ता सर्जिकल सामान देने का माध्यम बनेंगे। 2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने का जो संकल्प देश ने उठाया है, उसी दिशा में भी जम्मू कश्मीर ने आज एक ब़ड़ी पहल की है। पल्ली पंचायत देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत बनने की तरफ बढ़ रही है।
ग्लासगो में दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गज इक्टठे हुए थे। कार्बन न्यूट्रल को ले करके बहुत सारे भाषण हुए, बहुत सारे बयान हुए, बहुत सारी घोषणाएं हुईं। लेकिन ये हिन्दुस्तान है जो ग्लासगो के आज जम्मू-कश्मीर की एक छोटी पंचायत, पल्ली पंचायत के अंदर देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज मुझे पल्ली गांव में, देश के गांवों के जन प्रतिनिधियों के साथ जुड़ने का भी अवसर मिला है। इस बड़ी उपलब्धि और विकास के कामों के लिए जम्मू- कश्मीर को बहुत-बहुत बधाई !
यहां मंच पर आने से पहले मैं यहां के पंचायत के सदस्यों के साथ बैठा था। उनके सपने, उनके संकल्प और उनके नेक इरादे मैं महसूस कर रहा था। और मुझे खुशी तब हुई कि मैं दिल्ली के लालकिले पर से ‘सबका प्रयास’ ये बोलता हूं। लेकिन आज जम्मू-कश्मीर की धरती ने, पल्ली के नागरिकों ने ‘सबका प्रयास’ क्या होता है, ये मुझे करके दिखाया है। यहां के पंच-सरपंच मुझे बता रहे थे कि जब यहां मैं ये कार्यक्रम का आयोजन तय हुआ तो सरकार के लोग आते थे, कॉन्ट्रैक्टर्स आते थे सब बनाने वाले, अब यहां तो कोई ढाबा नहीं है, यहां तो कोई लंगर नहीं चलता है, ये लोग आ रहे हैं तो उनको खाने का क्या करें। तो मुझे यहां के पंच-सरपंच ने बताया कि हर घर से, कोई घर से 20 रोटी, कहीं 30 रोटी इखट्ठी करते थे और पिछले 10 दिन से यहां जो भी लोग आए हैं सबको गांव वालों ने खाना खिलाया है। ‘सबका प्रयास’ क्या होता है ये आप लोगों ने दिखा दिया है। मैं हृदय से यहां के सभी मेरे गांववासियों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।
भाइयों और बहनों,
इस बार का पंचायती राज दिवस, जम्मू कश्मीर में मनाया जाना, एक बड़े बदलाव का प्रतीक है। ये बहुत ही गर्व की बात है, कि जब लोकतंत्र जम्मू कश्मीर में ग्रास रूट तक पहुंचा है, तब यहां से मैं देशभर की पंचायतों से संवाद कर रहा हूं। हिन्दुस्तान में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई, बहुत ढोल पीटे गए, बड़ा गौरव भी किया गया और वो गलत भी नहीं था। लेकिन एक बात हम भूल गए, वैसे तो कहा करते थे हम कि भारत में पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई है लेकिन देशवासियों को पता होना चाहिए कि ये इतनी अच्छी व्यवस्था होने के बावजूद भी मेरे जम्मू-कश्मीर के लोग उससे वंचित थे, यहां नहीं था। दिल्ली में आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया और पंचायती राज व्यवस्था जम्मू-कश्मीर की धरती पर लागू हो गई। अकेले जम्मू-कश्मीर के गांवों में 30 हजार से ज्यादा जनप्रतिनिधि चुन करके आए हैं और वो आज यहां का कारोबार चला रहे हैं। यही तो लोकतंत्र की ताकत होती है। पहली बार त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था- ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और डीडीसी के चुनाव यहां शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए और गांव के लोग गांव का भविष्य तय कर रहे हैं।
साथियों,
बात डेमोक्रेसी की हो या संकल्प डेवलपमेंट का हो, आज जम्मू कश्मीर पूरे देश के लिए एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। बीते 2-3 सालों में जम्मू कश्मीर में विकास के नए आयाम बने हैं। केंद्र के लगभग पौने 2 सौ कानून, जो जम्मू के नागरिकों को अधिकार देते थे, वो लागू नहीं किए जाते थे। हमने जम्मू-कश्मीर के हर नागरिक को empower करने के लिए उन कानूनों को लागू कर दिया और आपको ताकतवर बनाने का काम कर दिया। जिनका सबसे अधिक लाभ यहां की बहनों को हुआ, यहां की बेटियों को हुआ है, यहां के गरीब को, यहां के दलित को, यहां के पीड़ित को, यहां के वंचित को हुआ है।
आज मुझे गर्व हो रहा है कि आजादी के 75 साल के बाद जम्मू-कश्मीर के मेरे वाल्मीकि समाज के भाई-बहन हिन्दुस्तान के नागरिकों की बराबरी में आने का कानूनी हक प्राप्त कर सके हैं। दशकों-दशक से जो बेड़ियां वाल्मीकि समाज के पांव में डाल दी गई थीं, उनसे अब वो मुक्त हो चुका है। आजादी के सात दशक के बाद उसको आजादी मिली है। आज हर समाज के बेटे-बेटियां अपने सपनों को पूरा कर पा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में बरसों तक जिन साथियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला, अब उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिल रहा है। आज बाबा साहेब की आत्मा जहां भी होगी, हम सबको आशीर्वाद देती होगी कि हिन्दुस्तान का एक कोना इससे वंचित था, मोदी सरकार ने आ करके बाबा साहेब के सपनों को भी पूरा किया हैं । केंद्र सरकार की योजनाएं अब यहां तेज़ी से लागू हो रही हैं, जिसका सीधा फायदा जम्मू कश्मीर के गांवों को हो रहा है। एलपीजी गैस कनेक्शन हो, बिजली कनेक्शन हो, पानी कनेक्शन हो, स्वच्छ भारत अभियान के तहत टॉयलेट्स हों, इसका बड़ा लाभ जम्मू कश्मीर को मिला है।
साथियों,
आज़ादी के अमृतकाल यानि आने वाले 25 साल में नया जम्मू कश्मीर, विकास की नई गाथा लिखेगा। थोड़ी देर पहले UAE से आए एक डेलीगेशन से बातचीत करने का अवसर मुझे मिला है। वो जम्मू कश्मीर को लेकर बहुत उत्साहित हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, आजादी के 7 दशकों के दरमियान जम्मू कश्मीर में मात्र 17 हज़ार करोड़ रुपए का ही प्राइवेट इन्वेस्टमेंट हो पाया था। सात दशक में 17 हजार, और पिछले दो साल के भीतर-भीतर ये आंकड़ा 38 हज़ार करोड़ रुपए पर पहुंचा है। 38 हजार करोड़ रुपये यहां इन्वेस्टमेंट के लिए प्राइवेट कंपनियां आ रही हैं।
साथियों,
आज केंद्र से भेजी पाई-पाई भी यहां ईमानदारी से लग रही है और इन्वेस्टर भी खुले मन से पैसा लगाने आ रहे हैं। अभी मुझे हमारे मनोज सिन्हा जी बता रहे थे कि तीन साल पहले यहां के जिलों के हाथ में, पूरे राज्य में पांच हजार करोड़ रुपया ही उनके नसीब होता था और उसमें लेह-लद्दाख सब आ जाता था। उन्होंने कहा- छोटा सा राज्य है, आबादी कम है। लेकिन पिछले दो साल में जो गति आई है, इस बार बजट में जिलों के पास 22 हजार करोड़ रुपये सीधे-सीधे पंचायतों के पास विकास के लिए दिए जा रहे हैं व इतने छोटे राज्य में ग्रास रूट लेवल के डेमोक्रेटिक सिस्टम के द्वारा विकास के काम के लिए कहां 5 हजार करोड़ और कहां 22 हजार करोड़ रुपये, ये काम हुआ है भाइयो।
आज मुझे खुशी है, रतले पावर प्रोजेक्ट और क्वार पावर प्रोजेक्ट जब बनकर तैयार होंगे, तो जम्मू कश्मीर को पर्याप्त बिजली तो मिलेगी ही, जम्मू-कश्मीर के लिए एक कमाई का बहुत बड़ा नया क्षेत्र खुलने वाला है जो जम्मू-कश्मीर को नई आर्थिक ऊंचाइयों की ओर ले जाएगा। अब देखिए, कभी दिल्ली से एक सरकारी फाइल चलती थी, जरा मेरी बात समझना। दिल्ली से एक सरकारी फाइल चलती थी तो जम्मू-कश्मीर पहुंचते-पहुंचते दो-तीन हफ्ते लग जाते थे। मुझे खुशी है कि आज 500 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट सिर्फ 3 हफ्ते के भीतर यहां लागू हो जाता है, बिजली पैदा करना शुरू करता है। पल्ली गांव के सभी घरों में अब सोलर बिजली पहुंच रही है। ये ग्राम ऊर्जा स्वराज का भी बहुत बड़ा उदाहरण बना है। काम के तौर-तरीकों में यही बदलाव जम्मू-कश्मीर को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
साथियों,
मैं जम्मू–कश्मीर के नौजवानों को कहना चाहता हूं, ”साथियो मेरे शब्दों पर भरोसा कीजिए। घाटी के नौजवान, आपके माता-पिता को, आपके दादा-दादी को, आपके नाना-नानी को जिन मुसीबतों से जिंदगी जीनी पड़ी, मेरे नौजवान आपको भी भी ऐसी मुसीबतों से जिंदगी जीनी नहीं पड़ेगी, ये मैं करके दिखाऊंगा ये मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूं” I बीते 8 सालों में एक भारत, श्रेष्ठ भारत के मंत्र को मजबूत करने के लिए हमारी सरकार ने दिन रात काम किया है। जब मैं एक भारत, श्रेष्ठ भारत की बात करता हूं, तब हमारा फोकस कनेक्टिविटी पर भी होता है, दूरियां मिटाने पर भी होता है। दूरियां चाहे दिलों की हो, भाषा-व्यवहार की हो या फिर संसाधनों की, इनको दूर करना आज हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। जैसे हमारे डोगरों के बारे में लोक संगीत में कहते हैं- मिट्ठड़ी ऐ डोगरें दी बोली, ते खंड मिट्ठे लोक डोगरे I ऐसी ही मिठास, ऐसी ही संवेदनशील सोच देश के लिए एकता की ताकत बनती है और दूरियां भी कम होती हैं।
भाइयों और बहनों,
हमारी सरकार के प्रयास से अब बनिहाल- काज़ीगुंड टनल से जम्मू और श्रीनगर की दूरी 2 घंटे कम हो गई। उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला को लिंक करने वाला आकर्षक आर्क ब्रिज भी जल्द देश को मिलने वाला है। दिल्ली-अमृतसर-कटरा हाईवे भी दिल्ली से मां वैष्णो के दरबार की दूरी को बहुत कम करने वाला है। और वो दिन दूर नहीं होगा जब कन्याकुमारी की दूरी वैष्णों देवी से एक सड़क से मिलने वाले हैं। जम्मू कश्मीर हो, लेह-लद्दाख हो, हर तरफ से ये कोशिश की जा रही है कि जम्मू कश्मीर के ज्यादातर हिस्से 12 महीने देश से कनेक्टेड हों।
सरहदी गांवों के विकास के लिए भी हमारी सरकार प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है। हिन्दुस्तान भर की सरहदों के आखिरी गांव के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना इस बार बजट में मंजूर की गई है। उसका लाभ हिन्दुस्तान के सभी आखिरी गांवों को जो सीमा पर सटे हुए हैं, वो वाइब्रेंट विलेज के तहत मिलेगा। इसका अधिक फायदा पंजाब और जम्मू-कश्मीर को भी मिलने वाला है।
साथियों,
आज जम्मू कश्मीर सबका साथ, सबका विकास का भी एक उत्तम उदाहरण बनता जा रहा है। राज्य में अच्छे औऱ आधुनिक अस्पताल हों, ट्रांसपोर्ट के नए साधन हों, उच्च शिक्षा के संस्थान हों, यहां के युवाओं को ध्यान में रखते हुए योजनाओं को लागू किया जा रहा है। विकास और विश्वास के बढ़ते माहौल में जम्मू कश्मीर में टूरिज्म फिर से फलने लगा है। मुझे बताया गया है कि अगले जून-जुलाई तक यहां के सारे पर्यटन स्थल बुक हो चुके हैं, जगह मिलना मुश्किल हो गया है। पिछले कई बरसों में जितने पर्यटक यहां पर नहीं आए उतने कुछ ही महीनों में यहां आ रहे हैं।
साथियों,
आज़ादी का ये अमृतकाल भारत का स्वर्णिम काल होने वाला है। ये संकल्प सबका प्रयास से सिद्ध होने वाला है। इसमें लोकतंत्र की सबसे ज़मीनी ईकाई, ग्राम पंचायत की, आप सभी साथियों की भूमिका बहुत अहम है। पंचायतों की इसी भूमिका को समझते हुए, आज़ादी के अमृत महोत्सव पर अमृत सरोवर अभियान की शुरुआत हुई है। आने वाले 1 साल में, अगले वर्ष 15 अगस्त तक हमें हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर तैयार करने हैं, हर जिले में 75 अमृत सरोवर।
हमें ये भी प्रयास करना है कि इन सरोवरों के आसपास नीम, पीपल, बरगद आदि के पौधे उस इलाके के शहीदों के नाम पर लगाएं। और कोशिश ये भी करनी है कि जब ये अमृत सरोवर का आरंभ करते हो, शिलान्यास करते हो तो वो शिलान्यास भी किसी न किसी शहीद के परिवार के हाथों से, किसी स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के हाथों से कराएं और आजादी के लिए ये अमृत सरोवर के अभियान को हम एक गौरवपूर्ण पृष्ठ के रूप में जोड़ें।
भाइयों और बहनों,
बीते सालों में पंचायतों को अधिक अधिकार, अधिक पारदर्शिता और टेक्नॉलॉजी से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। ई-ग्राम-स्वराज अभियान से पंचायत से जुड़ी प्लानिंग से लेकर पेमेंट तक की व्यवस्था को जोड़ा जा रहा है। गांव का सामान्य लाभार्थी अब अपने मोबाइल फोन पर ये जान सकता है कि पंचायत में कौन सा काम हो रहा है, उसका स्टेटस क्या है, कितना बजट खर्च हो पा रहा है। पंचायत को जो फंड मिल रहे हैं, उनके ऑडिट की ऑनलाइन व्यवस्था की गई है। Citizen’s Charter campaign के ज़रिए राज्यों और ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वो जन्म प्रमाण पत्र, शादी के सर्टिफिकेट, प्रॉपर्टी से जुड़े अनेक विषयों को ग्राम पंचायत के स्तर पर ही हल कर दें। स्वामित्व योजना से ग्राम पंचायतों के लिए प्रॉपर्टी टैक्स की असेसमेंट आसान हो गई है, जिसका लाभ कई ग्राम पंचायतों को हो रहा है।
कुछ दिन पहले ही पंचायतों में ट्रेनिंग के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी के उपयोग से जुड़ी नई नीति को भी स्वीकृति दी गई है। इसी महीने 11 से 17 अप्रैल तक पंचायतों के नवनिर्माण के संकल्प के साथ आइकॉनिक वीक का आयोजन भी किया गया ताकि गांव-गांव तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने का काम हो सके। सरकार का संकल्प ये है कि गांवों में हर व्यक्ति, हर परिवार के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे हर पहलू का विकास सुनिश्चित हो। सरकार की कोशिश यही है कि गांव के विकास से जुड़े हर प्रोजेक्ट को प्लान करने, उसके अमल में पंचायत की भूमिका ज्यादा हो। इससे राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि में पंचायत अहम कड़ी बनकर उभरेगी।
साथियों,
पंचायतों को ज्यादा अधिकार देने का लक्ष्य पंचायतों को सही मायने में, सशक्तिकरण का सेंटर बनाने का है। पंचायतों की बढ़ती हुई शक्ति, पंचायतों को मिलने वाली राशि गांव के विकास को नई ऊर्जा दे, इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। पंचायती राज व्यवस्था में बहनों की भागीदारी को और बढ़ाने पर भी हमारी सरकार का बहुत जोर है।
भारत की बहनें-बेटियां क्या कर सकती हैं, ये कोरोना काल के दुनिया भर में भारत के अनुभव ने विश्व को बहुत कुछ सिखाया है। आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कैसे ट्रैकिंग से लेकर टीकाकरण तक, छोटे-छोटे हर काम को करके कोरोना के खिलाफ की लड़ाई को मजबूती देने का काम हमारी बेटियों ने किया है, हमारी माताओं-बहनों ने किया है।
गांव के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़ा नेटवर्क महिला शक्ति से ही अपनी ऊर्जा पा रहा है। महिला स्वयं सहायता समूह, गांवों में आजीविका के, जनजागरण के नए आयाम गढ़ रहे हैं। पानी से जुड़ी व्यवस्थाएं, हर घर जल अभियान में भी जो महिलाओं की भूमिका तय की गई है, उसको हर पंचायत तेज़ी से व्यवस्थित करे, ये बहुत आवश्यक है।
मुझे बताया गया है कि अभी तक 3 लाख पानी समितियां पूरे देश में बन चुकी हैं। इन समितियों में 50 प्रतिशत महिलाएं होना अनिवार्य है, 25 प्रतिशत तक समाज के कमज़ोर तबके के सदस्य हों, ये भी सुनिश्चित होना जरूरी है। अब गांव में नल से जल तो पहुंच रहा है, लेकिन साथ-साथ इसकी शुद्धता, इसकी निरंतर सप्लाई, इसको सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को ट्रेन करने का काम भी पूरे देश में चल रहा है, लेकिन मैं चाहूंगा कि उसमें तेजी जरूरी है। अभी तक 7 लाख से अधिक बहनों को, बेटियों को पूरे देश में ट्रेनिंग दी जा चुकी है। लेकिन मुझे इस दायरे को भी बढ़ाना है, गति को भी बढ़ाना है। मेरा आज देश भर की पंचायतों से आग्रह है कि जहां अभी ये व्यवस्था नहीं हुई है, वहां इसको जल्द से जल्द लागू किया जाए।
गुजरात में लंबे अरसे तक मैं मुख्यमंत्री रहा और मैंने अनुभव किया है कि जब मैंने गुजरात में पानी का काम महिलाओं के हाथ में दिया, गांवों में पानी की व्यवस्था की चिंता महिलाओं ने इतनी बखूबी की, क्योंकि पानी न होने का मतलब क्या होता है, वो महिलाएं ज्यादा समझती हैं। और बड़ी संवेदनशीलता के साथ, जिम्मेदारी के साथ काम किया। और इसलिए मैं उस अनुभव के आधार पर कहता हूं मेरे देश की सारी पंचायतें पानी के इस काम में जितना ज्यादा महिलाओं को जोड़ेंगी, जितना ज्यादा महिलाओं की टेनिंग करेंगे, जितना ज्यादा महिलाओं पर भरोसा करेंगे, मैं कहता हूं पानी की समस्या का समाधान उतना ही जल्दी होगा, मेरे शब्दों पर विश्वास कीजिए, हमारी माताओं-बहनों की शक्ति पर भरोसा कीजिए। गांव में हर स्तर पर बहनों-बेटियों की भागीदारी को हमें बढ़ाना है, उन्हें प्रोत्साहन देना है।
भाइयों और बहनों,
भारत की ग्राम पंचायतों के पास फंड्स और रैवेन्यु का एक लोकल मॉडल भी होना जरूरी है। पंचायतों के जो संसाधन हैं उनका कमर्शियली कैसे उपयोग किया जा सकता है, इसके बारे में ज़रूर प्रयास होना चाहिए। अब जैसे, कचरे से कंचन, गोबरधन योजना या हम कहें प्राकृतिक खेती की योजना। और इन सारी चीजों से धन की संभावनाएं बढ़ेंगी, नए कोष बनाए जा सकते हैं। बायोगैस, बायो-सीएनजी, जैविक खाद, इसके लिए छोटे-छोटे प्लांट भी लगें, इससे भी गांव की आय बढ़ सकती है, इसके लिए कोशिश करनी चाहिए। और इसके लिए कचरे का बेहतर मैनेजमेंट ज़रूरी है।
मैं आज गांव के लोगों से, पंचायत के लोगों से आग्रह करूंगा कि दूसरे NGO’s के साथ मिल करके, और संगठनों के साथ मिल करके आपको रणनीति बनानी होगी, नए-नए संसाधन विकसित करने होंगे। इतना ही नहीं, आज हमारे देश में ज्यादातर राज्यों में 50 प्रतिशत बहनें प्रतिनिधि हैं। कुछ राज्यों में 33 प्रतिशत से भी ज्यादा है। मैं खास आग्रह करूंगा घरों से जो कचरा निकलता है गीला और सूखा, ये अलग घर में ही करने की आदत डाल दी जाए। उसको अलग करके चलें, आप देखिए वो भी, वो कचरा आपके यहां सोने की तरह काम आना शुरू हो जाएगा। इस अभियान को गांव के स्तर पर मुझे चलाना है और मैं आज देशभर के पंचायत के लोग मेरे से जुड़े हुए हैं तो मैं इसका भी आग्रह करूंगा।
साथियों,
पानी का सीधा संबंध हमारी खेती से है, खेती का संबंध हमारे पानी की क्वालिटी से भी है। जिस प्रकार के कैमिकल हम खेतों में डाल रहे हैं और उससे हमारी धरती माता की सेहत को बर्बाद कर रहे हैं, हमारी मिट्टी खराब हो रही है। और जब पानी, वर्षा का पानी भी नीचे उतरता है, तो वो कैमिकल ले करके नीचे जाता है और वही पानी हम पीते हैं, हमारे पशु पीते हैं, हमारे छोटे-छोटे बच्चे पीते हैं। बीमारियों की जड़ें हम ही लगा रहे हैं और इसलिए हमें अपनी इस धरती मां को कैमिकल से मुक्त करना ही होगा, कैमिकल फर्टिलाइजर से मुक्त करना होगा। और इसके लिए प्राकृतिक खेती की तरफ हमारा गांव, हमारा किसान बढ़ेगा तो पूरी मानवता को लाभ होगा। ग्राम पंचायत के स्तर पर कैसे प्राकृतिक खेती को हम प्रोत्साहित कर सकते हैं, इसके लिए भी सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
भाइयों और बहनों,
प्राकृतिक खेती का सबसे अधिक लाभ अगर किसी को होगा तो वो मेरे छोटे किसान भाइयों-बहनों को होने वाला है। इनकी आबादी देश में 80 प्रतिशत से अधिक है। जब कम लागत में अधिक फायदा होगा, तो ये छोटे किसानों के लिए बहुत प्रोत्साहन देगा। बीते सालों में केंद्र सरकार की नीतियों का सबसे अधिक लाभ हमारे इन छोटे किसान को हुआ है। पीएम किसान सम्मान निधि से हज़ारों करोड़ रुपए इसी छोटे किसान के काम आ रहे हैं। किसान रेल के माध्यम से छोटे किसान के फल-सब्जियां भी पूरे देश के बड़े बाज़ारों तक कम कीमत में पहुंच पा रही हैं। FPO यानि किसान उत्पादक संघों के गठन से भी छोटे किसानों को बहुत ताकत मिल रही है। इस साल भारत ने विदेशों को रिकॉर्ड फल-सब्जियां एक्सपोर्ट की हैं, तो इसका एक बड़ा लाभ भी देश के छोटे-छोटे किसानों को हो रहा है।
साथियों,
ग्राम पंचायतों को सबको साथ लेकर एक और काम भी करना होगा। कुपोषण से, एनीमिया से, देश को बचाने का जो बीड़ा केंद्र सरकार ने उठाया है उसके प्रति ज़मीन पर लोगों को जागरूक भी करना है। अब सरकार की तरफ से जिन योजनाओं में भी चावल दिया जाता है, उसको फोर्टिफाई किया जा रहा है, पोषण युक्त किया जा रहा है। ये फोर्टिफाइड चावल स्वास्थ्य के लिए कितना आवश्यक है, इसको लेकर जागरूकता फैलाना हम सभी का दायित्व है। आज़ादी के अमृत महोत्सव में हमारी बहनों-बेटियों-बच्चों को कुपोषण से, एनीमिया से मुक्त करने के संकल्प हमें लेना है और जब तक इच्छित परिणाम मिलता नहीं है, सिद्धि प्राप्त नहीं होती है, मानतवा के इस काम को हमें छोड़ना नहीं है, लगे रहना है और कुपोषण को हमें हमारी धरती से विदाई देनी है।
भारत का विकास वोकल फॉर लोकल के मंत्र में छिपा है। भारत के लोकतंत्र के विकास की ताकत भी लोकल गवर्नेंस ही है। आपके काम का दायरा भले ही लोकल है, लेकिन इसका सामूहिक प्रभाव वैश्विक होने वाला है। लोकल की इस ताकत को हमें पहचानना है। आप अपनी पंचायत में जो भी काम करेंगे, उससे देश की छवि और निखरे, देश के गांव और सशक्त हों, यही मेरी आज पंचायत दिवस पर आप सबसे कामना है।
एक बार फिर जम्मू कश्मीर को विकास कार्यों के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं और देशभर में लाखों की तादाद में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को मैं कहना चाहूंगा पंचायत हो या पालिर्यामेंट, कोई काम छोटा नहीं है। अगर पंचायत में बैठ करके मैं मेरे देश को आगे ले जाऊंगा, इस संकल्प से पंचायत को आगे बढ़ाएंगे तो देश को आगे बढ़ने में देर नहीं होगी। और मैं आज पंचायत स्तर पर चुने हुए प्रतिनिधियों का उत्साह देख रहा हूं, उमंग देख रहा हूं, संकल्प देख रहा हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि हमारी पंचायत राज व्यवस्था भारत को नई ऊंचाई पर ले जाने का एक सशक्त माध्यम बनेगी। और उन शुभकामनाओं के साथ मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद देता हूं।
मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए-
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
बहुत-बहुत धन्यवाद !!
*****
DS/VJ/NS
Panchayati Raj institutions strengthen the spirit of democracy. Addressing Gram Sabhas across the country from Jammu & Kashmir. https://t.co/dMWlbBU92x
— Narendra Modi (@narendramodi) April 24, 2022
यहां कनेक्टिविटी और बिजली से जुड़े 20 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
जम्मू-कश्मीर के विकास को नई रफ्तार देने के लिए राज्य में तेजी से काम चल रहा है।
इन प्रयासों से बहुत बड़ी संख्या में जम्मू-कश्मीर के नौजवानों को रोज़गार मिलेगा: PM
आज अनेक परिवारों को गांवों में उनके घर के प्रॉपर्टी कार्ड भी मिले हैं।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
ये स्वामित्व कार्ड गांवों में नई संभावनाओं को प्रेरित करेंगे।
100 जनऔषधि केंद्र जम्मू कश्मीर के गरीब और मिडिल क्लास को सस्ती दवाएं, सस्ता सर्जिकल सामान देने का माध्यम बनेंगे: PM @narendramodi
पल्ली पंचायत देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत बनने की तरफ बढ़ रही है।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
आज मुझे पल्ली गांव में, देश के गांवों के जन प्रतिनिधियों के साथ जुड़ने का भी अवसर मिला है।
इस बड़ी उपलब्धि और विकास के कामों के लिए जम्मू-कश्मीर को बहुत-बहुत बधाई: PM @narendramodi
इस बार का पंचायती राज दिवस, जम्मू कश्मीर में मनाया जाना, एक बड़े बदलाव का प्रतीक है।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
ये बहुत ही गर्व की बात है, कि जब लोकतंत्र जम्मू कश्मीर में ग्रास रूट तक पहुंचा है, तब यहां से मैं देशभर की पंचायतों से संवाद कर रहा हूं: PM @narendramodi
बात डेमोक्रेसी की हो या संकल्प डेवलपमेंट का, आज जम्मू कश्मीर नया उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
बीते 2-3 सालों में जम्मू कश्मीर में विकास के नए आयाम बने हैं: PM @narendramodi
दशकों-दशक से जो बेड़ियां वाल्मीकि समाज के पांव में डाल दी गई थीं, उनसे वो मुक्त हुआ है।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
आज हर समाज के बेटे-बेटियां अपने सपनों को पूरा कर पा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में बरसों तक जिन साथियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला, अब उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिल रहा है: PM @narendramodi
जब मैं एक भारत, श्रेष्ठ भारत की बात करता हूं, तब हमारा फोकस कनेक्टिविटी पर होता है, दूरियां मिटाने पर भी होता है।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
दूरियां चाहे दिलों की हो, भाषा-व्यवहार की हो या फिर संसाधनों की, इनको दूर करना आज हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है: PM @narendramodi
आज़ादी का ये अमृतकाल भारत का स्वर्णिम काल होने वाला है।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
ये संकल्प सबका प्रयास से सिद्ध होने वाला है।
इसमें लोकतंत्र की सबसे ज़मीनी ईकाई, ग्राम पंचायत की, आप सभी साथियों की भूमिका बहुत अहम है: PM @narendramodi
सरकार की कोशिश यही है कि गांव के विकास से जुड़े हर प्रोजेक्ट को प्लान करने, उसके अमल में पंचायत की भूमिका ज्यादा हो।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
इससे राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि में पंचायत अहम कड़ी बनकर उभरेगी: PM @narendramodi
धरती मां को कैमिकल से मुक्त करना ही होगा।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
इसलिए प्राकृतिक खेती की तरफ हमारा गांव, हमारा किसान बढ़ेगा तो पूरी मानवता को लाभ होगा।
ग्राम पंचायत के स्तर पर कैसे प्राकृतिक खेती को हम प्रोत्साहित कर सकते हैं, इसके लिए भी सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है: PM @narendramodi
ग्राम पंचायतों को सबका साथ लेकर एक और काम भी करना होगा।
— PMO India (@PMOIndia) April 24, 2022
कुपोषण से, अनीमिया से, देश को बचाने का जो बीड़ा केंद्र सरकार ने उठाया है उसके प्रति ज़मीन पर लोगों को जागरूक भी करना है।
अब सरकार की तरफ से जिन योजनाओं में भी चावल दिया जाता है, उसको फोर्टिफाई किया जा रहा है: PM