शाक्य जी,
आपने और आपके साथियों ने, काठमांडू की महानगरपालिका ने, मेरे लिये इस स्वागत समारोह का आयोजन किया है। मैं हृदय से आभारी हूँ। यह सिर्फ़ मेरा नहीं, पूरे भारत का सम्मान है। मैं ही नहीं, सवा सौ करोड़ भारतीय भी कृतज्ञ हैं। काठमांडू से और नेपाल से मेरा बहुत पुराना रिश्ता है। जब मैं राजनीति में भी नहीं था। मैं जब भी नेपाल आता हूँ तो मुझे शांति और आत्मीयता की अनुभूति होती है। और इसका सबसे बड़ा कारण है आप सभी का प्यार, आपका स्नेह, आपका गर्मजोशी भरा स्वागत-सत्कार और सम्मान। कल मैं जनकपुर मे था आज के युग को एक बहुत बड़ा सन्देश जनकपुर देता है कि राजा जनक की क्या विशेषता थी, उन्होंने उन्होंने शास्त्रों को तुड़वा दिया और स्नेह से जुड़वाँ दिया, ये ऐसी धरती है जो शास्त्रों को तोड़ कर स्नेह से जोड़ती है|
साथियों,
जब भी मैं काठमांडू के बारे में सोचता हूँ, तो जो छवि उभरती है वह सिर्फ़ एक शहर की नहीं है। वह छवि सिर्फ़ एक भौगोलिक घाटी की नहीं है। काठमांडू हमारे पड़ौसी और अभिन्न मित्र नेपाल की राजधानी ही नहीं है। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के देश की राजधानी ही नहीं है। एवरेस्ट पर्वत के देश की, लीली गुराज के देश की राजधानी ही नहीं है। काठमांडू अपने आप में एक पूरी दुनिया है। और इस दुनिया का इतिहास उतना ही पुराना, उतना ही भव्य और उतना ही विशाल है जितना हिमालय। मुझे काठमांडू ने हमेशा ही आकर्षित किया है। क्योंकि यह शहर जितना गहन है उतना ही गतिमान भी। हिमालय की गोद में जड़ा यह एक अनमोल रत्न है। काठमांडू, सिर्फ़ काष्ठ यानि लकड़ी का मंडप नहीं है। यह हमारी साझा संस्कृति और विरासत का महल है। इस शहर की विविधता में नेपाल की महान विरासत और उसके बड़े दिल की झलक मिलती है। नागार्जुन के जंगल हों या शिवपुरी की पहाड़ियाँ। सैकड़ों झरनों और जलधाराओं की शीतलता हो या फ़िर बागमती का उद्गम। हज़ारो मंदिरों, मंजुश्री की गुफाओं और बौद्ध विहारों का यह शहर दुनिया में अनूठा है। इमारतों की छत से एक तरफ धौलागिरी और अन्नपूर्णा और दूसरी तरफ सागरमाथा यानि ऐवरेस्ट और कंचनजंगा। ऐसे दर्शन कहाँ संभव हैं ? सिर्फ़ काठमांडू में। बसंतपुर की बानगी, पाटन की प्रतिष्ठा, भक्तपुर की भव्यता, कीर्तिपुर की कला और ललितपुर का लालित्य। काठमांडू ने अपने आप में जैसे इंद्रधनुष के सभी रंगों को समेट रखा है। यहां की हवा में बहुत सी परंपराएं ऐसे घुल-मिल गयी हैं जैसे चंदन में रोली। पशुपतिनाथ में प्रार्थना रत भक्तों की भीड़। स्वयंभू की सीढ़ीयों पर आध्यात्म की चहल-क़दमी। बौधा में परिक्रमा कर रहे श्रद्धालुओं के पग-पग पर ‘ओम मणि पद्मे हुम्’ की गूंज। ऐसा लगता है जैसे तारो पर सरगम के सारे सुर गले मिल रहे हैं। मुझे बताया गया है कि कुछ त्यौहार, जैसे नेवारी समुदाय के त्यौहार, तो ऐसे भी हैं जिनमें बौद्ध और हिंदु मान्यताओं और प्रथाओं का अभूतपूर्व संगम है। परंपरा और संस्कृति ने काठमांडू की हस्तकला और कलाकारों को बेजोड़ बनाया है। चाहे वह हाथ से बना कागज़ हो या तारा और बुद्ध जैसी मूर्तियाँ। भक्तपुर की मिट्टी से बने बर्तन हों या पाटन में पत्थर, लकड़ी और धातु का काम। नेपाल की बेजोड़ कला और कलाकारी का महाकुंभ है काठमांडू। और मुझे ख़ुशी है कि यहां की युवा पीढ़ी इस परंपरा को निभा रही है। और इसमें नयापन भी ला रही है।
साथियों,
नेपाल की मेरी अब तक की दो यात्राओं में मुझे पशुपतिनाथ के दर्शन का सौभाग्य मिला था। इस यात्रा में मुझे पशुपतिनाथ के अलावा पवित्र जनकपुर धाम और मुक्तिनाथ, तीनों पवित्र तीर्थ स्थानों पर जाने का सुअवसर मिला। ये तीनों स्थान सिर्फ़ महत्वपूर्ण तीर्थस्थल ही नहीं हैं। ये भारत और नेपाल के अडिग और अटूट संबंधों का हिमालय है। आगे जब भी नेपाल यात्रा का अवसर बनेगा, मैं समय निकाल कर भगवान बुद्ध की जन्म स्थली लुम्बिनी जाने का कार्यक्रम भी अवश्य बनाऊंगा।
साथियों,
शांति, प्रकृति के साथ संतुलन, और आध्यात्मिक जीवन के मूल्यों से परिपूर्ण हमारे दोनों देशों के value systems पूरे विश्व की धरोहर हैं। और इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पूरी दुनिया से लोग शांति की ख़ोज में भारत और नेपाल की ओर खींचे चले आते हैं। कोई बनारस जाता है तो कोई बोधगया। कोई हिमालय की गोद में जा कर रहता है, तो कोई बुद्ध विहारो में। साधना एक ही है खोज एक ही है। आधुनिक जीवन की बेचैनियों का समाधान भारत और नेपाल के साझे मूल्यों में मिलेगा।
साथियों,
बागमती के तट पर काठमांडू में पशुपतिनाथ। और गंगा के तट पर काशी विश्वनाथ। बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी, तपस्थली बौधगया और संदेश-क्षेत्र सारनाथ।
साथियों,
हम सभी हज़ारों वर्षों की साझी विरासत के धनी हैं। हमारी यह साझा विरासत दोनो देशों के युवाओं की सम्पत्ति है। इसमें उनके अतीत की जड़ें हैं। वर्तमान के बीज और भविष्य के अंकुर हैं।
साथियों,
पूरे विश्व में आज अनेक प्रकार के परिवर्तनों का दौर चल रहा है। वैश्विक वातावरण अनेक अस्थिरताओं और अनिश्चितताओं से परिपूर्ण है।
साथियों,
हज़ारो सालों से ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ – यानि सारा विश्व एक परिवार है – यह भारत का दर्शन रहा है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ हम अपने विदेश-सहयोग पर भी लागू करते आये हैं। भारतीय शास्त्रों में प्रार्थना है, ”सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यंतु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्।” यानी सब प्रसन्न हों, सब स्वस्थ हों, सबका कल्याण हो और किसी को दुःख ना मिले। भारत के मनिषियों ने हमेशा से यही सपना देखा है। इस आदर्श को प्राप्त करने के लिए हमारी विदेश नीति सबको साथ लेकर चलने पर आधारित है। ख़ासतौर पर पड़ौस में भारत के अनुभव और भारत के अवसरों को साझा करते हैं। Neighborhood first हमारी संस्कृति में सिर्फ़ विदेश नीति ही नहीं, जीवन शैली है। बहुत से उदाहरण हैं। स्वयं विकासशील होते हुए भी, भारत 50 साल से भी अधिक समय से Indian Technical and Economic Cooperation कार्यक्रम के अंतर्गत 160 से अधिक देशों में कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए सहयोग उन देशों की जरुरतों के अनुसार करता है। पिछले साल भारत ने South Asia उपग्रह छोड़ा। इससे हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं के सुपरिणाम हमारे पड़ौसी देशों को उपहार-स्वरुप उपलब्ध हो रहे हैं। इसके साथ ही हम इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि दुनिया के सामने जो बड़ी चुनौतियाँ हैं, जिनसे कोई भी देश अकेले नहीं निपट सकता, उनका सामना करने के लिए हम किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों का विकास करें। उदाहरण के तौर पर, 2016 में भारत और फ्रांस ने मिलकर climate change के सन्दर्भ में एक नये अंतर्राष्ट्रीय treaty based organization की कल्पना की। यह क्रांतिकारी क़दम अब एक सफल प्रयोग में बदल गया है। इस वर्ष मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉं और क़रीब 50 अन्य देशों के नेताओं ने दिल्ली में इस International Solar Alliance के पहले summit में भाग लिया। ऐसे प्रयासों से climate change जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए technological और आर्थिक साझेदारियां विकसित करने में, छोटे विकासशील देशों की जरुरतों को पूरा करने में ख़ासतौर पर मदद मिलेगी।
साथियों,
जब भारतीय नेपाल की ओर देखते हैं तो हमें नेपाल को देखकर, यहाँ के माहौल को देखकर ख़ुशी होती है। नेपाल में माहौल है आशा का, उज्जवल भविष्य की कामना का, लोकतंत्र की मजबूती का, और “समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली” के vision का। और इस माहौल को बनाने में, आप सभी का बहुत बड़ा योगदान है। 2015 के भूकंप की भयावह त्रासदी के बाद नेपाल, और विशेष रूप से काठमांडू के लोगों ने जिस धैर्य और अदम्य साहस का परिचय दिया है, वह पूरे विश्व में एक मिसाल है। यह आपके समाज की दृढ़ निष्ठा और कर्मठता का प्रमाण है, कि इतने कम समय में आपदा से निपटते हुए भी, नेपाल में एक नई व्यवस्था का निर्माण हुआ है। भूकंप के बाद सिर्फ़ इमारतों का ही नहीं, देश और समाज का भी एक प्रकार से पुनर्निर्माण हुआ है। आज नेपाल में federal, provincial और local, तीनों स्तरों पर लोकतांत्रिक सरकारें हैं। और तीनों स्तरों के चुनाव एक साल के अन्दर-अन्दर सफलतापूर्वक आयोजित किये गए हैं। ये शक्ति आपमें अन्तर्निहित है। और इसलिए, मैं आप सभी का हृदय से अभिनंदन करता हूँ।
साथियों,
नेपाल ने युद्ध से बुद्ध का बहुत लम्बा सफ़र तय किया है। लेकिन मंज़िल अभी और दूर है। बहुत आगे तक जाना है। एक प्रकार से कहूँ तो Mount Everest का Base Camp (बेस कैंप) आ गया है, लेकिन शिखर की चढ़ाई अभी बाकी है। और जिस प्रकार पर्वतारोहियों को नेपाल के शेरपाओं का मजबूत साथ और समर्थन मिलता है, उसी प्रकार नेपाल की इस विकास यात्रा में भारत आपके लिए शेरपा का काम करने के लिए तैयार है। पिछले महीने प्रधानमंत्री ओली जी की भारत यात्रा में, और कल और आज की मेरी नेपाल यात्रा में, मेरा यही संदेश था। नेपाल अपनी आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार आगे बढ़े, और आपकी सफ़लता के लिए भारत हमेशा नेपाल के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलेगा। आपकी सफ़लता में ही भारत की सफ़लता है। नेपाल की ख़ुशी में ही भारत की ख़ुशी है। काम चाहे railway lines का हो, या सड़क निर्माण का; hydropower का हो, या transmission lines का; integrated check post का हो, या oil pipeline का। या फ़िर भारत और नेपाल के सांस्कृतिक और लोगों के बीच मज़बूत सम्बन्धों को और भी ताक़त देने का काम हो। आपकी हर आवश्यकता में हम साथ चल रहे हैं, और आगे भी चलते रहेंगे। हमने काठमांडू को भारत से रेल द्वारा जोड़ने के project के DPR पर काम करना शुरु कर दिया है। 🙂 🙂 और अब तो हम Cricket में IPL में भी जुड़े हुए हैं। इस यात्रा में, और हाल ही की बहुत सी पहलों से आप परिचित हैं। मुझे बताया गया है कि पहली बार नेपाल का एक खिलाड़ी संदीप लमिछाने IPL में भाग ले रहा है। मैं आशा करता हूँ कि आने वाले समय में Cricket ही नहीं, अन्य खेलों के माध्यम से भी हमारे people-to-people संबंध मजबूत होते रहेंगे।
साथियों,
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार फ़िर काठमांडू मेयर श्रीमान शाक्य जी का, काठमांडू administration का, नेपाल की सरकार का, और आप सभी का ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ। और हृदय का वही भाव है जो आपके दिल में है वही मेरे दिल में है, जो हर नेपाली के दिल में है वही हर हिंदुस्तानी के दिल में है, और वो यह है
नेपाल भारत मैत्री अमर रहोस!
नेपाल भारत मैत्री अमर रहोस!
नेपाल भारत मैत्री अमर रहोस!
धन्यवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
I thank the people of Kathmandu for the memorable civic reception. Kathmandu is a unique city. It is an ideal mix of the old and the new. Kathmandu is a great manifestation of the culture of Nepal. Sharing my speech at the reception. https://t.co/DE0l5UiDkR pic.twitter.com/jtmta6mYIn
— Narendra Modi (@narendramodi) May 12, 2018
At the programme in Kathmandu, I reiterated India’s strong support to Nepal as they pursue their development agenda. Highlighted instances of India-Nepal cooperation and elaborated on steps such as the Solar Alliance, which are being taken by India for the welfare of humanity. pic.twitter.com/eM0sBRg3y2
— Narendra Modi (@narendramodi) May 12, 2018